सीएम ने मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का किया शुभारंभ

सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार मे आयेजित कार्यक्रम में योजना का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचलित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यां का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।

कुंभ मेले में नियुक्त होंगे 3250 होमगाड्स, सीएम ने दी स्वीकृति

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की स्थापना गैरसैंण में किये जाने के निर्देश दिये हैं। इसके लिये भूमि क्रय हेतु 50 लाख की धनराशि भी प्राविधानित की गई है।मुख्यमंत्री द्वारा गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाये जाने के बाद वहां पर विभिन्न संस्थानों आदि की स्थापना आदि की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गैरसैण में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की स्थापना उसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण में ग्रीष्म कालीन राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनायी जा रही है। उत्तराखण्ड के केन्द्र बिंदु गैरसैंण के विकास एवं इसके समीपवर्ती नैसर्गिक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किये जाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके साथ ही युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिये भी विभिन्न योजनायें संचालित की गई हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा कुम्भ मेला 2021 हरिद्वार की व्यवस्थाओं की निरन्तर समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले में आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के दृष्टिगत पुलिस तथा अन्य अनुषांगिक इकाइयों के साथ होमगार्डस की नियुक्ति के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा कुम्भ मेले की सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत 3250 होमगार्डस की नियुक्ति की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में उपचारिकाओं (नर्सों) की शीघ्र आवश्यकता के दृष्टिगत उनकी नियुक्ति की कार्यवाही प्राविधिक शिक्षा विभाग के माध्यम से किये जाने के निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड में उपचारिकाओं (नर्सों) की भर्ती सम्बन्धी प्राविधानों में यथा आवश्यक समयबद्ध रूप से एक बार के लिये संशोधन किये जाने के भी निर्देश दिये हैं, ताकि नर्सों की शीघ्र आवश्यकता के अनुरूप तत्काल प्राविधिक शिक्षा विभाग के स्तर पर भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की जा सके।

पलायन आयोग ने सीएम को सौंपी रिपोर्ट, रूद्रप्रयाग में पिछले 10 वर्ष में हुआ 22735 लोगों का अस्थाई पलायन

जनपद रूद्रप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने एवं पलायन को कम करने हेतु ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने सचिवालय में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जनपद के प्रमुख पर्यटक एवं धार्मिक स्थलों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना होगा। जनपद में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है। जनपद में महिलाओं की आबादी अधिक है, महिलाओं को कौशल विकास से संबंधित प्रशिक्षण के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना होगा।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में रुद्रप्रयाग जनपद से 316 ग्राम पंचायतों से 22735 लोगों द्वारा अस्थाई पलायन किया। यह पलायन जनपद के अन्दर एक स्थान से दूसरे स्थान पर हुआ। जबकि 7835 व्यक्तियों द्वारा पूर्ण रूप से स्थाई पलायन किया गया। जनपद में स्थाई पलायन की तुलना में अस्थाई पलायन अधिक हुआ है। लगभग 40 प्रतिशत पलायन 26 से 35 वर्ष के आयु वर्ग द्वारा किया गया। 2011 की जनगणना के अनुसार जनपद रूद्रप्रयाग की जनसंख्या 02 लाख 42 हजार 285 है। जनपद की 80 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जनपद रूद्रप्रयाग विकासखण्ड ऊखीमठ की जनसंख्या में 11 प्रतिशत की वृद्धि एवं विकासखण्ड अगस्तमुनी की जनसंख्या में 02 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य घरेलू उत्पाद के आधार पर वर्ष 2016-17 (अनन्तिम) अनुमानों में जनपद रूद्रप्रयाग की प्रतिव्यक्ति आय अनुमानित 83521 रूपये है। रूद्रप्रयाग एवं टिहरी जनपद की प्रति व्यक्ति आय अन्य पर्वतीय जिलों की तुलना में कम है। जनपद का मानव विकास सूचकांक अन्य पर्वतीय जिलों से कम है। जनपद रूद्रप्रयाग में कुल 688 ग्रामों में से 653 आबाद एवं 35 गैर आबाद ग्राम हैं। जनपद के तीनों विकासखण्डों में कुल 20 राजस्व ग्राम-तोक हैं।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने जनपद के आर्थिक, सामाजिक विकास एवं पलायन को रोकने के लिए सुझाव दिये कि विकासखण्ड स्तर पर आर्थिक विकास का एक ढ़ाचा तैयार किया जाय। जनपद में पर्यटन विकास योजना तैयार होनी चाहिए। राज्य सरकार की होम स्टे योजना को स्थानीय स्तर पर बढ़ावा देना होगा। भूजल पुनर्भरण योजनाओं को प्राथमिकता दी जाय। पानी के पारम्परिक स्रोतों के सूखने से जल की उपलब्धता एक चुनौती के रूप में आई है। सामाजिक-आर्थिक उत्थान और ग्रामीण विकास के लिए एक महिला केंद्रित दृष्टिकोण अपना होगा। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों कृषि आधारित, रेडिमेट वस्त्र, कताई-बुनाई लकड़ी आधारित, होटल एवं अन्य सर्विस ईकाइयों को जनपद के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को मजबूत बनाकर आजीविका प्रदान करनी होंगी।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले। उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना जरूरी हैं। जनपद में फल, नर्सरियों की संख्या बढ़ाने एवं फल रोपण सामग्री उत्पादन करने के साथ ही निजी क्षेत्र की नर्सरियों को प्रोत्साहित करना होगा। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए मनरेगा के तहत सुअर रोधी दीवार का निर्माण किया जाना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना एवं कौशल विकास से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी हैं। जनपद में कृषि उत्पादन के लिए विशेष क्षेत्र या विकासखण्ड स्तर पर किसान उत्पादक संगठन के गठन पर सिफारिश की गई है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन तथा चारधाम सड़क परियोजना से जनपद रूद्रप्रयाग के विकास में तेजी आयेगी तथा इसका लाभ उठाने के लिए जिला प्रशासन विशेष योजना बनाए।

