आदेश जारी, बायोमेट्रिक और प्रति सेमेस्टर में 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य

10 जुलाई को जारी पब्लिक नोटिस के बाद राज्य में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने अपने सभी 24 निजी और आठ सरकारी सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। विवि के कुलपति डॉ. यूएस रावत ने बताया कि विवि से संबद्ध बीएड और एमएड संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि चालू शिक्षा सत्र से बायोमेट्रिक उपस्थिति शुरू कर इसकी रिपोर्ट विवि को प्रेषित करना सुनिश्चित करें। उधर, डीएवी पीजी कॉलेज में भी चालू शिक्षा सत्र से बीएड के विद्यार्थियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के कड़े नियमों के बाद शासन के निर्देशानुसार कॉलेज के बीएड विभाग के विद्यार्थियों के लिए प्रतिदिन बायोमेट्रिक उपस्थिति और प्रति सेमेस्टर में 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य होगी। जिसके लिए इसी सत्र से बीएड बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होने जा रही है। उन्होंने बताया कि कॉलेज के विधि संकाय में भी बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य रूप से लागू कर दी गई है। मॉनिटरिंग कमेटी गठित एनसीटीई ने इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया है, जो समय-समय बीएड कॉलेजों से छात्रों और शिक्षकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति का ब्योरा तलब करेगी। प्रतिवर्ष दस हजार छात्र करते हैं बीएड प्रदेश के सरकारी सेल्फ फाइनेंस और निजी बीएड कॉलेजों की संख्या 112 है। जिसमें प्रतिवर्ष 10100 छात्र-छात्राएं दो वर्षीय पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेते हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सभी बीएड कॉलेज को 10 अगस्त तक बायोमेट्रिक उपस्थिति की स्टेटस रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे।
श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ. यूएस रावत का कहना है कि नियमों की अनदेखी और लापरवाही बरतने वाले संस्थानों की सेक्शन 17 ऑफ द एनसीटीई एक्ट 1993 के अनुसार मान्यता तक समाप्त की जा सकती है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियमों का शत फीसद पालन किया जा रहा है। विवि से संबद्ध निजी और सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों में इसी सत्र से बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य रूप से शुरू करने को लेकर निर्देशित किया गया है। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सार्थक पहल है।
वहीं, डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना का कहना है कि डीएवी पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद और शासन के निर्देशानुसार चालू सत्र से बीएड के साथ-साथ विधि संकाय में भी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रारंभ कर दी गई है। इसका पालन करना अनिवार्य है। जिस छात्र की एक सेमेस्टर में उपस्थिति 75 फीसद से कम रही उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।

छात्रों को अब प्रवेश में नही आयेगी दिक्कत, सरकार ने बढ़ाई सीटें

सरकारी महाविद्यालयों में प्रवेश को लेकर अकसर मारामारी रहती है। इससे परेशान छात्र-छात्राओं को उत्तराखंड सरकार ने बड़ी राहत प्रदान की है। प्रदेश के 17 राजकीय महाविद्यालयों में 10 फीसद सीटें बढ़ाने को सरकार ने हरी झंडी दे दी। इस संबंध में उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिए है।
सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण देने के चलते राज्य के सभी 105 महाविद्यालयों में 10 फीसद सीटें नहीं बढ़ाई हैं। बीते 19 अगस्त को विधानसभा में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई विभागीय बैठक में उन महाविद्यालयों को चिह्नित किया गया, जहां प्रवेश को लेकर अधिक दबाव था। कॉलेजों में आवश्यकता को देखते हुए ही 10 फीसद कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित सीटों को बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। यह भी बताया गया कि हर कॉलेज में दाखिले को लेकर मारामारी की स्थिति नहीं है। साथ ही कुलपति और शिक्षा निदेशक की सहमति के बाद अतिरिक्त सीट की वृद्धि की छूट देने का निर्णय भी लिया गया। इससे पहले प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक ने बीती 17 अगस्त को इस संबंध में प्रस्ताव शासन को भेजा था।
अब शासनादेश जारी कर 17 कॉलेजों में गोपेश्वर, लोहाघाट, टनकपुर, पाटी, चंपावत, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, गरुड़, बागेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, खटीमा, बाजपुर, रामनगर, मंगलौर, ऋषिकेश में 10 फीसद सीटें बढ़ाई गई हैं। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन का कहना है कि उक्त कॉलेज 10 फीसद से अधिक सीट वृद्धि चाहते हैं तो उच्च शिक्षा निदेशक और संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति से सामंजस्य स्थापित कर और उनकी सहमति से अधिकतम 20 फीसद सीमा तक सीटों में इजाफा कर सकेंगे।

