बेनामी संपत्तियों पर जल्द कानून लाने की तैयारी

राज्य सरकार जल्द ही बेनामी सम्पति का कानून लाएगी। बेनामी सम्पति को जब्त करने के लिए कठोर कानून बनाया जायेगा ताकि प्रदेश में कोई भी भ्रष्टाचारी पनप न सके। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को बालावाला स्थित एक स्थानीय फार्म में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि राज्य में जल्दी ही बेनामी सम्पत्ति पर कानून लाकर सभी बेनामी सम्पत्तियों को जब्त किया जाएगा। जब्त बेनामी सम्पत्ति का उपयोग स्कूल, अस्पताल आदि जनहित कार्यों में किया जाएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन एक्ट बनाया था जिसके द्वारा बेनामी लेनदेन एक्ट, 1988 में संशोधन कर इसे और मजबूत बनाया गया। एक्ट के तहत बेनामी लेनदेन पर रोक है और बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सबको मिलकर लङना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्ट्राचार के विरूद्ध हम सब को धर्मयुद्ध की तरह लड़ना होगा। किसी भ्रष्टाचारी को बर्दाश्त नही किया जाएगा चाहे वह कोई भी हो। हमने हमेशा प्रयत्न किया है कि हमारी सरकार अपनी संस्कृति को बढ़ाने वाली, विकास के लिए काम करने वाली तथा भ्रष्ट्राचार मुक्त सरकार हो। आज इस दिशा में हम काफी मजबूती से कार्य कर रहे है, आज हम पूर्ण विश्वास से यह कह सकते हैं कि हमारी सरकार पूर्ण भ्रष्ट्राचार मुक्त है। हमने भ्रष्ट्राचार को मिटाने हेतु कई कदम उठाये हैं। भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। हमने संकल्प लिया है कि हम हर क्षेत्र में भेदभाव रहित तथा भ्रष्ट्राचार मुक्त विकास करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अनेक प्रोजेक्ट के रिवाईज एस्टीमेट बनवाकर करोङो रूपए बचाए।

’डेस्टिनेशन उत्तराखंड के केवल 10 माह में 16 हजार करोड़ का निवेश’
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के मात्र 10 माह में 16 हजार करोड़ रूपए का निवेश आ चुका है। इससे 40 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। राज्य बनने के 17 साल मे 40 हजार करोड़ का निवेश हुआ।वह भी तब जबकि औद्योगिक पैकेज में टैक्स छूट सहित तमाम तरह की सहूलियत दी गई, जबकि हमारी सरकार ने पहली बार डेस्टिनेशन उत्तराखंड का आयोजन किया। नई नीतियां बनाई गई। इसका परिणाम यह हुआ कि केवल 10 माह में 16 हजार करोड़ का निवेश आ चुका है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि विगत दो वर्षों में राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए कई अहम फैसले लिये हैं जिनमें पलायन रोकने, रोजगार उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य एवं पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में विशेष प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि डोईवाला विधान सभा क्षेत्र में हमने अल्प समय में ही सीपैट, कोस्ट गार्ड भर्ती सेण्टर, हर्रावाला में जच्चा-बच्चा, कैंसर मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल का शिलान्यास किया है जिसका आने वाले समय में इस क्षेत्र के साथ ही पूरे प्रदेश को लाभ मिलेगा।

