त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखंड से किया वादा निभायाः बंशीधर भगत

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर समय राजनीति करती है। अच्छे निर्णयों को लेकर जहां कांग्रेस को सरकार की पीठ थपथपानी चाहिए। कांग्रेस वहां भी लोगों को गुमराह करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण सवा करोड़ उत्तराखण्डियों की भावनाओं में है। प्रदेश के सभी लोग चाहते हैं कि गैरसैंण को लेकर जो सपना हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था, वो आज पूरा हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी गैरसैंण को लेकर सदैव सकारात्मक रही है, यही वजह है कि हमारे घोषणापत्र में गैरसैंण प्रमुखता से था। मुझे खुशी है कि त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने उत्तराखण्ड के लोगों से किया वादा निभाया है। मैं प्रदेश सरकार, राज्य के समस्त जनता और आंदोलनकारियों को बहुत बहुत बधाई देता हूँ।
बंशीधर भगत ने कहा कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्म राजधानी ऐसे समय बनाया गया है, जब न तो चुनाव हैं, न किसी तरह की मजबूरी है। हमारी पार्टी के प्रयास होता है कि जनभावनाओं को सर्वोपरि रखा जाय, उसी दिशा में ये कदम बढ़ाया गया है।
उत्तराखण्ड के सृजन से लेकर अब तक भाजपा की सरकारों ने इस पर्वतीय प्रदेश के लिए दिल खोलकर, बिना नफा नुकसान की परवाह किये काम किया है। याद कीजिये उत्तराखण्ड का सृजन स्व. अटल जी ने ही किया था। यही नहीं प्रदेश में आज जो औद्योगिक ढांचा है उसके लिए अटल जी की सरकार ने ही विशेष पैकेज दिया था, हालांकि बदकिस्मती से कांग्रेस की सरकार ने इस विशेष पैकेज को खत्म कर दिया था। आज के दौर में भी मोदी जी का उत्तराखण्ड के प्रति लगाव किसी से छिपा नहीं है। ऑल वेदर रोड, पहाड़ पर रेल लाइन, केदारपुरी का कायाकल्प, ये सारे काम भाजपा की सरकारों द्वारा ही संभव थे। गैरसैंण को ग्रीष्म राजधानी घोषित करना भी इसी विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 
मगर ये बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। कांग्रेस की सरकारों ने 10 साल राज किया लेकिन गैरसैंण पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाए, और जब भाजपा की सरकार ने ये ऐतिहासिक कदम उठाया तो कांग्रेस जनता को गुमराह करने लगी है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस नेतृत्व से पूछता हूँ, आखिर जब सरकार में थे तब क्यों सोए रहे? तब आपने जनभावना का अपमान क्यों किया? सच तो ये है कि कांग्रेस चाहती है नहीं है कि गैरसैंण की तरफ कदम आगे बढ़ाए जायँ, हां इनके नेता ढोंग करने, धरना देने जरूर वहां पहुंच जाते हैं। और जब जनभावनाओं के सम्मान की बात आती है तो ये पीछे हट जाते हैं।

देना होगा बाजार मूल्य पर किराया, राज्य सरकार का अधिनियम अंसवैधानिक

हाईकोर्ट नैनीताल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने वाले अधिनियम-2019 को अंसवैधानिक घोषित करते हुए उसे निरस्त कर दिया है। सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब बाजार भाव के हिसाब से किराया चुकाना होगा।
अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए यह निर्णय दिया। अधिवक्ता कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 के उल्लंघन में पाया है। अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार मूल्य से किराए का भुगतान करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में उन्हें दी गई अन्य सभी सुविधाओं के लिए खर्च किए गए धन की गणना करने और उसकी वसूली के लिए राज्य उत्तरदायी होगा। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान शक्तियों को अलग करने के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने 23 मार्च को मामले में सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद मंगलवार को निर्णय सुनाया गया है।
मामले के अनुसार, देहरादून की रुलक संस्था ने राज्य सरकार के उस अध्यादेश को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी, जिसके द्वारा राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के किराए को बाजार रेट के आधार पर भुगतान करने से छूट दे दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सभी पूर्व सीएम पर करीब 15 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा, किराया करीब पौने तीन करोड़ है, जिसकी वसूली के आदेश कोर्ट ने पिछले वर्ष छह माह में करने के आदेश दिए थे।

