पांच हजार लोगों ने पी डेंगू से बचाव की दवा

ऋषिकेश।
लायंस क्लब डिवाईन व आयुष्मान योग संस्थान ने डेंगू से बचाव को त्रिवेणीघाट पर कैंप लगाया। जिसमें पांच हजार लोगों को दवा पिलाई गई।
त्रिवेणीघाट पर सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक कैंप लगाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंचे। आयुष्मान योग संस्थान ट्रस्ट मेरठ के प्रमुख आचार्य यशोवर्धन योगी ने डेंगू से बचाव को दुर्लभ जड़ीबूटी से निर्मित दवा निशुल्क पिलाई गई। क्लब अध्यक्ष पंकज चंदानी ने कहा कि शहर में डेंगू तेजी से फैल रहा है। शहर के प्राईवेट अस्पताल मरीजों से अटे पड़े है। इसके उपचार से ज्यादा जरूरी बचाव है। दवा के सेवन से डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है। 106
इस अवसर पर सचिव दीपेश कोहली, कोषाध्यक्ष हिमांशु अरोडा, सुशील छाबडा, नवीन गांधी, पूर्व अध्यक्ष राही कपाडिया, आशीष अग्रवाल, ललित मोहन मिश्रा, अतुल जैन, महेश किंगर, अभिनव गोयल, आशु डंग, जगमीत सिंह, विजय नैरूला, अंकुर अग्रवाल, मयूर लांबा, धीरज अग्रवाल, रिक्की गोदवानी, शिवमोहन मिश्रा, जयेन्द्र रमोला, अब्दुल रहमान, प्रेम चंदानी, हीरालाल छाबड़ा आदि मौजूद थे।

प्राइवेट पैथोलाजी लैब में जांच के नाम पर मनमानी वसूली

ऋषिकेश।
शहर और आसपास क्षेत्रों में लगातार डेंगूए मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीज सामने आ रहे हैं। सरकारी अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज कराने को भारी भीड़ है। डाक्टर ज्यादातर मरीजों को डेंगूए मलेरियाए टाइफाइड और चिकनगुनिया की जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। वहीं कुछ मरीज खौफ के चलते खुद भी ब्लड की जांच करा रहे हैं। सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव है। ऐसे में प्राइवेट लैब संचालकों की मौज हो रही है। लोगों की शिकायत है कि ब्लड जांच के नाम पर प्राइवेट लैब मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। मरीज अधिक शुल्क देने को मजबूर हैं। डेंगू रैपेड किट जांच सरकारी अस्पताल में निशुल्क होती है। जबकि प्राइवेट में इसके 200 से 500 रुपये वसूले जा रहे हैं। इसके अलावा मलेरिया और टाइफाइड की जांच भी निशुल्क होती है। इसके प्राइवेट लैबों में 50 से 150 रुपये मरीजों से लिए जा रहे हैं। चिकनगुनिया की जांच प्राइवेट में 300 से 500 रुपये चुकाकर हो रही है। डेंगू में सबसे ज्यादा प्लेटलेट्स काउंट जांच कराई जाती है। यहां जांच सरकारी अस्पताल में 35 रुपये में होती है। जबकि प्राइवेट में इसके 250 से 500 रुपये वसूले जा रहे हैं। इसी तरह डेंगू मरीजों की शुगर और सीबीसी जांच कराई जाती है। सरकारी में शुगर का टेस्ट 35 रुपये में होता है। जबकि प्राइवेट में इसके 80 से 150 रुपये लिए जा रहे हैं। वहीं सीबीसी का सरकारी में शुल्क 145 रुपये है। वहीं प्राइवेट में यही जांच 400 से 800 में हो रही है। कुछ लोगों इस संबंध में देहरादून सीएमओ को शिकायत भी भेजी है।