आंबेडर यूनिवर्सिटी के एडमिशन में भारी गिरावट, कटआफ भी गिरी

दिल्ली की आंबेडर यूनिवर्सिटी में शहर के स्टूडेंट्स को मैथमैटिक्स (ऑनर्स) में ऐडमिशन लेना अब आसान हो गया है क्योंकि यहां का कटऑफ 3.25 फीसदी गिर गया है। शुक्रवार को इसकी सेकंड लिस्ट जारी होने के बाद यह बात सामने आई। सिर्फ शहर के ही नहीं शहर के बाहर रहने वाले स्टूडेंट्स को भी 2.5 फीसदी तक कटऑफ गिरने का फायदा मिला है। दूसरी लिस्ट स्टूडेंट्स को राहत देने वाली है क्योंकि पहली लिस्ट का कटऑफ काफी हाई था। कटऑफ नीचे जाने पर आंबेडर यूनिवर्सिटी दिल्ली ने बताया, हम सिर्फ चैंपियन्स की यूनिवर्सिटी नहीं हैं बल्कि सबको लेकर चलना चाहते हैं। हालांकि सॉइकॉलजी ऑनर्स का कटऑफ अभी भी दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए 96.5 फीसदी है और बाहरी स्टूडेंट्स के लिए 97.75 फीसदी है।
दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए बीए सस्टेनेबल अर्बनिज्म में सबसे ज्यादा 6 फीसदी गिरावट देखी गई, इसका कटऑफ अब 79.5 फीसदी हो गया है। यहां तक कि ग्लोबल स्टडी कोर्स में 5 फीसदी गिरावट देखी गई। इसी तरह लॉ कोर्स का कटऑफ भी 4 फीसदी गिरा है। पहली कटऑफ में मैथ्स को छोड़कर सभी ट्रडिशनल कोर्सेज 95 फीसदी से ज्यादा थे। अब सिर्फ साइकॉलजी 95 फीसदी से ऊपर है। एयूडी डीन ऑफ स्टूडेंट्स सर्विसेज के डीन संतोष सिंह ने बताया, एयूडी में हम चाहते हैं कि अलग-अलग तरह के स्टूडेंट्स आएं। जिनके 88 फीसदी नंबर हैं उनको भी लगना चाहिए कि उनके लिए मौका है। क्योंकि हम स्टेट यूनिवर्सिटी हैं इसलिए सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दिल्ली के रहने वाले सभी सेक्शन के लोगों को यहां मौका मिले।
दिल्ली ने दिल्ली में रहने वाले और बाहर रहने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कटऑफ जारी किया है। स्टेट यूनिवर्सिटी होने के नाते एयूडी की 85 फीसदी सीटें दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व हैं। जिनकी फैमिली इनकम 6 लाख से कम है उनको ट्यूशन फीस में भी राहत मिलेगी।

उच्च शिक्षा मंत्री के बयान को ओछी मानसिकता करार दिया

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एलएसएम पीजी कॉलेज पिथौरागढ़ के साथ ही प्रदेश के सभी डिग्री कॉलेजों के स्टूडेंट्स को जरूरत के अनुरूप किताबें उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है। हल्द्वानी में मीडिया से रूबरू मंत्री ने कहा कि जिला मुख्यालय के एक-एक कॉलेज में ई-लाइब्रेरी खोली जाएगी। स्टूडेंट्स देश-दुनिया की किताबें ऑनलाइन पढ़ सकेंगे।
गौलापार उच्च शिक्षा निदेशालय में पत्रकारों ने उच्च शिक्षा राज्य मंत्री से पिथौरागढ़ कॉलेज में चल रहे छात्र आंदोलन पर सवाल पूछा। जवाब में मंत्री ने कहा, पिथौरागढ़ कॉलेज में किताबों की कमी नहीं है। छह हजार छात्रसंख्या वाले कॉलेज में 1.10 लाख किताबें हैं। एक स्टूडेंट्स पर औसतन 18 पुस्तकें हैं। कॉलेज में 102 प्रोफेसर हैं। प्रदेश के किसी कॉलेज में इतने प्रोफेसर नहीं हैं। पुराने पाठ्यक्रम की किताबों पर मंत्री बोले, किताबें कभी पुरानी नहीं होती। मंत्री ने कहा, इसके बावजूद स्टूडेंट्स को और जरूरत महसूस होती है तो किताबें उपलब्ध कराई जाएगी। पिथौरागढ़ कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी खोलने के लिए जितनी राशि की आवश्यकता हुई, 15 अगस्त से पहले दी जाएगी। जरूरत होने पर शिक्षक भी दिए जाएंगे। प्रदेश में छह कॉलेजों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्द भरा जाएगा। कॉलेजों में मैदान, शौचालय, लैब बनवाकर नैक के अनुरूप तैयार किया जाएगा।