माटी कला के लिए प्रदेश में खुलने प्रशिक्षण केंद्र, मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीनें दी जाएंगी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मोथरावाला रोड, स्थित माटी कला बोर्ड कार्यालय में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हारी कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किये। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाय जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं एवं मिट्टी के उपकरण बनाने के लिए उपयुक्त मिट्टी वाले स्थानों को चिन्हित करना जरूरी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टॉल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।

माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।

सीएम बोले, 10 हजार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देने का रखा लक्ष्य

सोलर स्वरोजगार योजना में 10 हजार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में ऊर्जा उत्पादन के नवाचारी व हरित तरीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत उत्तरकाशी निवासी युवा उद्यमी आमोद पंवार ने अपने गांव इंद्रा टिपरी में 200 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट को स्थापित किया है, इस प्लांट से सालाना औसतन 3 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा, यह बिजली अगले 25 सालों तक यूपीसीएल खरीदेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को जिला योजना धनराशि से 40 प्रतिशत धनराशि पशुपालन, कृषि, मत्स्य, मौन पालन आदि स्वरोजगार योजनाओं में खर्च करने के निर्देश दिए गए हैं। उद्यमियों को ऋण लेने में समस्या न आए इसके लिए बैंकों से लगातार समन्वय किया जा रहा है। ताकि स्वरोजगार की दिशा में अधिक से अधिक उद्यमी अपनी आजीविका को सुदृढ़ कर सकें। पर्यटन के क्षेत्र में दस हजार मोटर बाइक की स्वीकृति दी गई है जिस पर 2 साल तक का ब्याज राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी व्यंजनों के उत्पाद हमारी विरासत हैं। इनके माध्यम से स्वरोजगार किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, दूरसंचार, बिजली, पानी,आदि उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार निरंतर काम कर रही है। जल्द ही हिमालयन मीट (बकरे का मीट) की ब्रांडिंग करने वाले हैं। प्रकृति ने जो संसाधन हमें उपलब्ध कराए हैं उनका सही तरीके से उपयोग करें तो रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कैम्पा के माध्यम से आग बुझाने, पेयजल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने आदि कामों में बड़े पैमाने पर रोजगार की व्यवस्था की गई है। स्वरोजगार की दिशा में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में निवेश कर उद्यम स्थापित करने के लिए राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत सहायता कर रही है। कोई भी व्यक्ति सोलर प्लांट, व पिरूल प्लांट की स्थापना कर सकता है।

