जल्द हटेगा अंग्रेजों कानून, पटवारी के बजाए पुलिस संभालेगी कानून व्यवस्था

अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के लगभग बारह हजार गांवों में अंग्रेजों के बनाये कानून को दरकिनार करते हुये पर्वतीय जिलों में सभी जगह पुलिस थानों खोले जायेंगे।

दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1816 में कुमाऊं के तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर ने पटवारियों के 16 पद सृजित किए थे। इन्हें पुलिस, राजस्व संग्रह, भू अभिलेख का काम दिया गया था। साल 1874 में पटवारी पद का नोटिफिकेशन हुआ। रजवाड़ा होने की वजह से टिहरी, देहरादून, उत्तरकाशी में पटवारी नहीं रखे गए। साल 1916 में पटवारियों की नियमावली में अंतिम संशोधन हुआ। 1956 में टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून जिले के गांवों में भी पटवारियों को जिम्मेदारी दी गई।

वर्ष 2004 में नियमावली में संशोधन की मांग उठी तो 2008 में कमेटी का गठन किया गया और 2011 में रेवेन्यू पुलिस एक्ट अस्तित्व में आया। मगर गौर करने वाली बात यह कि रेवेन्यू पुलिस एक्ट बना तो दिया गया, लेकिन आज तक कैबिनेट के सामने पेश नहीं किया गया।

अंग्रेजों ने अपनी नीतियों के लिहाज से राजस्व वसूली और कानून व्यवस्था संभालने के लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी पद सृजित किए थे। तब से लेकर आज तक पर्वतीय जिलों में इसके मुताबिक काम हो रहा है। इन जिलों में सिविल पुलिस नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पटवारियों ने ब्रिटिश कमिश्नर की नियमावली में संशोधन की मांग उठाई, मगर उनकी आवाज दबकर रह गई।
कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता राज्य सरकार मदन कौशिक का कहना है कि पर्वतीय राज्यों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में आए हाइकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी।

इस संबंध में एडीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार का कहना है कि पर्वतीय जिलों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में हाइकोर्ट के आदेश को पढने के बाद आगे कदम उठाए जाएंगे।

उत्तराखंड हाईकोर्ट का यह फैसला विश्वभर में छा रहा

अब उत्तराखंड हाईकोर्ट का गंगा प्रदूषण पर दिया गया फैसला फ्रांस के शिक्षण संस्थानों में भी पढ़ने को मिलेगा। जी हां, गंगा प्रदूषण को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायिर की गयी थी। जिस पर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये गंगा सहित ग्लेशियर, पेड़ व पौधों को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था। फ्रांस में गंगा की मान्यता व मौजूदा स्थिति पर भी शोधार्थियों की रुचि तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि फ्रांस के शिक्षण संस्थानों में इस फैसले को कोर्स में शामिल किया गया है।

दरअसल, अधिवक्ता ललित मिगलानी की जनहित याचिका पर वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गंगा के साथ ही ग्लेशियर, पेड़ व पौधों को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था। पिछले साल दो दिसंबर को खंडपीठ ने 26 बिंदुओं को लेकर फैसला दिया था। गंगा को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने संबंधी फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुनौती दी थी। इस सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, जबकि ग्लेशियर व पेड़-पौधों को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने वाला आदेश प्रभावी है। अब तक इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं मिली है।

फ्रांस की शोधार्थी डेनियल बेरती ने याचिकाकर्ता व अधिवक्ता ललित मिगलानी से मुलाकात कर फैसले के अहम बिंदुओं बारे में जानकारी ली। उन्होंने इसकी पुष्टि किया कि इस विषय को फ्रांस के नेशनल सेंटर फॉर साइंस रिसर्च व सेंट्रल फॉर हिमालयन स्टडीज फ्रांस में अध्ययन के लिए शामिल कर लिया गया है। डेनियल ने गंगा की धार्मिक व सामाजिक मान्यता को लेकर भी तथ्यात्मक जानकारी जुटाई। अधिवक्ता मिगलानी ने इसको उत्तराखंड हाई कोर्ट के साथ ही देश के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया है। साथ ही कहा कि गंगा की स्वच्छता व निर्मलता को लेकर उनकी मुहिम जारी रहेगी।