उत्तराखंड में कौशल विकास से मिलेंगे रोजगार के अवसर
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थान व विश्वविद्यालयों में कौशल विकास (स्किल्ड डेवलपमेंट) केंद्र खोलने के प्रति सरकार गंभीर है, ताकि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें। केंद्र सरकार ने कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय खोला है, जिसका उत्तराखंड अधिक से अधिक लाभ अर्जित करेगा। यह बात उन्होंने उत्तराखंड तकनीकी विवि (यूटीयू) में कौशल विकास पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।
यूटीयू में टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआइपी-3) के अंतर्गत देश के युवाओं के कौशल को रणनीति एवं अभ्यास से बदलना विषय पर यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश और देश ही नहीं वैश्विक स्तर पर कौशल विकास कितना महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में केंद्र में कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया। इसका लाभ देशभर के राज्यों के लाखों युवाओं को मिल रहा है। कौशल विकास विवि, डिग्री कॉलेज, पॉलीटेक्निक, आइटीआइ, जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित कौशल विकास केंद्र पर संचालित किया जा रहा है। जिसमें दर्जनों तकनीकी विषयों में युवाओं को पुस्तक अध्ययन के अलावा ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसके बाद हजारों युवा सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

अब वैदिक शिक्षा बोर्ड से पढ़ाई करते नजर आएंगे बच्चे, अगले सत्र से लागू

देश का पहला वैदिक शिक्षा बोर्ड तैयार हो चुका हैं। इसके लिए पाठ्यक्रम भी बनकर तैयार हो चुका हैं। योग गुरू बाबा रामदेव वैदिक शिक्षा बोर्ड के आजीवन अध्यक्ष रहेंगे। अगले वर्ष से यह बोर्ड लागू किया जाएगा। यह बोर्ड सीबीएसई की तर्ज पर होगा।

बोर्ड से जुड़े विद्यालयों में प्राच्य और आधुनिक शिक्षा समान रूप से दी जाएगी। बाबा रामदेव पहले ही प्राचीन और अर्वाचीन शिक्षा पद्धति देने के लिए आठवीं कक्षा तक के लिए आचार्यकुलम की स्थापना कर चुके हैं।

पहले योजना थी कि इसी आचार्यकुलम को बड़ी कक्षाओं तक आगे बढ़ाया जाएगा। बाद में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने देश के अनेक शिक्षाविदों के साथ बैठक कर भारतीय वैदिक शिक्षा बोर्ड का ढांचा तैयार किया।

इस बोर्ड का मुख्यालय फिलहाल पतंजलि योगपीठ में चल रहा है। शीघ्र ही इस बोर्ड का कार्य संचालन देश की राजधानी दिल्ली से किया जाएगा। वैदिक शिक्षा बोर्ड देश का एकमात्र ऐसा बोर्ड होगा, जो अपने से जुड़े विद्यालयों में वेदों की शिक्षा भी देगा।

साथ ही धनुर विद्या जैसे अनेक प्राचीन अवमान बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं। इस समय सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित जितने भी पाठ्यक्रम मान्य हैं, वे सभी विषय वैदिक शिक्षा बोर्ड में समाहित कर लिए जाएंगे।

पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि देश का पहला बोर्ड अब पूर्णरूप से कार्य करने के लिए तैयार है। प्राचीन शिक्षा के जो विषय जोड़े जाएंगे, उनका पाठ्यक्रम बन चुका है।

विश्वास दिलाया कि इस बोर्ड की शिक्षा पद्धति से निकले छात्र विश्व स्तर की किसी भी शैक्षणिक प्रतियोगिता में भाग लेने के अधिकारी बनेंगे। वैदिक शिक्षा बोर्ड के छात्र इंटर के बाद जिस भी क्षेत्र में जाना चाहेंगे उन्हें प्रवेश हासिल होगा।

इंद्रमणि बडोनी चौक का मेयर अनिता ने किया शुभारंभ

रविवार से ऋषिकेश का सबसे बड़ा नटराज चौक अब इंद्रमणि बडोनी चौक नाम से इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया। मेयर अनिता ममगाईं ने इसे नगर निगम के अभिलेख में भी दर्ज करा लिया।
मेयर अनिता ममगाईं सहित क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल दमाउ की थाप के बीच वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत रूप से स्व. इंद्रमणि बडोनी की 10 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।

