स्टेट एआरटी व सरोगेसी बोर्ड की द्वितीय बैठक में लिये गये अहम फैसले

राज्य में एआरटी व सरोगेसी क्लीनिक एवं बैंकों की स्थापना के लिये प्राप्त आवेदनों का शीघ्र निस्तारण किया जायेगा। इसके लिये राज्य नोडल अधिकारी को अभी तक प्राप्त आवेदनों के सत्यापन में तेजी लाने के निर्देश दे दिये गये हैं। एआरटी व सरोगेसी एक्ट से संबंधित प्रकरणों की जानकारी प्राप्त करने एवं दुरूपयोग को रोकने के लिये एक हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया जायेगा जोकि स्वास्थ्य विभाग के हेल्पलाइन नम्बर 104 से लिंक किया जायेगा। इसी के साथ राज्य स्तरीय बोर्ड में दो विशेष अमंत्रित सदस्य नामित किये जायेंगे।

सचिवालय स्थित वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में राज्य एआरटी एवं सरोगेसी बोर्ड की द्वितीय बैठक प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सम्मपन्न हुई, जिसमें एआरटी व सरोगेसी क्लीनिक तथा एआरटी बैंकों की स्थापना को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। बोर्ड के अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री डा. रावत ने बताया कि राज्य में एआरटी क्लीनिक लेवल-1 के लिये 06 आवेदन तथा लेवल-2 के लिये 22 आवेदन विभिन्न मेडिकल संस्थानों से प्राप्त हुई। जबकि सरोगेसी क्लीनिक के लिये 07 आवेदन प्राप्त हुये हैं, जिनमें एम्स ़ऋषिकेश सहित अन्य निजी अस्पताल व नर्सिंग होम शामिल है। इसी प्रकार एआरटी बैंक के लिये प्रदेशभर से 08 आवेदन प्राप्त हुये हैं। बोर्ड बैठक में प्राप्त आवेदनों के आधार पर जिन संस्थानों द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करा दिया गया है उनका शीघ्र निरीक्षण करा कर पंजीकरण की प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश बोर्ड सचिव व राज्य नोडल अधिकारी को दे दिये गये हैं। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि एआरटी व सरोगेसी से संबंधित जानकारी, सुझाव प्राप्त करने तथा सरोगेसी के व्यवसायीकरण एवं दुरूपयोग को रोकने के लिये एक हेल्पलाइन नम्बर जारी किया जायेगा जो कि स्वास्थ्य विभाग के हेल्पलाइन नम्बर 104 से लिंक रहेगा। इसके अतिरिक्त बैठक में सीएमओ की अध्यक्षता में शीघ्र जिला मेडिकल बोर्ड गठन की कार्यवाही पूर्ण करते हुये प्रत्येक जनपद में मेडिकल बोर्ड की पृथक लॉगइन आईडी खोलने के निर्देश दिये गये ताकि सरोगेसी व एआरटी का लाभ लेने वाले दम्पतियों को समय पर जिला मेडिकल बोर्ड की संस्तुति मिल सके। बैठक में निर्णय लिया गया है कि बोर्ड बैठक में प्रतिभाग के लिये आने वाले गैर सरकारी सदस्यों एवं निरीक्षण टीम के सदस्यों को टीए-डीए दिये जाने का निर्णय भी लिया गया। इसके अतिरिक्त बोर्ड में एक महिला व एक पुरूष को विशेष आमंत्रित सदस्य नामित करने का भी निर्णय लिया गया।

बैठक में बोर्ड सदस्य विधायक कैंट सविता कपूर, विधायक भगवानपुर ममता राकेश, प्रमुख सचिव न्याय नरेन्द्र दत्त, अपर सचिव स्वास्थ्य व सदस्य सचिव अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह, डॉ. लतिका चावला, डॉ. मीनू वैश्य, डॉ. अनीता रावत, श्रीमती बिंदुवसिनी, सुश्री हेमलता बहन, लॉरेन्श सिंह, अरूणा नेगी चौहान, डॉ. सुनीता चुफाल, डॉ अमलेश सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिये जिला स्वास्थ्य समिति के पुनर्गठन के निर्देश