भारत सरकार की नजर में होगा नैनी झील का संरक्षण

पर्वतीय क्षेत्र नैनीताल यूं तो देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है। हों भी क्यों ना? आखिर यहां नैनी झील ने सबको अपनी ओर आने पर विवश जो कर रखा है। आप यहां कभी भी आकर नैैनी झील में बोटिंग का लुफ्त उठा सकते है, परंतु इस बार नैैनी झील का जलस्तर घटने से जहां नैैनीताल की जनता के सम्मुख पेयजल की समस्या बनी हुयी है, तो वही पर्यटकों को आकर्षित करने वाली नैनी झील अब कम आकर्षित कर रही है और इसका प्रभाव यह देखने को मिला कि यहां पर्यटकों की संख्या अन्य वर्षों की तुलना में कम आंकी गई। लेकिन अब नैैनी झील के जलस्तर की डोर केद्र सरकार की अमृत योजना से दूर होगी।
भारत सरकार की अमृत योजना से नैनी झील में गिरने वाले क्षतिग्रस्त नालों को दुरुस्त करने, नालों की कवरिंग, पार्किंग आदि के लिए सात करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। झील का स्वामित्व सिंचाई विभाग को सौंपने के बाद लोक निर्माण विभाग ने यह प्रस्ताव भी सिंचाई विभाग को सौंप दिया है। दरअसल, ब्रिटिश शासनकाल में नैनी झील के संरक्षण-संवर्धन के लिए शहर की पहाड़ियों पर 62 नाले बनाए गए थे। इनमें से सात नाले झील के जलागम क्षेत्र सूखाताल में गिरते हैं, जबकि छह बलियानाला में। टूट-फूट व अन्य वजहों से इनमें से तीन नालों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। 44 नाले सीधे नैनी झील में गिरते हैं। बारिश में इन्हीं नालों के माध्यम से झील रीचार्ज होती है। अतिक्रमण, कूड़ा-कचरा आदि की वजह से नालों का अस्तित्व खतरे में पड़ा तो हाईकोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा। झील में गिरने वाले नालों के किनारे से अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया गया। इसके बाद हरकत में आई मशीनरी द्वारा अतिक्रमण की वजह से बंद किए गए नालों को खोला गया। इसी साल गर्मियों में झील का जलस्तर रिकार्ड स्तर पर नीचे चला गया तो पूरी सरकार और शासन तंत्र हिल गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद झील का निरीक्षण करने व स्थानीय विशेषज्ञों से बात करने नैनीताल पहुंचे तो राज्यपाल ने उच्चस्तरीय बैठक कर कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई।
नालों के ऊपर जाली लगाने का प्रस्ताव
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता एमपीएस कालाकोटी के अनुसार अमृत योजनांतर्गत नालों को कवर करने का भी प्रावधान है, ताकि अतिक्रमण और कूड़ा-करकट से उनको बचाया जा सके। 23 नंबर नाले के दोनों ओर घनी आबादी है। इसलिए नाले के ऊपर जाली लगाने का भी प्रावधान किया गया है। मल्लीताल मस्जिद के पीछे तथा बीडी पांडे अस्पताल के समीप पार्किंग का भी प्रस्ताव है। झील के समीप के खुले नाले पर स्कवर बनाने की योजना है, ताकि अत्यधिक बारिश में पानी सड़क के बजाय सीधे झील में जाए।

कैसे होगी पढ़ाई जब प्रदेश में शिक्षकों के 7 हजार पद रिक्त है!

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि प्रदेश में 7 हजार शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। सरकार भी इन पदो को भरे जाने के लिए गंभीर है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट की शरण में है जिस कारण सरकार कोई फैसला नही कर पा रही है। शिक्षामंत्री का कहना है कि जैसे ही हाईकोर्ट की तरफ से आदेश आएगा। सरकार द्धारा शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर चयन आयोग को निर्देश दे दिए जाएंगे।
वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि बेहतर पठन पाठन व शैक्षणिक माहौल के लिए प्रदेश में बोर्ड बदलने की जरूरत नहीं है। जरूरत है तो पाठ्यक्रम बदने की जिसके लिए सरकार ने सैलेबस बदलने की पहल की है। जिसे केबिनेट में भी पास करा लिया गया है। जिसके बाद अब विद्यार्थी एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ सकेंगे। कक्षा एक से लेकर इंटरमीडिएट तक के सभी विद्यालयों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है। एनसीईआरटी पुस्तकों के माध्यम से ही मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं। इस व्यवस्था के बाद हमारे विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर करेंगे।

जमरानी बांध के निर्माण को सीएम से मिले बंशीधर भगत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में विधायक बंशीधर भगत के साथ जमरानी बांध पर चर्चा हुयी। चर्चा के दौरान, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछली मुलाकात के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस विषय पर वार्ता हो चुकी है। शीघ्र ही इस बहुद्देश्यीय प्रोजेक्ट के लिये केन्द्र सरकार, उत्तराखण्ड सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की मध्य एमओयू साईन किया जाएगा एवं केन्द्र सरकार से भी शीघ्र ही मंजूरी मिल जाएगी।
विधायक बंशीधर भगत ने कहा कि इस बहुद्देश्यीय जमरानी बांध के बन जाने से भू-जल स्तर में सुधार आएगा, जिससे कुमांऊ के भाबर क्षेत्र में पानी की कमी से निजात मिल सकेगी। जमरानी बांध का फायदा प्रदेश के नैनीताल, ऊधमसिंह नगर के अलावा यूपी के बरेली जिले को बिजली-पानी की सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए होगा। उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्षाें से रूके इस कार्य में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में बांध के कार्य में तेजी आयी है।

देहरादून आएं फार्मासिस्ट की स्वाइन फ्लू से मौत!