ऋषिकेश में नहीं थम रहा डेंगू का कहर

सरकारी अस्पताल में डेंगू के चार और मरीज मिले
ऋषिकेश।
ऋषिकेश में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को सरकारी अस्पताल में चार मरीजों की डेंगू रिपोर्ट पॉजीटिव आई। वहीं ओपीडी में मरीजों की भीड़ रही। प्राइवेट अस्पतालों में भी यही स्थिति रही।
सरकारी अस्पताल की ओपीडी में शुक्रवार को 670 नए मरीजों ने पंजीकरण कराया। इसमें डेंगू की आशंका पर 37 मरीजों के ब्लड जांच की गई। इसमें चार मरीजों की रिपोर्ट पॉजीटिव आई। फिजीशियन डा. ऋचा रतूड़ी ने बताया कि वायरल पीड़ितों के बाद अब डेंगू के मामले बढ़ने लगे हैं। इसके अलावा 50 मरीजों की मलेरिया की जांच की गई। इसमें तीन में मलेरिया की पुष्टि हुई। वहीं टाइफाइड की आशंका पर 63 मरीज के ब्लड सैंपल जांचे गए, जिनमें आठ मरीजों में टाइफाइड की पुष्टि हुई। दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या रिकार्ड तोड़ रही है। मायाकुंड स्थित निर्मल अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या हर दिन हजार के आंकड़े को छू रही है। अन्य नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पतालों का भी यही हाल है।

कांग्रेस सभासद दल के नेता को चिकनगुनिया
संक्रामक बीमारियों की चपेट में जनप्रतिनिधि भी आ रहे हैं। नगर पालिका में कांग्रेस सभासद दल के नेता मनीष शर्मा में चिकनगुनिया के लक्षण मिले हैं। उनका इलाज एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है। प्राइवेट अस्पताल की जांच में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने आधिकारिक रूप से इसकी जानकारी से इनकार किया है। चिकनगुनिया और डेंगू मच्छर के काटने से होते हैं। इनमें तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द होता है। दोनों बीमारियों को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है।

हाथ.पाव में सूजन, अकड़न, जोड़ों में दर्द, खुजली व चिकते पड़ने से वायरल पीड़ित परेशान

ऋषिकेश।
वायरल पीड़ित मरीजों की संख्या दिन.प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गुरुवार को सरकारी अस्पताल की ओपीडी में 655 मरीज पहुंचे। पीड़ित मरीज हाथ.पाव में सूजनए सूजन, अकड़न, जोड़ों में दर्द, खुजली व चिकते पड़ने से परेशान थे। शंखनाद की टीम ने सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों से बात की। बताया कि मौसमी वायरल में चिकन गुनिया के लक्षण दिखाई दे रहे है।
गुरुवार को सरकारी अस्पताल की ओपीडी में 33 मरीजों में डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर ब्लड की जांच की गयी। दो मरीजों में डेंगू पॉजिटिव मिला। दोनों मरीज शीशमझाड़ी स्थित किसी आश्रम के बताये जा रहे है। दोनों मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती है। 66 मरीजों की मलेरिया व 81 मरीजों की टाइफाइड जांच की गयी। जिसमें से 10 मरीज टाइफाइड से पीड़ित मिले।
फिजिशियन डॉ. ऋचा रतूड़ी ने बताया कि पीड़ित मरीज हाथ.पाव में सूजन, अकड़न, जोड़ों में दर्द, खुजली व चिकते पड़ने की शिकायत कर रहे है। पीड़ित मरीजों में हर दूसरा मरीज इस प्रकार की शिकायत कर रहा है। यह चिकन गुनिया के लक्षण है। बताया कि चिकन गुनिया मच्छर के काटने से होता है। इसके कारण महीनों तक जोड़ो में दर्द रहता है। वहींए वायरल पीड़ित मरीज प्राइवेट अस्पतालों का अधिक रुख कर रहे है। नगर के प्राइवेट अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन दो हजार से अधिक बतायी जा रही है। चिकन गुनिया व डेंगू की आंशका के चलते मरीज प्राइवेट अस्पताल का रुख करना ज्यादा बेहतर समझ रहे है।

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एमएसवीवाईएल के लिए सपंर्क करेगी आशा
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए आशाएं नगर पालिका के वार्ड सदस्यों से सपंर्क करेंगी। कार्यक्रम संयोजक एसएस यादव ने बताया कि एमएसवीवाईएल के तहत नगर का लक्ष्य पूरा करने के उद्देश्य से आशा कार्यकत्रियों को नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों से संपर्क करने के निर्देश दिये गये है। जिला प्रशासन ने पात्र व्यक्ति छूट न जायेए इसके लिए संपर्क करने को कहा है। बताया कि गुरुवार को चूना भट्टा बनखंडी में कैंप भी लगाया गया।