वास्तविक स्टूडेंट्स को मिलेंगी किताबें
मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 104 कॉलेज हैं। 57 कॉलेजों में रूसा के माध्यम से पुस्तकें देने समेत अन्य निर्माण कार्य हो रहे हैं। शेष कॉलेजों को 14 अगस्त तक पुस्तकों के लिए बजट दिया जाएगा। उन्होंने कहा, आइ कार्ड, 75 फीसद उपस्थिति वाले स्टूडेंट्स को ही किताबें दी जाएगी। राजनीति के लिए कॉलेज में दाखिला लेने वालों को किताबें नहीं मिलेंगी। गेस्ट फैकल्टी का कार्यकाल बढ़ेगा
मंत्री ने कहा, कॉलेजों में कार्यरत गेस्ट फैकल्टी का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो गया है। इसे 11 माह के लिए बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग से प्रोफेसरों की नियुक्ति जारी है। खाली पदों के भरने तक 25 हजार रुपये मासिक में अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति होंगे। नियुक्ति का अधिकार प्राचार्य को दिया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर रिटायर्ड प्रोफेसर को बुलाया जाएगा।

दाखिले में लागू होगा सवर्ण आरक्षण
मंत्री ने कहा, कॉलेज प्रवेश में दस प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का प्रावधान लागू होगा। जिन कॉलेजों की पहली सूची में सवर्ण आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, वहां बाद में आरक्षण के आधार पर सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

उच्च शिक्षा मंत्री के बयान को बताया ओछी मानसिकता
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के पिथौरागढ़ में छात्रों के आंदोलन की जांच कराने के बयान को ओछी मानसकिता बताया है। गुरुवार को वह गैरसैण जाते समय रामनगर में रुके थे। एक रेस्टोरेंट में पत्रकारों से मुखातिब रावत ने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री को किताबें और शिक्षक की व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन वह आंदोलन को बाहरी बताकर उसमें राजनीति की आशंका जता रहे हैं। यह उच्च शिक्षा मंत्री का ओछा व छोटा बयान है। पूर्व सीएम ने कहा कि गैरसैंण में राजधानी की मांग के लिए धरना दे रहे पैंतीस आंदोलनकारियों पर सरकार ने मुकदमें करा दिए। आंदोलनकारियों ने अपनी गिरफ्तारी दी है। वह भी शुक्रवार को गैरसैंण पहुंचकर आंदोलनकारियों के समर्थन में अपनी गिरफ्तारी देंगे।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी एक दो दिन में गिरफ्तारी देने गैरसैंण जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने कांग्रेस के गैरसैंण एजेंडे को ठप कर दिया। सचिवालय भवन सड़कें व आवासीय भवन का काम बंद है। कांग्रेस ने गैरसैंण में जमीन की खरीद फ रोख्त पर रोक लगाई थी। लेकिन भाजपा सरकार ने यह रोक हटा दी है। कहा कि कांग्रेस को। समस्याओं के लिए संघर्ष व लोंगों से संपर्क जीत दिलाएगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए युवा चेहरा नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। कहा 20 जुलाई तक स्थिति साफ हो जाएगा।

ई वाहन और स्टार्ट अप पर फोकस, आयकर में कोई बदलाव नही

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया। बजट में उन्होंने गरीबों को काफी तोहफे दिए। वहीं अमीरों पर टैक्स की दर बढ़ा दी है। इसके अलावा मध्यम वर्ग के लिए टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि मध्यम वर्ग के घर खरीदने के सपने को सरकार पूरा करेगी। घर खरीदने के लिए कर्ज पर मिलने वाली छूट को दो लाख से बढ़ाकर साढ़े तीन लाख कर दिया गया है। पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा होगा क्योंकि अब इस पर एक-एक रुपये का सेस लगेगा।

सोना, तंबाकू, पेट्रोल-डीजल महंगा
बजट में सोने पर लगे शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। तंबाकू पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। वहीं पेट्रोल-डीजल पर एक-एक रुपये का अतिरिक्त सेस लगाया गया है। जिससे अब वाहन चालकों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी।