क्या है अधिनियम
रूलक सामाजिक संस्था के चेयरपर्सन अवधेश कौशल की ओर से हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस पर कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूलने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के खिलाफ पूर्व सीएम व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा ने हाईकोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल की लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी नहीं सुनी और उन्हें पुराना बकाया चुकाने का आदेश जारी रखा।
इसमें भगत सिंह कोश्यारी ने बकाया चुकाने की हैसियत न होने की बात कही तो फिर कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि क्यों न उनकी संपत्ति की जांच करा ली जाए। हाईकोर्ट में जब सरकार तथ्यों और तर्कों के आधार पर कुछ न कर पाई तो भगत सिंह कोश्यारी के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने और सुविधाएं जारी रखने के लिए अध्यादेश ले आए। अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि कैबिनेट में गुपचुप निर्णय करके अध्यादेश को मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया गया था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला सहित अन्य सुविधाएं देने के मामले में सरकार ने राज्य का एक्ट नहीं बनाया।
सरकार ने उत्तर प्रदेश का एक्ट लागू करना स्वीकार किया लेकिन उसे संशोधित नहीं किया। पिछले वर्ष कोर्ट में दिए गए हलफनामे में लागू एक्ट में लखनऊ का उल्लेख कर दिया, जबकि उत्तर प्रदेश के अधिनियम में साफ तौर पर अंकित था कि सुविधा सिर्फ लखनऊ में दी जा सकती है। इसलिए राज्य सरकार को यह स्वीकार करना पड़ा कि उत्तराखंड में इस संबंध में कोई अधिनियम प्रभावी नहीं है।
वहीं, अधिवक्ता ने बताया कि 1981 में यूपी में बने अधिनियम में साफ उल्लेख था कि मुख्यमंत्री, मंत्रियों को पद पर बने रहने तक सरकारी आवास मुफ्त मिलेगा। पद से हटने के 15 दिन में उन्हें आवास खाली करना होगा। 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नियम में बदलाव कर कहा कि अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास आवंटित किया जाएगा।
एक्ट में यह भी उल्लेख था कि आवास सिर्फ लखनऊ में ही दिया जाएगा, बाहर नहीं। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड बनने के बाद यह नियम यहां निष्प्रभावी हो गया। राज्य सरकार ने यूपी के एक्ट को उत्तराखंड के लिए मोडिफाई नहीं किया लेकिन कोर्ट में बताया कि सरकार ने 2004 में लोकसेवकों को प्रतिमाह एक हजार रुपये किराये पर आवास देने के रूल्स बनाए थे। इसमें कहा गया कि ट्रांसफर होने के बाद अधिकतम तीन माह तक लोकसेवक आवंटित आवास में रह सकते हैं, फिर हर हाल में खाली करना होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि रूल्स सरकारी लोक सेवकों के लिए है, यह पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं हो सकता।

