धामी तुम बढ़े चलो भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसो

इसमें कोई दोराय नहीं कि नेताओं के भाई-भतीजावाद और नकल माफिया की ओर से की गई सरकारी नौकरियों की सौदेबाजी ने पात्र युवाओं का हक मारा है। पिछले दो दशक से लगातार बेरोजगारों को छला जा रहा है। माफिया, नौकरशाह और राजनेता नापाक गठजोड़ करके सपनों के सौदागर बने हुए हैं। अब जबकि इस गठजोड़ के कारनामे उजागर होने रहे हैं तो युवा आक्रोशित हैं। उनमें उबाल है। वो सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्ष आन्दोलन को हवा दे रहा है। लोकगायक अपनी नई रचनाओं से युवा ताकत को जागृत कर रहे हैं। इसी बहाने अंदरखाने सियासत भी तेज हो गई है।
विरोध के माहौल के बीच एक लोकगायक ने परिदृश्य से हटकर नया गीत बनाया है, जो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। इस गीत के गायक हैं डा. अजय ढौंढियाल। ढौंढियाल पेशे से पत्रकार हैं और हमेशा जनहित के मुद्दों पर मुखर रहे हैं। अब लोकगीत और संगीत को माध्यम बनाकर वो समाज को लोकतंत्र में संभावित खतरों से सचेत कर रहे हैं। उनके नये गीत का शीर्षक हैं श्चल चल रे धामी बढ़ने चल बढ़ने चलश्। इस गीत में ढौंढियाल ने सरकार का एकतरफा सामूहिक विरोध करने के बजाए उस पर भरोसा जताने का आह्वान किया है। उनका यह गीत मैंने भी सुना। मौजूदा माहौल में लीक से हटकर गाया गया यह गीत चौंकाता है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ढौंडियाल ने सरकार की चाटुकारिता में ये गीत गया है? मैंने फोन लगाकर सीधे ढौंढियाल जी से ही यह सवाल पूछ लिया। उनका जवाब सुनकर लगा कि वास्तव में गीत के माध्यम से उठाए गए उनके पहलू पर भी विचार किया जाना चाहिए। ढौंढियाल ने कहा यह हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सरकारी सिस्टम की कोई खामी या कारनामा उजागर होने के बाद विपक्ष हो या सत्ता पक्ष के कुछ लोग सरकार को अस्थिर करने में जुट जाते हैं। मिशन मोड में मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। असली मुद्दा पीछे छूट जाता है और समूची ताकत तख्ता पलट के लिए एकजुट हो जाती है। ऐसा सिर्फ अभी नहीं हो रहा। राज्य बनने के बाद लगातार सरकारों को अस्थिर किया गया। यही वजह है कि नारायण दत्त तिवारी जी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। मौजूदा समय में पुष्कर सिंह धामी उस सरकार के मुखिया हैं जिसे जनता के प्रचण्ड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता सौंपी है। धामी नौकरी में हुई धांधली की अपने राज्य की एजेंसी एसटीएफ से जांच करवा रहे हैं। अभी तक लग रहा है कि जांच निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ रही है। धामी भी लगातार जनता को विश्वास दिला रहे हैं कि एक भी दोषी नहीं छूटेगा। ऐसे में युवाओं और जनता समेत सत्ता पक्ष विपक्ष के सभी लोगों को उन पर भरोसा करना चाहिए। सिर्फ इस आशंका पर कि जांच में असली दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, सरकार को अस्थिर करना ठीक नहीं। खासतौर पर विपक्ष का मापदण्ड दोहरा दिखाई दे रहा है। जिस सीबीआई की निष्पक्षता पर विपक्ष हमेशा अंगुली उठाता रहा है, आज उसी से इस संवेदनशील मामले की जांच के लिए हल्ला काटा जा रहा है। कुल मिलाकर राजनैतिक अस्थिरता से राज्य का भला होने वाला नहीं है। समस्या को जड़ से दूर करने में सभी को सहयोग करना होगा। सरकार की उपलब्धियों को तात्कालिक प्रभाव से खारिज नहीं किया जा सकता। अपने मुख्यमंत्री पर भरोसा रखना होगा। मुख्यमंत्री भरोसा तोड़ते हैं तो फिर जतना के पास विकल्प की कमी नहीं हैं।

(लेखक दीपक फर्सवाण एक पत्रकार है)

चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ का बनेगा पृथक कैडर

चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में आयोजित बैठक में चारधाम यात्रा मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की सुविधा को देखते हुये नये अस्पताल खोलने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही इन अस्पतालों के लिये चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ का पृथक से कैडर बनाया जायेगा। मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने प्रभारी सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार को नये अस्पतालों की शीघ्र डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिये हैं।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि चार धाम यात्रा मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुये यात्रा मार्ग पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त नये अस्पताल खोलने का निर्णय लिया गया है। इन अस्पतालों में चिकित्सकों, टेक्नीशियनों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के लिये पृथक कैडर बनाया जायेगा, जिनको अन्य अस्पतालों से अधिक वेतनमान दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर डीपीआर बनाकर कैबिनट के लिये प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। रावत ने कहा कि आने वाले समय में चार धाम यात्रियों की संख्या डेढ़ से दो गुना बढ़ने की पूरी संभावना है। इसी के मध्यनजर सूबे के चार धाम यात्रा रूट पर स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहत्तर बनाने का निर्णय लिया गया है। इन अस्पतालों में योगदान देने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों, चिकित्सकों, टेक्नीशियनों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को अपेक्षाकृत अधिक वेतनमान एवं चार धाम यात्रा भत्ता दिया जायेगा। इससे चार धाम यात्रा पर आने वाले सभी यात्रियों को बेहत्तर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी। बैठक में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चार धाम यात्रा मार्ग पर उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी प्रस्तुतिकरण भी दिखाया गया।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार, महानिदेशक स्वास्थ्य डा शैलजा भट्ट, निदेशक एनएचएम डॉ सरोज नैथानी, संयुक्त निदेशक डॉ आरपी खंडूडी, सीएमओ रूद्रप्रयाग सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

स्मार्ट सिटी के कार्यो को शुरु नही करने पर कंपनी को हटाया

स्मार्ट सिटी के कार्याे में लेटलतीफी पर सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। सरकार ने कार्यकारी संस्था हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड जो नामित होने के बाद भी काम शुरू नहीं कर पाई। उसको हाई पावर कमेटी के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन पर हटाने का निर्णय लिया है।
इसी संदर्भ में मंगलवार को शहरी विकास व आवास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने सीईओ स्मार्ट सिटी/जिलाधिकारी सोनिका के साथ बैठक कर निर्देशित किया। उन्होंने शीघ्र ही पीडब्ल्यूडी विभाग से इस कार्य को प्रारंभ कराने के निर्देश दिए। जिससे जनता को सुविधा मिल सके।
डॉ अग्रवाल ने सीईओ सोनिका को शहर में वर्षाकाल से क्षतिग्रस्त सड़कें/गड्ढों में पेंच वर्क करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आम लोगों की परेशानी को देखते हुए इस कार्य में तेजी लाई जाये।

कूड़ा निस्तारण की प्रथम किस्त मिलने पर भाजपाईयों ने मनाया जश्न

तीर्थनगरी के कूड़ा निस्तारण के लिए वित्त, शहरी विकास मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल जी ने दो करोड़ 32 लाख 48 हजार 800 रूपये की पहली किस्त व्यय करने के लिए अवमुक्त की है, जिस पर तीर्थनगरी पहुंचने पर मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल का भव्य स्वागत और आभार किया गया। इस मौके पर एक-दूसरे को मिष्ठान खिलाकर बधाई दी गई। इस मौके डॉ अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया।
बता दें कि पूर्व में नगर निगम ऋषिकेश क्षेत्रांतर्गत खाली भूखंड से कूड़ा निस्तारण के लिए छह करोड़ 45 लाख रूपये की कुल स्वीकृति की। जिसमें प्रथम किस्त के रूप में दो करोड़ 32 लाख 48 हजार 800 रूपये आज व्यय किये जाने हेतु अवमुक्त किए गए।
मंगलवार को कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ऋषिकेश पहुंचे। यहां रेलवे रोड़ स्थित भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं द्वारा जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उनका भव्य स्वागत किया। इस मौके पर मंत्री डा. अग्रवाल जी ने बताया कि ऋषिकेश में खाली भूखंड पर पड़े कूड़े के निस्तारण के लिए उनकी ओर से सदैव प्रयास किया गया। इसी संदर्भ में छह करोड़ 45 लाख रूपये की स्वीकृति दी गई है और इसमें प्रथम किस्त के रूप में आज 2 करोड़ 32 लाख 48 हजार 800 रूपये व्यय करने के लिए अवमुक्त किए हैं।
डा. अग्रवाल ने कहा कि मंत्री बनने के बाद ऋषिकेश के सौंदर्यीकरण को दोगुनी गति के साथ कार्य किया जा रहा है। बताया कि कूड़ा निस्तारण और पार्किंग उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। डा. अग्रवाल जी ने कहा कि कूड़ा निस्तारण के साथ ही पार्किंग का कार्य प्रगति पर है।
डा. अग्रवाल ने कहा कि ऋषिकेश सहित मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम का कायाकल्प होने जा रहा है। बताया कि 1600 करोड़ रूपये की धनराशि से न सिर्फ पर्यटकों, तीर्थ यात्रियों बल्कि स्थानीय नागरिकों, व्यापारिक वर्ग को भी लाभ मिलेगा। डॉ अग्रवाल जी ने कहा कि उनके प्रयासों से संजय झील आज अपने अस्तित्व में आ सकी है।
इस मौके पर मण्डल अध्यक्ष भाजपा दिनेश सती, वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता संजय शास्त्री ने कहा कि विपक्ष और कुछ पार्टी के धोखेबाज लोगों ने प्रपंच कर धरना प्रदर्शन किया और सरकार सहित लोकप्रिय विधायक को बदनाम करने की साचिश रची। कहा कि मंत्री व विधायक डा. अग्रवाल ने कभी धन की कमी नहीं आने दी। इसी के चलते जनता ने उन्हें चौथी बार अपना विधायक चुना है।
वरिष्ठ पार्षद शिव कुमार गौतम और विकास तेवतिया ने कहा कि लगातार जनता के बीच कुछ तथाकथित और विपक्ष के लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं। कहा कि वर्षाकाल के दौरान तीन माह तक मशीन कूड़ा निस्तारण का कार्य नहीं कर पाती है। ऐसे में विरोधियों द्वारा धरने पर बैठकर धन अभाव की बात कहकर दुष्प्रचार किया गया, जो कि गलत है। कहा कि यह उनकी आदत में शुमार है। उन्होंने समस्त पार्षदों की ओर से मंत्री डा. अग्रवाल का स्वागत किया, जबकि पार्टी संगठन की ओर से मंडल अध्यक्ष दिनेश सती ने मंत्री अग्रवाल का भव्य स्वागत और आभार जताया। इस मौके पर मिष्ठान खिलाकर एक-दूसरे को बधाई दी गई।
इस मौके पर मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, वरिष्ठ भाजपा नेता संजय शास़्त्री, संजय व्यास, प्रदीप दुबे, राजपाल ठाकुर, अनिल ध्यानी, मंडल महामंत्री सुमित पंवार, जयंत शर्मा, पार्षद विकास तेवतिया, शिव कुमार गौतम, राजेश दीवाकर, सुंदरी कंडवाल, सोनू प्रभाकर, संजीव पाल, राजू नरसिम्हा, वीरेंद्र रमोला, प्रधान रायवाला सागर गिरी, अनुसूचित जाति मोर्चा के मंडल अध्यक्ष राहुल दीवाकर, युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष नितिन सक्सेना, जिला संयोजक अभाविप शिवम शर्मा, देवदत्त शर्मा, पूर्व पार्षद शारदा, अशोक पासवान, कविता शाह, किशन मंडल, रूपेश गुप्ता, शंभू पासवान, सुजीत यादव, माया घले, राजकुमारी पंत, विवेक शर्मा, रविंद्र बिरला, जगावर सिंह, राहुल प्रजापति, अंकुर प्रजापति, संजीव सिलस्वाल, विनोद भट्ट, नरेंद्र पंडित, सौरभ गर्ग, प्रदीप कुमार आदि उपस्थित रहें

