सांसद ने की, मसूरी एक्सप्रेस में दो कोच कोटद्वार के लिए जोड़ने की मांग

पौड़ी गढ़वाल सीट से भाजपा सांसद तीरथ सिंह रावत ने अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत कोटद्वार के लिए अतिरिक्त रेल सेवाओं के संचालन का आग्रह मुरादाबाद मंडल से किया है। उन्होंने कहा कि कोटद्वार से रामनगर और टनकपुर रेल सेवा आरंभ किए जाने से राज्य के दोनों मंडलों के लोगों को खासी सहूलियत होगी। सांसद तीरथ सिंह रावत ने बताया कि उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल की बैठक में उन्होंने इस प्रकार का सुझाव दिया है। इनमें यह बात भी रखी गई कि रानीखेत एक्सप्रेस, उत्तरांचल संपर्क क्रांति को पीरुमदारा में यात्रियों की सुविधा के लिए दस मिनट के लिए रोका जाए। गढ़वाल एक्सप्रेस का कोटद्वार पहुंचने का समय दोपहर बाद तीन बजे का है, इस कारण कोटद्वार से गढ़वाल के अन्य हिस्सों में जाने वाले लोगों को यातायात सुविधा नहीं मिल पाती। लिहाजा, इस ट्रेन के समय में परिवर्तन कर इसका कोटद्वार पहुंचने का समय दोपहर एक बजे निर्धारित किया जाए। उन्होंने कहा कि मसूरी एक्सप्रेस में दो कोच देहरादून से कोटद्वार आने वाले यात्रियों के लिए होते थे लेकिन लंबे समय से यह व्यवस्था बंद है। इससे यात्रियों को खासी दिक्कत हो रही है। इस व्यवस्था को बहाल किया जाए। रावत के मुताबिक इन विषयों के अलावा रामनगर रेलवे स्टेशन को बरेली से मुरादाबाद डिविजन में शामिल करने और कोटद्वार व रामनगर रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज निर्माण का विषय भी बैठक में रखा गया। भाजपा संासद ने उम्मीद जताई कि शीघ्र ही इस संबंध में रेलवे उचित कदम उठाएगा।

आखिर किसका था दबाव, पुलिस ने 30 घंटे तक जहरीली शराब का मामला दबाए रखा!

जहरीली शराब कांड के सामन के आने के बाद पता चला कि 30 घंटे तक घटना में पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा था। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की पुलिस ने जहमत भी नहीं उठाई। ऐसे में मृतकों के परिवारजन शवों का अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया और आनन-फानन में दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हैरत की बात है कि राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की कोशिशों में जुटी रही।
यहां तक की जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणेश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे।
शहर के बीचों-बीच हुए इस घटनाक्रम के 30 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान रही। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई। पथरिया पीर कांड ने सरकार से लेकर प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया। इसके गुनाहगार कौन थे, इन्हें पनाह कौन दे रहा था, यह सामने आना अभी बाकी है। इस बीच, सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल शिशुपाल सिंह नेगी, धारा चैकी इंचार्ज कुलवंत सिंह, आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने दो आबकारी निरीक्षकों शुजात हसन व मनोज फत्र्याल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने कोतवाली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था कि इलाके में अवैध तरीके से शराब बेचे जाने की एक नहीं कई बार शिकायत की गई थी,। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इस प्रकरण में सीओ सिटी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की भूमिका की जांच एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल को सौंपी गई है। यह भी देखा जा रहा है कि शराब कहां से आती थी और कैसे बेची जाती थी? क्या वाकई में इलाकाई पुलिस को इस बात की जानकारी थी। इसके लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज से लेकर कॉल डिटेल रिकार्ड तक चेक किए जाएंगे। जो भी दोषी होगा, वह किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के नेशविला रोड में जहरीली शराब के सेवन से हुई जनहानि पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी व आबकारी आयुक्त को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर शीघ्र कारवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक स्वास्थ्य व सीएमओ देहरादून को चिकित्सालयों में भर्ती लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया है।

