ऋषिकेश महाविद्यालय में ही बने श्रीदेव सुमन का मुख्य कैंपस

ऋषिकेश महाविद्यालय में ही श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का मुख्य कैंपस बनाने को लेकर छात्र नेताओं ने आज सांकेतिक धरना दिया। छात्रों का कहना था कि उन्हें विश्वविद्यालय संबंधी छोटे कार्यों को टिहरी जाना पड़ता है, इससे काफी दिक्कतें होती हैं।

आज छात्रसंघ महासचिव दीपक भारद्वाज के नेतृत्व में छात्र नेता पीजी कॉलेज परिसर में पहुंचे। यहां उन्होंने प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। छात्र नेताओं ने बताया कि मॉर्क्स शीट, शुल्क जमा करने आदि कार्य को लेकर ऋषिकेश से विवि के मुख्य कैंपस टिहरी जाना पड़ता है, इससे समय बर्बाद होता है। कई बार मुख्य कैंपस में एक दिन में कार्य नहीं होने पर दूसरे दिन चक्कर लगाना पड़ता है। इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होती है। आक्रोशित छात्र नेताओं ने एक स्वर में कहा कि विवि के मुख्य कैंपस को ऋषिकेश में शिफ्ट करें या फिर ऋषिकेश कैंपस को सभी अधिकार दें, जिससे छात्र-छात्राओं को टिहरी नहीं जाना पड़े। छात्रसंघ महासचिव ने सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने पर अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है। मौके पर रोहित सोनी, आशुतोष सैनी, आयुष चैहान, दीपक कुमार, चेतन, मोहित शर्मा, अनिरुद्ध शर्मा, हिमांशु, रोहित नेगी आदि मौजूद रहे।

प्राचीन शिक्षा प्रणाली में गुरूकुलों का बड़ा महत्वः त्रिवेंद्र सिंह रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्कूल के भवनों के रूपान्तरण के साथ ही वहां पर शिक्षा एवं सुरक्षा का बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने से ही हम छात्रों का वर्तमान के साथ ही भविष्य सुरक्षित करने में सफल हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा राज्य आपदा की दृष्टि से संवदेनशील होने के कारण विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों को प्राकृतिक आपदा से बचाव की जानकारी दी जानी भी समय की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष की भी चुनौती रही है, इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष से सम्बन्धित देश का पहला प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा प्रबन्धन का अलग से मंत्रालय गठित करने वाला भी पहला राज्य है।

आज सस्टेनेबल इनवायरमेंट एण्ड इकोलॉजिकल सोसायटी (सीड्स) एवं हनीवेल सेफ स्कूल कार्यक्रम के तहत 15 स्कूलों का रूपान्तरण के पश्चात् शिक्षा विभाग को सौंपे जाने से सम्बन्धित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यालयों में शिक्षा के अनुकूल माहौल से छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली में गुरूकुलों का बड़ा महत्व रहा है। आज के विद्यालयों को सुविधायुक्त बनाने से ही अच्छी शिक्षा छात्रों को उपलब्ध हो सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों का वर्तमान सुरक्षित रखने से ही उनका भविष्य भी सुरक्षित होगा। इसके लिए उन्हें विद्यालयों मे सकुशल, सुरक्षित एवं सहजता के साथ शिक्षा उपलबध कराने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि इस वैश्विक महामारी का हम सर्तकता बरतने के कारण ही सामना करने में सफल हो पाये हैं। दुनिया के अनेक सुविधा सम्पन्न देशों के मुकाबले हम इससे अपना बचाव कर पाये हैं। मुख्यमंत्री ने विद्यालयों के रूपान्तरण के साथ ही छात्रों का सकुशल और सुरक्षित स्कूल के लिए आवश्यक सहयोग एवं सहायता के लिये सीड़स एवं हनीवेल के प्रयासों को सराहनीय बताया।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सीड्स एवं हनीवेल द्वारा देहरादून एवं हरिद्वार के 4 विकास खण्डो के 15 स्कूलों का रूपान्तरण के पश्चात् अपर निदेशक शिक्षा मुकुल सती एवं वन्दना गर्ब्याल, एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर को सौंपा गया।