रामनगर के पीरुमदारा में स्वाइन फ्लू से हुई फार्मासिस्ट की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग मे हडकम्प मचा हुआ है। सीएमओ डा. एचके जोशी ने सोमवार को रामनगर का दौरा किया। उन्होंने मृतक के करीबियों को स्वाइन फ्लू की दवाइयां दी। उन्होंने मृतक की रिपोर्ट देखने के बाद माना कि मौत
स्वाइन फ्लू से ही हुई है। बताया जा रहा है फार्मेसिस्ट अपने निजी काम से देहरादून गया था। जहां भीडभाड वाले इलाके में इस वायरस ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। जिसके बाद दिल्ली में उसकी पुष्टि हुई, और दिल्ली में ही इलाज के दौरान कल उसकी मृत्यु हो गई। सीएमओ ने कहा कि इस क्षेत्र में अभी तक यह वायरस सक्रिय नही है। इसलिए इससे घबराने की कोई जरुरत नही है। यदि सर्दी-जुकाम और बुखार की शिकायत हो तो अस्पताल में अपना इलाज करायें।

बेटे की शहादत पर बोले पिता, आरपार की लड़ाई हो

कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंड का एक और लाल शहीद हो गया है। मूल रूप से अल्मोड़ा के कनालीछीना के रहने वाले व हाल निवासी हल्द्वानी के ऊंचा पुल क्षेत्र के हिम्मतपुर मल्ला गांव के मेजर कमलेश पांडे जम्मू कश्मीर के शोफिया क्षेत्र में बुधवार देर रात आतंकियों से लड़ते शहीद हो गए। शहीद मेजर कमलेश पांडे का पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंच गया है और देर रात तक हल्द्वानी उनके ऊंचा पुल स्थित उनके आवास में ससम्मान उनका पार्थिव शरीर पहुंचेगा और कल रानी बाग स्थित चित्रशीला घाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद मेजर कमलेश पांडे की अंत्येष्टि की जाएगी। कमलेश पांडे की शहादत का समाचार जैसे ही उनके परिवार के पास पहुंचा तो पूरा परिवार गमगीन हो गया। मेजर कमलेश पांडे 28 साल के थे और उनकी एक दो साल की बेटी भी है और उनकी पत्नी गाजियाबाद में नौकरी करती है जोकि देर शाम तक हल्द्वानी स्थित अपने आवास पहुंच जाएगी। शहीद मेजर कमलेश पांडे के पिता मोहन चंद्र पांडेय भी आर्मी से रिटायर हैं। मोहन चंद्र पांडे आर्मी में हवलदार थे, शहीद मेजर कमलेश पांडे का छोटा भाई भी आर्मी में तैनात है। शहीद के पिता मोहन चंद्र पांडे का कहना है कि उनको अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। लेकिन वह देश के राजनेताओं से चाहते हैं कि एक बार पाकिस्तान से आर पार की लड़ाई हर हाल में होनी चाहिए तभी इस तरह की शहादत रुकेंगे। अपने बेटे को देश की रक्षा में खो चुके है लेकिन उनका मानना है कि जिस तरह घर में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ। उसी तरह इस बार भी होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान को तभी सबक मिलेगा। उधर, शहीद कमलेश पांडे के घर पहुंचे आर्मी के अधिकारियों ने परिवार को दिलासा दिलाई और देर शाम तक शहीद मेजर कमलेश पांडे के पार्थिव शरीर को उनके आवास लाए जाने की सूचना दी।

अजीब नाम से क्या पर्यटक डर जाते है?

