प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर, राष्ट्रीय औसत से लगभग एक-तिहाईः उत्पल कुमार

मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि सोमवार को दोपहर तक 25 पॉजिटिव केस आए हैं जबकि 135 कोरोना संक्रमित ठीक हुए हैं। कुल 1380 पॉजिटिव केस में से 697 एक्टिव केस हैं। राज्य में डबलिंग रेट में निरंतर सुधार हो रहा है। अब यह 16 दिन से अधिक हो गई है। हमारा रिकवरी प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत के बराबर लगभग 48 प्रतिशत हो गया है। सैपलों के पॉजिटिव होने की दर उत्तराखण्ड में 4.31 प्रतिशत है जबकि देश का औसत 5.37 प्रतिशत है। प्रति मिलियन सैंपल लेने की दर 3169 है। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु दर देश में 2.78 प्रतिशत है जबकि राज्य में यह दर लगभग 1 प्रतिशत है।

कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या 20 हजार, आईसीयू बेड 243 और वेंटिलेटर 126

मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले दिनों में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है, परंतु इसमें डरने की आवश्यकता नहीं है। हमने अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी इजाफा किया है। कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या 20 हजार हो गई है। आईसीयू बेड 243 और वेंटिलेटर 126 उपलब्ध हैं।

कान्टेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान

मुख्य सचिव ने कहा कि कान्टेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान दिया गया है। 1380 कोरोना पॉजिटिव के 6294 कान्टेक्ट ट्रेस किए गए हैं। इन कान्टेक्ट के स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है। और उनके रिस्क प्रोफाईल का निर्धारण कर आवश्यक कार्यवाही की जाती है। वर्तमान में करीब 1 लाख 30 हजार लोग क्वारेंटाईन में हैं। इनमें से अधिकांश होम क्वारेंटाईन में हैं। राज्य में 55 कंटेनमेंट जोन स्थापित हैं जहां पूरी सख्ती बरती जा रही है।

पहले की तुलना में विभिन्न सूचकों में सुधार

मुख्य सचिव ने दो सप्ताहों के तुलनात्मक आंकड़े देते हुए बताया कि दिनांक 25 मई से 31 मई के दौरान डबलिंग रेट 4.58 दिन, सैंपल पॉजिटिव रेट 8.83 प्रतिशत थी। जबकि 1 जून से 7 जून के दौरान डबलिंग रेट 13 दिन और सैंपल पॉजिटिव रेट 6.16 प्रतिशत थी। इसी प्रकार 25 मई से 31 मई के दौरान 970 सैंपल टेस्ट किए गए और बेड की संख्या 8375 थी। जबकि 1 जून से 7 जून के दौरान 1053 सैंपल टेस्ट किए गए और बेड की संख्या बढ़कर 18234 हो गई।

नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई

मुख्य सचिव ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। अभी तक लगभग 29737 लोग गिरफ्तार किए गए, 7977 वाहन सीज किए गए और 3 करोड़ 35 लाख रूपए का जुर्माना वसूला गया है। होटल, शॉपिंग मॉल, धार्मिक स्थलों के लिए गाईडलाईन जारी की गई है। इन स्थानों पर फिजीकल डिस्टेंसिंग, सफाई, सेनेटाईजेशन, मास्क का अनिवर्यता से पालन किया जाना है। मुख्य सचिव ने कहा कि अगर अनुशासन का परिचय देते हुए आवश्यक नियमों का पालन किया जाता है तो आगे सुविधाओं में बढ़घेतरी की जा सकती है।

मनरेगा से 3 लाख से अधिक श्रमिकों को मिल रहा काम

मनरेगा के काम में निरंतर वृद्धि हो रही है। प्रदेश में मनरेगा में 2,1816 काम चल रहे है। जिनमें 3,07,451 श्रमिक लगे हैं। 15 हजार नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं, इनमें से 11 हजार को काम भी उपलब्ध करवाया गया है।