टीकाकरण जारी
प्रदेश में एएनएम के कार्यबहिष्कार का असर सरकारी अस्पताल में देखने को नही मिला। एनजीओ के माध्यम से संचालित एएनएम सेंटर व सरकारी अस्पताल में महिलाओं व नौनिहालों का टीकाकरण सुचारु रुप से चल रहा है।

सरकारी अस्पताल में गुरुवार को दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। दोनों मरीज शीशमझाड़ी टिहरी क्षेत्र के रहने वाले है। अलग जिला होने के कारण सीएमओ देहरादून कार्यालय को टिहरी सीएमओ को सूचना देने के संदर्भ में सूचित कर दिया हैए ताकि नरेन्द्रनगर स्वास्थ्य विभाग की टीम संबधित क्षेत्र में दवा छिड़काव कर सकें।
एसएस यादव संक्रामक रोग नियंत्रक सरकारी अस्पताल नगरी क्षेत्र ऋषिकेश।

पालिका की दवा बेअसर
नगर पालिका ऋषिकेश के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नियमित रुप से नगर के कई वार्डों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। लेकिन लगातार वायरल पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने से पालिका की दवा को लोग बेअसर बताने लगे है। वहींए सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि मायाकुंड क्षेत्र में टैंकर के द्वारा गुरुवार को दवा का छिड़काव किया गया।
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भीड़ का दबाब अधिक रहा
सरकारी अस्पताल में गुरुवार को भीड़ का दबाब अधिक रहा। नतीजन मरीजों को बैठने के लिए जगह भी नही मिल पा रही थी। कई मरीज बीमार होने के चलते जहां जगह मिली वही बैठ गये। पहाड़ से आयी एक बालिका स्वास्थ्य खराब होने के चलते फर्श में ही चादर डालकर लेट गयी। नबंर देर से आने पर छोटी सी बालिका को नींद भी आ गयी।

डोईवाला में सड़क पर पैदा हुआ बच्चाए मौत

108 एंबुलेंस पर समय पर नहीं पहुंचने का आरोप
डोईवाला।
डोईवाला क्षेत्र में एक महिला ने सड़क पर बच्चे को जन्म दे दिया। इस दौरान नवजात की मौत हो गई। 108 एंबुलेंस पर समय पर नहीं पहुंचने का आरोप है। 108
जानकारी के अनुसार मणिमाई मंदिर से एक किलोमीटर दूर जंगल में कुछ गुज्जर परिवारों की बस्ती है। बस्ती की एक महिला को बुधवार दोपहर डोईवाला अस्पताल लाया गया। चेकअप कराने के बाद परिजन घर लौट गए। बुधवार रात को महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन लगाया। परिजन महिला को मणिमाई मंदिर तक लाए और एंबुलेंस का इंतजार करने लगे। इसी दौरान महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। लेकिन नवजात की मौत हो गई। इसके बाद पहुंची 108 एंबुलेंस ने महिला को डोईवाला अस्पताल पहुंचाया। महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। गुरुवार शाम को महिला को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। डोईवाला सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके पांडे ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी गुरुवार की सुबह मिली। उन्होंने यह जानकारी देहरादून के सीएमओ को दे दी है।

