पौधों का सर्वाईवल रेट बढ़ाने पर दिया जाए ध्यानः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड कैम्पा की बैठक हुयी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनों के विकास के लिए पौधारोपण के साथ-साथ उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। पौधों का सर्वाईवल रेट बढ़ाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग रोजगार सृजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दृष्टि गांवों को लौटे प्रदेशवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु जल संरक्षण, पौधारोपण, नर्सरी विकास एवं वन सम्पत्ति की सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने प्रदेश को वापस लौटे लोगों को रोजगार की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 10 हजार लोगों को ऊर्जा विभाग के माध्यम से 25 वॉट के सोलर प्लांट्स के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वन विभाग द्वारा भी कम से कम 10 हजार लोगों को रोजगार देने के प्रयास किए जाएं। इससे हमारे गांव एवं हमारे वन दोनों लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री ने बुग्यालों के संवर्द्धन के लिए कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम के साथ ही भीमल के इस्तेमाल पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि वन्य पशुओं से सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग बहुत ही कारगर है परन्तु सोलर फेंसिंग की सुरक्षा के लिए लोगों को भी जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जल संवर्धन हेतु वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जल संवर्धन हेतु चेकडैम, चालखाल एवं ट्रेंच निर्माण के अच्छे परिणाम रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन दिवस के अवसर पर प्रदेश के स्कूल एवं कॉलेजों को 10 हजार पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति जागरूकता के लिए 10-10 हजार रूपए की राशि उपलब्ध कराई जा सकती है। इससे स्कूल एवं कॉलेज के माध्यम से प्रकृति के प्रति जनजागरूकता फैलायी जा सकेगी।

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वन विभाग द्वारा वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। श्रम विभाग द्वारा लगभग 10 हजार लोगों को भीमल के लिए प्रशिक्षण दिया गया था। इन प्रशिक्षित लोगों का प्रयोग बुग्यालों के संवर्धन हेतु कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम आदि के निर्माण के लिए किया जा सकता है।

कोरोना महामारी से नुकसान में चल रहे पर्यटन कारोबारियों के लिए सरकार की पहल, होटल और होम स्टे पर मिलेगी छूट

कोरोना महामारी से आर्थिक नुकसान पर चल रहे पर्यटन कारोबारियों को अब सरकार राहत देने जा रही है। सरकार ने राज्य में पर्यटन प्रोत्साहन कूपन योजना को अपनी मंजूरी दी है। होटलों और होम स्टे में तीन दिन तक ठहरने की बुकिंग करने पर सरकार की ओर से 25 प्रतिशत या अधिकतम एक हजार रुपये की छूट के लिए कूपन दिया जाएगा। इस कूपन पर होटल और होम स्टे में कमरे के बिल पर छूट मिलेगी।

देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पर्यटक श्रेणी में पंजीकरण करने वाले पर्यटकों को कम से कम तीन दिन ठहरने पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के माध्यम से अधिकतम एक हजार और कम से कम 25 प्रतिशत प्रतिदिन छूट का कूपन जारी किया जाएगा।

बता दें कि छूट का लाभ ऑनलाइन बुकिंग पर ही मिलेगा। कूपन के माध्यम से गढ़वाल मंडल पर्यटन विकास निगम, कुमाऊं मंडल पर्यटन विकास निगम के साथ ही निजी होटल और होम स्टे में कमरे के बिल में छूट दी जाएगी। देहरादून जिले में मसूरी, चकराता, ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र, हरिद्वार जिले में नगर निगम क्षेत्र, पौड़ी जिले में कोटद्वार को छोड़ कर पूरा जिला, नैनीताल जिले में हल्द्वानी ओर काठगोदाम क्षेत्र को छोड़ कर पूरे जिले में योजना लागू होगी। ऊधमसिंह नगर जिले में यह योजना लागू नहीं होगी।