युवा अवस्था में जोखिम लेने का जज्बा भी होता है और समय भीः त्रिवेंद्र

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिवस के अवसर पर ‘‘आत्मनिर्भरता से अंत्योदय तक’’ वर्चुअल युवा संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में जो उत्साह एवं जोश होता है, सही दिशा मिलने पर युवा सब कुछ कर सकता है। युवा अवस्था में जोखिम लेने का जज्बा भी होता है और समय भी। किसी भी कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए वैचारिक दृढ़ता का होना जरूरी है। हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है, इसके लिए सोच स्पष्ट होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में युवाओं एवं महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उत्तराखण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के लिए अपार संभावनाएं हैं। प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है, पर्वत श्रृंखलाएं, पर्याप्त जल, जंगल, जैव विविधता जैसी प्राकृतिक चीजें हमें वरदान स्वरूप मिली हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वरोजगार के लिए भी पर्याप्त अवसर हैं। एडवेंचर टूरिज्म, वाटर स्पोर्ट एवं पर्यटन के क्षेत्र में अनेक गतिविधियां की जा सकती है। युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इस योजना में लगभग सभी प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया है। हमें आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की दिशा में आगे बढ़ना होगा। जब राज्य आत्मनिर्भर होंगे तो देश स्वतः ही आत्म निर्भर हो जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में ग्रोथ सेंटर की शुरुआत की है, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत बस खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। इन बसों का रोडवेज से अनुबंध करने की व्यवस्था भी की गई है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में पर्यटन के तहत हम 10 हजार मोटर बाईक देंगे। इसमें दो साल का ब्याज राज्य सरकार देगी। 25-25 किलोवाट के 10 हजार छोटे सोलर पावर प्रोजेक्ट की योजना मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाई गई है। इसके तहत 25 प्रतिशत सब्सिडी और बिजली की खरीद की गारंटी है। पिरूल से बिजली उत्पादन का कार्य शुरू किया गया है। सोलर फार्मिंग की शुरूआत की गई है जिसमें 208 मेगावाट के कार्यों की शुरूआत हुई है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कृषकों को 03 लाख तक का एवं स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। उड़ान योजना के तहत हेली सेवाओं को विस्तार दिया गया है। ऑलवेदर रोड पर तेजी से कार्य चल रहा है। हमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। उसकी ब्रान्डिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग करनी होगी। उत्तराखण्ड के लोकल उत्पादों को हिमालयी ब्रान्ड बनाने की दिशा में कार्य करने होंगे।

भर्ती परीक्षाओं का आयोजन समयबद्धता के साथ करने के निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा की। उन्होंने भर्ती प्रक्रियाओं को निर्धारित टाईम टेबल में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोरोना के लिए जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भर्ती परीक्षाओं का आयोजन समयबद्धता से किया जाए। इसमें किसी भी स्तर पर शिथिलता न की जाए। मुख्यमंत्री ने सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि विभागों से चयन आयोगों को अधियाचन भेजने में विलम्ब न हो, इसके लिए एक ऑनलाईन व्यवस्था बनाई जाए।

समान प्रकृति के पदों की एक ही परीक्षा हो
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एक जैसी प्रकृति के पदों के लिए एक ही परीक्षा आयोजित की जाए। इससे परीक्षार्थियों के समय व धन की बचत होगी और भर्तियों में भी अनावश्यक विलम्ब नहीं होगा। राज्य लोक सेवा आयोग जब एक बार डीपीसी की तिथि निर्धारित कर देता है तो यह संबंधित अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण स्थगित नहीं होनी चाहिए।

अधियाचन पर चयन आयोग की आपत्तियों का जवाब अधिकतम तीन दिन में
चयन आयेग द्वारा की जाने वाली पृच्छाओं व आपत्तियों पर जवाब अधिकतम तीन दिनों में चला जाना चाहिए। कार्मिक विभाग प्रत्येक माह विभागों की भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करे और विभागों व चयन आयोगों में समन्वय स्थापित करे।