35 हजार करोड़ के एमओयू धरातल पर, 15 हजार करोड़ की परियोजनाओं में उत्पादन शुरु

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित उत्तराखण्ड निवेशक सम्मान समारोह के दौरान निवेशकों को प्रतीक चिन्ह तथा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

रिफॉर्म-परफॉर्म-ट्रांसफॉर्म के मंत्र के साथ आगे बढ़े
मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेशकों ने उद्योग के क्षेत्र में प्रदेश को नया आयाम दिया है। प्रदेश की आर्थिकी व राजस्व को बढ़ाने में औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों का योगदान अमूल्य है। आप सभी हमारे ब्राण्ड अम्बेसडर है। उत्तराखण्ड योग, आध्यात्म एवं आयुष की भूमि है। उत्तराखण्ड औद्योगिक विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उद्योगों के लिए जैसा वातावरण उत्तराखण्ड में है, यह निवेशकों को उत्तराखण्ड की ओर आकर्षित करता है। जनवरी, 2020 से अब तक प्रदेश में 15 हजार करोड़ की परियोजनाओं में उत्पादन प्रारंभ हुआ है। कोरोना जैसी महामारी आने के बावजूद इतना निवेश प्रदेश में आना निश्चित ही बड़ी उपलब्धि है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीति सुधार व सरलीकरण की दिशा में काफी काम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश को एक नई पहचान मिल रही है। इन आठ सालों में भारत समृद्ध एवं शक्तिशाली बना है। प्रधानमंत्री का उत्तराखण्ड से विशेष लगाव है जिसका परिणाम आप सभी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्योगों के लिये अच्छी सड़क, रेल एवं हवाई कनेक्टिविटी का होना जरूरी है, इन क्षेत्रों में राज्य में तेजी से कार्य हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के युवाओं की क्षमता, समर्पण, कड़ी मेहनत और समझ में विश्वास दिखाने के लिए निवेशकों को धन्यवाद दिया और कहा कि जो परियोजनाएं शुरू की गई हैं, वे राज्य में नई संभावनाएं पैदा करेंगी और राज्य के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने कहा कि हम “रिफॉर्म-परफॉर्म-ट्रांसफॉर्म“ के मंत्र के साथ आगे बढ़े हैं। हमने नीतिगत स्थिरता, समन्वय तथा व्यापार करने में सुगमता पर जोर दिया है। उन्होंने निवेशकों और उद्योगपतियों को यह कहते हुए आश्वस्त किया कि राज्य सरकार नीति, निर्णयों और सकारात्मक उद्देश्य के साथ विकास के काम करती है। हम सब आपके हर प्रयास में आपके साथ रहेंगे और हर कदम पर आपका साथ देंगे।
उद्योग मंत्री चन्दन राम दास ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना जब हुई तो हर किसी की कल्पना थी कि पहाड़ का पानी एवं जवानी पहाड़ के काम आये। यह तभी सम्भव हो सकता था जब उत्तराखण्ड में उद्योगों को तेजी से बढ़ावा मिले। 2018 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इन्वेस्टर सम्मिट आयोजित किया गया, जिसके सफल परिणाम भी देखे गये। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना होगा।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य तेजी से निवेश के लिये प्रमुख गंतव्य स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र कम पूंजी निवेश से अधिक उत्पादन एवं रोजगार सृजित कर सकता है। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की दिशा में राज्य आगे बढ़ रहा है।
सचिव उद्योग डॉ पंकज कुमार पाण्डेय ने अपने संबोधन में निवेशकों को बधाई दी और राज्य में भविष्य में अपने उद्योग के विस्तार के लिए उनका आवाहन किया। उन्होंने कहा कि सरकार नई नीतियों को लागू कर रही है और राष्ट्रीय गति शक्ति योजना बनाने के प्रधान मंत्री जी के दृष्टिकोण की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है।