यूजेवीएनएल ने विद्युत उत्पादन में अपना रिकाॅर्ड तोड़ा

उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2018-2019 में पिछले वर्ष के मुकाबले 288 मिलियन यूनिट अधिक बिजली का उत्पादन कर रिकॉर्ड कायम किया है। यूजेवीएनएल के एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि वर्ष 2011-12 के बाद यह दूसरा अवसर है जब विद्युत गृहों में इतना उत्पादन हुआ है। बीते वित्तीय वर्ष में उत्पादन लक्ष्य 4800 मिलियन यूनिट के सापेक्ष 5075 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया। यह वार्षिक लक्ष्य का 105.7 प्रतिशत है। लघु जल विद्युत परियोजनाओं के उत्पादन भी शामिल कर लिया जाए तो इस वर्ष 5088.80 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया। निगम की स्थापना के बाद से अभी तक का यह सर्वाधिक उत्पादन भी है। इससे पूर्व निगम का किसी भी एक वर्ष का सर्वाधिक उत्पादन 5262 मिलियन यूनिट था।
रिकॉर्ड विद्युत उत्पादन की स्थिति न्यूनतम ई-फ्लो (एमईएफ) लागू होने के बाद की है। वर्ष 2011-12 में न्यूनतम ई-फ्लो के नियम का प्रविधान नहीं था। न्यूनतम ई-फ्लो के कारण निगम का उत्पादन 244 मिलियन यूनिट कम रहने का आकलन किया गया था। एमईएफ के तहत प्रत्येक बांध एवं बैराज से न्यूनतम ई-फ्लो छोड़ना अनिवार्य होता है। संदीप सिंघल (एमडी, यूजेवीएनएल) का कहना है कि जल विद्युत परियोजनाएं अपनी पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। रिकॉर्ड उत्पादन भविष्य के लिए बेहतर संकेत है। आने वाले दिनों में मांग के अनुरूप आपूर्ति करने में निगम सक्षम हो जाएगा।

कोरोना काल में जीडीपी धड़ाम, तिमाही के आंकड़ें हुए जारी

कोरोना से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन का जीडीपी ग्रोथ पर बेहद विपरीत असर देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 1996 के बाद से यह पहला मौका है, जब जीडीपी के तिमाही नतीजों में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 1996 से ही देश में जीडीपी के तिमाही नतीजे घोषित किए जाने का प्रचलन है। बीते साल इसी अवधि में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी थी। इसके अलावा जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की रफ्तार 3.1 पर्सेंट थी, जो बीते 8 सालों का सबसे निचला स्तर था। इस लिहाज से देखें तो कोरोना ने भारत की जीडीपी पर बुरी तरह कहर बरपाया है। मौजूदा तिमाही और इस पूरे वित्त वर्ष में ही इसका असर देखने को मिल सकता है।
सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि कोरोना काल में निजी निवेश में तेजी से कमी आई है और उपभोक्ता में गिरावट दर्ज की गई है। इसी के चलते जीडीपी ने गोता लगाया है। देश की जीडीपी जून तिमाही में 26.9 लाख करोड़ रुपये रही है, जबकि बीते साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 35.35 लाख करोड़ रुपये का था। इस तरह बीते साल की तुलना में जीडीपी ग्रोथ में 23.9 पर्सेंट की कमी दर्ज की गई है।बता दें कि लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने देश में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए करीब 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन यह आंकड़ा बताता है कि सरकारी उपायों से अर्थव्यवस्था पर लोगों का भरोसा नहीं बढ़ा है।
इसके अलावा देश के 8 कोर उद्योगों में भी उत्पादन में 9.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में उर्वरक को छोड़कर अन्य सातों क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट आई है। जुलाई में इस्पात का उत्पादन 16.5 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का 13.9 प्रतिशत, सीमेंट का 13.5 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस का 10.2 प्रतिशत, कोयले का 5.7 प्रतिशत, कच्चे तेल का 4.9 प्रतिशत और बिजली का 2.3 प्रतिशत नीचे आया है। वहीं दूसरी ओर जुलाई में उर्वरक का उत्पादन 6.9 प्रतिशत बढ़ा।

उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर सीएम से चर्चा

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में डीआरडीओ के चेयरमैन डॉक्टर सतीश रेड्डी ने मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर चर्चा हुई। हाल में भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 101 रक्षा उपकरणों के विदेशी आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है, ऐसे में उत्तराखंड में रक्षा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
इस दौरान डीआरडीओ की लैब को उत्तराखंड में उद्योगों से जोड़ने एवं सीमांत इलाकों में खेती किसानी से जोड़ने पर भी चर्चा हुई। प्रदेश के युवाओं को डीआरडीओ में प्रशिक्षण देने एवं इंजीनियरिंग के छात्रों को डीआरडीओ की देहरादून स्थित आईआरडीए समेत कई लैब में इंटर्नशिप कराने पर भी सहमति बनी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पवार एवं डीआरडीओ प्रमुख के प्रौद्यागिक सलाहकार संजीव जोशी भी उपस्थित थे।

पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को रावत का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में हैं।
सोशल मीडिया में पुरानी पेंशन योजना के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट किया कि वर्ष 1999 में कर्मचारी अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। भाजपा के चुनाव जीतने के बाद वाजपेयी सरकार ने पब्लिक सेक्टर की इकाइयों को निजी पूंजीपतियों को बेचना शुरू कर दिया। तात्कालिक पेंशन योजना के स्थान पर एक नई पेंशन योजना लेकर आए। आज केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी तड़प रहे हैं। रावत के मुताबिक 2019 में भी उन्होंने हल्द्वानी में एक सभा में कहा था कि मोदी के मोहनास्त्र में फंसकर हमें न नकारें। पूर्व सीएम हरीश रावत का ये भी कहना है कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में खडे हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने आखिर क्यों कहा कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के नारे ढ़ोंग

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर तीखा व्यंग्य कसा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के नारों को कोर्ट ने ढोंग करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने के मामले में ‘पाखंडी’ साबित हुई है। हाईकोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस उपलब्ध कराने के लिए निकले टेंडरों में कंपनियों की योग्यता के पैमाने में बदलाव को लेकर की है।
हाईकोर्ट की पीठ सेंटर फॉर एविएशन पॉलिसी, सेफ्टी एंड रिसर्च की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने केंद्र और एएआई को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और साथ ही निर्देश दिया कि टेंडरों के आवंटन की वैधता याचिका के निस्तारण पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर राजनीतिक नेतृत्व पर सख्त रुख दिखाया और कहा, यह बेहद दुख कि बात है कि एकतरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ बनने की बात कर रही है तथा दूसरी तरफ ऐसे टेंडर निकालती है, जो छोटी कंपनियों को क्षेत्रीय हवाईअड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस के लिए हिस्सेदारी करने से रोकते हैं।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, असल में यह दिखता है कि यदि आप वास्तव इन लोगों (छोटी कंपनियों) को हटाना चाहते हैं तो ऐसा ही कहिए। अपने भाषणों में आप बड़ी बड़ी बातें करते हैं। आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत की बात करता है, वे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कहते हैं, लेकिन आपकी कार्रवाई आपके शब्दों से मेल नहीं खाती। आप पूरी तरह पाखंडी हैं।
पीठ ने एडिशन सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से अपने राजनीतिक नेतृत्व से यह बोलने के लिए कहा कि यदि आप इस तरह से चलना चाहते हैं तो मेक इन इंडिया पर भाषण क्यों देते हैं। संजय जैन केंद्र सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की तरफ से उपस्थित हुए थे। पीठ ने उनसे सवाल किया, क्या वे (राजनीतिक नेतृत्व) को इसके बारे में पता भी है। पीठ ने कहा, हम कहते हैं कि इस देश या उस देश से आयात बंद करो और दूसरी तरफ हम हमारे अपने उद्यमियों को भी विफल कर रहे हैं।
टेंडर में भाग लेने के लिए 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की उपलब्धता और शेड्यूल्ड एयरलाइंस के साथ काम करने की योग्यता का पैमाना बनाया गया है। इसका हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, आप बड़ी जेब और शायद विदेशी टाइप वाले बड़े खिलाड़ी (कंपनियां) को ही अंदर आने देना चाहते हैं।
क्षेत्रीय हवाईअड्डों पर जहां आने वाली फ्लाइटों की संख्या कुछ ही होती हैं, वहां काम कर रहे छोटे खिलाड़ियों के चार्टर्ड एयरलाइंस को संभालने के अनुभव की आपने अनदेखी कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा, यदि छोटे खिलाड़ियों को विकसित नहीं होने दिया जाएगा, तब कुछ ही स्थापित बड़े खिलाड़ी बचेंगे, जो अपने मार्केट प्रभुत्व के कारण सरकार पर अपनी शर्तें थोपना चाहते कर देंगे।