सरकारी लैब में अभी 6133 सैंपलों की जांच जारी, तेजी से बढ़ रहे संक्रमित मरीज

प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अभी तक सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को ऑरेंज जोन में शामिल किया था। लेकिन अब लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार ने नैनीताल को ऑरेंज से हटाकर रेड जोन में शामिल कर दिया है। वहीं, ऊधमसिंह नगर को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल में अब तक करीब 260 मामले सामने आ चुके हैं। ऊधमसिंह नगर में संक्रमित मरीजों की संख्या 82 हो गई है। वहीं इसके बाद अब 11 जिले ऑरेंज जोन में शामिल हैं।
प्रदेशभर में रविवार को 158 मरीजों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने इसकी पुष्टि की है। वहीं, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक महिला डॉक्टर भी संक्रमित मिलीं हैं। दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी एमएस और कोरोना के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. एनएस खत्री ने जानकारी दी। इसके साथ ही अब प्रदेश में सक्रमित मरीजों का आंकड़ा 907 पहुंच गया है। 
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, आज देहरादून में 49, हरिद्वार में 17, नैनीताल में 31, टिहरी में तीन, अल्मोड़ा में 18, चंपावत में चार, पौड़ी में छह, ऊधमसिंह नगर में 20, चमोली में दो, उत्तरकाशी में सात और रुद्रप्रयाग में एक संक्रमित केस मिला है। अभी भी प्रदेश में 692 एक्टिव केस हैं। इसके साथ ही अब नैनीताल को रेड जोन में शामिल कर दिया है। जबकि ऊधमसिंह नगर को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है। अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि 102 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं। चार सरकारी लैब में अभी 6133 सैंपलों की जांच चल रही है। इनकी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण अभी सामुदायिक फैलाव के फेज में नहीं आया है। जितने भी पॉजिटिव केस आए हैं, उनकी ट्रैवल हिस्ट्री और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग जारी है। ज्यादातर मामले बाहर से लौटे प्रवासियों के संक्रमित होने के आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मीडिया के माध्यम से उन्होंने जनता से अपील की है कि आने वाले दिनों में और अधिक अनुशासन बनाए रखने की जरूरत है। कहा कि धीरे-धीरे बाजार के खुलने में ढील दे रहे हैं, लेकिन लोगों को दुकानों में भीड़ एकत्रित नहीं होने देनी है।

आज 73 नए मरीज, अब तक 58 मरीज ठीक, 317 पाॅजीटिव हुए केस

राज्य में आज कोरोना संक्रमण के 73 नए मामले आए हैं। 32 मामले सबसे ज्यादा नैनीताल जिले में मिले हैं। इसके साथ ही अब प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 317 पहुंच गई है। अपर सचिव युगल किशोर पंत ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि आज प्रदेश में 943 सैंपल निगेटिव पाए गए हैं। जबकि 1120 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। वहीं, 58 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। वहीं, प्रदेश में तीन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन तीनों की ही मौत का कारण कोरोना नहीं है। अन्य कारणों से मरीजों की मौत हुई है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, आज आए मामलों में अल्मोड़ा में 5, चमोली में 8, चंपावत में 1, देहरादून में 11, नैनीताल में 32, पौड़ी में एक, टिहरी में तीन , बागेश्वर में दो और ऊधमिसंह नगर में 9 मामले सामने आए हैं। वहीं, एक मामला निजी लैब में पॉजिटिव पाया गया है। लगातार दूसरे दिन नैनीताल में 117 केस सामने आने से स्वास्थ्य विभाग चिंतित है।
अब तक देहरादून में 75, हरिद्वार में 14, उत्तरकाशी में 10, अल्मोड़ा में 12, चंपावत में 8, टिहरी में 9, बागेश्वर में 8, पौड़ी में 7, रुद्रप्रयाग में 3, पिथौरागढ़ में 2, चमोली में 9, नैनीताल में 117, ऊधमिसंह नगर में 43 संक्रमण के मामले सामने आ चुके है। कोरोना संक्रमण के मामले में नैनीताल ने देहरादून को पीछे छोड़ दिया है। शनिवार को संक्रमण में बने नए रिकॉर्ड से नैनीताल जनपद प्रदेश में नंबर वन पर आ गया है। पूरा प्रदेश कोरोना की चपेट में आने से सोमवार को कई जिलों की ऑरेंज और ग्रीन जोन की श्रेणी बदल सकती है।
शुक्रवार तक देहरादून संक्रमित मामलों के आधार पर सबसे आगे था, लेकिन शनिवार को नैनीताल जिले में एक दिन में 57 कोरोना संक्रमित मिलने से देहरादून पीछे छूट गया है। वहीं, आज 32 मामले आए हैं।  नैनीताल में कुल संक्रमितों की संख्या 117 पहुंच गई है, जबकि देहरादून में यह संख्या 71  पर पहुंच गई है।
वर्तमान में प्रदेश के सात जिले हरिद्वार, टिहरी, चंपावत, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व चमोली ग्रीन जोन में है। जबकि देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी और उत्तरकाशी जिला ऑरेंज जोन में है। प्रदेश का कोई भी जिला रेड जोन में नहीं है।
कोरोना संक्रमण की दर, डबलिंग रेट, प्रति लाख सैंपल जांच, सर्विलांस के आधार पर रेड, ऑरेंज और ग्रीन तय किया जाएगा। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि सोमवार को जोन को लेकर जिलों की समीक्षा की जाएगी। केंद्र की ओर से तय मानकों के आधार पर जिलों के जोन तय किए जाएंगे।