उत्तराखंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत राजकीय चिकित्सालयों में एएनएम के रिक्त 330 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से शीघ्र तैनाती दी जायेगी। ब्लॉक स्तर पर रोगी कल्याण समिति का गठन किया जायेगा, जिसमें जनप्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी जबकि जिला स्तर पर गठित जिला स्वास्थ्य समिति को पुनर्गठित किया जायेगा। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये प्रदेशभर में जनजागरूकता अभियान चलाये जाएंगे। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज शासकीय आवास पर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने बताया कि सूबे में स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती के दृष्टिगत विभिन्न राजकीय चिकित्सालयों में लंबे समय से रिक्त एएनएम के 330 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है जिसमें अधिक समय लगने के मध्यनजर इन पदों के सापेक्ष आउटसोर्स के माध्यम से एएनएम की तैनाती की जायेगी। इसके अलावा राजकीय चिकित्सा इकाइयों में चतुर्थ श्रेणी के 2500 पदों को भी आउटसोर्स से भरा जायेगा। जिसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश में वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान संचालित किये जायेंगे इसके साथ ही खुशियों की सवारी योजना का प्रचार-प्रसार किया जायेगा ताकि गर्भवती महिलाएं संस्थागत प्रसव के लिये प्रेरित हो सके। इसके लिये सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को अपने अपने जनपद में जनजागरूकता अभियानों के संचालन एवं उनकी मॉनिटरिंग करने के स्पष्ट निर्देश दे दिये हैं। डॉ रावत ने बताया कि आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों की सहायता एवं अस्पतालों के बेहतर संचालन के लिये ब्लॉक स्तर पर रोगी कल्याण समिति का गठन किया जायेगा जबकि जिला स्तर पर गठित जिला स्वास्थ्य प्रबंधन समिति का पुनर्गठन कर दोनों समितियों में जनसहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। इसके साथ ही समिति में महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये।

बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनीता शाह, निदेशक स्वास्थ्य डॉ सुनीता टम्टा, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सयाना, सीएमओ देहरादून डॉ. संजय जैन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

बजट खर्च की धीमी प्रगति पर स्वास्थ्य मंत्री ने लगाई फटकार

सूबे में टीबी मरीजों को मिलने वाला पोषण भत्ता अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेजा जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिये वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया जायेगा। विभाग द्वारा स्वीकृत बजट को समय पर खर्च न करने पर विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई तथा भविष्य में बजट खर्च करने का टारगेट तय करने को कहा।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने विगत 14 एवं 15 जुलाई 2023 को आयोजित दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में लिये गये निर्णयों के क्रियान्वयन को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। डा. रावत ने बताया कि सूबे में चिन्हित टीबी मरीजों को राज्य सरकार द्वारा निःक्षय मित्रों के सहयोग से बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को विभाग की ओर से दिये जा रहे रू0 500 के मासिक पोषण भत्ते को अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके खातों में उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिये उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये। इसके अलावा उन्होंने आशा कार्यकत्रियों के मानदेय को आशा संजीवनी ऐप के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेजने के निर्देश दिये। विभागीय मंत्री डा. रावत ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनिमिया उन्मूलन मिशन के अंतर्गत प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोगों की रोकथाम के लिये वृहद स्तर पर जनजागरूकता एवं निःशुल्क जांच अभियान चलाने के निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोग से अधिकांश लोग पीड़ित हैं और इस वंशानुगत बीमारी से ज्यादातर लोग अंजान हैं। जिसकी वहज से इस रोग के साथ नवजात शिशु जन्म ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि सिकल सेल रोग की इस चेन को तोड़ने के लिये जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य टीमें घर-घर जाकर निःशुल्क जांच करेंगी।
बैठक में विभागीय मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वीकृत बजट की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुये अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यह जनता का विभाग है और समय पर बजट खर्च न होने से आम लोग स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रह जाते हैं। डा. रावत ने निर्माणाधीन कार्यों की धीमी प्रगति पर भी अधिकारियों के जवाब तलब किये, साथ ही उन्होंने दवा, इंफ्रास्ट्रक्चर, इक्यूपमेंट, सैलरी व लाभार्थियों को दिये जाने वाली धनराशि समय पर खर्च न कर पाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि तय समय पर निर्माणाधीन कार्यों को पूरा करने के साथ ही विभिन्न मदों में स्वीकृत बजट को यथाशीघ्र व्यय किया जाय, जिसकी मासिक प्रगति रिपोर्ट उन्हें भी उपलब्ध कराई जाय। डा. रावत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत लम्बे समय से रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये।
इस अवसर पर मिशन निदेशक एनएचएम रोहित मीणा, अपर सचिव अमनदीप कौर, गरिमा रौंकली, नमामि बंसल, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, वित्त नियंत्रक दिपाली भरने निदेशक स्वास्थ्य डा. सुनीता टम्टा सहित डॉ. पंकज सिंह, डा. एम. के. मौर्य, डा. अजय नगरकर व अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