इन्वेस्टर्स समिट के बाद 35 हजार करोड़ के एमओयू धरातल पर क्रियान्वित
राज्य ने 2018 में अपना पहला निवेश शिखर सम्मेलन ’डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड आयोजित किया था, जिसमें कई क्षेत्रों में 600 से अधिक निवेशकों द्वारा रूपये एक लाख चौबीस हजार करोड़ से अधिक के समझौता ज्ञापन/निवेश इच्छा पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए थे। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों के कार्यान्वयन का नियमित रूप से अनुश्रवण किया गया। इसके परिणामस्वरूप रू. 35 हजार करोड़ से अधिक के एमओयू धरातल पर क्रियान्वित हो गए हैं। यह परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों की हैं, जिनमें विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और ऊर्जा क्षेत्र सम्मिलित हैं।
राज्य सरकार ने आयोजित सम्मान समारोह में ऐसे निवेशकों को सम्मानित किया जिन्होंने 2020 के बाद अपना उत्पादन कार्य प्रारम्भ किया था। इस आयोजन में 68 निवेशकों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें एमएसएमई एवं वृहद स्तर, दोनों क्षेत्रों के निवेशक सम्मिलित थे। आयोजन में निवेशकों ने अपने अनुभव साझा किए और राज्य में व्यापार करने में आसानी की सराहना की। उन्होंने उत्तराखण्ड में निवेश के लिए मैत्रीपूर्ण शान्त वातावरण की भी प्रशंसा की। इस अवसर पर निवेशकों ने कहा कि वे उत्तराखण्ड में और अधिक निवेश के लिए उत्साहित हैं।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण, आयुक्त उद्योग रोहित मीणा तथा निदेशक उद्योग एस. सी. नौटियाल, आर.जे. काव्य, प्रमुख उद्यमी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

आश्रय गृह में निराश्रित बच्चों को मिलेंगी सुविधाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आसरा ट्रस्ट द्वारा निराश्रित एवं वंचित बालिकाओं के लिए अच्छे आश्रय गृह का निर्माण किया गया है, जिसमें हर सुविधा देने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा की जो अपना जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित करता है, उनका जीवन सफल होता है। हमारी ये बालिकाएं अपनी शिक्षा सुगमता से ग्रहण कर सके, उनके लिए अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने में यह आश्रय गृह मददगार साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में देश में सराहनीय कार्य हो रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए अनेक प्राविधान किए गए हैं। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शुरुआत बाल वाटिकाओं से की गई है। शिक्षा के उन्नयन के लिए कई शिक्षकों द्वारा सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस संकल्प से आगे बढ़ना है कि, जिन बच्चों की कोई परवरिश करने वाला नहीं है, उनको अच्छी शिक्षा देकर कैसे जीवन की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।
इस अवसर पर विधायक खजानदास, शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी, प्रबंध निदेशक हेल्प एलाइंस आंद्रेय पार्नकॉफ एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