जितनी कमाई, उतना टैक्स
मोदी सरकार ने ज्यादा कमाई करने वालों को झटका दिया है। दो करोड़ तक के टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं किया है लेकिन सालाना दो से पांच करोड़ रुपये कमाने वालों को तीन फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा। वहीं पांच करोड़ से ज्यादा की कमाई वालों पर सात प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाया गया है।

ज्यादा पैसे निकालने पर लगेगा टैक्स
यदि कोई शख्स बैंक से एक साल में एक करोड़ से ज्यादा की राशि निकालता है तो उसे दो फीसदी का टीडीएस देना होगा। मतलब एक करोड़ से ज्यादा की राशि निकालने पर आपके खाते से दो लाख रुपये टैक्स के तौर कट जाएंगे।

आधार के जरिए भी दे सकते हैं टैक्स
मोदी सरकार ने आयकर रिटर्न को लेकर बड़ा एलान किया है। रिटर्न भरने के लिए अब पैन कार्ड जरूरी नहीं है। करदाता आधार कार्ड के जरिए भी टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। वित्तमंत्री ने ईमानदार करदाताओं को धन्यवाद दिया।

मध्यम वर्ग को हाउसिंग लोन पर छूट
मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग के अपना घर खरीदने के सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा एलान किया है। अब 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने पर अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपये की छूट मिलेगी। यानी घर के लिए यदि आपने कर्ज लिया है तो आपको साढ़े तीन लाख रुपये की छूट मिलेगी जो पहले दो लाख थी। वहीं इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर ढाई लाख की छूट दी जाएगी।

सरकार लाएगी नए सिक्कों की सीरिज
वित्त मंत्री सीतारमण ने घोषणा की कि विनिवेश के जरिए एक लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। एयर इंडिया में भी विनिवेश किया जाएगा। कर्ज देने वाली कंपनियों को अब सीधे रिजर्व बैंक नियंत्रित करेगा। सरकार एक से 20 रुपये के सिक्कों की नई सीरिज जारी करेगी।

नारी तू नारायणी
वित्त मंत्री ने महिलाओं को नारी तू नारायणी बताते हुए कहा कि उसके बिना देश का विकास नहीं हो सकता है। जनधन महिला खाताधारकों को पांच हजार रुपये ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी जाएगी। महिलाओं के अलग से एक लाख रुपये का मुद्रा लोन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 36 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे हैं जिसके जरिए देश के सालाना 18431 करोड़ रुपये बचते हैं। रेलवे स्टेशनों का बड़े स्तर पर आधुनिकीकरण किया जा रहा है।

कंपनियों को देना होगा 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स
वित्त मंत्री ने कहा कि 400 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। देश की 99 फीसदी कंपनियां इसके अंतर्गत आ जाएंगी। ईलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाली जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच किया जाएगा। स्टार्टअप्स के लिए बड़ी छूट का एलान किया गया है। स्टार्टअप्स को एंजल टैक्स नहीं देना होगा। आयकर विभाग इनकी जांच नहीं करेगा।

एफडीआई को लेकर एलान
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि मीडिया, एविएशन, एनिमेशन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई पर भी विचार किया जा रहा है। अतंरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। हमारी सरकार इस ताकत को और बढ़ाना चाहती है। सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।

छोटे दुकानदारों को मिलेगी पेंशन
मोदी सरकार छोटे दुकानदारों को 60 साल की आयु के बाद पेंशन देगा। वहीं उनके कर्ज को 59 मिनट में मंजूरी देनी होगी। इस योजना का लाभ तीन करोड़ से ज्यादा दुकानदारों को मिलेगा। सरकार सभी को 2022 तक घर देने की योजना बना रही है।

सभी को मिलेगा स्टैंडअप इंडिया का लाभ
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति के उद्यमियों को लाभ मिलेगा। स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए दूरदर्शन पर कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

