सैनिक और पूर्व सैनिकों के लिए सरकार चला रही कई कल्याणकारी योजनाएंः सीएम

कारगिल विजय दिवस (शौर्य दिवस) पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गांधी पार्क में शहीद स्मारक पर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में सैनिकों की वीरता व बलिदान की लम्बी परम्परा रही है। देश की आजादी से पहले एवं आजादी के बाद उत्तराखंड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। इस युद्ध में वीर भूमि उत्तराखंड के 37 जवानों को वीरता पदक भी मिले। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश की वीर माताओं का स्मरण भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे विश्व ने भारतीय सेना का लोहा माना। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों, शहीद सैनिकों के आश्रितों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध है। शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकार द्वारा सेवायोजित किया जा रहा है। विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की है। राज्य सरकार ने विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की है। परम विशिष्ट सेवा मेडल पर 15 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रूपए, अति विशिष्ट सेवा मेडल पर अनुमन्य एकमुश्त राशि को 7 हजार रूपए से बढ़ाकर 1 लाख 50 हजार रूपए किया गया है। सेना मेडल पर राशि पहले अनुमन्य नहीं थी। अब इसके लिए 1 लाख रूपए की राशि अनुमन्य है। इसी प्रकार विशिष्ट सेवा मेडल में एकमुश्त अनुमन्य राशि को 3 हजार रूपए से बढ़ाकर 75 हजार रूपए किया गया है। हमने द्वितीय विश्वयुद्ध पेंशन को भी दो गुना किया है। इसे 4 हजार रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 8 हजार रूपए प्रतिमाह किया गया है। पूर्व सैनिकों/वीरांगनाओं और उनके आश्रितों को स्वावलम्बी बनाने के लिए सभी जिलों में कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पूर्व सैनिक के आश्रितों को प्रान्तीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में प्रतिभाग करने पर प्रोत्साहन अनुदान दिया जा रहा है। सैनिक कल्याण विभाग द्वारा चलाए जा रहे केंद्रों से भर्ती पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के सेना, अर्द्धसैनिक बल और राज्य पुलिस बल में भर्ती होने पर 20 हजार रूपए की धनराशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की जाती है। एन.डी.ए., आई.एम.ए., ओ.टी.ए., एयर फोर्स अकादमी, नेवल अकादमी, सिविल सेवा, पी.सी.एस., एम.बी.बी.एस., आई.आई.टी., आई.आई.एम. में चयन होने पर उत्तराखण्ड के निवासी पूर्व सैनिक आश्रितों को कोचिंग व्यय की प्रतिपूर्ति की जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों द्वारा पुनर्वास हेतु लिए गए ऋण पर अनुदान में वृद्धि की है। 5 लाख रूपए तक के ऋण पर 10 प्रतिशत और 5 से 10 लाख रूपए तक के ऋण पर 5 प्रतिशत या अधिकतम 75 हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। पूर्णतया दिव्यांग पूर्व सैनिकों के पुनर्वास के चलाए जा रहे शिक्षण केंद्रों को प्रति वर्ष दी जाने वाली राशि को 30 हजार रूपए से बढ़ाकर 1 लाख रूपए कर दिया गया है। पूर्व सैनिकों के दैवीय आपदा में आवास क्षतिग्रस्त होने पर अनुदान की राशि को भी 30 हजार रूपए से बढ़ाकर 50 हजार रूपए किया गया है।

मुख्यमंत्री ने युवाओं को किया संबोधित, सरकार के कार्यो की दी जानकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड यंग थिंकर्स मीट की वर्चुअल कांफ्रेंस के माध्यम से युवाओं को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी अभियान से जब युवा जुड़ते हैं, तो वह अभियान जरूर सफल होता है। सरकार की विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने में युवा वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब कोई कार्य जन सहभागिता से किया जाता तो उसे अवश्य ही सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में राज्य सरकार बनने के बाद हमने जल संरक्षण अभियान चलाया। इस अभियान में लोगों का अच्छा सहयोग रहा है। रिस्पना एवं कोसी नदी के पुनर्जीवन के लिए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। कोसी नदी पर एक घण्टे में 1 लाख 67 हजार पौधे रोपे गये। देहरादून में भी एक दिन 3 लाख 52 हजार पौधे लगाये गये। यह जनसहभागिता का परिणाम रहा। युवाओं एवं पंचायत प्रतिनिधियों से लगातार संवाद किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी परिवारों को स्वास्थ्य कार्ड देने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत सभी परिवारों को 5 लाख रूपये तक का हैल्थ कवरेज दिया गया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना लागू करने वाला भी उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। इस योजना के तहत 150 प्रकृति के कार्यों को शामिल किया गया है। प्रदेश में जिस भी क्षेत्र में लोग कार्य करना चाहते हैं, लगभग सभी कार्यक्षेत्र इस योजना से आच्छादित हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव हेतु जागरूकता के लिए युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस वायरस से बचाव के लिए फिजिकल डिस्टेंस, मास्क का उपयोग एवं स्वच्छता जरूरी है। इसके लिए लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 13 डिस्ट्रिक्ट 13 न्यू डेस्टिनेशन पर कार्य कर रही है। प्रत्येक जनपदों में अलग-अलग थीम पर डेस्टिनेशन विकसित किये जा रहे हैं। प्रदेश के 500 विद्यालयों को वर्चुअल क्लास से जोड़ा गया है। 5 विश्वविद्यालयों एवं 104 महाविद्यालयों को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। प्रदेश में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई है। सचिवालय के 16 ऑफिस ई-ऑफिस बन चुके हैं। गैरसैंण विधानसभा भवन को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। देहरादून कलक्ट्रेट को ई-कलक्ट्रेट बनाया गया है। देहरादून के एसडीएम कार्यालय भी जल्द ही ई-कार्यालय से जुड़ जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। स्वरोजगार से हम अपने साथ अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ सकते हैं।