देश को स्वस्थ बनाने के लिए जुटे देशभर स्वास्थ्य मंत्री

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून के एक होटल में संयुक्तरुप से केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद के 15 वें सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। इस स्वास्थ्य चितंन शिविर में 6 सत्रों को आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर स्वास्थ्य संबंधित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रो. एस.पी.सिंह बघेल, डॉ. भारती प्रवीण पंवार, उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के पॉल, सचिव स्वास्थ्य, भारत सरकार श्री राजेश भूषण, विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री तथा स्वास्थ्य सचिव उपस्थित रहे।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद की यह दूसरी ऐसी बैठक है जिसे चिंतन बैठक का स्वरूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ उपार्जन करने के लिए सामुहिक चिंतन एवं मनन बहुत आवश्यक है। इससे निकलने वाले निष्कर्ष सर्वाेत्तम होते हैं। इस दो दिवसीय बैठक में जो मंथन होगा, उससे जो सुझाव मिलेंगे, वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के भविष्य के लिए बहुत उपयोगी होगा। आजादी के अमृतकाल में इसके लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं कि हमारा हेल्थ सेक्टर का मॉडल पूर्ण रूप से हमारे देश के अनुरूप हो।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2025 तक देश को क्षय रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने अपेक्षा की कि इस दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में सभी राज्यों से अधिक से अधिक सुझाव आयेंगे, जो स्वास्थ्य सुविधाओं को और मजबूत बनाने में मदगार होंगे। इस दो दिन के मंथन में सभी को स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश को और मजबूत बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य चिंतन शिविर में प्रतिभाग कर रहे सभी अतिथियों का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व एवं सम्मान की बात है कि इस वर्ष केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड को स्वास्थ्य चिंतन शिविर कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य चिंतन शिविर के दौरान स्वास्थ्य विभाग की नीतियों व कार्यक्रमों के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए विशिष्ट दृष्टिकोण विकसित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के प्राचीन ग्रंथ दुनिया को एक परिवार के रूप में देखना सिखाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमारा दृष्टिकोण ’एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को हर क्षेत्र में व्यापक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। आज चाहे रोड कनेक्टिविटी हो, इंफ्रास्ट्रक्चर हो, रोपवे सेवा हो या फिर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हो। हर क्षेत्र में लाभार्थियों तक सुविधाओं को पहुंचाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के परस्पर समन्वय से कार्यों का सफल सम्पादन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल दिशा निर्देशन में अटल आयुष्मान योजना प्रदेशवासियों के लिए वरदान साबित हुई है। आज प्रदेश में सभी को निःशुल्क स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही कैशलेस उपचार देने की दिशा में अटल आयुष्मान योजना प्रभावी सिद्ध साबित हो रही है। आम नागरिकों को घर बैठे स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मोबाईल एप के जरिए ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। ई-संजीवनी सेवाएं दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र के मरीजों के लिए बड़ी सौगात हैं। हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर के माध्यम से आम जनमानस को उनके क्षेत्रों में स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जन आरोग्य अभियान ’’एक कदम स्वस्थ्य जीवन की ओर’’ का आयोजन किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024 तक राज्य को क्षय रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धरातल पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में बीमारियों को रोकने के लिए जन-जागरुकता फैलाने, गरीबों को सस्ता और प्रभावी इलाज देने, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की क्वान्टिटी और क्वालिटी में बढ़ोतरी करने की दिशा में मिशन मोड पर कार्य कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में हो रहे इस दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार एवं इस क्षेत्र में अनेक नये आयाम स्थापित करने की दिशा में चिंतन होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए जो भी आवश्यकता हुई उसके लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का पूरा सहयोग मिला है। चारधाम यात्रा में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी केन्द्र सरकार से राज्य को पूरा सहयोग मिल रहा है।