वायरल पीड़ित मरीजों में संक्रामक रोग का खतरा बढ़ा

मंगलवार को सरकारी अस्पताल की लैब ने दो ओर मरीजों में डेंगू की पुष्टि की
मलेरिया के 2 व टाइफाइड से 14 पीड़ित मरीज मिले
ऋषिकेश।
मंगलवार को सरकारी अस्पताल की पैथोलॉजी लैब ने दो ओर मरीजों में डेंगू की पुष्टि कर दी। मलेरिया के दो और टाइफाइड से 14 पीड़ित मरीज भी मिले। सरकारी अस्पताल के आंकड़ों को पर यकीन करें तो अब तक डेंगू के कुल 20 मामले सामने आ चुके है। सरकारी अस्पताल में मरीजों की ब्लड सैंपल रिपोर्ट बता रही कि वायरल पीड़ित मरीजों में मलेरिया व टाइफाइड के मामले भी बढे है। 111
मंगलवार को सरकारी अस्पताल की ओपीडी में वायरल पीड़ित मरीज की संख्या 200 के पार चली गई। पीड़ित मरीज लंबी लाइन लगाकर जांच कराते देखे गये। फिजिशियन डॉ. ऋचा रतूड़ी ने बताया कि मौसम में परिर्वतन के चलते ओपीडी में वायरल पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मंगलवार को डेंगू की आशंका के चलते 22 मरीजों के सैंपल लिये गये थे, जिसमें से 2 मरीजों में डेंगू पॉजीटिव मिला है। 52 मरीजों में मलेरिया व 72 मरीजों में टाइफाइड के लक्षण दिखने पर ब्लड के सैंपल लिये गये।
दो मरीजों में मलेरिया व 14 मरीजों में टाइफाइड पॉजीटिव मिला है। संक्रामक रोग नियंत्रक एसएस यादव ने बताया कि सोमवार के 2 डेंगू पीड़ित मरीजों की पहचान कैलाशगेट व ऋषिकेश निवासी के रुप में हुई है। बताया कि दोनों मरीजों ने प्राईवेट अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है। मंगलवार को हुई जांच रिपोर्ट मरीज के द्वारा नही ली गयी है। जांच रिपोर्ट के लिए आने पर मरीज से संपर्क करने की बात कही।

मुख्यगेट पर अव्यवस्था का आलम
ऋषिकेश। सरकारी अस्पताल को स्वयं संजीवनी की जरुरत पड़ रही है। मरीज जिस मुख्य गेट से अस्पताल में प्रवेश करते है, कुछ रसूखदार लोग व स्टाफ कर्मी अपने वाहन वहीं पर खड़े कर अव्यवस्था फैलाने से बाज नही आ रहे। इन वाहनों के कारण मरीज व तीमारदारों को आने-जाने में परेशानियां झेलनी पड़ रही है। किसी का मरीज गंभीर बीमार है और वह अपनी गाड़ी या एंबुलेंस से मरीज को अस्पताल के मुख्य गेट तक लाना चाहे तो यह उसकी लाचारी ही कही जायेगी कि अव्यवस्थाओं के कारण वह मुख्यगेट तक वाहन से मरीज को नही ला सकता है।

मरीजों की संख्या बढ़ने से एक अतिरिक्त टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई

ओपीडी की संख्या में वायरल पीड़ित मरीज बढ़े
ऋषिकेश।
सरकारी अस्पताल की पैथोलाजी लैब में जांच को मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया है। पैथोलाजी लैब में टीबी विभाग की लैब टेक्नीशियन को भी जांच में लगाया गया है। अब लैब टेक्नीशियनों की संख्या तीन हो गयी है। बीते कई दिनों से पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया व डेंगू आदि की जांच को मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद अस्पताल प्रशासन को यह निर्णय लेना पड़ा।
शहर में वायरल, टाइफाइड, मलेरिया व डेंगू का खौफ है। जिस कारण मरीज खून की जांच करवा रहे है। इन दिनों प्रतिदिन संख्या 50 का आंकडा पार कर रही है। बुधवार को भी 38 लोगों के खून की जांच की गयी। पैथोलाजी लैब में दो ही लैब टेक्नीशियन होने के कारण मरीजों की जांच में दिककत आ रही थी। इसलिए सीएमएस डा. अशोक कुमार ने सीएमओ देहरादून से टीबी विभाग में तैनात लैब टेक्नीशियन को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत खून की जांच में लगाने की अनुमति मांगी है। जिस पर देहरादून सीएमओ ने अपनी सहमति दे दी है। गुरुवार से लैब टेक्नीशिनों की संख्या अब तीन हो जायेगी।