हालांकि इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों से प्रतिमा का अनावरण किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं पहुंच सके। कार्यक्रम के लिए तेज बारिश में भी लोगों में गजब का उत्साह बना रहा। इसके बाद नटराज होटल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मेयर अनिता ममगाईं ने कहा कि तीर्थनगरी के इस चौक का राज्य आंदोलन अपना स्थान रहा है। स्व. इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा के लिए इससे उपयुक्त स्थान न होता।

बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बना लद्दाख

भारत सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाकर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया है। इसी के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है।

गौरतलब है कि पिछले 70 सालों से लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग करते रहे थे। लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, मगर, यहां विधानसभा नहीं होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वहां के लोग काफी लंबे समय से इसे अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे थे।

लद्दाख की खुबियां
लद्दाख बेहद खूबसूरत है और हर साल देशभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। इसे ठंडा मरूस्थल भी कहते हैं। खासतौर पर मोटरसाइकिलों पर सवार युवा यहां के स्पेशल टूर बनाते हैं। यह उत्तर में कराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच स्थित है। लद्दाख के उत्तर में पड़ोसी देश चीन और पूर्व में चीन के कब्जे वाले तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं। यह सीमावर्ती इलाका है और इस दृष्टि से इसका सामरिक महत्व भी खास है। लद्दाख समुद्र तल से 9842 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लद्दाख की राजधानी और प्रमुख शहर लेह है। लेह के उत्तर में कराकोरम दर्रा है।

जम्मू कश्मीर में फहरेगा तिरंगा, अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने किया खत्म

सोमवार को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ ही राज्यसभा में राज्य पुनगर्ठन बिल के जरिए सूबे को दो हिस्सों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट कर इन्हें केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव रखा है। इनमें जम्मू कश्मीर को विधायिका शक्ति वाला तो लद्दाख को बिना विधायिका शक्ति वाला केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव है।

बिल पर राज्यसभा ने सोमवार को ही मुहर लगा दी है। अब मंगलवार को लोकसभा में बिल पर मुहर लगते ही जम्मू कश्मीर न सिर्फ विशेष राज्य का दर्जा खो देगा, बल्कि पूर्ण राज्य के रूप में इसका अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा। सोमवार को जब गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370(1) में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए इस अनुच्छेद के अन्य सभी खंडों को निरस्त करने का संकल्प पेश किया तो पूरा सदन हक्का बक्का रह गया।

इसके साथ ही जब शाह ने राज्य पुनगर्ठन बिल के जरिए राज्य को दो हिस्सों में बांटने, पूर्ण राज्य की जगह इन्हें केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने संबंधी प्रस्ताव रखा तो सदन में एकबारगी भूचाल आ गया। शाह ने संकल्प और बिल पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 में समय समय में संशोधन होता रहा है। अब जरूरी है कि राज्य से आतंकवाद के खात्मे और विकास के लिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

ये होंगे महत्वपूर्ण बदलाव
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लागू होगी भारतीय दंड संहिता
राज्य का अपना अलग संविधान खत्म
राज्य का अलग झंडा भी नहीं रहेगा
छह साल की जगह अन्य राज्यों की तरह 5 साल का होगा विधानसभा का कार्यकाल
पूर्ण राज्य और विशेष राज्य का दर्जा होगा खत्म
दो नए केंद्रशासित प्रदेशों का होगा उदय
पूर्ण राज्य की संख्या 29 से घट कर होगी 28
चंडीगढ़ की तरह बिना विधायिका शक्ति वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा लद्दाख

इन्होंने किया समर्थन
राज्य पुनगर्ठन बिल का राजग के इतर बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया।

इन्होंने किया वाकआउट
कांग्रेस, डीएमके ने किया विरोध तो सहयोगी जदयू, सपा ने किया वाकआउट।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने किया संगंध पौध केंद्र के लोगो का विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में कृषि एवं उद्यान विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कृषि एवं उद्यान विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि सीएम डेशबोर्ड के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में विभागों को प्रतिमाह जो लक्ष्य मिला है, वह लक्ष्य पूर्ण किया जाय। इसके लिए संबधित विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना जरूरी है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए हर संभव प्रयास किये जायें। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संगंध पौध केन्द्र के लोगो का विमोचन भी किया।