लक्ष्य निर्धारित कर हो काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण भर्ती प्रक्रियाओं में विलम्ब हुआ है। इसकी भरपाई अगले 6 माह में किस प्रकार की जा सकती है, इसकी कार्ययोजना बना ली जाए। टार्गेटेड तरीके से काम करते हुए चयन आयोगों के साथ ही शासन स्तर पर भी इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया जाए।

उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (से.नि.) श्री आनंद सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 2017 से वर्तमान तक राज्य लोक सेवा आयोग से 3047 पदों पर चयन किया गया। जबकि 1145 पदों पर चयन प्रक्रिया गतिमान है जो कि इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण कर ली जाएगी। आयोग ने इस वर्ष विभिन्न पदों के लिए टाईम टैबल बना लिया है। इसके अनुसार चयन सुनिश्चित किया जा रहा है। वर्ष 2017 से वर्तमान तक डीपीसी द्वारा कुल 2647 पदों पर चयन किया गया है जबकि 219 पदों पर डीपीसी की प्रक्रिया गतिमान है।

उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष श्री एस.राजू ने बताया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 6 हजार पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि 2014 से 2017 तक 801 पदों पर चयन किया गया था। वर्तमान में 9 परीक्षाएं कोविड-19 के संक्रमण के कारण लंबित हैं। इनमें से 7 परीक्षाएं अक्टूबर से दिसम्बर तक आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। चयन वर्ष 2019-20 व 2020-21 में लगभग 7200 पदों पर अधियाचन प्राप्त हुए हैं इनमें से लगभग 2500 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है जबकि 4 हजार पदों पर विज्ञापन की कार्यवाही प्रगति पर है।

उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डा.डीएस रावत ने बताया कि 2017 से अभी तक कुल 1282 का चयन किया गया। बोर्ड को वर्तमान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, चिकित्साधिकारी, एक्स-रे टेक्नीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन, रेडियोग्राफिक्स, राजकीय मेडिकल कालेजों में विभिन्न तकनीशियन के पदों सहित कुल 1351 पदों के अधियाचन प्राप्त हैं। इन पर चयन प्रकियाएं निश्चित टाईमफ्रेम में पूरा कर लिया जाएगा।

जनता से किए 85 फीसदी वायदे पूरे किए, स्वरोजगार पर फोकसः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम कर रही है। इसमें 4 वानर रेस्क्यू स्ेंटरों की स्थापना, 125 किमी जंगली सूअर रोधी दीवार, 50 किमी सोलर फेंसिंग, 13 किमी हाथी रोधी दीवार, 250 किमी हाथी रोधी खाईयों का निर्माण शामिल है। महिला पौधालयों की स्थापना पर भी काम किया जा रहा है जिसमें कि लगभग 20 हजार महिलाओं को रोजगार सम्भावित है। एक वैश्विक स्तर का साईंस कॉलेज और प्रदेश के 5 हजार स्कूलों में हिमालय इको क्लबों की स्थापना की कार्ययोजना भी बनाई गई है।

रोजगार
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल पर वर्चुअल प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपै्रल 2017 से सितम्बर 2020 तक विभिन्न विभागों के अंतर्गत कुल 7 लाख 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इनमें से नियमित रोजगार लगभग 16 हजार, आउटसोर्स-अनुबंधात्मक रोजगार लगभग 1 लाख 15 हजार और स्वयं उद्यमिताध्प्राईवेट निवेश से प्रदानध्निर्माणाधीन परियोजनाओं से रोजगार लगभग 5 लाख 80 हजार है।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की गई भर्तियों की बात की जाए तो इसके माध्यम से वर्ष 2014 से 2017 तक कुल 08 परीक्षाएं आयेजित की गईं जिनमें 801 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 59 परीक्षाएं आयोजित की गईं जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 7200 पदों पर अधियाचन-भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रूपए अतिरिक्त व्यय किए गए हैं। आगामी तीन माह में कैम्पा के अंतर्गत 40 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना है। युवाओं और प्रदेश में लौटे प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई। एमएसएमई के तहत इसमें ऋण और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें लगभग 150 प्रकार के काम शामिल किए गए हैं।