पैथोलाजी लैब में दबाब
वायरल पीड़ितों की संख्या अधिक होने के चलते पैथोलाजी लैब में दबाब बढ गया है। सामान्य दिनों की अपेक्षा तीन गुना से अधिक मरीज जांच को लैबोरेट्री पहुंच रहे है। प्रतिदिन की तरह लैब में सामान्य जांच भी चल रही है। स्टाफ की कमी के चलते लैब में दबाब बढ़ गया है।
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वायरल पीड़ितों की संख्या बढ़ी
सरकारी अस्पताल में सामान्य दिनों के मुकाबले वायरल पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वरिष्ठ फिजीशियन डा. महेश सैनी की ओपीडी में सामन्य दिनों में 60 से 70 मरीज पहुंचते थे, लेकिन मौसमी वायरल के चलते ओपीडी में मरीजों की संख्या 120 के पार पहुंच रही है। डा. सैनी ने बताया कि अधिकत्तर वायरल पीड़ित मरीज पहुंच रहे है।

अब चिकन गुनिया की दस्तक
वायरल, मलेरिया, टाइफाइड व डेंगू के बाद मरीजों में चिकन गुनिया के भी लक्षण दिखाई देने लगे है। सरकारी अस्पताल में कार्यरत एक आशा व नर्स चिकन गुनिया से ग्रसित है। बुखार में हाथ- पाव के जोड़ों में दर्द व ऐंठन इसके लक्षण है।

मरीजों के ब्लड सैंपल सामान्य
सरकारी अस्पताल में बुधवार को 38 वायरल पीड़ितों के ब्लड सैंपल लिये गये थे। संक्रमण रोग नियंत्रक एसएस यादव ने बताया कि सभी मरीजों के ब्लड सैंपल की डेंगू, मलेरिया व टाइफाइड जांच की गयी, सभी के सैंपल नेगेटिव रहे।

पालिका के नाला गैंग ने सफाई की
नगर पालिका ऋषिकेश के सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि बुधवार को छोटी सब्जी मंडी, जाटव बस्ती व वाल्मीकि बस्ती में नाला गैंग ने सफाई अभियान चलाया। पानी की निकासी नही होने के कारण इस ओर शिकायत मिल रही थी।

10 मरीजों में डेंगू की पुष्टि
संक्रामक रोग नियंत्रण केन्द्र देहरादून से मिली जानकारी के अनुसार निर्मल अस्पताल ऋषिकेश के 65 मरीजों के ब्लड सैंपल लिये गये थे, जिनमें से 5 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। जबकि जौलीग्रांट स्थित हिमालयन अस्पताल में 25 मरीजों के सैंपल लिये गये थे, जिनमें 5 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इन मरीजों का संबंधित अस्पताल में इलाज चल रहा है।

वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण की सौगात


हर माह चन्द्रेश्वर नगर स्थित हिमालयन अस्पताल के सेंटर में आयोजित होगा स्वास्थ्य शिविर

मुख्य अतिथि एसआरएसयू के कुलपति डा. विजय धस्माना ने हिमालयन अस्पताल में अलग कांउटर व इलाज में छूट देने का भरोसा भी दिलाया
वरिष्ठ नागरिक कल्याण संगठन ने 28वां स्थापना दिवस मनाया
ऋषिकेश।
वरिष्ठ नागरिक कल्याण संगठन ऋषिकेश की ओर से 28वें स्थापना दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसआएसयू के कुलपति डा. विजय धस्माना ने हर माह वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य परीक्षण करने, हिमालयन अस्पताल में अलग काउंटर खोलने व इलाज में छूट प्रदान करने की संगठन की मांग को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अनुभव की समाज को आवश्यकता है। सामाजिक जीवन के मूल्यों में हो रहे ह्रासमेंट को वरिष्ठ नागरिक ही रोक सकते है।
कार्यक्रम में विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल ने वरिष्ठ नागरिकों से समाज को दिशा देने की अपील की। कहा कि वरिष्ठ नागरिक समाज का महत्वपूर्ण अंग है।105

नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा ने संगठन की मांग पर गंगानगर के पार्क को वरिष्ठ नागरिकों को सौंपने की बात कही। कहा कि इसके लिए वह नगर पालिका बोर्ड में प्रस्ताव लायेंगे। कांग्रेस प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने वरिष्ठ नागरिकों को समाज का अभिन्न अंग बताते हुए धरोहर बताया। कहाकि वरिष्ठ नागरिक सेवानिवृति के बाद सामाजिक मुद्दों पर कार्य करें, जिससे कि समाज में नवक्रांति का सृजन हो सकें। उन्होंने संगठन को पांच हजार रुपये की अनुग्रह धनराशि भी दी।
उत्तराखंड बोर्ड में नगर के 11 विद्यालयों के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखंड क्वींज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा अदिती धस्माना को भी संगठन ने सम्मानित किया। इससे पूर्व सन साइन स्कूल व संस्कार एकेडमी के बच्चों ने स्वागत गीत व सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगठन के अध्यक्ष कमला प्रसाद भट्ट ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने संगठन के विस्तार की आवश्यकता करने पर जोर दिया। कहा कि पूर्व सैनिकों को भी संगठन से जोड़ने के लिए मुहिम चलाई जायेगी। संचालन महाचिव सतेन्द्र कुमार ने की।