वहीं, मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिह रावत ने राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में कोविड-19  संबंधी कार्यों, आवश्यकता और तैयारियों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी तक 2 कोरोना संक्रमित लोगों की मौत हुई है, लेकिन उनकी मौत की वजह कोविड नहीं था, वह दूसरी बीमारियों से मरे।
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और स्वास्थ्य एवं वित्त सचिव अमित नेगी के साथ श्रीनगर मेडिकल पहुंचे। यहां उन्होंने सभागार में प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के  अधिकारियों की बैठक ली। बैठक की शुरुआत करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीएम  रावत ने प्रोजेक्टर के माध्यम से  कोविड -19 से बचाव और  कोविड जांच की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया कि कोविड जांच लैब में 3 मई से अब तक पौड़ी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के 670 नमूनों की जांच हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड 19 सिर्फ बीमारी ही नहीं है। बल्कि इस महामारी का असर धीरे-धीरे समाज में आएगा। इसलिए सभी को हर तरह से तैयार रहना होगा। आज से 5 दिन पहले कम कोरोना पॉजिटिव के चलते उत्तराखंड अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में था। लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र हरियाणा व राजस्थान आदि प्रदेशों से प्रवासी आने से चुनौती बढ़ गई है। इसके लिए  हमारी टीम और  हमारी रणनीति बेहतर हो। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए की बाहर से आने वाले लोगों का मानकों के अनुसार परीक्षण हो। सैनिटाइजेशन की पूरी व्यवस्था हो। जो कोरोना पॉजिटिव नियमों का उल्लंघन करें, उनके खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया जाए।

एक ही दिन में नैनीताल से 55 और पूरे प्रदेश में 91 मामले कोरोना पाॅजीटिव

प्रदेश में आज एक ही दिन में 91 कोरोना मरीज सामने आये है। अब राज्य में कुल मरीजों की संख्या 244 हो गई है। वहीं अब राज्य में कोई भी जिला कोरोना संक्रमण से अछूता नहीं रह गया है।
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि प्रदेश में आज 91 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। एम्स ऋषिकेश में हुई एक कोरोना मरीज की मौत के बारे में स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि उसकी मौत कोरोना से नहीं हुई है। उसकी मौत एसोफैगस कैंसर से हुई है। शनिवार को चंपावत में सात, देहरादून में नौ, हरिद्वार में दो, नैनीताल में 57, अल्मोड़ा में तीन, पिथौराढ़ में दो, उत्तरकाशी में तीन, ऊधमसिंह नगर में तीन, रुद्रप्रयाग में तीन और पौड़ी जिले में दो नए मामले सामने आए हैं।
यह पहली बार है जब राज्य में एक साथ 91 केस सामने आए हैं। इन मामलों के आने के बाद अब राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 244 हो गई है। रुड़की के आदर्श नगर निवासी 54 वर्षीय व्यक्ति में आज कोरोना की पुष्टि हुई है। ये मुंबई से हरिद्वार में आए थे। अब हरिद्वार जनपद में अब एक्टिव केस छह हो गए हैं। ये सभी रुड़की क्षेत्र से आए हैं। सभी प्रवासी हैं। इससे पहले सात मामले आए थे जो कि सभी ठीक हो चुके थे। लेकिन नए मामले आने से लोगों की चिंता बढ़ने लगी है।

डीएम ने घर-घर जांच करने के निर्देश दिए
देहरादून जिले में कोरोना के मामले बढ़ने पर प्रशासन अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए घर-घर जाएगा। जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में प्रवासियों के आने के बाद कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब ब्लड प्रेशर, शुगर, सांस, दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को बचाया जाएगा। ऐसे मरीजों का सर्वे कर डाटा तैयार किया जाएगा। जिससे उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर इनका डाटा एकत्र करेंगी। फोन के माध्यम से भी संपर्क कर उनकी तबीयत, डॉक्टर के पास कब गए? अब क्या स्थिति है? कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण तो नहीं जैसे सवाल पूछकर रिपोर्ट तैयार करेंगी। डीएम ने बताया कि अभी तक क्वारंटीन लोगों की निगरानी की जा रही थी। लेकिन, अब ऐसे लोगों को भी निगरानी की जाएगी, जो बीमार चल रहे हैं। 