गैरसैंण, उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। इसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब गैरसैण में राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रूपए वार्षिक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखण्ड, देश का पहला राज्य है। अभी 2 लाख 5 हजार मरीजों को योजना में निशुल्क उपचार मिला है। जिस पर 180 करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं।

कार्यसंस्कृति में सुधार
ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाईन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस सरकार की प्रमुख नीति है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 25 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। अगले डेढ़ वर्ष में इसे 40 हजार करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है।

रिवर्स पलायन पर सुनियोजित प्रयास
पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखण्ड में पहली बार किसी सरकार ने रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है। एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है। सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है। किसानों को तीन लाख रूपए और महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के गन्ना किसानों को अवशेष गन्ना मूल्य का शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया गया है।

नए पर्यटन केद्रो का विकास
13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। विभिन्न रोपवे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। जलसंरक्षण और जलसंवर्धन पर काफी काम किया गया है। प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक जनअभियान शुरू किया गया है।

डबल इंजन का असर
डबल इंजन का असर साफ-साफ देखा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं। बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजनाघ्, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियोजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, भारत नेट फेज -2 परियोजना, एयर कनेक्टीवीटी पर किया जा रहा काम मुख्य है। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां उड़ान योजना में हेली सेवा प्रारम्भ की गई है। श्री बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाया गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
पिछले लगभग साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखण्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। नीति आयोग द्वारा जारी ‘‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’’ में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखण्ड सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल है। राज्य को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं। ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान में ऊधमसिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया। उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया। जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले। मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है।

लोक कल्याणकारी सरकार
आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आंगनबाड़ी सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री के मानदेय में बढ़ोतरी की गई है। वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांगजन पेंशन की राशि को 1000 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 1200 रूपए प्रतिमाह किया गया। ग्राम प्रहरियों का मानदेय रूपए 2000 हजार प्रतिमाह किया गया। दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां अनाथ बच्चों की चिंता करते हुए उनके लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। दुर्घटना राहत राशि को मृत्यु पर 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख, गम्भीर घायल होने पर 20 हजार से बढ़ाकर 40 हजार और साधारण घायल होने पर 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया है। शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दी जा रही है। विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की है।

कोविड-19 से लड़ाई, हेल्थ सिस्टम को मजबूती
उत्तराखण्ड में सभी के सहयोग से कोविड-19 से लड़ाई लड़ी जा रही है। परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं। सर्विलांस, सेम्पलिंग, टेस्टिंग पर फोकस किया जा रहा है। राज्य में हेल्थ सिस्टम को मजबूत किया गया है। पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। अब राज्य के सभी जनपदों में आई0सी0यू0 स्थापित किए जा चुके हैं। मार्च में राज्य में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग सुविधा नहीं थी। वर्तमान में 5 सरकारी और विभिन्न प्राईवेट लेब में कोविड-19 के सेम्पल की जांच की जा रही है। वर्तमान में 481 आईसीयू बेड, 543 वेंटिलेटर, 1846 आक्सीजन सपोर्ट बेड, 30500 आईसोलेशन बेड उपलब्ध हैं। रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। पिछले लगभग तीन साल में पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या में पहले से लगभग ढाई गुना वृद्धि की गई है। टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी लाभदायक साबित हो रही हैं।

उद्यमिता, नवाचार एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राज्य में यह नई पहल