बंपर सरकारी नौकरिया लेकर आ रही धामी सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने चुनावी वायदों को एक-एक कर पूरा करने में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में अब धामी सरकार जल्द ही सरकारी महकमों, निगमों व सहायतित संस्थाओं में खाली पड़े पदों पर भर्ती अभियान चलाने जा रही है। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव जल्द लाया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हर विभाग से खाली पड़े पदों के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाकर डाटा तैयार किया जा रहा है। सरकार भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से पारर्दशी और मानकों के तहत पूरा करवाने के लिए रोडमैप तैयार करने में जुटी हुई है।
उत्तराखंड में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। राज्य के युवाओं की सरकारी नौकरियों पर लगातार नजर बनी हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का फोकस भी सरकारी महकमों में उन पदों पर भर्ती करने पर है, जिन्हें भरना आवश्यक है। बाकी युवाओं को सरकार स्वरोजगार और आजीविका आधारित योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के सरकारी महकमों, निगमों व सहायतित संस्थाओं में विभिन्न श्रेणियों के 1 लाख के लगभग पद खाली हैं। आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही प्रदेश सरकार के लिए इन सभी खाली पदों को भरना संभव नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि सरकार अपने आर्थिक सामर्थ्य के आधार पर खाली पदों पर भर्ती के लिए आयोगों को प्रस्ताव भेज रही है।
वित्त विभाग की रिपोर्ट में सरकारी विभागों, निगमों और सहायतित संस्थाओं में 31 मार्च 2021 तक खाली समूह क, ख, ग और घ श्रेणी के खाली पदों का ब्योरा दिया गया है। इस विवरण के अनुसार, सरकारी विभागों में 59699 राजपत्रित व अराजपत्रित खाली हैं। कुल 254920 स्थायी व अस्थायी पदों में से 195221 पदों पर कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें सबसे अधिक समूह ग के 41,842 पद खाली हैं, जबकि समूह घ के 9,591 पद भी रिक्त चल रहे हैं। समूह क और ख श्रेणी के 8266 पद भी खाली हैं। इसी तरह सार्वजनिक संस्थाओं में भी विभिन्न श्रेणियों के कुल 14019 पद खाली चल रहे हैं। कुल 29794 स्थायी व अस्थायी पदों में से 15775 पदों पर ही कर्मचारी तैनात हैं। इनमें सबसे अधिक 9173 पद समूह ग खाली हैं। सहायतित संस्थाओं में भी स्थायी व अस्थायी वर्ग में समूह क, ख, ग व घ श्रेणी के 8798 पद खाली चल रहे हैं।
सरकारी नौकरियों के खुलने की राह देख रहे राज्य के करीब 9 लाख पंजीकृत बेरोजगारों के लिए विभागों, निगमों व सहायतित संस्थाओं में हजारों खाली पदों की खबर खुशी देने वाली हो सकती है, लेकिन प्रदेश सरकार के लिए हजारों सरकारी नौकरियां खोलना आसान नहीं है। सरकार को अंदाजा है कि वित्तीय चुनौतियों के बीच हजारों सरकारी नौकरियां देने से सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। हाल ही में जारी बजट में सरकार ने राज्य के स्वयं के राजकोषीय सुधार को लेकर जो संकेतक बनाए हैं, उसके अनुसार, सरकार का वेतन का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। 2019-20 में सरकार ने कर्मचारियों के वेतन पर 13054.48 करोड़ रुपये खर्च किए। 2020-21 में उसने 14951 करोड़ का संशोधित खर्च का अनुमान लगाया। 2022-23 में अकेले वेतन पर ही 16572 करोड़ रुपये के खर्च आने की संभावना है। यह खर्च 2023-24 में 18 हजार और 2024-25 में 20 हजार करोड़ से अधिक तक पहुंचने के आसार हैं।

भूमाफियाओं से सुरक्षित रहेंगी जमीनें, अब भूमिहीन नहीं हो पाएंगे उत्तराखंडी

जनसरोकार से जुड़े मुद्दों पर गंभीर धामी सरकार आम जनमानस से किया अपना एक और वादा पूरा करने जा रही है। धामी सरकार का यह वादा है राज्य के लिए एक मजबूत भू-कानून बनाने का। उत्तराखंड में यदि भू-कानून समिति की सिफारिशें लागू होती हैं, तो व्यवस्थाएं पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के समय से भी अधिक सख्त हो जाएंगी। धामी सरकार का भू-कानून, खंडूड़ी सरकार के भू-कानून से मजबूत होगा। दरअसल भू-समिति ने अपनी सिफारिशों में खंडूड़ी सरकार के भू-कानून की खामियां को भी दूर करने की भी बात कही है। इससे राज्य में जमीनों की बंदरबांट पर रोक लगेगी। राज्य के लोग भूमिहीन नहीं हो पाएंगे व भूमाफिया से भी जमीनें सुरक्षित रहेंगी। राज्य के लोग भूमिहीन न हो,उनके हकहकूक सुरक्षित रहें, सिफारिशों में इसका भी इंतजाम किया गया है। ऐसे में इन सिफारिशों को लागू कर सीएम के सामने अपना नाम उत्तराखंड के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज कराने का मौका है। इसके जरिए न सिर्फ उनका सियासी कद बढ़ेगा, बल्कि वे राजनीतिक रूप से भी बढ़त बना सकते हैं।