क्या हकीकत में देश की सबसे बड़ी एफआइआर उत्तराखंड में लिखी जा रही? जानिए…

कहा जा रहा है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर अपने राज्य में दर्ज होने जा रही है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज की लिखत-पढ़त हो चुकी है। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है। इन पेजों के लेखाजोखा में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। इसके पीछे का कारण स्वास्थ्य विभाग है। जिसने आयुष्मान योजना में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर के रूप में दे दी है। वहीं एसएसपी ऊधमसिंहनगर बरिंदरजीत सिंह का इस बारे में कहना है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर है, ऐसा कहना संभव नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। एफआइआर लंबी है, इसलिए समय अधिक लग रहा है। विवेचक को विवेचना करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तथ्यों के आधार पर विवेचना की जाएगी।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी मेमोरियल अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक नियमों के खिलाफ मरीजों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूल रहे हैं। एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनको कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया। इसके अलावा आइसीयू में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज होना बताया गया। मामले की पूरी जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के लिए दे दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच ही पुलिस के गले की फांस बनी हुई है। यदि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच का निष्कर्ष निकालकर दिया गया होता तो पुलिस को इतनी दिक्कतें नहीं झेलनी पड़तीं। हालांकि बांसफोड़ान पुलिस चैकी में देवकी नंदन अस्पताल संचालक पुनीत बंसल के खिलाफ 22 पेज की एफआइआर लिखी जा चुकी है। जबकि अभी एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का सिलसिला जारी है।
एफआइआर को लिखने में लिपिक के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भाषाएं बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एफआइआर लिखने को दी गई जांच रिपोर्ट हिंदी-अंग्रेजी और गणित की भाषा में है। जिससे एक पेज लिखने में घंटों का समय लग रहा है। हालांकि मैनुअली लिखे जाने के साथ ही एफआइआर को साथ ही साथ पुलिस के सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस दर्ज किया जा रहा है। कटोराताल पुलिस चैकी में एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ लिखी जा रही एफआइआर में अभी तक आठ रिफिल लग चुके हैं। जबकि अभी तीन-चार रिफिल और खर्च हो सकते हैं। इतना ही नहीं एफआइआर को लिखने में लिपिक को प्रतिदिन 14 घंटे का समय देना पड़ रहा है। जिसके बाद अन्य काम किए जा रहे हैं।

वित्त मंत्री के प्रबंधन से बाजार में आई तेजी, राहत मिलने की उम्मीद

सुस्ती की शिकार अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए केन्द्र सरकार ने एक महीने के भीतर पांच बड़े कदम उठाए। सुधार के इन कदमों की शुरुआत बीती 23 अगस्त को हुई थी, जबकि देशी-विदेशी निवेशकों को राहत देते हुए कर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया था। बीती 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी और घरेलू निवेशकों पर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने की घोषणा की थी। उसी दिन बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी देने, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने जैसी घोषणा की गई थी।
28 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी दूसरी बड़ी घोषणा की थी। सीतारमण ने कोयला खदान और कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी थी। यही नहीं, गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए चीनी के निर्यात पर 6,268 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान भी किया। डिजिटल मीडिया में भी प्रिंट मीडिया की तरह 26 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली थी। 30 अगस्त को ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मिला कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी। उस समय कहा गया था कि विलय के बाद ये बैंक न सिर्फ आकार में बड़े होंगे बल्कि इनका कुल कारोबार भी बढ़ कर 55.81 लाख रुपए करोड़ का हो जाएगा। बड़े बैंक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी बैंकों से मजबूती से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
बीते 19 सितंबर को वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंक अभी से अक्टूबर तक 400 जिलों में लोन बांटने के लिए शामियाना बैठक का आयोजन करेंगे। इन बैंठकों में खुदरा ग्राहक के साथ साथ नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) की भी उपस्थिति होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए अध्यादेश के जरिए कॉरपोरेट कर घटाने की घोषणा की।

पंचायत प्रतिनिधि कह रहे बहुत नाइंसाफी हुई, आखिर जानिए कैसे?