कोर्ट का फैसला आने के बाद बोले मुख्यमंत्री, राज्य गठन के बाद सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से बोर्ड का गठन किया गया है। पिछले वर्ष 36 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए। आने वाले समय में इसमें बहुत वृद्धि होने की सम्भावना है। इसलिए इतनी बड़ी संख्या मे आने वाले यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। माननीय उच्च न्यायालय ने एक तरह से राज्य सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। जहां भी धर्म और संस्कृति का विषय होता है, वहां परम्पराओं का बहुत महत्व है। हमने चारधाम के संबंध में सभी परम्पराओं का बनाए रखा है। सैंकड़ों सालों से स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और पण्डा समाज ने चारधाम की पवित्र परम्पराओं का संरक्षण किया है। विपरीत परिस्थितियों के होने पर भी दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं देखा है कि बरसात में रास्ते बंद हो जाने पर किस प्रकार तीर्थ पुराहितों ने श्रद्धालुओं के रूकने, खाने आदि की व्यवस्था की है। इसी भावना के कारण उत्तराखण्ड को देवभूमि का मान मिलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ पुराहितों ने यहां की परम्पराओं का संरक्षण किया है और देवभूमि का मान बढ़ाया है, उनके हितों की रक्षा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए। राज्य गठन के बाद चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को किसी की जीत हार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। यह राजनीतिक विषय नहीं है। आने वाले समय में चारधाम देवस्थानम बोर्ड, चारधाम यात्रा के प्रबंधन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण कार्य में और तेजी लाने के निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में रेल विकास निगम लि. के अधिकारियों से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। 125.20 किमी की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में 12 स्टेशन बनाये जा रहे हैं। जिसमें कुल 105.47 किमी में 17 टनल बनाई जा रही हैं। ऋषिकेश में रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। एक सुरंग का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि 5 में निर्माण कार्य प्रगति पर है। तीन प्रमुख रेलवे ब्रिज पर कार्य प्रारम्भ हो चुका है। जिन 3 ब्रिज पर कार्य शुरू किया गया है उनमें चन्द्रभागा नदी पर 300 मीटर का ब्रिज, लछमोली में अलकनन्दा नदी पर 275 मीटर का ब्रिज एवं श्रीनगर में अलकनन्दा पर 450 मीटर का ब्रिज शामिल है। शेष पुलों का कार्य टनल निर्माण के साथ ही किया जायेगा। श्रीनगर, गौचर एवं सिवाई (कालेश्वर)में एप्रोच रोड ब्रिजेज का कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे लाइन निर्माण कार्य में और तेजी लाई जाय। किसी भी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार की ओर से पूरा सहयोग दिया जायेगा। कार्यों में गुणवत्ता, गति एवं पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखा जाय। उन्होंने कहा कि इस रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद उत्तराखण्ड की जनता एवं राज्य में आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को काफी सुविधा होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर एक गुलाब की वाटिका विकसित की जाय। जिसमें विभिन्न प्रजातियों के गुलाब हों।
इस अवसर पर रेल विकास निगम लि. द्वारा डोईवाला-उत्तरकाशी-बड़कोड़ रेलवे लाइन पर भी प्रस्तुतीकरण दिया गया। बैठक में जानकारी दी गई की इस रेल लाइन का सर्वे किया जा चुका है। सर्वे का कार्य मार्च 2018 से किया जा रहा था। इस प्रोजेक्ट में कुल 24 हजार करोड़ रूपये की लागत का अनुमान है। उत्तरकाशी से डोईवाला तक कुल 10 स्टेशन के लिए सर्वे किया गया है। इस रेल लाइन के लिए 24 टनल एवं 19 ब्रिज के लिये सर्वे किया गया है। यह रेल लाइन लगभग 122 किमी की होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रेल लाइन उत्तराखण्ड में पर्यटन को बढ़ावा देने एवं कृषि बागवानी एवं स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग के लिए भी मददगार साबित होगी।
इस अवसर पर रेल विकास निगम लि. के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर हिमांशु बडोनी, एडिशनल जनरल मैनेजर विजय डंगवाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेन्द्र कुमार, विकास बहुगुणा आदि उपस्थित थे।

गाइडलाइन जारीः ऑनलाइन क्लास की अवधि 30 मिनट से ज्यादा नही होगी

एचआरडी मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन क्लास के लिए जारी गाइडलाइन के बाद उत्तराखंड में भी शिक्षा महकमें ने गाइड लाइन जारी की है। सचिव शिक्षा मीनाक्षी सुन्दरम ने सभी स्कूलों के गाइडलाइन जारी करते हुए स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाओं की नियमितता् को लेकर अभिभावकों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बाद मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। बता दें कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चे ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। इस दौरान बच्चे स्क्रीन में ज्यादा समय लगा रहे हैं। ऐसे में मांग थी कि क्लास टीचिंग से ऑनलाइन शिक्षण के लिए एक शिफ्ट जरूरी है। लॉकडाउन के बाद से करीब चार महीनों से देशभर के स्कूल बंद होने के बाद से स्कूल ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश में केंद्र सरकार की गाइड लाइन “प्रज्ञाता” को बरकरार रखा गया है। जिसके अनुसार प्री-प्राइमरी छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की अवधि 30 मिनट से अधिक नहीं होनी चाहिए। कक्षा 1 से 8 के लिए, 45 मिनट तक के दो ऑनलाइन सेशन जबकि कक्षा 9 से 12 के लिए, 30-45 मिनट के चार सेशन रखे गए हैं। उत्तराखंड में लागू प्रज्ञाता गाइडलाइन के में सचिव मीनाक्षी सुन्दरम ने कहा है की उत्तराखंड की भोगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए अगर कुछ और बदलाव किये जाने हैं तो उसके लिए सुझाव विभगा से मांगे गए हैं। आपको बताते चलें कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, इस गाइड लाइन को पहले ही जारी कर चुके हैं। निशंक ने कहा कि ये दिशा-निर्देश उन छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बनाए गए हैं, जो घर पर हैं। ये दिशा-निर्देश उन बच्चों के लिए हैं, जो घर पर लॉकडाउन के कारण रह रहे हैं। उन्हें ऑनलाइन, मिश्रित, डिजिटल शिक्षा के जरिये सिखाने की कोशिश की जा रही है। डिजिटल शिक्षा पर तैयार ये दिशा-निर्देश ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप भी हैं। बता दें कि देश भर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों को 16 मार्च से बंद कर दिया गया है।

एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी डीएम ने जताई नाराजगी

मृत पशुओं के अवशेष गंगा नदी में न डाले जाएं, इसके लिए नगर निगम और प्रशासन मिलकर भूमि की जल्द तलाश करें। साथ ही कांजी हाउस को भी इसी भूमि के समीप बसाया जाए। यह निर्देश जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान दिए।
मंगलवार को नगर निगम के स्वर्ण जयंती सभागार में जिला गंगा सुरक्षा समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने नगर निगम से प्रगति कार्यों की जानकारी जुटाई। इस पर एमएनए ने उन्होंने बताया कि गंगा की सहायक नदी चंद्रभागा में मिल रहे पांच नालों में से तीन को पूरी तरह से टैप किया जा चुका है, जबकि दो नालों को टैप करने का कार्य चल रहा है। वहीं, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कश्यप ने बताया कि गंगा नदी में गिर रहे अलग-अलग सात नालों को टैप किया जा चुका है। जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव ने नमामि गंगे की ओर से एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य कर रही संस्था एसपीएमजी को पत्र भेजकर कोई भी कार्य करने से पूर्व जिला गंगा सुरक्षा समिति से सहमति लेनी होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा नदी में मानसूत्र सत्र के बाद जहां तेज धारा नहीं हो, जाली लगाई जाए। इससे गंगा में गिरने वाले फूल, पूजन सामग्री, हवन सामग्री को निकाला जा सके। उन्होंने एसडीएम वरूण चैधरी को गुमानीवाला स्थित कांजी हाउस की खाली पड़ी करीब तीन बीघा भूमि की स्थिति स्पष्ट करने तथा वहां पर पशुओं की संख्या नियंत्रण केंद्र (बन्ध्याकरण) की स्थापना करने के निर्देश दिए। इस मौके पर नगर आयुक्त नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल, एसएनए विनोद लाल, डीएफओ राजीव धीमान, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल, सहायक अभियंता सीवर विंग हरीश बंसल, अधिशासी अभियंता पीडल्ब्यूडी विपुल सैनी, समिति सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान आदि उपस्थित रहे।

खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का प्रबंधन किया जाए
सम‌ित सदस्य ‌विनोद जुगलान ने खड़गमाफ के खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का मामला उठाया। इस पर सिंचाई विभाग के एई अनुभव नौटियाल ने बताया कि सौंग नदी से बाढ़ सुरक्षा के लिए छिद्दरवाला से ठाकुरपुर तक तीन किलोमीटर की सुरक्षा तटबंध बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इस पर विनोद जुगलान ने असंतोष जताया। इसके बाद जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग को छोटे तटबंध बनाने के ‌संबंध में एई को मौके पर जाकर निरीक्षण कर सुरक्षा तटबंध बनाने को कहा।

दून से बेंगलूरू और हैदराबाद के लिए हवाई सेवा शुरू

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार से देहरादून से बेंगलूरू तथा हैदराबाद के लिये एयर इंडिया की हवाई सेवा को राज्य हित में बताया है। उन्होंने कहा कि इस सेवा के आरम्भ होने से बैंगलूरू एवं हैदराबाद में रह रहे लोगों को आवागमन में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि ये दोनों शहर आई.टी एवं अन्य प्रमुख उद्योगों के भी केन्द्र हैं। बड़ी संख्या में प्रदेश के लोग वहां सेवायोजित हैं, उन्हें भी इस सेवा से सुविधा होगी। उन्होंने भविष्य में इस सेवा को प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार बताया है।

ज्ञातव्य है कि देहरादून से बेंगलूरू और हैदराबाद के लिए एयर इंडिया की हवाई सेवा बुधवार से शुरू हो गयी। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के नागरिक उड्डयन सलाहकार कैप्टन दीप श्रीवास्तव ने बताया कि देहरादून- बेंगलूरू -हैदराबाद के बीच हवाई सेवा सप्ताह में दो दिन बुधवार और रविवार को संचालित होंगी। हैदराबाद से प्रस्थान का समय पूर्वाह्न 7.00 बजे और देहरादून में आगमन का समय पूर्वाह्न 9.15 बजे है। इसी प्रकार देहरादून से पूर्वाह्न 10.15 बजे प्रस्थान कर फ्लाईट बेंगलूरू अपराह्न 12.45 बजे पहुंचेगी। यहां से अपराह्न 2.00 बजे प्रस्थान कर फ्लाईट अपराह्न 3.00 बजे हैदराबाद पहुंचेगी।

एमडीडीए ने कमिश्नर के आदेश के बाद हरिपुरकलां में की बिल्डिंग सील

मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने नक्शा के विरूद्ध बन रही बिल्डिंग को सील किया है। एमडीडीएम के असिस्टेंट इंजीनियर सुधीर गुप्ता ने टी के साथ बिरला फॉर्म स्थित मनोज शर्मा के चार मंजिला निर्माणाधीन भवन को सील किया है। असिस्टेंट इंजीनियर सुधीर गुप्ता ने बताया कि मनोज शर्मा की उक्त बिल्डिंग का नक्शा पास है। मगर, उन्होंने आवासीय भवन बनाने के लिए नक्शा पास कराया था। मगर, धरातलीय हकीकत कुछ और है, यहां बहुउद्देश्यीय भवन तैयार किया जा रहा है। दरअसल यहां फ्लैट बनाए जा रहे है। बताया कि मनोज शर्मा ने उक्त भवन में एक फ्लोर बिना नक्शा के तैयार कर दिया है। इन दोनों की बातों को आधार बनाकर निर्माणाधीन भवन को कमिश्नर के आदेश के बाद सील किया गया है।

रमेश भट्ट के नए गीत का टीजर लांच, ’’मेरी शान उत्तराखण्ड’’ स्वरोजगार अपना रहे युवाओं को समर्पित

कोरोना संकट के बीच अपने घर लौटे प्रवासियों के उत्साहवर्धन के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट का गीत जल्द ही सामने आने वाला है। रमेश भट्ट ने ‘मेरी शान उत्तराखण्ड’ नाम के गीत का एक टीजर अपने फेसबुक पेज पर डाला है, जिसे बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

जय जय हो देवभूमि गीत से धूम मचा चुके रमेश भट्ट का नया गीत ‘मेरी शान उत्तराखण्ड’ बेहद ही खास है और यह जल्द ही सामने आने वाला है। फिलहाल इस गीत के पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है।

इस गीत की खासियत ये है कि इस गीत में कोरोना संक्रमण के चलते घर लौटे प्रवासियों को नई दिशा मिलेगी। देवभूमि उत्तराखंड की महिमा का वर्णन करते हुए रमेश भट्ट ने इस गीत के माध्यम से प्रदेश युवाओं से स्वरोजगार अपनाने और अपनी माटी को संवारने की अपील की है। गीत के बोल हर उत्तराखण्डी में जोश भरने वाले हैं।

फेसबुक में लिंक को देखने के लिए यहां क्लिक करें…
https://www.facebook.com/947292551970436/posts/3451340721565594/

खासतौर से युवाओं से किया गया आह्वाहन स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। रमेश भट्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो संकल्प लिया है, वो हर भारतीय को प्रेरित करता है। मुख्यमंत्री ने भी कोरोना संकट को अवसर मानते हुए स्वरोजगार के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। इन्हीं बातों को सोचकर ये ख्याल आया कि क्यों न घर लौटे युवाओं को प्रेरित किया जाय। उनमें जोश भरा जाय, ताकि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी यहां के काम आ सकें, मैं समझता हूं, गीत संगीत इस संदेश को पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। उत्तराखण्ड में वो तमाम संसाधन, वो तमाम खूबियां मौजूद हैं जिनका सही इस्तेमाल करके हम उत्तराखण्ड को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, ऐसी ही सोच मुख्यमंत्री की भी है। हम सब आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड बनाने के लिए संकल्पित हैं।*