सुविधा-दून मेडिकल कॉलेज में होंगी हार्ट और कैंसर रोग की जांच

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा गुरुवार को दून मेडिकल कॉलेज में पहली सरकारी कैथ लेब के साथ डिजिटल रेडियोग्राफी एवं मैमोग्राफी का शुभारंभ किया गया।
अपने संबोधन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सक्षम मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि उनके कुशल नेतृत्व में प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ अन्य क्षेत्रों में भी विकास के नए प्रतिमान स्थापित हो रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चारधाम यात्रा में समग्र देश के लोग यहां आते है। गंगा के इस प्रदेश के प्रति भी सबकी आस्था है। उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा के लिये जिस तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था भारत सरकार द्वारा की जाती है उसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं अन्य व्यवस्थायें चारधाम यात्रा के लिये भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के विकास हेतु तेजी से कार्य किये जा रहे है। केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के विकास कार्यों में हर संभव मदद की जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में हो रहे विकास कार्यों से उत्तराखण्ड आगे बढ़ रहा है और भारत के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दो दशक पहले तक देश की 100 करोड़ जनता के लिये केवल एक एम्स था लेकिन आज उत्तराखण्ड की एक करोड़ जनता के लिये दिल्ली एम्स की सुविधाओं के समान ऋषिकेश में स्थापित एम्स बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी देश को डेवलप कंट्री बनना है तो जरूरी है कि उस देश के नागरिक स्वस्थ हो, नागरिक स्वस्थ होंगे तो समाज स्वस्थ होता है और स्वस्थ समाज ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन से देश में हो रहे बदलाव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका में जहां 10 करोड़ लोगों को तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा देने का कार्य किया, भारत में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के 12 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा दी है। आज अमीर-गरीब को अस्पतालों में समान रूप से स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है। पहले लोगों के लिए इलाज के लिए साहूकारों में कर्ज लेकर इलाज कराना पड़ता था, आज उनका इलाज निःशुल्क हो रहा है, आयुष्मान भारत उदाहरण है सरकार के दायित्व का। देश के लगभग 70 हजार छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते रहे है। 2014 से पहले देश में मेडिकल की 54 हजार सीटे थी पिछले साल में यह संख्या दुगुनी हुई है। देश में 700 मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये है, 157 नर्सिंग कॉलेज बनाये गये हैं। एम्स ऋषिकेश से ड्रोन के माध्यम से सेम्पल जांच की सुविधा हो गई है। टेलीमेडिसिन में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश बदल रहा है, नए भारत का निर्माण हो रहा है। हेल्थ सेक्टर मजबूत हुआ हैं। इनोवेशन व रिसर्च को बढ़ावा दिया जा रहा है। युवा विज्ञानी आगे आ रहे है। कोविड के बेहतर प्रबंधन के लिये दुनिया ने भारत के प्रयासों को सराहा है। वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी परम्परा रही है। केवल लाभ नहीं शुभ लाभ की हम कामना करने वाले है। कोविड लॉकडाउन के दौर में जब विदेशों में डॉक्टर नर्स अपने काम पर नहीं आ रहे थे, हमारे डॉक्टर एवं नर्सों ने निरंतर अपनी सेवाएं दी। स्वास्थ्य सेवा दुनिया के लिए प्रोफेशन है तो हमारे लिए जनसेवा है। हमारे समाज में डॉक्टर को देवदूत माना जाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखण्ड विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए हेल्थ टूरिज्म के क्षेत्र में भी आगे बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का दून चिकित्सालय में आईसीयू कॉम्प्लेक्स, कैथ लैब, डिजिटल रेडियोग्राफी और मैमोग्राफी के लोकार्पण से देहरादून को स्वास्थ्य के क्षेत्र में सौगात देने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर जीवन का मुख्य ध्येय होना चाहिए। यह हमारी संस्कृति मानती है। इस दृष्टि से हमारी सरकार ने राज्य में ’’जन-स्वास्थ्य’’ के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। आज देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व और दिशा निर्देशन में अन्य क्षेत्रों की भांति स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी देश निरंतर आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई योजनाओं से लाभ सभी को मिला है। कोरोना काल में जहां एक ओर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने करोड़ो लोगों के दो वक्त का भोजन सुनिश्चित किया वहीं आयुष्मान भारत योजना ने देश के नागरिकों को यह भरोसा दिलाया कि