पंचायत राज संशोधन अधिनियम को लेकर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि गुरुवार को हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2019 से पहले दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम पंचायत प्रत्याशियों को चुनाव लडने के योग्य करार दिया था। इस फैसले को सरकार असहज होना पड़ा और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का निर्णय किया।
हाई कोर्ट ने दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों के मामले में पारित आदेश पर साफ किया है कि कोर्ट के समक्ष जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत का मामला आया ही नहीं। सिर्फ ग्राम पंचायतों का ही मामला आया। अदालत ने 25 जुलाई 2019 के बाद वाले तीन बच्चों वाले प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया है जबकि इस तिथि से पहले वालों को योग्य। पंचायती राज संशोधित नियमावली के नियम-8-1(आर) में ग्राम प्रधान, उप प्रधान व वार्ड मेंबर से संबंधित, नियम-53-1(आर) में जिला पंचायत तथा नियम 91-1 में क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव लडने से संबंधित प्रावधान है। कोर्ट ने ग्राम पंचायत से संबंधित संशोधित प्रावधान पर रोक लगाई है, अन्य में हस्तक्षेप नहीं किया है। उधर पूर्व ब्लॉक प्रमुख व कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट की ओर से बीडीसी व जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए भी इस आदेश को लागू करने की मांग को लेकर याचिका दायर करने की तैयारी की जा चुकी है।

हिन्दू वकील की मुस्लिम पक्ष की पैरोकारी ने रौंगटे खड़े कर दिए, जानिए क्या कह रहे वकील साहब!

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत को मिटाकर वहां राम मंदिर का निर्माण करना था। मुस्लिम पक्षकारों ने दावा किया, ‘बाबरनामा’ के अनुवाद में कहा गया है कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। वहीं, शुक्रवार को सुनवाई मात्र करीब सवा घंटे चली। अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समझ 28वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा, बाबरनामा के अनुवाद वाली किताबों में दर्ज है कि बाबर ने मस्जिद बनवाई। हिंदू पक्षकार अपनी सुविधा अनुसार गजेटियर का हवाला दे रहे हैं। गजेटियर अलग-अलग वक्त पर अलग नजरिये से जारी हुए। लिहाजा सीधे नहीं कहा जा सकता कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई।
वहीं, धवन ने तीन शिलालेखों का हवाला देते हुए कहा, इनमें लिखा गया था कि बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद बनाई। इन शिलालेखों पर हिंदू पक्षकारों को आपत्ति है। जब हिंदू पक्ष यात्रा वृतांत और गजेटियर की बात करते हैं तो वे इसे कैसे नकार सकते हैं। हाईकोर्ट ने इन शिलालेखों को नकार दिया, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के एक और वकील जफरयाब जिलानी का यह कहना बिल्कुल सही है कि 1855 से पहले किसी दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एसए बोबडे ने सवाल किया कि मस्जिद में संस्कृत में लिखे शिलालेख भी हैं। इस पर धवन ने कहा, मस्जिद, हिंदू और मुस्लिम मजदूरों ने मिलकर बनाई थी। संभव है कि काम खत्म होने के बाद मजदूर यादगार के तौर पर कुछ लिखकर जाते हों।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील धवन ने बताया कि 1985 में राम जन्मभूमि न्यास बनाया गया। इसके बाद वाद दाखिल किया गया। वर्ष 1989 से विश्व हिंदू परिषद शिला लेकर पूरे देश में घूमने लगी। देश में माहौल बनाकर 1992 में मस्जिद ढहा दी गई। मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत को खत्म करना और मंदिर बनाना था। उन्होंने कहा, राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति मानने के पीछे मकसद यह है कि भूमि को कहीं और शिफ्ट न किया जाए और कोर्ट में दावा सही साबित किया जा सके। मुस्लिम पक्षकारों के वकील धवन ने यह भी कहा कि भगवान विष्णु स्वयंभू हैं और इसके सुबूत हैं। यहां भगवान राम के स्वयंभू होने की दलील पेश की जा रही है। दलील दी जा रही है कि भगवान राम सपने में आए थे और बताया कि उनका सही जन्मस्थान कहां पर है। धवन ने कहा कि क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है।

विदाई के पखवाड़े में खड़ा मानसून भारी बारिश की संभावना जता रहा!