जनभावनाओं के अनुरूप बनेगा नया भू-कानून-धामी
भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण को गठित समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार शीघ्र ही समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर व्यापक जन हित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि हमारी सरकार जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर है। उत्तराखंड में जमीनों का दुरुपयोग न हो और उद्योग व निवेश प्रभावित न हों, कानून में इसके लिए व्यवस्था की जाएगी। आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखना है और प्राकृतिक संसाधनों का भी संरक्षण करना है। राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण, विकास कार्यों की आवश्यकता और जमीन खरीद के दुरुपयोग न होने देने में संतुलन स्थापित किया जाएगा।

एक ही व्यक्ति के नाम खरीदी जाएगी 250 वर्गमीटर भूमि
समिति ने 250 वर्गमीटर आवासीय भूमि खरीद की व्यवस्था बहाल रखने की संस्तुति की है, लेकिन इसका दुरुपयोग रोकने को कहा है। कोई व्यक्ति स्वयं या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम बिना अनुमति अपने जीवनकाल में अधिकतम 250 वर्गमीटर भूमि आवासीय उपयोग को खरीद सकता है। समिति ने संस्तुति की है कि परिवार के सभी सदस्यों के नाम अलग-अलग भूमि खरीद पर रोक लगाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड राजस्व अभिलेख से लिंक किए जाएं।
राज्य में जमीनों की बंदरबांट पर रोक लगेगी। राज्य के लोग भूमिहीन नहीं हो पाएंगे। भूमाफिया से राज्य की जमीनें बच सकेंगी। इस तरह पुष्कर के सामने हिमाचल के पहले सीएम यशवंत सिंह परमार बनने का मौका रहेगा। भू-कानून समिति ने एक परिवार के सभी लोगों का आधार नंबर राजस्व खाते से लिंक कर फर्जीवाड़ा रोकने का उपाय सुझाया गया है। इसी तरह निवेश के नाम पर बड़ी-बड़ी जमीनें घेरने वालों पर भी नकेल कसने का प्रावधान किया गया है। सिफारिश की गई है कि जमीनों पर यदि उद्योग या अन्य व्यावसायिक गतिविधि होती है तो उसमें 70 प्रतिशत रोजगार, स्थानीय लोगों के लिए सुनिश्चित कराना होगा। खेती और उद्यान के नाम पर कृषि भूमि लेकर खेल करने पर भी रोक लगाने की व्यवस्था की गई है। लोगों की जमीनें बची रहें, इसके लिए भूमि को लीज पर देने का मानक प्रस्तावित किया गया है। पहाड़ों पर बढ़ते अवैध निर्माण के चलते बने धार्मिक स्थलों पर भी नकेल कसने के प्रावधान किए गए हैं।

राजस्व रिकॉर्ड से लिंक किया जाए आधार कार्ड
राज्य में नगर निगम सीमा से बाहर दूसरे प्रदेश के लोगों के लिए जमीन खरीदने के सख्त मानक हैं। कोई भी बाहरी व्यक्ति 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन नहीं खरीद सकता। इसके बाद भी एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर अलग अलग 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदकर खेल कर दिया जाता है। भू कानून समिति ने इस पर रोक लगाने को पूरे परिवार के आधार राजस्व रिकॉर्ड से लिंक करने का नियम बनाने पर जोर दिया है।

अवैध रूप से धार्मिक स्थल का निर्माण अब संभव नहीं
राज्य में सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर अवैध रूप से धार्मिक स्थल का निर्माण अब संभव नहीं हो सकेगा। साथ में धार्मिक प्रयोजन के लिए भूमि खरीदने की छूट के साथ अब शर्तें जोड़ी जाएंगी। भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण को गठित समिति ने धार्मिक उपयोग के लिए भूमि खरीद पर निर्णय शासन स्तर से लेने की संस्तुति की है। साथ में भूमि पर निर्माण के संबंध में अनिवार्य रूप से जिलाधिकारी की रिपोर्ट भी शासन को भेजी जाएगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि बंदोबस्त करने पर विशेष बल दिया है। भू-कानून को लेकर गठित समिति की संस्तुति पर अमल हुआ तो प्रदेश की पिछली एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2005-06 में धार्मिक प्रयोजन के लिए भूमि खरीदने की अनुमति पर पाबंदी लगना तय है। तिवारी सरकार के कार्यकाल में भू-कानून में धार्मिक उपयोग के लिए भूमि खरीद की अनुमति देने को जिलाधिकारी को अधिकृत किया गया था। यह व्यवस्था वर्तमान में भी लागू है। समिति ने इसमें संशोधन करने का सुझाव दिया है।

अवैध कब्जे रोकने को होगा नया प्रविधान
साथ ही नदी-नालों, वन क्षेत्रों, चारागाहों, सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण का निर्माण या धार्मिक स्थल बनाने वालों के विरुद्ध नए भूमि कानून में कठोर दंड की व्यवस्था करने की संस्तुति समिति ने की है। दरअसल राज्य बनने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण कर धार्मिक उपयोग में लाने और निर्माण कार्य करने के प्रकरण बढ़े हैं। धामी सरकार इस पर सख्त रुख अपनाने के संकेत दे चुकी है। अब समिति ने भी इस संबंध में अपनी संस्तुति दी है। इसमें कहा गया है कि ऐसे अवैध कब्जों के विरुद्ध प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाए। साथ ही ऐसे मामलों में संबंधित विभागों के अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए भू-कानून में प्रविधान करने को कहा गया है।