प्रशासन की लापरवाही आई सामने
ऋषिकेश में 13 मई को दिल्ली से लौटने वाली महिला बैंक कर्मी को क्वारंटाइन न करने के मामले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। महिला में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद प्रशासन सकते में आ गया है। जिसके बाद हीरालाल मार्ग स्थित यूको बैंक को प्रशासन ने 14 दिनों के लिए सील कर दिया है। साथ ही सभी कर्मचारियों को होम क्वारंटाइन किया गया है। प्रशासन ने पुलिस और मेडिकल टीम की सहायता से कोरोना संक्रमित पाये गए दोनों लोगों के निवास स्थान को हॉटस्पॉट घोषित कर सील कर दिया है। रेड जोन से ऋषिकेश लौटने के बाद भी महिला को क्वारंटाइन नहीं किया गया। वहीं, महिला बैंक कर्मी के दिल्ली से लौटने के बावजूद होम क्वारंटाइन न करने को लेकर स्थानीय लोग अब प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

जांच की मांग करने से आरोप लगाने वाले लोगों की खुलेगी पोलः रमेश भटट

एक समाचार पत्र में एक खबर आने के बाद और फिर कुछ सोशल मीडिया साइडों में उत्तराखंड मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भटट के खिलाफ एक समाचार प्रचारित किया जा रहा है। जो प्रमुख रुप से जमीन से जुड़ा मामला है। इसमें रमेश भटट को जिस प्रकार से खलनायक बनाया जा रहा है। उससे मीडिया जगत के लोग भी हैरान हो गये है।
वहीं, रमेश भटट ने सोशल मीडिया में सार्वजनिक रुप से मामले की जांच करने मांग की है। उन्होंने कहा है कि समाचार भ्रामक और असत्य है। उन्होंने सभी मीडिया जगत को जांच करने और जांच पूरी ना होने तक एक पूर्व मीडियाकर्मी होने के नाते सत्य का साथ देने की वकालत की है।
बरहाल इन सबके बीच उनकी सोशल मीडिया की पोस्ट पर कई मीडियाकर्मियों के पोस्ट पढ़ने को मिले है। अधिकत्तर लोगों ने आरोप लगाने वालों को ही कटघरे में खड़ा किया है। पोस्ट में एक यूजर ने लिखा है कि हल्द्वानी निवासी जानते है कि जमीन पर अवैध कब्जे किस आदमी के है? उन्होंने लिखा है कि अपने स्वार्थ के लिए ऐसे ही किसी पर आरोप नही लगाने चाहिये।
वहीं, दूसरा यूजर लिख रहा है कि आय से अधिक के मामले वाले अब दूसरों पर आरोप लगाने लगे हैं। एक अन्य यूजर लिख रहा है कि बेनामी संपत्ति का खेल खेलने वाले अब दूसरों पर आरोप लगाने लगा रहे है? एक अन्य यूजर ने रमेश भटट को टारगेट करने के पीछे का कारण राजनीतिक बताया है। उसने लिखा है कि लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर एक युवा को जनसेवा की जिम्मेदारी मिली और वह उस पर खरा भी उतर रहा है। इसी की बदौलत लोग उसे भविष्य में भीमताल के विधायक के रुप में देख रहे है। इस लिए उन्हें एक विशेष तबके के द्वारा शिकार बनाया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि तो दर्जनों मुकदमें किस पर दर्ज है। वह कैसे दूसरे पर आरोप लगा सकता है?
वही हमने रमेश भटट से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन नही उठा। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सरकार के मुखिया से जाँच के लिए निवेदन किया है। जिसमें जाँच होने के बाद भूमाफिया का सत्य उजागर होने की बात कही जा रही है। साथ ही उनके द्वारा कुछ बिंदुओं पर भी जाँच की माँग की गई है?