राज्य में मानसून विदाई के पखवाड़े में खड़ा है लेकिन जाते-जाते पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश का कारण बन सकता है। पिथौरागढ़, नैनीताल, पौड़ी और चमोली में अगले 24 घंटों में मूसलाधार बारिश के आसार हैं, जबकि उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। वहीं राज्य के तराई क्षेत्रों में मौसम की करवट से सुबह सर्दी तो दोपहर में उमस और रात में हल्की ठंड का अहसास हो रहा है।
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि मानसून की विदाई मूसलाधार बारिश के साथ हो सकती है। जबकि 25 से 28 सितंबर तक भी झमाझम बारिश की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार राजस्थान में सबसे पहले सितंबर के प्रथम सप्ताह में मानसून विदा होता है। अभी मानसून की विदाई राजस्थान से नहीं हुई है। ऐसे में उत्तराखंड में मानसून अक्तूबर प्रथम सप्ताह तक सक्रिय रहने की संभावना है। ऐसे में अक्तूबर में ही राज्य से मानसून की विदाई हो सकती है।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग, मिली सबसे बड़ी राहत

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए आयुष्मान कार्डधारकों को सुविधा दी है कि डेंगू के मरीज अब सीधे प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज करा सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को डेंगू के मरीजों को आयुष्मान कार्ड के आधार पर भर्ती कर इलाज कराने की सुविधा प्रदान कर दी है। विभाग ने निजी अस्पतालों से कहा है कि मरीज को भर्ती करने के बाद इसकी सूचना आयुष्मान की नोडल एजेंसी को देनी होगी।
डेंगू के मामले लगातार बढ़ने और सरकारी अस्पतालों में भीड़ बढ़ने के बाद सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। वहीं, सामने आया है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण भी मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए निजी अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल हो रहा है और वहीं, सरकारी अस्पतालों में बैड खाली नही होने से उनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने अधिकारियों की बैठक ली और यह निर्णय लिया कि आयुष्मान कार्डधारकों को निजी अस्पतालों में डेंगू का इलाज करने के लिए अधिकृत किया जाए। साथ ही लोगों मंे यह अपील भी पहुंचाने का निर्णय लिया गया कि डेंगू होने पर केवल गंभीर स्थिति में ही अस्पतालों में भर्ती हुआ जाए। इसका इलाज घर पर भी संभव हो सकता है।
सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने बताया कि आयुष्मान कार्डधारक निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा सकते हैं। इसके लिए अस्पतालों को एडवाइजरी भी दी जा रही है। निजी अस्पतालों को मरीज भर्ती करने के बाद इसकी सूचना आयुष्मान एजेंसी को देनी होगी। ताकि उनके बिल के भुगतान की प्रक्रिया नियमानुसार की जा सके।

फिर उभरा केदारनाथ धाम, सितम्बर मध्य तक 13 करोड़ की अधिकत्तम आय

वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद यात्रियों की संख्या में आई भारी गिरावट के कारण मंदिर की आय लगभग नगण्य हो गई थी। इससे केदारपुरी की आर्थिकी भी पूरी तरह चरमरा गई थी। यहां तक कि मंदिर के कर्मचारी-अधिकारियों का वेतन निकालना भी मुश्किल हो गया था। ऐसे में बदरीनाथ धाम की आय से केदारनाथ धाम से जुड़े कर्मचारियों को वेतन दिया गया।
इसके बाद वर्ष 2017 में मंदिर की आय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। उस वर्ष बाबा के खजाने में नौ करोड़ की रकम जमा हुई। वहीं, वर्ष 2018 में आय का आंकड़ा 11.5 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें हेली कंपनियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वर्ष अब तक केवल हेली सेवाओं से ही मंदिर को छह करोड़ रुपये की आय हो चुकी है। विदित हो कि हेली सेवाओं से आने वाले यात्रियों को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति वीआइपी दर्शन करवाती है। इसकी एवज में प्रति यात्री 2100 रुपये की रकम मंदिर समिति के पास जमा कराता है।
केदारनाथ धाम में यात्रियों की आमद बढ़ने से इस वर्ष मंदिर की आय में भी जबरदस्त उछाल आया है। अब तक बाबा के खजाने में 13 करोड़ से अधिक की रकम पहुंच चुकी है, जो कि वर्ष 2018 में हुई आय की तुलना में दो करोड़ रुपये अधिक है। अभी मंदिर के कपाट बंद होने में लगभग डेढ़ माह का समय शेष है। अच्छी कमाई होने से मंदिर समिति के कर्मचारी काफी खुश है और अब मंदिर के सौंदर्यकरण व नए अतिथिगृह के निर्माण के साथ ही कर्मचारियों के वेतन-भत्तों की निकासी में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
वहीं, केदारनाथ धाम की आय बढ़ने से मंदिर समिति अब तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ और भगवान के शीतकाल पड़ाव स्थल मक्कूमठ में यात्रियों के लिए विश्राम गृह का निर्माण करने जा रही है। इसके अलावा मंदिर समिति के अधीन आने वाले आयुर्वेदिक विद्यालय और संस्कृत विद्यालयों के संचालन भी अब किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।