खाली पड़ी भूमि पर साइनबोर्ड लगाएं विभाग
समिति ने सरकारी विभाग की खाली पड़ी भूमि पर साइनबोर्ड लगाने का सुझाव भी दिया है। कुछ व्यक्तियों के एक साथ भूमि खरीद कर ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इस भूमि के बीच अन्य किसी व्यक्ति की भूमि के लिए रास्ता नहीं मिले। रोके गए रास्ते को खोलने के लिए रास्ते के अधिकार की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है।

सिडकुल की भूमि उद्योगों को ही दी जाए
भूमि की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता, भूमि हस्तांतरण एवं स्वामित्व संबंधी समस्त प्रक्रिया आनलाइन करने की संस्तुति समिति ने की है। इस समस्त प्रक्रिया को एक वेबसाइट के माध्यम से पब्लिक डोमेन में डालने को कहा गया है। प्राथमिकता के आधार पर सिडकुल और औद्योगिक क्षेत्रों में खाली पड़ी भूमि या बंद पड़ी फैक्ट्रियों की भूमि का आवंटन औद्योगिक प्रयोजन के लिए करने को कहा गया है।

लीज पर ली जा सकेगी अन्य प्रयोजनों के लिए भूमि
पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में उद्योगों, आयुष शिक्षा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, उद्यान एवं विभिन्न प्रसंस्करण, पर्यटन, कृषि के लिए 12.50 एकड़ से ज्यादा भूमि आवेदक संस्था, फर्म, कंपनी या व्यक्ति को उसके आवेदन पर सरकार दे सकती है। समिति ने यह व्यवस्था समाप्त करने कर हिमाचल की भांति न्यूनतम भूमि आवश्यकता यानी इसेंसियलिटी सर्टिफिकेट के आधार पर देने की संस्तुति की है। समिति का कहना है कि केवल बड़े उद्योगों के अतिरिक्त चार-पांच सितारा होटल-रिसोर्ट, मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, वोकेशनल-प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट को ही इसेंशियलिटी सर्टिफिकेट के आधार पर भूमि खरीदने की अनुमति शासन से मिलनी चाहिए। अन्य प्रयोजनों के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।

गैर कृषि घोषित भूमि उल्लंघन होने पर सरकार में हो सकेगी निहित
समिति ने अपनी संस्तुति में धारा-143 के साथ नई उपधारा जोड़ने की संस्तुति की है, ताकि खरीदी गई भूमि का दुरुपयोग न होने पाए। वर्तमान में गैर कृषि उपयोग को खरीदी गई भूमि को 10 दिन में एसडीएम धारा-143 के अंतर्गत गैर कृषि घोषित कर खतौनी में दर्ज करेगा। क्रय अनुमति आदेश में दो वर्ष में भूमि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य में करने की शर्त रहती है। निर्धारित अवधि में ऐसा नहीं होने या किसी अन्य उपयोग होने पर भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की व्यवस्था है। इस आदेश में गैर कृषि घोषित करने के बाद भूमि उपयोग का उल्लंघन होने की स्थिति में राज्य सरकार में उसे निहित करने का प्रविधान नहीं है। समिति ने नई उपधारा जोड़ते हुए इस भूमि को दोबारा कृषि भूमि घोषित कर राज्य सरकार में निहित करने की व्यवस्था बनाने को कहा है।

अधिकतम तीन वर्ष में करना होगा भूमि का उपयोग
वर्तमान में भूमि खरीदने के बाद भूमि का उपयोग करने के लिए दो वर्ष की अवधि निर्धारित है। राज्य सरकार को विवेक के अनुसार इसे बढ़ाने का अधिकार दिया गया है। समिति ने इसमें संशोधन कर विशेष परिस्थिति में यह अवधि अधिकतम एक वर्ष बढ़ाने यानी तीन वर्ष करने की संस्तुति की है। समिति ने कहा कि विभिन्न प्रयोजनों के लिए जो भूमि खरीदी जाएगी, उसमें समूह-ग और समूह-घ श्रेणियों में स्थानीय व्यक्तियों को 70 प्रतिशत रोजगार आरक्षण रोजगार देने और इसकी सूचना अनिवार्य रूप से शासन को उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो।

इसेंसियलिटी सर्टिफिकेट के आधार पर भूमि खरीद की अनुमति
राज्य में अब 12.50 एकड़ से अधिक भूमि खरीद की अनुमति केवल बड़े उद्योगों के अतिरिक्त चार-पांच सितारा होटल-रिसोर्ट, मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, व्यावसायिक व रोजगारपरक शिक्षण संस्थाओं को होगी। उत्तराखंड में भूमि खरीद की यह अनुमति हिमाचल की भांति न्यूनतम भूमि आवश्यकता आकलित कर जारी किए जाने वाले इसेंसियलिटी सर्टिफिकेट के आधार पर मिलेगी। जमीन खरीदने की अनुमति जिलाधिकारी से नहीं मिलेगी। यह अधिकार शासन के पास होगा। भूमि खरीद का दुरुपयोग और अनाप-शनाप बिक्री पर रोक लगाई जाएगी।