मीडिया सलाहकार रमेश भटट की फेसबुक पोस्ट को पाठकों के लिए अक्षरतः लिखा गया है-
सोशल मीडिया में, कुछ न्यूज पोर्टल में मुझसे जुड़ा एक समाचार तैर रहा है। उसके बारे में बाद में बताऊंगा, पहले स्पष्ट कर दूं कि यह समाचार असत्य है, भ्रामक हैं और इसका सच्चाई से कुछ भी लेना देना नहीं है। किसी पर आरोप लगाकर किसी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा कुछ समय के लिए प्रभावित की जा सकती है, लेकिन सत्य, सत्य होता है। आरोप लगाना और प्रमाणित करना दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।
मैं एक स्वच्छ छवि के राजनेता की टीम का सदस्य हूं और अपनी व्यक्तिगत तथा सामाजिक जिम्मेदारियों को बखघ्बी जानता हूं। खबरों में मुझ पर जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया गया है। मेरे जानने वाले मित्रों, शुभचिंतकों के लिए यह हास्यास्पद के अतिरिक्त कुछ नहीं है। मैं सामान्य पृष्ठभूमि से आता हूं, आरोप लगाने वाले सज्जनों की पृष्ठभूमि भी खंगाल ली जानी चाहिए कि कौन इन कृत्यों का पेशेवर और माहिर हैं, किन पर गैरकानूनी कब्जे, सैंकड़ों मुकदमे,आय से अधिक के साथ साथ बेनामी संपत्ति के आरोप हैं।
मेरा अपने सभी मित्रों से विशेषकर मीडिया के मित्रों से एक मूलतः मीडियाकर्मी होने के नाते अनुरोध है। पूरे प्रकरण में सच्चाई का साथ दें। आरोप लगाने वाले सज्जनों का आभार प्रकट करूंगा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से मुझे परीक्षण हेतु चुना। दूध का दूध और पानी का पानी होने तक प्रतीक्षा करें, मैंने स्वयं जांच का अनुरोध किया है। जाँच जारी है।

एम्स में भर्ती महिला की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में भर्ती हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की शुक्रवार तड़के ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो गई। हालांकि पांच दिन पहले कराई गई कोरोना वायसर जांच में महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। मगर एम्स प्रशासन ने ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से गंभीर रूप ग्रसित महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लीड बताई है। इस दौरान महिला की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया।
महिला की मौत को कोरोना की वजह से प्रदेश में पहली मौत की तरह प्रसारित किया जाने लगा। आखिरकार एम्स प्रशासन ने सामने आकर महिला की मौत का कारण स्पष्ट किया। शुक्रवार को यहां जारी मेडिकल बुलेटिन में एम्स प्रशासन ने हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की मौत की पुष्टि की है। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि बीते माह 22 अप्रैल को ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से ग्रसित इस महिला को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसका उपचार चल रहा था। महिला की 27 अप्रैल को कोरोना वायरस की जांच भी की गई थी, जिसमें वह पॉजिटिव पाई गई। उन्होंने बताया कि उक्त महिला की शुक्रवार सुबह मृत्यु हो गई है। निदेशक एम्स ने महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लिड की समस्या से होना बताया है। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप की वजह से इस महिला के ब्रेन के ऐसे हिस्से में जहां पर शरीर का सारा सिस्टम कंट्रोल होता है, वहां पर स्ट्रोक की वजह से ब्रेन ब्लिड की समस्या थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। उन्होंने बताया कि हालांकि महिला कोरोना पॉजिटिव थी, मगर उसे सबसे बड़ी समस्या अत्यधिक ब्लड प्रेशर के कारण ब्लिडिंग थी, साथ ही महिला को निमोनिया व यूरिन इंफेक्शन भी था, गंभीर बीमारियों और अधिक उम्र की वजह से शुक्रवार को उसकी मृत्यु हो गई।