पांच ट्रिलियन डॉलर की होगी इकोनॉमी
वित्त मंत्री का कहना है कि आगामी पांच सालों में भारत की इकोनॉमी पांच ट्रिलियन डॉलर की होगी। वहीं इसी साल भारत तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी। आगामी वर्षों में सरकार द्वारा और फेसिलिटेशन सेंटर खोले जाएंगे।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार है। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए कई प्रावधान किए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार जल्द ही नई शिक्षा नीति लाएगी। देश में शोध की गुणवत्ता सुधारने और प्रौद्योगिकी समेत अन्य क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया जाएगा।

खेल में करियर
सरकार राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड का गठन करेगी। ताकि जो बच्चे, युवा खेल में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें मदद मिल सके। उच्च शिक्षा और शीर्ष संस्थानों के लिए बजट में 400 करोड़ रुपये खर्च किये जाने का प्रावधान किया गया है। देश में स्किल्ड मैनपावर बढ़ाने के लिए एक करोड़ युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जाएगी। विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए ऑनलाइन कोर्स चलाने पर फोकस किया जाएगा। ताकि दूरस्थ क्षेत्रों में रहने या किसी अन्य कारण से किसी की पढ़ाई न रुके। स्टडी इंडिया रू स्टडी इंडिया प्रोग्राम चलाया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्र-छात्राओं को भारत में पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सके।

रेल इंफ्रा के लिए सरकार खर्च करेगी 50 लाख करोड़ रुपये
भारतीय रेलवे के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पीपीपी मॉडल लाया जाएगा। 12 साल में सरकार रेल इंफ्रा के लिए 50 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। 2019 में मेट्रो की लंबाई बढ़ेगी।

किसान को क्या मिला
10 हजार नए किसान उत्पादक संगठनों का अगले पांच साल में निर्माण किया जाएगा। जीरो बजट खेती पर जोर दिया जाएगा। खेती के बुनियादी तरीकों पर लौटना इसका उद्देश्य है। इसी से किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा होगा।

सफाई और गांवों पर सरकार का जोर
साल 2014 के बाद 9.6 करोड़ शौचालय का निर्माण किया गया है। 5.6 लाख गांव आज देश में खुले से शौच से मुक्त हो गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के विस्तार के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

बीएड के नए कॉलेजों की एनओसी पर लगी रोक

प्रदेश में बीएड डिग्रीधारक बेरोजगारों की संख्या में दिनोदिन बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के चार वर्षीय नए पाठ्यक्रमों की एनओसी पर सरकार ने रोक लगा दी है। इसके कारण यहां का कोई भी कॉलेज अब इन नए पाठ्यक्रमों की मान्यता नहीं ले पाएगा।

प्रदेश सरकार ने करीब छह साल पहले बीएड के नए कॉलेजों की एनओसी पर रोक लगाई थी। इसकी सूचना एनसीटीई को भी भेज दी थी। इसके बाद डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) के निजी या सरकारी कॉलेजों में संचालन पर भी सरकार ने रोक लगाते हुए केवल डायट में यह पाठ्यक्रम शुरू किए थे।

अब एनसीटीई के नए इंटीग्रेटिड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) के पाठ्यक्रमों की एनओसी पर भी रोक लगा दी है। इस रोक के पीछे प्रदेश में बीएड डिग्रीधारक बेरोजगार युवाओं की भारी संख्या को बताया गया है। सरकार का तर्क है कि प्रदेश में बेरोजगार बीएड डिग्रीधारकों की संख्या बढ़ने के बाद वह आंदोलन करते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था भी खराब होती है।

क्या है आईटीईपी

एनसीटीई ने हाल ही में चार वर्षीय इंटीग्रेटिड आईटीईपी लांच किए हैं। इनमें दाखिले के लिए 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता रखी गई है। इनमें एक कोर्स प्राथमिक और दूसरा कोर्स माध्यमिक में शिक्षण के लिए होगा।

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के कुलपति डा. उदय सिंह रावत का कहना है कि एनसीटीई के इंटीग्रेटिड पाठ्यक्रमों की मान्यता के लिए शासनस्तर से एनओसी दी जाती है। शासन ने फिलहाल अग्रिम आदेशों तक इसकी एनओसी देने पर रोक लगाई हुई है। इसकी सूचना विवि को भी भेज दी गई है।

वहीं, उच्च शिक्षा सचिव अशोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में बीएड डिग्रीधारक बेरोजगारों की बड़ी संख्या है। इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं अब काफी कम हैं। लिहाजा, इस बढ़ती छात्र संख्या पर लगाम लगाने के लिए एनओसी रोकी जानी जरूरी है।

खुशखबरीः रिक्त पदों पर 10 जुलाई तक विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा निदेशालय समेत प्रदेश के पांच सरकारी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों व अन्य कार्मिकों के एक हजार पदों की भर्ती की जाएगी। सरकार ने सभी कुलपतियों को 10 जुलाई तक रिक्त पदों की विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं।
इन नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। दून विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विवि, आवासीय विवि में बंपर नौकरियां खुलने वाली है। इन विश्वविद्यालयों में शत प्रतिशत फैकल्टी और स्टाफ नियुक्ति करने के लिए सरकार ने सभी कुलपतियों को रिक्त पदों की विज्ञप्ति 10 जुलाई तक जारी करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं उच्च शिक्षा निदेशालय में भी लेखाकार, क्लर्क समेत अन्य कार्मिकों के 186 पदों की भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाएगी। नेट क्वालीफाई और पीएचडी धारकों को असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों पर प्राथमिकता मिलेगी।
वहीं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा निदेशालय में सैकड़ों पर पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए कुलपतियों को 10 जुलाई तक विज्ञप्ति निकालने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार इस साल को रोजगार वर्ष के रूप में मना रही है। विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों से उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को नौकरी का अवसर मिलेगा। साथ ही विश्वविद्यालयों में शत प्रतिशत फैकल्टी होगी।

संस्कृत भाषा को नए आयाम दिलाने के लिए और प्रयास करने होंगेः निशंक

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्रीय भाषायी संस्थानों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। डॉ. निशंक ने संस्कृत, हिंदी, उर्दू, सिन्धी, तमिल सहित भारतीय भाषाओं के लिए समर्पित संस्थानों को अधिक सशक्त बनाने पर बल दिया। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी मौजूद रहे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं को सशक्त करना हमारा लक्ष्य है इसके लिए रिक्त पदों को शीघ्रातिशीघ्र भरना हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। मंत्री जी निर्देश दिया कि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ केंद्रीय भाषायी संस्थानों के प्रमुखों की लगातार समीक्षा बैठक होती रहनी चाहिए जिससे भारतीय भाषाओं के विकास को लगातार गति मिल सके।
डॉ. निशंक ने कहा कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक प्रशिक्षित संस्कृत अध्यापकों की संख्या को बढ़ावा देने का लक्ष्य होना चाहिए ताकि संस्कृत भाषा को नया आयाम मिल सके। इसके माध्यम से हम दुनिया तक संस्कृत को पंहुचा सकते हैं। डॉ. निशंक ने संस्कृत पर विशेष बल देते हुए कहा कि संस्कृत संस्थानों को अपने आस पास कम से कम दो गांवों को संस्कृत भाषी बनाने का लक्ष्य रखना चाहिये।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं के विकास के बारे में नए तरीके से सोचने की आवश्यकता है। भारतीय भाषाओं मे नए शोध की आवश्यकता है साथ ही साथ इन्हें वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान किये जाने की भी आवश्यकता है जिससे ये भाषाएँ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी पहचान बना सके। डॉ. निशंक ने कहा कि भारतीय भाषाओं के सहित्य को एक दूसरी भाषा में अनुवाद होना चाहिए ताकि सभी को श्रेष्ठ साहित्य उपलब्ध हो सके और राज्यों में आपसी तालमेल स्थापित हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि हिंदी प्रचारिणी सभाओं और स्थानीय भाषाओं के बीच में बेहतर समन्वय से सभी भारतीय भाषाओं का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री ने आने वाले वर्षों में एक भाषा भवन के निर्माण का लक्ष्य रखा जिसमे सभी भारतीय भाषाओं को संवर्धित करने वाले विभागों को एक साथ लाया जायेगा जिससे सभी भारतीय भाषाओं में बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकेगा।

इस शैक्षणिक सत्र से निजी स्कूलों ने अधिक फीस वसूली तो दंड का भी होगा प्रावधान

राज्य के निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए सरकार ने उत्तराखंड सेल्फ फाईनेंस्ड इंडिपेंडेंट स्कूल (रेग्युलेशन ऑफ फीस) एक्ट तैयार कर लिया है। इसके तहत राज्य सरकार प्री-प्राइमरी से लेकर सीनियर सेंकेंडरी की कक्षाओं का अधिकतम शुल्क निर्धारित होगा। हर जिले में फीस निर्धारण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में छह सदस्य समिति बनाई जाएगी। यह समिति फीस को लेकर स्कूलों की आपत्तियों का निस्तारण करेगी। इस समिति का कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा। इसके निर्णयों के विरुद्ध राज्य स्तरीय अपीलीय प्राधिकरण में जा सकता है। छह सदस्य प्राधिकरण सचिव विद्यालयी शिक्षा की अध्यक्षता में गठित किया जाएगा। इस एक्ट में अधिक फीस वसूलने की शिकायत पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। इस एक्ट को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा मंत्री ने सभी से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके बाद इसे अमली जामा पहनाते हुए कैबिनेट में लाया जाएगा।

सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बुधवार को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में फीस एक्ट के संबंध में अधिकारियों के साथ चर्चा की। फीस एक्ट के संबंध में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री ने बताया कि फीस एक्ट को अगले शैक्षणिक सत्र से लागू कराने की तैयारी है। इसके लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इसके तहत स्कूलों में फीस का निर्धारण सरकार करेगी। जो भी विद्यालय इससे असहमत होंगे वे सत्र प्रारंभ होने से तीन माह पूर्व तक शुल्क निर्धारण के संबंध में अपना प्रत्यावेदन जनपद स्तर पर गठित फीस नियंत्रण समिति को देंगे। यह समिति आवेदन प्राप्त होने के बाद शुल्क का पुनर्निर्धारण करेगी। समिति अनियमितताओं की शिकायत का भी निस्तारण करेगी। जनपद स्तरीय समिति के निर्णय के विरुद्ध राज्य स्तरीय विनियामक प्राधिकरण में अपील दायर की जा सकेगी। यह प्राधिकरण एक सप्ताह के भीतर प्रकरण को निस्तारित करेंगे। सत्र शुरू होने से पहले सभी स्कूल अपनी फीस का विवरण वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से प्रकाशित करेंगे।

इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस
– कोई भी स्कूल एडवांस के रूप में फीस की वसूली नहीं कर सकेंगे।

– कोई भी स्कूल अपने परिसर में व्यावसायिक गतिविधि नहीं करेंगे यानी ड्रेस और किताब कॉपी नहीं बेच सकेंगे।

– कोई भी स्कूल बिना जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के ड्रेस में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे।

दंड का प्रावधान

एक्ट में अधिक फीस वसूले जाने की स्थिति में दंड का भी प्रावधान किया गया है। इसके तहत पहली बार शिकायत सही पाए जाने पर एक लाख रुपये, दूसरी बार शिकायत सही पाए जाने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी बार शिकायत सही पाए जाने पर मान्यता समाप्ति अथवा अनापत्ति वापस लेने की कार्यवाही की जाएगी।

जनपद स्तरीय फीस नियंत्रण समिति
जिलाधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी द्वारा नामित चार्टेड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग का अधिशासी अभियंता, जिलाधिकारी द्वारा नामित कोई अभिभावक, जिलाधिकारी द्वारा नामित किसी विद्यालय का प्रबंधक व प्रधानाचार्य

राज्य विनियामक प्राधिकरण
सचिव, विद्यालयी शिक्षा, शिक्षा निदेशक, शिक्षा सचिव द्वारा नामित चार्टेड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग का अभियंता, सचिव द्वारा नामित अभिभावक और सचिव द्वारा नामित किसी विद्यालय का प्रबंधक व प्रधानाचार्य।

उच्च शिक्षा मंत्री ने नये विषयों को शामिल करने पर दिया जोर

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा परिषद् की 8वीं बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में रूसा फेज-2 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय को महाविद्यालय हेतु अनुमोदित स्वीकृत योजनाओं पर चर्चा हुई तथा रूसा फेज-1 की योजनाओं की प्रगति पर चर्चा हुई।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत ने कहा कि रूसा से आच्छादित सभी राज्य विश्वविद्यालय वर्तमान की आवश्यकता के अनुसार नये विषयों को शामिल करने पर विशेष ध्यान दिया जाए। कॉलेजो में ऐसे ट्रेड या कोर्सेज भी चलाए जाए जो राज्य के स्थानीय कलाओ, परम्परागत शिल्पों, पारम्परिक उद्यमों तथा स्थानीय संसाधनों पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़े विषयों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। उच्च शिक्षा मंत्री रावत ने कहा कि महाविद्यालयों में शासन के निर्धारित मापदण्डों के अनुसार शैक्षणिक व अन्य प्रकार के 172 पदों का अधियाचन भेजा जा चुका है।

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डॉ. धनसिंह रावत द्वारा रूसा फेज-2 में विश्वविद्यालयों के संरचनात्मक अनुदान के अन्तर्गत विश्वविद्यालयों के लिये स्वीकृत धनराशि का समय से सदुपयोग करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने निर्देश दिए कि स्वीकृत धनराशि से विश्वविद्यालय में अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार शीघ्रता से किया जाए। उन्होंने कॉलेजों को निर्देश दिए कि रूसा-1 के सभी कार्यों को हर हाल में 15 अगस्त तक पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि सभी महाविद्यालयों में बायोमैट्रिक से उपस्थिति को सख्ती से लागू किया जाए। इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाए।
डॉ. धनसिंह रावत ने निर्देश दिए कि महाविद्यालय का जुलाईध्अगस्त 2019 में नैक से प्रत्यायन के लिये शीघ्रता से प्रयास करें। उन्होंने कहा कि राज्य में मॉडल एवं प्रोफेशनल कॉलेजों को खोलने की कार्यवाही में तेजी लायी जाए। इस अवसर पर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ती रावत भारद्वाज, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं महाविद्यालयों के महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे।

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अब हिंदी अनिवार्य नही, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव कर दिया है। अब हिंदी पढ़ने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। संशोधित मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले के तहत छात्र अब कोई भी तीन भाषा पढ़ने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि इनमें एक साहित्यिक भाषा जरूरी होगी। पुराने मसौदे में हिंदी, अंग्रेजी के साथ कोई एक स्थानीय भाषा पढ़ने का प्रावधान था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में यह बदलाव सोमवार को गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों, खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों, से उठ रहे विरोध के सुर को देखते हुए किया गया है। इसकी शुरुआत तमिलनाडु से हुई थी, जहां द्रमुक सहित कई राजनीतिक दलों ने इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में जुट गए थे।

द्रमुक के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। हालांकि, सरकार ने कहा था कि किसी पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। यह अभी एक शुरुआती मसौदा है। सभी पक्षों से सलाह के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।
संशोधित शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले को लचीला कर दिया गया है। अब इनमें किसी भी भाषा का जिक्र नहीं है। छात्रों को कोई भी तीन भाषा चुनने की स्वतंत्रता दी गई है। तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के राज्यों में पहले से दो भाषा पढ़ाई जा रही है। इनमें एक स्थानीय और दूसरी अंग्रेजी है। हालांकि संशोधित शिक्षा नीति के मसौदे में यह साफ कहा गया है कि स्कूली छात्रों को तीन भाषा पढ़नी होगी।

नई शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर यह विवाद तब खड़ा हुआ है, जब सरकार ने इसे 31 मई को जारी कर लोगों से सुझाव मांगे। इसके तहत कोई भी व्यक्ति 30 जून तक अपने सुझाव दे सकता है। शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर मिल रहे सुझावों पर प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय और नीति तैयार करने वाली कमेटी भी पैनी नजर रख रही है।