बीमार होने पर उन्हें निःशुल्क उपचार अवश्य मिलेगा। आज यह बात हर भारतीय को गौरवान्वित करती है कि हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ चलाई जा रही है। प्रदेश में लगभग 50 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। राज्य में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2022-23 में गर्भवती महिलाओं के कुल 92 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हुए हैं, जबकि 90 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को निशुल्क दवाइयां, 98 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण सेवायें एवं 89 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को निशुल्क पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही राज्य के 9 जनपदों में 10 एस.एन.सी.यू. पूर्णतया क्रियाशील हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुपोषण से ग्रसित बच्चों के इलाज हेतु वर्तमान में 2 पोषण पुनर्वास केन्द्रों की हरिद्वार एवं उधमसिंह नगर जनपदों में स्थापना की गयी है जिसमें आज तक 172 कुपोषित बच्चों का इलाज किया जा चुका है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 1735 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर के लक्ष्य के सापेक्ष राज्य में 1820 सेन्टर क्रियाशील हैं। जिसमें 1382 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की तैनाती की गयी है। जिनके माध्यम से करीब चौदह लाख रोगियों को परामर्श के साथ ही चिकित्सा उपचार प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 में राज्य हेतु निर्धारित लक्ष्य का 99 प्रतिशत पूर्ण किया गया जबकि वर्ष 2023 के लिए निर्धारित लक्ष्य को माह मई 2023 तक ही 92 प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के तहत निक्षय मित्र पंजीकरण अभियान में भारत के प्रथम 10 राज्यों की सूची में उत्तराखण्ड का दूसरा स्थान है। राज्य के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता को बढायें जाने के दृष्टिगत प्रथम चरण में 14 विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गयी है तथा द्वितीय चरण में 11 विशेषज्ञ चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र दिये गये हैं। इसके साथ ही टेली मेडिसिन सुविधा के तहत राज्य में संचालित की जा रही है जिसमें अब तक लगभग 50 लाख से अधिक लोगों को चिकित्सकीय परामर्श दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतवर्ष के प्रत्येक जिलों में एक-एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना किये जाने के प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन के तहत केन्द्रीय वित्त पोषित योजना के अन्तर्गत प्रदेश में हरिद्वार, रूद्रपुर एवं पिथौरागढ़ में प्रस्तावित राजकीय मेडिकल कॉलेजों का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही पूर्व से स्थापित राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रम में सीट क्षमता को 100 से 150 किये जाने हेतु कार्यवाही गतिमान है। उधमसिंहनगर जिले में एम्स ऋषिकेश के सैटेलाईट सेंटर का निर्माण, महिला स्वास्थ कार्यकर्ताओं तथा सामुदायिक स्वास्थ अधिकारियों की नियुक्ति, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना तथा चिकित्सा की पढ़ाई को स्थानीय भाषाओं में संभव बनाने का प्रयास सहित अनेकों प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष केदारनाथ की पवित्र धरती से प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बताया था। प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हम अपने ’’विकल्प रहित संकल्प’’ के आधार पर निरंतर कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी के सहयोग से समृद्ध, सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड का निर्माण करने में सफल होंगे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 500 करोड़ तथा एम्स ऋषिकेश के सेटलाइट सेन्टर ऊधमसिंहनगर में स्थापना के लिए भी 500 करोड़ की स्वीकृति प्रदान करने का आश्वासन दिया है। प्रदेश में 4 नर्सिंग कालेजों की भी सहमति केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रदान की गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा चारधाम यात्रा में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी कैथ लैब की स्थापना की सहमति दी है। इससे यात्रियों के साथ स्थानीय जनता को सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में देश के 10 राज्यों में शामिल हैं
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी सिंह बघेल, सांसद नरेश बसंल, विधायक खजान दास, सविता कपूर, बृजभूषण गैरोला, मेयर सुनील उनियाल गामा, सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पाण्डेय, सचिव स्वास्थ्य आर. राजेश कुमार, कुलपति मेडिकल विश्वविद्यालय प्रो0 हेमचंद्र, अपर सचिव स्वास्थ्य नमामि बंसल, अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