अजय ढौंडियाल के निर्देशन में तैयार हो रहे इस गीत के बोल स्वयं रमेश भट्ट ने लिखे हैं, जबकि ईशान डोभाल ने संगीत तैयार किया है। सिनेमैटोग्राफी संदीप कोठारी ने की है। जल्द ही शिल्पा प्रोडक्शन के बैनर तले यह गीत सबके सामने होगा।

रिकवरी रेट में उत्तराखण्ड देश में दूसरे नम्बर पर: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम तथा बचाव के लिए किये जा रहे कार्यों की वीडियों कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि होम क्वारंटीन पर रखे गये लोगों की नियमित मॉनिटरिंग की जाय। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया जाय। होम क्वारंटीन एवं पर्यटन स्थलों पर सतत निगरानी के लिए पीआरडी, होमगार्ड एवं अन्य लोगों की ड्यूटी लगाई जाय। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कारवाई की जाय। हाई रिस्क मामलों एवं आरोग्य सेतु एप पर भी नियमित निगरानी रखी जाय। सर्विलांस सिस्टम को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर एवं नैनीताल में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। इन जनपदों में सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। अभी प्रदेश में 558 कोविड के सक्रिय मामलों में से 473 इन चार जनपदों में हैं। शेष 9 जनपदों में 85 एक्टिव केस हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सब्जी मण्डियों एवं पर्यटक स्थलों पर फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं कोविड-19 के अन्य मानकों का पूरा अनुपालन किया जाय। मानकों का अनुपालन न करने वालों पर कारवाई की जाय। कन्टेंटमेंट जोन माइक्रो लेबल पर बनाये जाय, ताकि उनकी निगरानी भी सही तरीके से हो एवं लोगों को अनावश्यक परेशानियां न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड सैंपल टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई गई है। जल्द ही कुछ और ट्रू-नेट मशीन राज्य को मिलने वाली हैं, जिससे सैंपलिंग में और तेजी आयेगी। उन्होंने जिलाधिकारी नैनीताल को निर्देश दिये कि एसडीआरएफ के सहयोग से नैनीताल में 500 बैड का कोविड केयर सेंटर बनाया जाय। अभी उत्तराखण्ड रिकवरी रेट में देश में लद्दाख के बाद दूसरे नम्बर पर है। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण हेतु जिन जनपदों की सीमाएं अन्य प्रदेशों के जनपदों की सीमाओं से लगी हैं, सतर्कता के दृष्टिगत उस जनपद के प्रशासन से समन्वय रखा जाय। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये दिये की मानसून के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं सुचारू रखी जाय, रिस्पांस सिस्टम कम से कम किया जाय। डेंगू से बचाव हेतु सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान सभी जिलाधिकारी एवं उनकी टीम अच्छा कार्य कर रहे हैं। लेकिन अभी हमको पूरी सतर्कता के साथ कार्य करने होंगे। जनता का भी सकारात्मक सहयोग मिला है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि सर्विलांस सिंस्टम को प्राथमिकता पर रखा जाय। सभी जिलों में सैंपल टेस्टिंग टारगेटेड हो। हमें कोरोना से बचाव के साथ ही आर्थिक गतिविधियों पर भी ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री जी के जान और जहान दोनों कांसेप्ट पर काम करना होगा। कान्टेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान दिया जाय। राज्य में स्थिति नियंत्रण में हैं, आगे भी हमारे प्रयास इसी तरह के होने चाहिए। बैठक में बताया गया कि काशीपुर में अधिक एक्टिव केस के दृष्टिगत काशीपुर में लॉकडाउन किया गया है।