एम्स से पहले नैनीताल और फिर बरेली में भर्ती रही थी महिला
एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि नैनीताल निवासी 56 वर्षीया महिला बीती 22 अप्रैल को एम्स में भर्ती हुई थी। जिसे ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत थी। यह महिला नैनीताल में पहले बृजलाल अस्पताल फिर स्वामी विवेकानंद अस्पताल में भर्ती थी, जहां इसका स्ट्रोक का उपचार चल रहा था। वहां से महिला श्रीराम मूर्ति हॉस्पिटल बरेली रेफर किया गया था। श्रीराममूर्ति अस्पताल से महिला 22 को एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर किया गया था।
उन्होंने बताया कि उक्त दोनों अस्पतालों से प्राप्त रिपोर्ट में महिला रोगी का कोरोना का टेस्ट भी हुआ था, लेकिन वहा महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। एम्स में भर्ती इस महिला को 27 अप्रैल को फीवर आया था, जिसके कारण इसका संस्थान में कोरोना का टेस्ट किया गया। जिसकी रिपोर्ट बीते मंगलवार पॉजिटिव आई थी।

प्राइमरी कांट्रेक्ट में आए सभी लोगों होंगे क्वारंटीन
एम्स में संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव पाई गई महिला के प्राइमरी कांटेक्ट में आए लोगों की जांच चल रही है। स्वामी विवेकानंद अस्पताल नैनीताल व श्रीराममूर्ति अस्पताल बरेली में इस महिला के संपर्क में करीब 50 लोग आए थे। बताया कि इस बाबत महिला जिन अस्पतालों में भर्ती रही है, वहां भी इसकी जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि संस्थान में इस महिला के प्राइमरी व सेकेंड्री कांटेक्ट में आए करीब 70 से 80 स्टाफ को क्वारंटीन किया गया है।

अन्य बीमारियों का भी किया जा रहा इलाज
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान लगातार सभी तरह के गंभीर रोगियों के इलाज में जुटा हुआ है। चाहे मरीज कोरोना पॉजिटिव, कोरोना निगेटिव अथवा किसी भी अन्य तरह की बीमारी से ग्रसित हो। उन्होंने बताया कि संस्थान में सभी तरह के सुरक्षात्मक उपाय बरते जा रहे हैं। ऐसा नही है कि एम्स में कोरोना पॉजिटिव केस आ गए हैं तो अन्य बीमारियों का इलाज बंद कर दिया गया हो।

सरकार की पारदर्शिता से जनता को मिल रहा लाभः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में एक अरब 13 करोड 42 लाख की 78 योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इसमें 48 करोड 52 लाख, 68 हजार की 24 योजनाओं का लोकार्पण व 64 करोड, 89 लाख, 43 हजार की 54 योजनाओं का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने महानगर हल्द्वानी की आन्तरिक सडकों हेतु 20 करोड रूपये की घोषणा भी की।

समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने वर्ग-4, वर्ग-1ख काबिज काश्तकारों को पट्टे, दीनदयाल आवास, आयुष्मती योजना के कार्ड लाभार्थियों को मुख्य मंच से ज्वाला दत्त, विशना देवी, धीरेन्द्र कुमार, दयाकिशन, कमला देवी, देवकी देवी, चम्पा, दीपा देवी, पार्वती, बबली आदि को वितरित किये।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार पारदर्शिता से विकास कार्य कर रही है। जिसका जनता को लाभ मिल रहा है। उन्होने कहा जनहित में शीघ्रता से नीतिगत निर्णय लिये जायेंगे। प्रदेश में विगत तीन वर्षो से केन्द्र सरकार के सहयोग से विकास की श्रृंखला गतिमान है जिससे प्रति व्यक्ति आय प्रतिवर्ष बढ रही है। उन्होने कहा कि कही भी पेयजल की कमी नही होने दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रदेश की जनता सर्वगुण सम्पन्न है मगर हमें व्यवसायिक गुण को अपना कर विकास की ओर उन्मुख होना होगा ताकि हम सम्पन्न होकर देश के सामने प्रदेश को एक मॉडल के रूप में स्थापित कर सकें।

विधायक व भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि सरकार लगातार विकास के कार्य कर रही है। विकास कार्यो में केन्द्र सरकार का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। उन्हांेने कहा कि दशकों से जमरानी बांध परियोजना को सरकार द्वारा स्वीकृत प्रदान कर दी गई है, जिससे तराई व भाबर को नवजीवन मिलेगा। उन्हांेने कहा भूमिहीनों को पटटा दिलाने, युवाओें, महिलाओं को समूहों के माध्यम से रोजगार को जोडने का कार्य सरकार के नेतृत्व मे किया जा रहा है जो सराहनीय है। सरकार गत तीन वर्षो से लगातार विकास कार्यो के साथ जनकल्याणकारी कार्य कर रही है जिससे जनता लाभान्वित हो रही है।