 

 

पालिका में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद ही सृजित नहीं


एक लाख आबादी फिर भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी नहीं
ऋषिकेश नगर पालिका ए ग्रेड की होने के बाद भी अनदेखी

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से नगर पालिका ऋषिकेश ए ग्रेड का दर्जा मिला हुआ है। पालिका क्षेत्र की आबादी पर नजर डालें तो यहां की जनसंख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गई है। सिस्टम की अनदेखी देखिए ऋषिकेश में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद तक सृजित नहीं है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निकाय में एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार अधिकारी होते हैं। सरकारी सेवा में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक को यह पद दिया जाता है। पालिका और आसपास के क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी स्वास्थ्य अधिकारी की रहती है। कोई बीमारी या महामारी फैलने की स्थिति में नगर स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका अहम रहती है। कैंप लगवाना, कीटनाशक दवाओं का छिड़काव, मरीजों की जांच और रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराना होता है। इनदिनों में कुछ इलाकों में वायरल फीवर और टाइफाइड फैल रहा है। नगर पालिका के ही 55 कर्मचारी बीमार हैं। ऐसी स्थिति में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का न होना बेहद खल रहा है। इस विषय पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

 

नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद सृजित न होना गंभीर विषय है। शासन स्तर पर मामले को देखा जाएगा। दो माह से चारधाम यात्रा के सीजनल सफाई कर्मचारियों के वेतन नहीं मिलने का मामला भी गंभीर है। इस मामले में पालिका ने मुझसे कभी संपर्क नहीं किया। पालिका को कर्मचारी नहीं हटाने चाहिए थे, अपने स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए थी। कभी-कभी शासन से बजट मिलने में देरी हो जाती है।
– सीएस नपल्चयाल, गढ़वाल कमिश्नर101

रेटिनोपैथी की जांच डायबिटीज मरीज के लिए फायदेमंद

मधुमेह (डायबिटीज) के ज्यादातर मरीजों में रेटिनोपैथी की आखिरी स्टेज आने तक भी पता नहीं चलता और तब तक उचित इलाज की संभावना भी कम रह जाती है। बीमारी फैलने की रफ्तार तेज हो सकती है, इसलिए रेटिनल रोग का ध्यान रखने के लिए मधुमेह रोगियों की नियमित जांच होती रहनी चाहिए। एचसीएफआई के प्रेसीडेंट और आईएमए के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि आखों, दिल के रोगों, छोटी रक्त शिराओं के क्षतिग्रस्त होने के बेहद शुरुआती संकेत अन्य लक्षणों के नजर आने से पहले ही देती हैं।
रेटिनोपैथी वाले मधुमेह रोगियों की इस रोग के बिना वाले लोगों की तुलना में अगले बारह सालों में मौत होने की संभावना होती है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी और यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न व नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के अध्ययनों के मुताबिक, इस रोग से जो लोग पीड़ित नहीं है, उनकी तुलना में रेटिनोपैथी वाले रोगियों की दिल की बीमारी से मौत होने की संभावना करीब दोगुनी होती है।
आंखों में बदलाव से पीड़ितों को यह चेतावनी मिल सकती है कि उनकी रक्त धमनियों को क्षति पहुंच रही है और उनके लोअर कोलेस्ट्रॉल और लोअर ब्लडप्रेशर पर असर हो रहा है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी से रहित रोगियों की तुलना में रेटिनोपैथी वाले रोगियों को दिल के दौरे स्ट्रोक, रिव्सकुलराइजेशन व दिल के रोग से मौत होने की आशंका ज्यादा रहती है।