कृषि, उद्यान व एमएसएमइ के लिए डीएम को नहीं होगा अधिकार
प्रदेश में वर्तमान में जिलाधिकारी कृषि अथवा औद्यानिक प्रयोजन के लिए कृषि भूमि खरीदने की अनुमति देते हैं। समिति ने पाया कि कई प्रकरणों में ऐसी अनुमति का दुरुपयोग हुआ। कृषि व औद्यानिक उपयोग के स्थान पर रिसोर्ट या निजी बंगले बनाए गए। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में व्यक्ति भूमिहीन हो रहे हैं और रोजगार सृजन भी नहीं हो रहा है। समिति ने संस्तुति की है कि ऐसी अनुमति जिलाधिकारी के स्तर से न दी जाए।

वर्तमान भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण को पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट सोमवार को मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी। समिति ने भूमि खरीद के उद्देश्य के दुरुपयोग को रोकने के लिए जिला, मंडल व शासन स्तर पर टास्क फोर्स गठित करने की संस्तुति की है। टास्क फोर्स के माध्यम से भूमि को सरकार में निहित किया जाएगा। प्रदेश में वर्तमान भू-कानून का तीव्र विरोध होने पर जुलाई, 2021 में इस समिति का गठन किया गया था। सालभर बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

शव निकालने गये दो लोग भी नदी के बहाव में फंसे, एसडीआरएफ ने बचाया

एसडीआरएफ को चीला चौकी से सूचना मिली कि नदी में एक शव दिखाई दे रहा है और साथ मे 2 लोग भी नदी में फंसे हैं। टीम ने तुरंत ही राफ्ट की मदद से रेस्क्यू अभियान चलाया। मौके पर पहुंचकर शव और दोनों ब्यक्तयों को राफ्ट से किनारे लाये। टीम ने शव को लक्ष्मणझूला पुलिस को सुपर्द किया। जिसकी पहचान पृथ्वीधर कोटनाला उम्र 62 डिफेंस कॉलोनी देहरादून के रुप में हुई। जानकारी के अनुसार वे 3 सितम्बर को अपने बड़े भाई से मिलने गीता नगर ऋषिकेश आये थे। लेकिन वापस घर देहरादून नही पहुंचे।
बताया कि काफी खोजबीन करने पर पता लगा कि इनकी स्कूटी चीला बैराज की तरफ देखी गयी। जिस पर परिजनों ने नदी में देखा कि शव जैसा कुछ दिखाई दे रहा है। जिस पर 2 ब्यक्ति शव तक पहुंचे ही थे कि नहर का जलस्तर बढ़ने लगे गया जिससे वे वही फंस गये और अंधेरा हो गया। रेस्क्यू टीम में निरीक्षक कवीन्द्र सजवाण, चौकी प्रभारी श्रद्धानंद सेमवाल, जितेंद्र सिंह, मातबर सिंह, अनूप सिंह, शिवम सिंह, सुमित नेगी, अमित कुमार शामिल रहे।

यूकेएसएससी पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई, गैंगस्टर एक्ट लगाया

यूकेएसएससी पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है। नकल माफिया जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह, उसके करीबी धामपुर के केंद्रपाल, लखनऊ स्थित कंपनी मालिक राजेश चौहान समेत 21 आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ ने गैंगस्टर लगा दिया है। यूपी के सादिक मूसा को गैंग का लीडर बताते हुए रायपुर थाने में गैंगस्टर ऐक्ट में केस दर्ज कराया गया है।
मूसा व दूसरा साथी योगेश्वर राव अभी फरार हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। अब इन आरोपियों की संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने रविवार रात बताया कि सीएम और डीजीपी ने एसटीएफ को नकल माफियों पर नकेल कसने व गैंग बनाकर सदस्यों द्वारा अर्जित अवैध संपत्ति पर एक्शन लेने के आदेश दिए गए।
इसके बाद एसटीएफ की विस्तृत रिपोर्ट पर गैंगस्टर ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया। गैंगस्टर ऐक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपियों की अवैध चल-अचल संपत्ति जब्त करने की विधिवत कार्रवाई जल्द शुरू की जाएगी। सभी आरोपियों की अवैध संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है।
मिस्टर डोंगल है मूसा, करता है सिर्फ व्हाट्सएप कॉल सैयद सादिक मूसा पेपर लीक मामले का सरगना बताया गया है। वह अपने साथ डोंगल लेकर चलता है इसलिए उसे मिस्टर डोंगल कहते हैं। वह फोन पर बात नहीं करता है सिर्फ व्हाट्सएप कॉल करता है। इसके चलते उसको पकड़ पाना एसटीएफ के लिए चुनौती बना है।