आय वर्षवार
वर्ष———————–आय
2019——————-13.40 करोड़ (सितंबर मध्य तक)
2018——————-11.50 करोड़
2017———————9.05 करोड़
2016———————5.30 करोड़

ट्रेंचिंग ग्राउंड हटाने की मांग को लेकर गंगा में लगाई छलांग, जल पुलिस ने बचाया

जागृति एक प्रयास संस्था के पांच सदस्यों को पुलिस ने आज त्रिवेणी घाट से गिरफ्तार कर लिया। यह सभी ट्रेंचिंग ग्राउंड हटाने की मांग पूरी नहीं होने पर जल समाधि लेने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान एक सदस्य ने पुलिस से बचकर गंगा में छलांग भ लगाई लेकिन जल पुलिस के जवानों ने उसे सकुशल बाहर निकाल दिया।
हीरालाल मार्ग पर गंगा से सौ मीटर की परिधि में नगर निगम का कूड़ा डंप किया जाता है। करीब चार दशक से पूर्व में पालिका की ओर से इस ग्राउंड में कूड़ा डंप किया जा रहा है। आबादी के बीच से ट्रेंचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग को लेकर जागृति एक प्रयास संस्था ने 59 दिन पूर्व से परशुराम चैक पर धरना दे रही है। वहीं, 26 दिन से संस्था के सदस्यों के द्वारा क्रमिक अनशन किया जा रहा है। इस ओर आंदोलनकारियों ने बुधवार को कूड़ा निस्तारित ना होने पर त्रिवेणी घाट में जल समाधि लेने की घोषणा भी की थी। बुधवार की सुबह से ही कोतवाली की ओर से त्रिवेणी घाट में पुलिस तैनात कर दी गई थी। अपने तय कार्यक्रम के अनुसार, सुबह करीब 11ः30 बजे मायाकुंड की ओर से आंदोलनकारी त्रिवेणी घाट पहुंचे और धरना देकर बैठ गए। पुलिस ने इन लोगों के चारों ओर घेरा बना लिया। इस बीच कुछ लोग जब गंगा की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस सतर्क हो गई। गंगा की धारा की ओर तेजी से जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोक लिया। यहां दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। किसी तरह से पुलिस ने आंदोलनकारियों को काबू में किया। इस बीच एक आंदोलनकारी सुरेंद्र सिंह नेगी ने गंगा में छलांग लगा दी।

वहां पहले से अलर्ट जल पुलिस के जवानों ने भी गंगा में छलांग लगा दी। करीब 40 मीटर की दूरी तक बह गए युवक को जल पुलिस के जवानों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया। त्रिवेणी घाट पर ही गुस्साए आंदोलनकारियों ने स्थानीय विधायक और पूर्व पालिकाध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने शासन और प्रशासन पर इस बड़ी समस्या और आंदोलन की अनदेखी का आरोप लगाया। आंदोलनकारियों का कहना था कि यदि हमारी मांग की सुनवाई हो जाती तो हमें जल समाधि जैसी घोषणा नहीं करनी पड़ती। मौके पर मौजूद वरिष्ठ उप निरीक्षक मनोज नैनवाल के साथ पुलिस की टीम ने मौके से पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में अरविंद हटवाल पुत्र अनुसूया प्रसाद हटवाल निवासी गंगा नगर ऋषिकेश, रजत प्रताप सिंह पुत्र अशोक कुमार निवासी लक्कड़ घाट रोड टीचर कॉलोनी श्यामपुर बाईपास ऋषिकेश, रामकुमार संगर पुत्र स्व. सुरेश चंद निवासी आवास विकास कॉलोनी ऋषिकेश,विकास अग्रवाल पुत्र अशोक कुमार अग्रवाल निवासी गली नंबर 14 आशुतोष नगर ऋषिकेश, सुरेंद्र नेगी पुत्र पुराण सिंह नेगी निवासी शिवाजी नगर आइडीपीएल ऋषिकेश शामिल है।

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