इस अवसर पर डॉ. मनु गुप्ता, सह-संस्थापक, सीड्स ने कहा कि हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम शुरू करने से पहले, सीड्स ने इन 100 स्कूलों पर एक आधार स्तर का सर्वेक्षण किया था, जिससे यह पता चला कि लगभग 40 प्रतिशत स्कूलों के भवनों को भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ से उत्पन्न होनेवाले संरचनात्मक खतरों का सामना करना पड़ता है। संरचनात्मक नवीनिकरण का उद्देश्य इन जोखिमों को कम करना होता है। 2019 में शुरू किए गए हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के जरिए हरिद्वार और देहरादून जिलों के 100 सरकारी स्कूलों में 11,000 से अधिक विद्यार्थियों, 3,000 अभिभावकों और 900 शिक्षकों को स्कूल की सुरक्षा पर प्रशिक्षण दिया है। देहरादून और हरिद्वार में राज्य सरकार के 15 के स्कूलों का जीर्णोद्धार, मरम्मत और विस्तारण किया।
इस अवसर पर हनीवेल के वीरेन्द्र मिश्रा एवं सीड्स की रिजनल मैनेजर अनिता चैहान ने भी विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम में डीआईजी एसडीआरएफ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल सहित विभिन्न विद्यालयों के अध्यापकगण आदि उपस्थित थे।

कुम्भ मेला क्षेत्र की सड़को का होगा कायाकल्प

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आटोमेटेड ड्राईविंग टेस्ट ट्रेक के निर्माण के लिए 20.62 लाख रूपए की स्वीकृति दी है। आईडीटीआर झाझरा देहरादून में आटोमेटेड ड्राईविंग टेस्ट ट्रेक के निर्माण की यह प्रथम किस्त होगी। इस आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक की कुल लागत 51.56 लाख है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुम्भ मेला क्षेत्र के अन्तर्गत नगर निगम हरिद्वार की 08 सड़कांे के सीसी टाइल्स द्वारा नवीनीकरण किये जाने हेतु 103.94 लाख की धनराशि स्वीकृत की है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को जेम पोर्टल के माध्यम से क्रय किये जाने के निर्देश दिये हैं। इस पोर्टल पर स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को ही अपलोड किया जायेगा, इसके लिये एक बार में रूपये 05 लाख तक के उत्पादों के क्रय की व्यवस्था रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था से स्वयं सहायता समूहों की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने तथा उनके विपणन की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत राज सहायता के रूप में 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 10 जनपदों में एक-एक करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। मुख्यमंत्री ने युवाओं को स्वरोजगार के लिये प्रेरित करने के लिये इस योजना को प्रभावी माध्यम बताया है।

कोरोना कालः एम्स के विशेषज्ञों ने स्कूल खुलने पर बच्चों के लिए जारी किए सुझाव

दो नवंबर से उत्तराखंड के कक्षा दस से 12वीं के विद्यालय खुल रहे है। ऐसे में बच्चों के समक्ष कई तरह की दिक्कतें हो सकती है। इसके लिए एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रवि कांत ने सुझाव दिया है। बताया है कि कोविड-19 ने अभिभावकों में बच्चों के प्रति व्यापक चिंता पैदा की है। लिहाजा इस बीमारी के दुष्प्रभावों को लेकर माता-पिता द्वारा आशंकित होना और बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए उन्हें साबुन से बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। बच्चों में विटामिन-डी की कमी नहीं हो, इसलिए धूप में थोड़ी देर परस्पर 1 से 2 मीटर की दूरी बनाते हुए और मास्क पहनकर खेलने दें। साथ ही स्क्रीन टाइम कम करने के लिए उन्हें किताबें पढ़ने, व्यायाम करने और परिवार के साथ समय बिताने के लिए उनमें रुचि पैदा करनी चाहिए।

कम्यूनिटी एंड मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मीनाक्षी खापरे ने इस बारे में बताया कि बच्चों की शारीरिक ऊर्जा को चैनलाईज करने की आवश्यकता है। इसके लिए बच्चों को विभिन्न खेलों, ड्राईंग, पेंटिंग, अभिनय, बागवानी, खाना बनाने और घर की साफ-सफाई में शामिल किया जा सकता है।

सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की डा. रुचिका गुप्ता और डा. श्रेया अग्रवाल ने बताया कि बच्चों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराना, नियमित व्यायाम के लिए प्रेरित करना, बच्चों में कौशल विकास की रुचि विकसित करना और उन्हें रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखना चाहिए। उनमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पैदा करने के लिए हमें उन्हें टीम भावना से कार्य करना सिखाना होगा।

आनलाइन पढ़ाई से वंचित करने पर सरकार गंभीर, जिले में नोडल अधिकारी किया नियुक्त

राज्य में आनलाइन पढ़ाई के नाम पर फीस के लिए मानसिक उत्पीड़न करने वाले स्कूलों के खिलाफ जिला स्तर पर नोडल अफसर नियुक्त किया गया है। अभिभावक तत्काल सीईओ से शिकायत कर सकते हैं। हाल में कुछ स्कूलों द्वारा फीस न चुकाने पर छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई से ब्लॉक करने की शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लिया है।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि कोरोनाकाल में पढ़ाई को सुचारु रखने को ऑनलाइन व्यवस्था की गई है और इसी आधार पर स्कूलों को फीस लेने का हक दिया है। यदि इसमें लापरवाही बरती जाती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी संबंध में प्रत्येक जिले में मुख्य शिक्षा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। बता दें कि मार्च माह से राज्य के शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।

समाज कल्याण विभाग के कार्यालयों, स्कूल, हॉस्टलों की दीवारों पर बनेगी कुमांऊ की ऐंपण पेंटिंग

कुमांऊ की प्रसिद्ध ऐंपण कला को अब समाज कल्याण विभाग नशे के खिलाफ ढाल बनाएगा। इस कला के जरिए नशे के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए विभाग अपने कार्यालयों, स्कूल और हॉस्टलों की दीवारों पर ऐंपण पेंटिंग बनाने जा रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने समाज कल्याण विभाग को नशा मुक्ति कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी है। जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पांडे ने कार्यक्रम की शुरुआत की है।

सर्वप्रथम इसकी शुरूआत देहरादून से की जाएगी, यहां सर्वे चौक स्थित जिला समाज कल्याण कार्यालय में ऐपण पेंटिंग कराने की योजना है। इसके बाद कंडोली स्थित विभाग के सरकारी हॉस्टल व भगत सिंह कॉलोनी स्थित राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में होगी।

क्या है ऐपण लोक कला
ऐपण उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल की प्रसिद्ध लोककला चित्रकला है, जो विश्व प्रसिद्ध है। कुमाऊं में दीपावली, देवी पूजन, लक्ष्मी पूजन, यज्ञ, हवन, जनेऊ संस्कार, छठ कर्म, शिवपूजन, विवाह, व्रत-त्योहार में घर की चौखट व दीवारों पर ऐपण लोक कला बनाने की परंपरा है। इसमें घर के आंगन से मंदिरों तक के मार्ग में ऐपण कला बनाई जाती है। इसमें सबसे पहले गेरू से पुताई करते हैं। इसके बाद उसके ऊपर बिस्वार (चावल के आटे का घोल बनाकर) से चित्र बनाए जाते हैं। इन चित्रों को शुभ माना जाता है।

24 मई को टिहरी के डीएम बने मंगेश घिल्डियाल बने प्रेरक

एक मल्टीनेशनल संस्थान की ओर से देशभर के बेहतर डीएम के सर्वे में टिहरी के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को प्रेरक डीएम घोषित किया गया है। उत्तराखंड मूल के आईएएस अधिकारी घिल्डियाल ने कम समय मे अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। 24 मई को ही उन्होंने टिहरी के डीएम का पदभार संभाला है।

2011 बैच के आईएएस ऑफिसर मंगेश घिल्डियाल मूल रूप से उत्तराखंड के ही पौड़ी जिले के निवासी हैं। पहले बागेश्वर और फिर 3 साल रुद्रप्रयाग के डीएम के रूप में उन्होंने खूब नाम कमाया है। केदारनाथ आपदा पुनर्निर्माण कार्य, जिले के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए उन्होंने बेहतर कार्य किया।

24 मई को टिहरी के डीएम बनते ही उन्होंने सबसे पहले मुनिकीरेती में प्रवासियों को कुआरन्टाइन करने का निर्णय लिया, जिस कारण जिले में रेड जोन से आने वालों को गांव में प्रवेश नही करने दिया। उनके इस निर्णय की तारीफ हो रही है। एक संस्थान ने देशभर के बेस्ट डीएम का सर्वे किया जिसमें उन्हे प्रेरक डीएम का खिताब मिला है। सम्पर्क करने पर उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि लोगों को सुलभ प्रशासनिक सुविधा देने और सरकार योजनाओं का लाभ देना उनका लक्ष्य है। बता दें कि घिल्डियाल का फेसबुक पेज आइएएस मंगेश घिल्डियाल फैन क्लब भी बहुत पॉपुलर है।