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में ‘मुख्यमंत्री सलाहकार समूह’ की प्रथम बैठक आयोजित की गई। राज्य में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने ‘‘स्टार्टअप, नवाचार और उद्यमिता पर मुख्यमंत्री सलाहकार समूह’’ स्थापित किया है। राज्य में स्टार्टअप ईकोसिस्टम विकसित करने के लिए इस समूह द्वारा नवाचार और उद्यमिता के लिए राज्य में एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने, अनुसंधान और नये उत्पादों, सेवाओं, व्यापार मॉडल के विकास को प्रोत्साहित करने, उपयुक्त पॉलिसी योजनाओं और आवश्यक समर्थन प्रणाली को विकसित करने हेतु परामर्श देना है। इसके अलावा पाठ्यक्रम, मॉड्यूल प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में नवाचार और उद्यमशीलता के बारे में जागरूकता, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों और एजेंसियों के साथ आवश्यक साझेदारी हेतु सलाह देना है। बनाए गए ‘मुख्यमंत्री सलाहकार समूह’ में 07 सरकारी एवं 06 गैर सरकारी सदस्य शामिल हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकल के लिए वोकल बनने की जो बात कही गई यह उस दिशा में प्रयास है। उद्यमिता, नवाचार एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राज्य में यह नई पहल की जा रही है। जिसमें सरकारी के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के गैर सरकारी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इन विशेषज्ञों की सलाह से राज्य के औद्योगिक विकास एवं हिमालयी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विविध जैव विविधताओं वाला राज्य है, यहां कि जैव विविधता का फायदा लेते हुए इस दिशा में अनेक कार्य हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे नवोदित राज्य में औद्योगिक विकास की बहुत संभावनाएं हैं। राज्य में इन्वेस्टर समिट के दौरान सवा लाख करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित किये गये। जिसमें से 25 हजार करोड़ के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोविड 19 के जिस दौर से हम गुजर रहे हैं, उससे औद्योगिक गतिविधियां जरूर प्रभावित हुई हैं। इस दौर दिक्कतें भी आई हैं और नई संभावनाएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि इस समूह के विशेषज्ञों द्वारा उत्तराखण्ड में मेडिकल एवं मेंटल हेल्थ को लेकर क्या कार्य हो सकते हैं, इस पर जरूर सुझाव दें। उन्होंने कहा कि ग्रुप के सभी सदस्यों के सुझावों पर गम्भीरता से कार्य किया जायेगा।

वीडियो कांफ्रेंस से विशेषज्ञों के सुझाव
वीडियो कांफ्रेंस से कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों और अवसरों, नवाचार और उद्यामिता को बढ़ावा देने के लिए नई पहलों पर चर्चा की गई। इंडियन एंजल नेटवर्क के फाउण्डर डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि राज्य में उद्यमिता के विकास के लिए जो भी योजना बने राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से बने। स्टार्टअप के तहत जॉब क्रियेशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। उत्तराखण्ड के उत्पादों की अलग ब्रांडिंग हो, वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। नैना लाल किदवई ने कहा कि रूरल टूरिज्म एवं होम स्टे को बढ़ावा दिया जाय। एग्रो प्रोसेसिंग एवं फोरेस्टरी सेक्टर में अनेक कार्य किये जा सकते हैं। विनीत नायर ने कहा कि मेंटल हेल्थ के क्षेत्र में अनेक कार्य हो सकते हैं। हमें सबसे पहले बच्चों के मेंटल हेल्थ पर फोकस करना होगा। स्टार्टअप का भविष्य साइंस और तकनीक पर आधारित है। इस दिशा में पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। रमन रॉय ने कहा कि लाईवलीहुड बिजनेस पर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य बिजनेस के कल्चर को प्रमोट करने की जरूरत है। विभिन्न सेक्टर में कार्य करने के लिए प्रत्येक सेक्टर के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने होंगे। संजीव बिखचंदानी ने कहा कि राज्य में कुछ बड़े उद्योग स्थापित करने होंगे। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत अनेक कार्य किये जा सकते हैं।

यूपी सीएम योगी नौकरियों में करने जा रहे बदलाव, नियमित होने से पूर्व होगी संविदा पर तैनाती

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समूह ख और ग की नई भर्ती में बदलाव करने जा रहे है। बदलाव के अनुसार, नई भर्ती में पांच वर्ष तक संविदा पर ड्यूटी करनी होगी। काम में कोई शिकायत न होने पर पांच वर्ष बाद नियमित नियुक्ति दी जाएगी। हालांकि हर विभाग से सुझाव मांगे जा रहे हैं।

संविदा पर नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों का छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें नई नौकरी पाने वालों को हर बार 60 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा। नई व्यवस्था के तहत पांच वर्ष बाद ही नियमित नियुक्ति की जाएगी। वहीं, 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे।