ड्रग इंस्पेक्टर व एसटीएफ का एम्स के मेडिकल स्टोर्स पर छापा

एम्स के भीतर संचालित हो रहे मेडिकल स्टोर्स में दवाईयों की कमी के चलते तीमारदारों में गुस्सा लाजिमी है, मगर ऐसे संकट के दौर में इन मेडिकल स्टोर्स का स्टाफ मरीजों के तीमारदारों से अच्छा व्यवहार भी नहीं अपना रहा है। इसके चलते वहां तनातनी भी सुनने में आई। आज ड्रग इंस्पेक्टर ने शिकायत मिलने के बाद एम्स के भीतर मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया तो बात सही पाई गई। इसके लिए उन्होंने मेडिकल संचालकों को सख्त चेतावनी दी है।

दरअसल, इन मेडिकल स्टोर्स में दवाइयां नहीं मिलने की वजह से मरीजों के तीमारदार और संचालकों के बीच में झगड़े हो रहे है। हालांकि ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर संचालकों को और संबंधित सप्लाई करने वाली दवा निर्माता के एजेंटों को जल्द से जल्द दवाओं की कमी पूरी करने के लिए निर्देश दिए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर संचालक को किसी प्रकार की ओवर रेटिंग और स्टॉप नहीं करने के बाबत चेतावनी जारी की है। वहीं मेडिकल स्टोर पर दवाइयों की कमी होने से तीमारदारों को बाहर के मेडिकल स्टोरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती ने बताया कि एम्स के मेडिकल स्टोर में दवाईयों की कमी पाई गईं है। इसी के कारण लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि मरीजों के तीमारदारों और मेडिकल संचालकों के बीच तनातनी का माहौल देखा गया। बताया कि मेडिकल संचालकों को साफ तौर पर कहा गया है कि संकट के समय में तीमारदारों के समक्ष दवाई को लेकर दिक्कत नहीं आनी चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम मेडिकल स्टोर्स तीमारदारों के साथ अच्छा व्यवहार अपनाएं। उन्होंने कहा कि यदि आगे से अच्छा व्यवहार न अपनाने की शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान एसटीएफ से प्रियंका भारद्वाज और स्थानीय पुलिस मौजूद रही।

अपने छोटे बच्चों का सर्दियों में ऐसे रखें विशेष ख्याल

सर्दियों में छोटे बच्चों का विशेष खयाल रखने की जरूरत है। खासतौर से इस वर्ष कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सर्दियों के दौरान बरती गई लापरवाही उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इस बाबत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सर्दियों में बच्चों की देखभाल व खानपान को लेकर आवश्यक सुझाव दिए हैं।

सर्दियां आने पर हवा में ठिठुरन पैदा हो जाती है। मौसम में ठंडक अधिक बढ़ने से माता-पिता अक्सर अपने छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहते हैं। वैसे भी सर्दियों में, बच्चों और बूढ़े लोगों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस मौसम में बच्चे बीमार भी ज्यादा होते हैं। सर्दी का यह मौसम और भी हानिकारक हो सकता है, वजह कोविडकाल में यदि हम हाथों की सफाई की ओर ठीक प्रकार से ध्यान नहीं दे पाते हैं, तो कोरोना वायरस हाथों से नाक और मुहं के जरिए भी शरीर में सीधे प्रवेश कर सकता है। लिहाजा ऐसी स्थिति में हम कोविड संक्रमण के जोखिम को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने कहा कि यह एक आम मिथक है कि ठंड का मौसम सर्दी लगने का कारण बनता है, लेकिन ऐसा नहीं है। फ्लू और जुकाम की शिकायत मुख्यतौर से वायरस के कारण होती है। इन रोगों के रोगाणुओं के प्रसार को कम करने के लिए नियमितरूप से हाथ धोने से फ्लू को रोका जा सकता है। बच्चों को छींकते और खांसते समय शिष्टाचार भी सिखाना उतना ही जरूरी है, जितना उन्हें हाथों और मुहं की स्वच्छता के प्रति जागरुक रखना होता है। छींकते और खांसते समय कोहनी मोड़कर मुहं को ढका जा सकता है। ऐसे में किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए इस मौसम में मास्क का उपयोग भी बेहद जरूरी है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि हाथ या मुहं की साफ-सफाई नहीं रखने पर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों के हाथ यदि गंदे रहेंगे तो फिर जो कुछ भी वह छूते हैं, उनसे बीमारियों के कीटाणु फैलना शुरू हो जाते हैं, यह स्थिति कोरोना संक्रमण को देखते हुए खतरनाक साबित हो सकती है।

संस्थान के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. एनके बट्ट जी ने बताया कि अभिभावकों को सबसे पहले सर्दियों में अपने बच्चों को गर्म कपड़ों को पहनाना सुनिश्चित करना चाहिए। मौसम के अनुसार उपयोग में लाए गए गर्म वस्त्र आपके बच्चों को गर्म, आरामदायक व सर्दी के दुष्प्रभावों से महफूज रखेंगे। उन्होंने बताया कि शीतकाल में बच्चों के लिए सर्दी से सुरक्षा के मद्देनजर उपयुक्त वस्त्रों का चुनाव भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि अभिभावकों को बच्चों के कपड़ों खासतौर से सर्दियों में अधिकांशतरू उपयोग में लाए जाने वाले गर्म वस्त्रों ऊनी वस्त्र स्वैटर, जैकेट आदि की नियमितरूप से साफ सफाई की ओर ध्यान देना चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है। इस वजह से भी जरुरी है कि इन वस्त्रों में धूल के साथ कीटाणु भी चिपक जाते हैं। लिहाजा समय समय पर उनकी धुलाई की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चों के लिए व्यायाम भी लाभकारी है, व्यायाम हमारे शरीर की स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली में योगदान देता है। इसके अलावा यदि मौसम साफ होने से अच्छी धूप निकली है तो अपने बच्चों को बाहर धूप में अवश्य ले जाएं। सूर्य के ताप से हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन- डी मिलती है। धूप विटामिन- डी का सबसे अच्छा स्रोत है। सर्दियों में बच्चों पर विशेष ध्यान देने पर जोर देते हुए वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डाॅ. बट्ट ने बताया कि सर्दियों के दौरान त्वचा अक्सर शुष्क हो जाती है, इससे बच्चों के होंठ और गाल सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इससे बचाव के लिए पेट्रोलियम जैली (वैसलीन) का उपयोग करना लाभकारी होता है। उनका सुझाव यह भी है कि पर्याप्त मात्रा में पानी के सेवन से अपने बच्चे को हाइड्रेट करना न भूलें। यदि आपका बच्चा पानी कम मात्रा में लेता है, तो उसे गर्म पेय पदार्थ दिया जा सकता है।

विभाग के डाॅ. ऋषि बोलिया ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों को बच्चों के नियमित आहार में शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा गाजर, हरी बीन्स और संतरे में इम्युनिटी बढ़ाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स, विटामिन- सी और कैरोटेनॉयड्स होते हैं। यह सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि फ्लू, जुकाम और गले में खराश जैसे संक्रामक रोग मुख्यरूप से वायरस के कारण होते हैं। इससे बचाव के लिए अभिभावक अपने बच्चों को भीड़भाड़ वाले स्थानों, बाजारों और बड़े सामाजिक समारोहों में ले जाने से बचें। यदि बहुत जरूरी हो तो, उन्हें पर्याप्त कपड़े और मास्क पहनाकर ही अधिक भीड़ वाले स्थानों पर ले जाएं। उनका सुझाव है कि यदि आपके बच्चे को 3 दिनों से अधिक समय तक बुखार, खांसी, जुकाम, गले में खराश च सांस तेज चलने की शिकायत है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

एड्स के मरीजों के लिए एम्स में एआरटी सेंटर हुआ शुरू


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में विश्व एड्स दिवस पर एचआईवी वायरस से ग्रसित मरीजों की समग्र जांच एवं उपचार के लिए एंटी रिट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी सेंटर) का विधिवत शुरू हो गया। एम्स में खुले सेंटर में गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों के पंजीकृत एड्स मरीजों को सरकार द्वारा प्रदत्त निशुल्क उपचार मिल सकेगा।

निदेशक प्रो. रविकांत ने संस्थान में एंटी रिट्रोवायरल थैरेपी एआरटी सेंटर का विधिवत शुभारंभ कर बताया कि 2019 में विश्वभर में लगभग 6 लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई है। इस बीमारी का कोई शर्तिया इलाज नहीं है लिहाजा इसे सिर्फ जनजागरूकता से ही रोका जा सकता है।

बताया कि संस्थान में एमबीबीएस, टेक्निशियन व नर्सिंग के पाठ्यक्रम में इस बीमारी को आवश्यक सुधार के साथ सम्मिलित किया जाएगा तथा समय- समय पर एम्स की सोशियल आउटरीच सेल के द्वारा विभिन्न हाईरिस्क ग्रुप्स को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाएगा।

जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. मीनाक्षी धर, एआरटी सेंटर प्रभारी डा. मीनाक्षी खापरे व फैकल्टी इंचार्ज डा.मुकेश बैरवा ने बताया कि हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर जनसामान्य को एचआईवी संक्रमण से बचाव व जरुरी एहतियात के बारे में जागरुक किया जाता है। साथ ही उन्हें स्वयं व दूसरों को इस लाइलाज बीमारी से बचाव के बारे में आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं।
उन्होंने बताया कि एम्स में स्थापित एआरटी सेंटर के अंतर्गत रजिस्टर्ड एचआईवी पेशेंट का ट्रीटमेंट निशुल्क किया जाएगा। जिसमें मरीजों को लैब इन्वेस्टीगेशन व दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं साथ ही उपचार के दौरान उनमें उत्पन्न होने वाली दूसरी बीमारियों का परीक्षण व दवा भी इसमें शामिल होती हैं। बताया गया कि एम्स ऋषिकेश में उत्तराखंड राज्य का चैथा एआरटी सेंटर स्थापित किया गया है। इस सेंटर में गढ़वाल मंडल के पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार आदि जिलों के पंजीकृत एचआईवी ग्रसित मरीजों का परीक्षण एवं उपचार करा सकते हैं। एम्स में एआरटी सेंटर स्थापित होने से पर्वतीय जिलों के मरीजों को उपचार के लिए अब देहरादून नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही एंटी रिट्रोवायल थैरपी सेंटर न सिर्फ मरीजों को मेडिसिन एवं परीक्षण सेवा देता है

इसके अलावा उन्हें केयर में सहयोग भी करता है और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से मरीज व उनके परिवार को आर्थिक व अन्य तरह का सहयोग भी उपलब्ध कराया जाता है।

एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग में स्थापित एआरटी सेंटर में मरीज सप्ताह में दो दिन (सोमवार व बुधवार को) निशुल्क परामर्श व उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
इस दौरान डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीएचए प्रो.यूबी मिश्रा, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. वर्तिका सक्सेना, डा. नैरिता हजारिका आदि मौजूद थे।

कोरोना कालः एम्स के विशेषज्ञों ने स्कूल खुलने पर बच्चों के लिए जारी किए सुझाव

दो नवंबर से उत्तराखंड के कक्षा दस से 12वीं के विद्यालय खुल रहे है। ऐसे में बच्चों के समक्ष कई तरह की दिक्कतें हो सकती है। इसके लिए एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रवि कांत ने सुझाव दिया है। बताया है कि कोविड-19 ने अभिभावकों में बच्चों के प्रति व्यापक चिंता पैदा की है। लिहाजा इस बीमारी के दुष्प्रभावों को लेकर माता-पिता द्वारा आशंकित होना और बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए उन्हें साबुन से बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। बच्चों में विटामिन-डी की कमी नहीं हो, इसलिए धूप में थोड़ी देर परस्पर 1 से 2 मीटर की दूरी बनाते हुए और मास्क पहनकर खेलने दें। साथ ही स्क्रीन टाइम कम करने के लिए उन्हें किताबें पढ़ने, व्यायाम करने और परिवार के साथ समय बिताने के लिए उनमें रुचि पैदा करनी चाहिए।

कम्यूनिटी एंड मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मीनाक्षी खापरे ने इस बारे में बताया कि बच्चों की शारीरिक ऊर्जा को चैनलाईज करने की आवश्यकता है। इसके लिए बच्चों को विभिन्न खेलों, ड्राईंग, पेंटिंग, अभिनय, बागवानी, खाना बनाने और घर की साफ-सफाई में शामिल किया जा सकता है।

सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की डा. रुचिका गुप्ता और डा. श्रेया अग्रवाल ने बताया कि बच्चों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराना, नियमित व्यायाम के लिए प्रेरित करना, बच्चों में कौशल विकास की रुचि विकसित करना और उन्हें रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखना चाहिए। उनमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पैदा करने के लिए हमें उन्हें टीम भावना से कार्य करना सिखाना होगा।

ऋषिकेश एम्स पर हेलीपैड का शुभारंभ, नौ मिनट के अंदर एंबुलेंस से ट्रामा सेंटर जाने की व्यवस्था

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के नव निर्मित हेलीपैड का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश परिसर में हेलीपैड बनने से गंभीर रोगियों एवं दुर्घटना होने पर घायलों को हेली सेवा से अस्पताल लाने में सुविधा होगी। एम्स ऋषिकेष में इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। हेली से उतरने के बाद मरीज को मात्र 09 मिनट में एम्बुलेंस से ट्रामा सेंटर तक पहुंचने की व्यवस्था रहेगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियां अलग है। अतिवृष्टि होने पर राज्य में आपदायें अधिक होती हैं। पहाड़ी टेरिन होने से दुर्घटनाएं भी अधिक होती है। दुर्घटना होने पर लोगों को हेली सेवा से उपचार के लिए जल्द एम्स लाने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि पिछले 03 सालों में प्रदेश में 100 से अधिक लोगों की जान हेली सेवा से सीधे अस्पतालों में लाकर बचाई गई। इसके लिए सरकारी हेलीकॉप्टर एवं किराये पर हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की।

उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा संस्थान है, जहां परिसर के अन्दर हेलीपैड की सुविधा है। मुख्यमंत्री ने एम्स के डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में सीनियर डॉक्टर कोरोना के मरीजों का विशेष ध्यान रखें। जिस तरह कोरोना अपना स्वरूप बदल रहा है, यह चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रशासन, पुलिस एवं डॉक्टरों के आपसी तालमेल से समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकता है। कोरोना काल में आशा, आंगनबाड़ी, नर्स एवं डॉक्टर और स्वच्छता कर्मचारी जो ग्राउण्ड लेबल पर कार्य कर रहे हैं, वे जनता के लिए देवदूत के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों को परीक्षण के साथ ही मनोवैज्ञानिक तरीके से भी मजबूत रखना जरूरी है। एम्स ऋषिकेश की पहुंच दुर्गम स्थानों के मराजों तक होनी चाहिए। सेवा सार्थक तभी होती है, जब सेवा गरीबों तक पहुंचे। इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने हेलीसेवा से मरीज को लाने एवं एम्बुलेंस से ट्रामा सेंटर तक ले जाने की प्रक्रिया का मॉक ड्रिल भी किया।

एम्स का स्टाफ अब अधिग्रहित होटलों में ठहराया जायेगा

ऋषिकेश एम्स में भर्ती कोरोना पॉजिटिव महिला की मौत के बाद नगर निगम प्रशासन सहित जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया है। हालांकि महिला की मौत ब्रेन हैमरेज से हुई है। शुक्रवार सुबह आनन फानन में मेयर अनिता ममगाईं ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की और ताजा हालातों पर चर्चा की।
इस दौरान ऋषिकेश नगर निगम प्रशासन ने एम्स हॉस्पिटल के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के रहने के लिए शहर के तमाम प्रमुख होटलों को अधिग्रहण करने का निर्णय लिया है। तेजी से बदल रहे हालातों को देखते हुए शहर के होटलों को क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने की कवायद तेज कर दी गई है। शुक्रवार को बैठक में ऋषिकेश के होटलों को क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण परिस्थितियां रोज बदल रही हैं। माना जा रहा कि आने वाले कुछ दिन और चुनौती भरे हैं। इनसे निपटने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। लॉकडाउन के चलते पर्यटकों की आवाजाही रुकी हुई है। सभी होटल खाली हैं। प्रशासन अपनी तरफ से ज्यादा से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर बनाकर उन्हें आरक्षित रखना चाहता है। निगम आज से ही इन होटल को सैनिटाइजेशन करने का कार्य शुरू कर देगा।
बैठक में नगर आयुक्त नरेंद्र सिंह क्वींरियाल, उपजिलाधिकारी प्रेमलाल, आईएएस अधिकारी अपूर्वा पांडेय, पुलिस उपाधीक्षक वीरेंद्र रावत, तहसीलदार रेखा आर्य, कोतवाली प्रभारी रितेश शाह, मौजूद थे।

एम्स कर्मियों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य की जांच शुरू
टिहरी जिले में कोरोना संक्रमण के प्रवेश को रोकने के लिए सीआरटी (सिटी रिस्पांस टीम) ने एम्स कर्मियों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य की जांच शुरू कर दी है। सभी की थर्मल स्क्रीनिंग और सामान्य परीक्षण किए जा रहे हैं। इस दौरान सभी को होम क्वारंटीन रहने के विशेष निर्देश भी दिए गए। बीते दिनों सीआरटी की टीम ने ढालवाला, मुनिकीरेती और तपोवन क्षेत्र से एम्स में कार्य करने वाले 40 कर्मियों को चिह्नित किया था।
तहसीलदार मंजू राजपूत के नेतृत्व में सीआरटी ने इन एम्स कर्मियों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य की जांच शुरू की। स्वास्थ्य विभाग फकोट के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. जगदीश जोशी ने बताया कि निश्चित अंतराल पर लगातार इन सभी के स्वास्थ्य की पुनरू जांच की जाएगी। पालिका के अधिशासी अधिकारी और सीआरटी के नोडल अधिकारी बद्री प्रसाद भट्ट ने बताया कि होम क्वारंटीन के दौरान केवल एम्स में कार्यरत कर्मी ही घर से बाहर ड्यूटी के लिए आवाजाही कर सकेगा। इस मौके पर सीआरटी के प्रभारी रूपेश भट्ट, अनूप सकलानी, जाबिर अली, विकास सेमवाल आदि उपस्थित रहे।

एम्स में भर्ती महिला की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में भर्ती हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की शुक्रवार तड़के ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो गई। हालांकि पांच दिन पहले कराई गई कोरोना वायसर जांच में महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। मगर एम्स प्रशासन ने ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से गंभीर रूप ग्रसित महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लीड बताई है। इस दौरान महिला की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया।
महिला की मौत को कोरोना की वजह से प्रदेश में पहली मौत की तरह प्रसारित किया जाने लगा। आखिरकार एम्स प्रशासन ने सामने आकर महिला की मौत का कारण स्पष्ट किया। शुक्रवार को यहां जारी मेडिकल बुलेटिन में एम्स प्रशासन ने हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की मौत की पुष्टि की है। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि बीते माह 22 अप्रैल को ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से ग्रसित इस महिला को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसका उपचार चल रहा था। महिला की 27 अप्रैल को कोरोना वायरस की जांच भी की गई थी, जिसमें वह पॉजिटिव पाई गई। उन्होंने बताया कि उक्त महिला की शुक्रवार सुबह मृत्यु हो गई है। निदेशक एम्स ने महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लिड की समस्या से होना बताया है। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप की वजह से इस महिला के ब्रेन के ऐसे हिस्से में जहां पर शरीर का सारा सिस्टम कंट्रोल होता है, वहां पर स्ट्रोक की वजह से ब्रेन ब्लिड की समस्या थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। उन्होंने बताया कि हालांकि महिला कोरोना पॉजिटिव थी, मगर उसे सबसे बड़ी समस्या अत्यधिक ब्लड प्रेशर के कारण ब्लिडिंग थी, साथ ही महिला को निमोनिया व यूरिन इंफेक्शन भी था, गंभीर बीमारियों और अधिक उम्र की वजह से शुक्रवार को उसकी मृत्यु हो गई।