कार्य संस्कृति नही सुधारी तो समय से पूर्व मिल जाएगी सेवानिवृति

उत्तराखंड सरकार भी केन्द्र सरकार की राह पर चल पड़ी है। राज्य में भ्रष्ट और नकारा अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति देने की तैयारी की जा रही है। अब उत्तराखंड सरकार भी ऐसे अफसरों को समय पूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान करने जैसा सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में इस सूची में 50 वर्ष की आयु पार कर चुके अधिकारियों को शामिल किया जा रहा है। शासन के बाद विभिन्न महकमों में भी ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों का चिह्नीकरण किया जाएगा। सरकार की कार्यशैली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की केंद्र सरकार की पहल का अब राज्य भी अनुसरण करने लगा है।
उत्तराखंड सरकार इसकी शुरुआत शासन स्तर करने जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ऐसे अधिकारियों को चिह्नित किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के अलावा जिन अधिकारियों की कार्यशैली अप्रभावी है और जिनका पिछला रिकार्ड इस लिहाज से संतोषजनक नहीं है, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा।
शासन के बाद विभिन्न महकमों के ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें कार्य के प्रति लापरवाह, नकारा माना जाता है और जिन पर भ्रष्टाचार के मामले हैं या रहे हैं। हालांकि, उत्तराखंड के संदर्भ में सरकार के लिए इस मुहिम को आगे बढ़ाना आसान साबित होने वाला नहीं है, क्योंकि यहां पहले से ही अधिकारियों की खासी कमी है।

प्रदेशभर के स्कूलों में दीक्षा का शुभारंभ

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देहरादून।
मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बुधवार को सचिवालय में विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम ’दीक्षा’ (डेडीकेशन टू एनहेंस एजूकेशन नॉलेज, स्किल एण्ड हैबिट एसेसमेंट) का शुभारम्भ किया। मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों से आधार कार्ड, मॉडल स्कूल और आपदा से क्षतिग्रस्त स्कूलों कीे मरम्मत कीे प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिये कि आधार कार्ड बनाने के कार्य को अभियान के रूप में चलायें। मॉडल स्कूलों का मौके पर जाकर मुआयना करें। क्षतिग्रस्त स्कूलों के मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर करें।
मुख्य सचिव ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि हर ब्लॉक में मॉडल स्कूल खोलने का प्रयोग सफल रहा है। ऐसे स्कूलों में छात्रों के नामांकन का प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर विशेष बल दिया। सचिव विद्यालयी शिक्षा डी.सेंथिल पांडियन ने दीक्षा के माध्यम से प्रारम्भिक स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सतत् व व्यापक मूल्यांकन (कांटीन्युवस एण्ड कांप्रीहेंसिव एवेल्युएशन) के बारे में विस्तार जानकारी दी। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को माध्यमिक स्तर पर अधिगम स्तर आंकलन (लर्निंग लेवल एसेसमेंट) के बारे में बताया। सतत् और व्यापक मूल्यांकन में सभी बच्चों के सभी पक्षों का मूल्यांकन किया जाए। इसमें शैक्षिक पक्ष, सह-शैक्षिक पक्ष (रूचि, खेलकूद, संगीत, कला, व्यवहार, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि से संबंधित) शामिल है। अधिगम स्तर आंकलन में कक्षा 9 के विद्यार्थियों के अकादमिक पक्ष (हिन्दी, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी विषयों में लर्निंग लेवल) का आंकलन किया जाए। आंकलन के बाद बच्चों को सुधारात्मक शिक्षण दिया जाए। उन्होंने बताया कि कक्षा कक्ष में दीक्षा कार्यक्रम के तहत कक्षावार और विषयवार संकेतक(इंडीकेटर) बनाये गये है। इसके आधार पर मॉनिटरिंग की जाए। इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जवाबदेही भी तय की गई है।
बैठक में अपर सचिव शिक्षा रंजना, निदेशक आर.के.कुंवर, प्राथमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।