उपनल कर्मचारियों की काम पर होगी वापसी, सीएस ने दिया आश्वासन

राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थानों में लंबे समय से कार्य कर रहे उपनल के आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किए जाने को लेकर प्रदेश सरकार हिमाचल की तर्ज पर नियमावली बनायेगी। प्रदेश सरकार ने हिमाचल सरकार में लागू नियमावली मंगाई है, जिसका अध्ययन करने के बाद एक प्रस्ताव तैयार होगा और इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। यह आश्वासन मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने उपनल कर्मचारियों के समर्थन में आये प्रतिनिधिमंडल को दिया। 
बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद के नेतृत्व एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि प्रदेश में करीब 20 हजार उपनल कर्मचारी आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे हैं। वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। न्यायालय से भी उनके चरणबद्ध नियमितीकरण का आदेश हो चुका है। उन्हें नियमित करने पर विचार होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। हिमाचल में लागू नियमावली को मंगाया गया है। नियमावली का अध्ययन करने के बाद सरकार नियमावली का प्रस्ताव तैयार करके कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करेगी। दोनों विधायकों ने उपनल कर्मियों का वेतन बढ़ाये जाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपनल की महिला कार्मिकों को (सीसीएल) बाल्य देखभाल अवकाश तथा पितृत्व अवकाश देने का अनुरोध किया। 
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को उन उपनल कर्मचारियों के नामों की सूची भी सौंपी, जिन्हें नौकरियों से हटाया गया है। सीएस ओम प्रकाश ने आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार के शासनादेश के तहत हटाए गए उपनल कर्मचारियों को वापस लिया जा रहा है।
वहीं, प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव सैनिक कल्याण राधा रतूड़ी से भी मुलाकात की। उनसे शिकायत की गई कि 10 अगस्त के आदेश के बाद भी विभाग हटाए गए कर्मचारियों की बहाली नहीं कर रहे हैं। एसीएस ने कहा कि शासनादेश का कड़ाई से पालन कराने को लेकर जल्द ही विभागाध्यक्ष को एक पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों ने एसीएस को उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति उपलब्ध कराई। 

ब्याज दरों में और कटौती के मिले संकेत, गर्वनर बोले हमारे तरकश में कई तीर

भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिये है। वहीं, कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जारी रखने का अप्रत्यक्ष रुप से दावा भी किया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि, चाहे दर में कटौती हो या फिर अन्य नीतिगत कदम, हमारे तरकश के तीर अभी खत्म नहीं हुए हैं।
बता दें कि आरबीआई ने छह अगस्त को जारी नीतिगत समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल रेपो दर चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले दिनों घोषित राहत उपायों के बारे में दास ने कहा, किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा। 
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में एक कदम है। दास ने कहा, बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी महत्वपूर्ण है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।
वहीं, लॉकडाउन के दौरान आम जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए। इन्हीं में से एक है लोन मोरेटोरियम यानी लोन स्थगन की सुविधा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लोन मोरेटोरियम की सुविधा एक अस्थायी समाधान था। ऋण समाधान ढांचे से कोविड-19 संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है।
कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से आरबीआई की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही है। आरबीआई द्वारा किए गए उपायों का उद्देश्य कोविड-19 की कठिन स्थिति से निपटना है और यह स्पष्ट रूप से स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि महामारी के रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। वित्तीय क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। दास ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा। कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है।

एकल खिड़की सिस्टम, कई योजनाओं को मिलेगा आकार

मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिये विभिन्न विभागों से वांछित स्वीकृतियों, अनुज्ञापनों, व अनुज्ञायें प्राप्त करने के लिये गठित उत्तराखण्ड उद्यम एकल खिड़की सुगमता एवं अनुज्ञापन अधिनियम 2012 के अंतर्गत राज्य प्राधिकृत समिति की बैठक आयोजित हुई।
बैठक में 12.936 करोड़ लागत के मैसर्स बागनाथ पावर प्रा0 लि0 सोलर पावर परियोजना लागत 12.936 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। इस स्वीकृत प्रोजेक्ट में 13 लोगों को सेवायोजन प्राप्त होगा। इसी क्रम में पोलट्री हैचरी के 43 करोड़ 71 लाख लागत के भगवानपुर हरिद्वार प्रोजेक्ट को स्वीकृत दी गई, जिसमें 68 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
इसी क्रम में मेगा इन्डस्ट्रियल एण्ड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी 2015 एण्ड मेगा टेक्सटाईल पार्क पॉलिसी 2014 के तहत मैसर्स बालाजी एक्शन बुल्डवेल द्वारा प्रस्तावित अक्टूबर 2018 से मार्च 2020 तक के विद्युत बिलों के छूट के प्रस्तावों पर स्टेट लेवल कमेटी के अनुमोदन के आधार पर मुख्य सचिव द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई, तथा ब्याज अनुदान की राशि 10 लाख 86 हजार 816 रूपये छूट की स्वीकृति दी गई।
मैसर्स गलवालिया इस्पात उद्योग प्रा0लि0 को अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक की अवधि के विद्युत बिल के छूट के प्रस्ताव पर स्टेट लेवल कमेटी के अनुमोदन के आधार पर मुख्य सचिव द्वारा स्वीकृति दी गई। इसी क्रम में मैसर्स फुटवियर को 18 लाख 4 हजार 968 रूपये की स्टांप डयूटी की अदायगी मैसर्स नीटछेम लाईफसाइन्स को 40 लाख 28 हजार 719 धनराशि की स्टाम्प डयूटी अदायगी, मैसर्स अल्टीमेट फ्लेक्सी को अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक की अवधि के विद्युत बिल की छूट स्टेट लेवल कमेटी की संस्तुति पर विद्युत बिल में छूट तथा 2 लाख 31 हजार का ब्याज अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई। इसी क्रम में मैसर्स पारले एग्रो प्रा0लि0 का ब्याज अनुदान स्वीकृत किया गया। मैसर्स सिवान्ता स्पूनटैक्स प्रा. लि. को अक्टूबर 19 से मार्च 2020 तक की अवधि के विद्युत बिल की स्टेट लेवल कमेटी के अनुमोदन के आधार पर स्वीकृत दी गई।
काशीपुर में मैसर्स ऊषा एलुमिनियम प्रा0 लि0 उद्योग लागत 22.40 करोड़ के प्रस्ताव, 24 करोड़ लागत के मैसर्स कार्बेट द आईकन स्पा एण्ड रिजोर्ट के प्रस्तुत प्रस्तावों को आगामी बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये।
एक अन्य परियोजना नैनबाग टिहरी में 3 मेगावाट क्षमता के मैसर्स रैसून एनर्जी प्रा0 लि0 के सोलर एनर्जी पावर जनरेशन के 12 करोड़ 45 लाख के प्रोजेक्ट तथा काशीपुर के 360 करोड़ के मैसर्स बेहल पेपर्स मिल लि0 के प्रस्ताव को तथा बाजपुर में मैसर्स मौनार्ड इण्डस्ट्रीज के प्रस्ताव को शीघ्र आगामी बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभागों को उद्योगों इकाई की स्थापना में अपने विभाग से संबंधित आपत्तियों को शीघ्र निराकरण के निर्देश दिये।
बैठक में प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सचिव राजस्व सुशील कुमार, एमडी सिडकुल एस. मुरूगेशन, अपर सचिव उर्जा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी तथा निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, उपनिदेशक पल्लवी जोशी सहित सम्बन्धित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।