नाम में क्या रखा है ? शैक्सपीयर ने भले कहा हो कि गुलाब का नाम कुछ और रख देने से उसकी खुशबू थोड़े ही बदल जायेगी ? लेकिन नैनीताल के विधायक संजीव आर्य शैक्सपीयर के इस कथन से सहमत नहीं हैं। वे नैनीताल की कुछ झीलों के नाम तो बदलना चाहते हैं जिनके नाम अजीब हैं। जैसे यहां एक झील का नाम है-‘सुसाइड प्वाइंट’, तो दूसरी ‘फांसी गधेरा’ कहलाती है तो तीसरी सादिया (नष्ट हो रही ) ताल। आर्य इस बारे में सरकार को पत्र लिख रहे है कि इन नामों के सुनने से पर्यटकों को धक्का लगता है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी कुमाऊ में ही चोरगलिया का नाम बदले जाने का अभियान चला था।
विधायक संजीव आर्य का कहना है कि कुछ पर्यटक स्थलों के नाम सुनकर पर्यटकों को अजीब लगता है। विधायक ने जनता से इन और ऐसे नामों की जगह वैकल्पिक नामों के सुझाव मांगें हैं। उनका कहना है कि इनमें बहुत से नाम तो अधिकृत भी नही हैं। जैसे कि सुसाईड प्वाइंट नाम तो कुछ गाइडों और घोड़े वालों ने पर्यटकों के बीच केवल उत्सुकता पैदा करने को रख दिया और इसके समर्थन में मन गढ़ंत कहानियां तक सुनानी शुरू कर दी। जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। जबकि इस स्थल का नाम यहां की साहसिक संभावनाओं के दोहन को होना चाहिये। उन्होने बताया कि कुछ साल पहले जब सादिया ताल का सौन्दर्यीकरण किया गया तो इसका नाम सरिता ताल रखा गया था लेकिन प्रचलन में अभी सादिया ताल ही है। विधायक संजीव आर्य ने नगर पालिका से भी इनके नामकरण से संबंधित रिकार्ड खंगालने को कहा है ताकि इसके बाद मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री से इस बारे मे बातचीत की जा सके।
अलबत्ता, इतिहास में रूचि रखने वाले जानकारों का कहना है कि सुसाइड प्वाइंट नाम तो कभी अस्तित्व में ही नही रहा लेकिन बाकी दो का नाम इतिहास में है और उनका नाम न ही बदला जाये, तो अच्छा होगा। उदाहरण को फांसी गधेरा प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के रोहिलाओं को फांसी दिये जाने की याद दिलाता है जिन्होने 1857 में हल्द्वानी पर हमला किया था। इसका नाम बदलने का अर्थ होगा, इतिहास को भुलाना। इसी प्रकार सादिया ताल मूलतः वेटलेंड और क्षेत्र के जल प्रबंधन का हिस्सा है। यहीं पर कुमाऊ कमिश्नर सर हेनरी रैमजे ने पहली बार 1856 में आलू की खेती शुरू कराई थी।

कार मे रात बिताई, सुबह मृत मिला चालक


नैनीताल। 
मल्लीताल कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत अल्टो कार में चालक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उसका शव कार में ही मिला। मृतक की पहचान कैलाश भाकुनी पुत्र भीम सिंह भाकुनी मूल निवासी बलदियाखान हाल निवासी चार्टन लॉज मल्लीताल के रूप में हुई है। 
पुलिस ने वाहन समेत शव कब्जे में ले लिया है। मृतक के परिवार में बीवी समेत दो छोटे बच्चे हैं। आज सुबह नौ बजे मल्लीताल स्थित तिराहे के समीप किसी ने आल्टो संख्या यूके-04 टी ए, 8346 में चालक सीट पर शव पड़ा देखा। इस पर इसकी सूचना कोतवाली में दी। कोतवाल विपिन पंत ने एसआई देवेंद्र बिष्ट व अन्य कर्मियों को मौके पर भेजा। पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल में पता चला है कि कल तीन बजे से कैलाश व उसके चालक साथियों ने एक साथ शराब पी थी। नशे की वजह से कैलाश घर नही जा सका और गाड़ी में ही सो गया। उसने उल्टी भी कर रखी है। 

एसओजी कर रही पूर्व सीएम की पुत्रवधू को आ रहे कॉल्स की जांच


तकनीक का जमाना सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्रवधू के लिए जी का जंजाल बन गया है।  आलम ये है कि गंदे- मैसेज के लगातार हो रहे प्रवाह से उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व सीएम के पुत्र ने पहले उस नंबर पर बात कर उसे ऐसा न करने की हिदायत दी लेकिन सिरफिरे पर  आनंद की बात का कोई असर नहीं हुआ। उसकी हरकत लगातार बढ़ती रही।
मजबूरन रावत दम्पति को पुलिस में शिकायत दर्ज करवानी पड़ी। जैसे ही यह खबर आम हुई पूरे राज्य  में हंगामा मच गया। लिखित शिकायत के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए SOG दस्ते ने जांच को अपने हाथ मे ले लिया है। बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में मैसेज राजस्थान से भेजे गए हैं। हालांकि अभी पूरी जांच रिपोर्ट  और बदतमीज सिरफिरे का पकड़ा जाना बाकी है।
बहरहाल असल बात ये है कि ऐसी मानसिकता वाले सिरफिरों से आम आदमी कैसे बचेगा जो खास की भी परवाह न करते हों। जरूरत है ऐसी नापाक दंबगई को सबक सिखाने की, ताकि जमीर वालों के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे।  फिर चाहे वो आम हो या फिर खास ।