एम्स से पहले नैनीताल और फिर बरेली में भर्ती रही थी महिला
एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि नैनीताल निवासी 56 वर्षीया महिला बीती 22 अप्रैल को एम्स में भर्ती हुई थी। जिसे ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत थी। यह महिला नैनीताल में पहले बृजलाल अस्पताल फिर स्वामी विवेकानंद अस्पताल में भर्ती थी, जहां इसका स्ट्रोक का उपचार चल रहा था। वहां से महिला श्रीराम मूर्ति हॉस्पिटल बरेली रेफर किया गया था। श्रीराममूर्ति अस्पताल से महिला 22 को एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर किया गया था।
उन्होंने बताया कि उक्त दोनों अस्पतालों से प्राप्त रिपोर्ट में महिला रोगी का कोरोना का टेस्ट भी हुआ था, लेकिन वहा महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। एम्स में भर्ती इस महिला को 27 अप्रैल को फीवर आया था, जिसके कारण इसका संस्थान में कोरोना का टेस्ट किया गया। जिसकी रिपोर्ट बीते मंगलवार पॉजिटिव आई थी।

प्राइमरी कांट्रेक्ट में आए सभी लोगों होंगे क्वारंटीन
एम्स में संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव पाई गई महिला के प्राइमरी कांटेक्ट में आए लोगों की जांच चल रही है। स्वामी विवेकानंद अस्पताल नैनीताल व श्रीराममूर्ति अस्पताल बरेली में इस महिला के संपर्क में करीब 50 लोग आए थे। बताया कि इस बाबत महिला जिन अस्पतालों में भर्ती रही है, वहां भी इसकी जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि संस्थान में इस महिला के प्राइमरी व सेकेंड्री कांटेक्ट में आए करीब 70 से 80 स्टाफ को क्वारंटीन किया गया है।

अन्य बीमारियों का भी किया जा रहा इलाज
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान लगातार सभी तरह के गंभीर रोगियों के इलाज में जुटा हुआ है। चाहे मरीज कोरोना पॉजिटिव, कोरोना निगेटिव अथवा किसी भी अन्य तरह की बीमारी से ग्रसित हो। उन्होंने बताया कि संस्थान में सभी तरह के सुरक्षात्मक उपाय बरते जा रहे हैं। ऐसा नही है कि एम्स में कोरोना पॉजिटिव केस आ गए हैं तो अन्य बीमारियों का इलाज बंद कर दिया गया हो।

नर्सिंग अफसर में मिला कोरोना का संक्रमण, एम्स ऋषिकेश में हड़कंप

रविवार को उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के तीन नए मामले सामने आए। ऋषिकेश एम्स के यूरोलॉजी आईपीडी में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर और दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती प्रसूता महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। दून की आजाद कॉलोनी निवासी संक्रमित महिला ने एक दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है।
वहीं, तीसरा संक्रमित मरीज पॉजिटिव महिला का पति बताया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 51 हो गई है। इसमें 28 मरीज ठीक हो चुके हैं।

बता दें कि एम्स ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग की आईपीडी में कार्यरत बापू ग्राम निवासी 28 वर्ष के नर्सिंग ऑफिसर कोरोना संक्रमित मिले हैं। 24 अप्रैल को नर्सिंग ऑफिसर में खांसी जुकाम के लक्षण आए थे। तबीयत खराब होने पर 25 अप्रैल को एम्स में सैंपल की जांच कराई गई, जिसमें संक्रमण की पुष्टि हुई है।

वहीं, दून मेडिकल कॉलेज में प्रसव के लिए भर्ती आजाद कॉलोनी निवासी 32 वर्ष की महिला में भी कोरोना का संक्रमण मिला है। महिला का प्रसव कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार पर्याप्त सुरक्षा प्रबंधन के बीच कराया गया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। दोनों को आइसोलेशन में रखा गया है।  अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि नर्सिंग ऑफिसर और महिला और उसके पति में संक्रमण की वजह का पता किया जा रहा है। तीनों मरीजों के संपर्क में आए सभी लोगों की मेडिकल जांच कर उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा।

देश का पहला रिमोर्ट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम बनकर तैयार, एम्स निदेशक ने दी जानकारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश और रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार की नवरत्न कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) बैंगलोर ने मिलकर देश का पहला रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया है, इसके जरिए सुदूरवर्ती संसाधन विहीन क्षेत्रों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के वाइटल पैरामीटर्स का कहीं से भी बैठकर पता लगा सकेगा। यह जानकारी एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने दी।

उन्होंने बताया कि एम्स और बेल कंपनी के संयुक्त प्रयासों से एक ऐसी डिजिटल चिकित्सकीय प्रणाली तैयार की गई है, जिसके तहत एम्स ऋषिकेश में बैठकर चिकित्सक मरीज के घर पर रहते हुए उसके शरीर का तापमान, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा एवं उसके स्वांस की गति की निगरानी (मॉनिटरिंग) कर सकते हैं। इससे मरीज अनावश्यक रूप से अस्पताल में भर्ती होने से बचेगा। बताया कि सॉफ्टवेयर में यह व्यवस्था भी की गई है कि यदि मरीज की रिपोर्ट में चिकित्सक को लगता है कि वह कोविड-19 आशंकित है तो उसे संस्थान से इसके लिए मॉनिटरिंग किट उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वह स्वयं सरलता से घर पर बैठे ही इस किट का प्रयोग कर निरंतर इस प्रणाली से जुड़कर चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं। निदेशक प्रो. रवि कांत और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर एमबी गौतम ने इस उपलब्धि के लिए डॉक्टर मोहित तायल व वरिष्ठ वैज्ञानिक राजशेखर एमवी को शुभकामनाएं दी।

अपनों की सुरक्षा के लिए जनता कफ्र्यू में सहयोग देः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 22 मार्च को सुबह 7 बजे से सांय 9 बजे तक जनता कफ्र्यू में सहयोग देने के लिए आम जनता से अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए यह बहुत जरूरी है। हम अपने परिचितों से भी इसमें सहयोग के लिए आग्रह करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए हम सभी प्रधानमंत्री के साथ हैं। प्रधानमंत्री के सभी दिशा निर्देशों का हम सभी अक्षरक्षः पालन करेंगे। भारत सरकार और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से देश को कोरोना से मुक्त करने में जरूर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने जो सावधानियां बरतीं और समय से तैयारियां कीं, उसका परिणाम है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना नियंत्रित अवस्था में है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना वायरस हमारे लिए एक नई चुनौती लेकर आया है। इस चुनौति से निपटने लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है। हमारी स्वास्थ्य सेवाएं इससे लड़ने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। आज हमें इससे घबराने की नहीं बल्कि थोड़ी सी सावधानी की जरूरत है। हम कुछ साधारण बातों का ध्यान रखकर इसे फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। हमने प्रदेश में इसके प्रभाव को रोकने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। कोरोना से निपटने के लिए हम पूरी तरह से सक्षम भी हैं और तैयार भी हैं। हमने अपने स्तर पर सारी तैयारी कर रखी है। बिजली, पानी, हेल्थ, सेनिटेशन, परिवहन जैसी आवश्यक सुविधाएं पहले की ही तरह उपलब्ध हैं। खाद्यान्न, तेल सब्जियाँ, फल, पेट्रोल, डीजल आदि रोजमर्रा की जरूरतों की सप्लाई में भी किसी तरह की कमी नहीं है। आगे भी सभी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने आम जनता से अपील की है कि ‘‘हमारे लिए आप सभी का सहयोग बहुत जरूरी है। हमें आपका केवल इतना सहयोग चाहिए कि घबराएं नहीं, केवल सावधान और सतर्क रहें। सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें। कुछ समय के लिए भीड़भाड़ से बचें और सोशल डिस्टेंस बनाए रखें। अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी प्रामाणिक सूचनाओं पर विश्वास रखें। ’’