कृषि विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों को जो मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा रहे हैं, उनका सही इस्तेमाल हो। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में इस बात का विशेष ध्यान दिया जाय कि किसानों को इसका लाभ हो। यह सुनिश्चित किया जाय कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा के लिए जो क्लेम हो रहें हैं, उनका भुगतान जल्द हो। लघु व सीमांत कृषकों तक कृषि यंत्रों की पहुंच हो, इसके लिए फार्म मशीनरी बैंक की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि एकीकृत कृषि को बढ़ावा दिया जाय। परम्परागत फसलों मण्डुवा, सॉवा, रामदाना, गहत के उत्पादन में कैसे वृद्धि की जा सकती है, इसके लिए प्रयास किये जाये। कृषकों को इसके लिए प्रोत्साहित भी किया जाय। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण की जानकारी भी ली।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका भी आकलन किया जाए कि जमीनी स्तर पर कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धता क्या रही उन्होंने उद्यान विभाग में रिक्त पदों को भरने से पूर्व कृषि एवं उद्यान विभाग में कुल पदों की स्थिति की जानकारी करने के बाद सरप्लस पदों पर भर्ती की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत लगभग 85 प्रतिशत लाभार्थियों का पंजीकरण किया जा चुका है। परम्परागत कृषि योजना के तहत सभी 3900 कलस्टरों में कार्य शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत इस वर्ष 69641 के क्लेम का भुगतान किया गया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 5.50 लाख कृषकों को 165.97 करोड़ रूपये का वितरण किया जा चुका है।

उद्यान विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि रेशम के उत्पादन व इससे बनने वाले उत्पादों के लिए ग्रोथ सेंटर विकसित किया जाए। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। कृषकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सचल दलों को मजबूत करना जरूरी है। कृषि व बागवानी को वन्यजीवों के नुकसान से बचाने के लिए कारगर उपाय तलाशे जाय। सगन्ध उत्पादों, औषधीय व औधनिक फसलों के उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि के प्रयास किये जाय।

उत्तर प्रदेश हायर ज्यूडिशिल सर्विसेज में ऋषिकेश की महिला का चयन

दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र के हर पड़ाव पर सफलता हासिल की जा सकती है। तीर्थनगरी की 39 वर्षीय कल्पना पांडेय ने इस बात को साकार कर दिखाया है। उन्होंने शादीशुदा जीवन व्यतीत करते हुए न सिर्फ वकालत की पढ़ाई की बल्कि उत्तर प्रदेश हायर ज्यूडिशिल सर्विसेज (यूपीएचजेएस) की परीक्षा पास की है। फैजाबाद की मूल निवासी कल्पना पांडेय की शादी 1998 में ऋषिकेश आईडीपीएल निवासी आशीष पांडेय के साथ हुई थी। शादी के वक्त कल्पना सिर्फ 12वीं पास थी।
शादी के बाद कल्पना ने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई ऋषिकेश पीजी कॉलेज से की। उनके दो बच्चे हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए उन्होंने डीएवी कॉलेज देहरादून से एलएलबी और एलएलएम की परीक्षा हरिद्वार से पास की। वर्ष 2012 में वह सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) के पद पर तैनात हुईं। इतना हासिल करने के बाद भी उनके पैर यहीं नहीं थमे और उन्होंने जज बनने की ठानी। मेहनत और लगन रंग लाई। उन्होंने यूपीएचजेएस की परीक्षा में दो बार के प्रयास से सफलता हासिल की।

अधिकत्तर केसों में मिली सफलता
बतौर सरकारी अधिवक्ता कल्पना पांडेय की पहली ज्वाइनिंग देहरादून कोर्ट में हुई। वर्तमान में वह हरिद्वार कोर्ट में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अभी तक उनका 92 प्रतिशत केसों में सफलता प्राप्त करने का रिकॉर्ड है। एलएलबी और एलएलएम के बाद जज बनने का ख्वाब रखने वाले अधिवक्ताओं के लिए कल्पना पांडेय कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान धैर्य बनाए रखना आवश्यक है। यदि धैर्य का अभाव है तो आपके अंदर कितनी भी प्रतिभा हो, व्यर्थ रह जाएगी। किसी भी परीक्षा में सफलता अर्जित करने के लिए निरंतर पढ़ाई करें, सदैव अपडेट रहें।

लंबित मुकदमों निस्तारण प्राथमिकता
एडीजे कल्पना पांडेय ने बताया कि उनकी हमेशा से प्राथमिकता रही है कि सही और न्याय समय पर मिल सके। एडीजे के पद पर नियुक्त होते ही उनका यह उद्देश्य रहेगा कि लंबित पड़े वादों को जल्द निपटाऊं। उन्होंने कहा कि लोगों में न्यायालय के प्रति विश्वास बना रहे, इस बात को ध्यान में रखकर काम में तीव्रता लाते हुए काम करूंगी।

टूटते तारें देखने हैं तो आज रात मिल रहा मौका, जानिए कैसे

अगर आज मौसम साफ रहा तो आप पूरी रात टूटते तारों को देख सकेंगे। रविवार की रात डेल्टा एक्वेरिड उल्कापात का शानदार नजारा देखने को मिल सकता है। खगोल वैज्ञानिकों की मानें तो आज की रात उल्कापात चरम पर रहेगा जो रात 12 बजे से सुबह तक नजर आएगा।
खगोल वैज्ञानिकों द्वारा बताया जा रहा है कि इन दिनों अमावस्या निकट होने के कारण चांद की रोशनी बहुत कम हो रही है। ऐसे में यह उल्कापात अधिक साफ और चमकदार नजर आएगा। उल्कापात एक्वेरिड नक्षत्र की दिशा से आता नजर आएगा। इसमें मार्सडेन और क्रैच धूमकेतुओं के कण वायुमंडल में प्रवेश के बाद घर्षण से प्रज्ज्वलित होकर उल्कापात का नजारा प्रस्तुत करेंगे।
आर्यभट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के पूर्व निदेशक और खगोल वैज्ञानिक डॉ. अनिल पांडे ने बताया कि यह उल्कापात 12 जुलाई से शुरू हो चुका है जो 23 अगस्त तक चलेगा। लेकिन 28 जुलाई की रात यह अपने चरम पर होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दिनों परसीड उल्कापात भी चल रहा है जिसकी अवधि 17 जुलाई से 24 अगस्त तक है। यह 12 अगस्त को चरम पर रहेगा, लेकिन उन दिनों पूर्णिमा का समय होने के कारण साफ नजर नहीं आ सकेगा।

राज्य के 208 लोगों को मुख्यमंत्री ने सौंपे 148.85 मेगावाट की परियोजना के आवंटन पत्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हॉल में राज्य के 208 स्थानीय उद्यमियों को 600 करोड़ की 148.85 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के आंवटन पत्र वितरित किये। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही 200 करोड़ की 52 मेगावाट की अन्य परियोजनायें भी स्थानीय विकासकर्ताओं को आवंटित की जायेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है। इस प्रकार वे हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले भी बने हैं, उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से प्रति उद्यमी को औसतन 66.5 लाख की वार्षिक आय होगी, जबकि लगभग 850 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के प्रति लोगों में उत्साह देखा गया था। राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिये इन्वेस्टर्स समिट से पूर्व एक माह में 5 कैबिनेट बैठकें आयोजित कर 5 नीतियों में संशोधन के साथ ही 10 उद्योगों के अनुकूल नीतियाँ बनायी गई, जिसके सार्थक परिणाम आने लगे हैं। इसके तहत अब तक राज्य में लगभग 16,000 करोड़ से अधिक निवेश प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के विकास से हम राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अभी राज्य को 1000 करोड़ की बिजली क्रय करनी पड़ रही है। राज्य में पिरूल से ऊर्जा उत्पादन की दिशा में कार्य शुरू हो गया है। इस दिशा में 21 विकासकर्ताओं को योजनायें आवंटित की जा चुकी हैं।

मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा की परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी को भी सुखद बताया है। उनका कहना है कि हमारी शिक्षित महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना राज्य व समाज के हित में है। राज्य की महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में हो इसके प्रयास किये जा रहे हैं।

आवंटित की गई सौर ऊर्जा परियोजनाओं के सम्बन्ध में सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड सौर ऊर्जा नीति को संशोधित कर 05 मेगावॉट क्षमता के सोलर पावर प्लान्ट्स की स्थापना, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रदेश के मूलध्स्थायी निवासियों हेतु ही आरक्षित कर दी गयी थी। साथ ही पारम्परिक एवं नवीकरणीय तरीकों से ऊर्जा उत्पादन को उद्योग की श्रेणी में सम्मिलित करते हुये, इन परियोजनाओं के लिये उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की श्रेणी में सम्मिलित करते हुये इन परियोजनाओं के लिये उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति-2015 में प्रदत्त समस्त सुविधाएं भी अनुमन्य की गयी थी। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत आमंत्रित निविदा के सापेक्ष उक्त 208 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है।

इस अवसर पर जिन उद्यमियों को परियोजना आवंटन पत्र वितरित किये गये उनमें सीमा कौशिक पेटवाल, स्वपनिल जोशी, प्रियंका चौहान, पारूल गोयल, नीलम रावत, नीता कुमारी, स्वाति गुप्ता, विक्रम सिंह, महेश चन्द्र काण्डपाल, बसन्त बल्लभ कोठियाल, कैलाश चन्द्र भट्ट, जयराज सिंह परमार, प्रशान्त गंगवार सहित अन्य लोग शामिल रहे।