कार्बेट पार्क में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ायेगी सरकार

कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन किया जाए। मानव वन्य जीव संघर्ष से प्रभावित गांवों में वॉलण्टरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। कॉर्बेट व राजाजी पार्क में टाइगर व हाथी की अधिकतम धारण क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बंदरों को पीड़क घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में गरतांग गली ट्रेल में मार्ग निर्माण, उसके प्राचीन स्वरूप को बनाए रखते हुए किया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। मंगलवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14 वीं बैठक में उक्त निर्णय लिए गए।
गैण्डे के रिइन्ट्रोडक्शन के संबंध में प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियां गैण्डे के अनुकूल है। गैण्डे द्वारा मानव के साथ संघर्ष की जीरो सम्भावना होती है और यह अन्य जीवों के लिए भी सहायक होता है। इससे राज्य में पर्यटन गतिविधियां भी काफी बढ़ेंगी। इस पर बोर्ड द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन पर सहमति दी गई।
मछलियों को पकड़ने में अवैधानिक तरीकों के प्रयोग को रोकने के लिए युवक मंगल दलों, महिला मंगल दलों, वन पंचायतों का सहयोग लिया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। संरक्षित क्षेत्रों से दूसरे स्थानों पर बसाए जाने पर वन्य ग्रामों के लोगों भूमि संबंधी वही अधिकार मिलने चाहिए जो कि उन्हें अपनी पहले की भूमि पर प्राप्त थे। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
राज्य वन्य जीव बोर्ड द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाली वन भूमि हस्तांतरण व अन्य प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि की राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजने, रूद्रप्रयाग के उखीमठ नगर पंचायत में पेयजल योजना के लिए पाईप लाईन बिछाने की अनुमति, जनपद अल्मोड़ा में एनटीडी-कफड़खान मोटरमार्ग के 2 किमी से ग्राम भूल्यूड़ा सब्जी उत्पादन क्षेत्र हेतु मोटरमार्ग का नवनिर्माण, रामनगर-लालढांग मोटर मार्ग के 9 किमी व 13 किमी में सेतु का निर्माण, सोनप्रयाग से त्रिजुगीनारायण व कोठियालसैण से ऊषाड़ा तक मोटरमार्ग के किनारे ओएफसी लाईन बिछाए जाने की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजना प्रमुख हैं।
बैठक में वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत, विधायक सुरेश राठौर, दीवान सिंह बिष्ट, प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, मुख्य वन संरक्षक जयराज, डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार सहित वन विभाग के अधिकारी और राज्य वन्य जीव परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

आरक्षण प्रकिया को चुनौती देने वाली याचिका हाइकोर्ट ने खारिज की

हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव में आरक्षण निर्धारण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार द्वारा अपनाई गई आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराया है और कहा है कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के कारण याचिका निरस्त की जा सकती है। हाइ कोर्ट के आदेश के बाद पंचायतों में आरक्षण बदलाव की संभावनाओं और अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया है। इससे अब तक पसोपेश में चल रही राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों को ही बड़ी राहत मिली है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने किच्छा ऊधमसिंह नगर निवासी लाल बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई की। जिसमें सरकार की ओर से पंचायत आरक्षण की 13 अगस्त और 22 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार द्वारा आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया है। एक जिन ग्राम पंचायतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, उसमें आरक्षण चैथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था है, दूसरी वह ग्राम पंचायतें जिनमें नए वार्ड बने हैं या 50 फीसद नए सदस्य जुड़े हैं। या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है, उसमें प्रथम चक्र में आरक्षण लागू करने की व्यवस्था की गई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज व्यवस्था-1994 के प्रावधानों का उल्लंघन है, लिहाजा सरकार का नोटिफिकेशन निरस्त होने योग्य है। खंडपीठ ने सरकार के द्वारा की गई आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराते हुए आत जनहित याचिका को खारिज कर दिया।