13 जिलों में 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्ड का गठन, धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि

देहरादून। केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगवाई में कैबिनेट ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पर गंभीरता से काम कर रहे थे। केन्द्र में कई बार उन्होंने इसकी पैरवी की। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पूरी टीम के साथ इस पर गंभीरता से काम किया और केन्द्र की मुहर के बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी। आपको बता दें स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद से डॉ आ राजेश कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के साथ केन्द्र की योजनाओं को राज्य में तेजी से धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और केन्द्रीय स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही समय-समय पर केन्द्र सरकार से आये अधिकारियों ने भी तारीफ की है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह सहित पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैरसरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क
प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन
नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन
मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 को भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 मई, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया था, जिसको उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मूल रूप में अधिकृत कर लिया गया है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों, उनके उचित उपचार एवं संरक्षण करना है। इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर गढ़वाल में, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।

इस अधिनियम के आलोक में राज्य सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखरेख नियम, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) के लिए नियम विनियम एवं मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार इत्यादि को तैयार कर लिया गया है एवं भारत से अनुमोदन प्राप्त कर मंत्री परिषद् में राज्य में प्रख्यापित करने हेतु प्रेषित किया गया, जोकि आज दिनांक 07.07.2023 को सम्पन्न हुई मंत्री परिषद की बैठक में सभी नियमो विनियमों को प्रख्यापित करने को मंजूरी दे दी गई है।

सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों एवं मनशचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं) को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थाई पंजीकरण हेतु न्यूनतम राशि रू0 2,000/- का प्राविधान है एवं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निःशुल्क किया जाना है।

इन नियम विनियमों के प्रख्यापित हो जाने के पश्चात सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) को इसमें दिये गये नियम – विनियमों के अनुरूप संस्थानों का संचालन करना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) की समय-समय पर जांच एवं निरीक्षण करने का प्रावधान भी इसमें निहित है। जिसमें किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा गैर अनुपालन या प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थित में ऐसा न करने पर अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है।

नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना
नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार-बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है।

एक्शन मोड में स्वास्थ्य सचिव, नैनीताल जिला अस्पताल में अब्यस्थाओं पर लगाई अधिकारियों को फटकार

नैनीताल। ट्रेनिंग से वापस आते हैं एक बार फिर पहले की तरह स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार पूरी तरह एक्शन मोड में दिखाई दे रहे हैं। विगत एक माह से स्वास्थ्य सचिव मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षणरथ थे। प्रशिक्षण खत्म होने के बाद ज्वाइन करते ही स्वास्थ्य सचिव ने ग्राउंड जीरो पर बवस्थाओं को परखना शुरु कर दिया है। बिना समय गवाएं स्वास्थ्य सचिव कुमाऊ दौरे पर निकल गये। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने नैनीताल जनपद के जिला अस्पताल बीडी पांडे का निरीक्षण किया। अस्पताल पहुँचने पर पीएमएस डॉ. एलएमएस रावत व अस्पताल स्टाफ ने उनका पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।

उत्तराखंड स्वास्थ्य सचिव डॉ.राजेश कुमार ने जिला अस्पताल बीडी पांडे का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सर्जिकल वार्ड ,जिरियाट्रिक वार्ड, ऑर्थाे वार्ड, आइसीईयू , चिल्ड्रन वार्ड समेत अन्य वार्डाे का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान साफ़ सफाई को लेकर नाराजगी व्यक्त की, स्वास्थ्य सचिव ने अस्पताल में सीएमओ को सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए, साथ ही वार्डाे के बेडों व बेडशीट्स को बदलने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य सचिव डॉ.आर राजेश कुमार ने निर्देश देते हुए कहा आपातकालीन केस आने पर डॉक्टर उपस्थित रहे।

इस दौरान उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल भी जाना और मरीजों से अस्पताल की व्यवस्थाओं व सुविधाओं को लेकर जानकारी प्राप्त की जिस पर उन्हें कोई शिकायत नही मिली। वही पीएमएस से डॉक्टरों की जानकारी ली गई लेकिन पीएमएस को डॉक्टरों की जानकारी न होने पर भी स्वास्थ्य सचिव ने नाराजगी व्यक्त की। इसके अलावा उन्होंने अस्पताल में खराब स्वास्थ्य उपकरण हटाकर नए उपकरण लाने के निर्देश दिए, साथ ही उन्होंने हेल्थ एटीएम को जल्द शुरू करने के भी निर्देश दिए ,ताकि अस्पताल आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सकें। साथ ही स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यदि अस्पताल आने वाले मरीजों द्वारा कोई शिकायत मिली या मरीजों के साथ लापरवाही की हुई बर्दाश्त नही की जाएगी।
वही स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य के अस्पतालों में नर्सों की कमी को पूरा किया जाएगा, जल्द ही एक हजार से अधिक नर्सों की नियुक्ति की जाएगी।

इस दौरान डायरेक्टर तारा आर्य, सीएमओ भागीरथी जोशी, पीएमएस डॉ.एलएमएस रावत, डॉ.अनिरुद्ध गंगोला, डॉ.एमएस रावत, वार्डन शशिकला पांडे, कुंदन बिष्ट समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

दो दिवसीय दिव्यांगजन शिविर का पुलिस महानिदेशक ने किया शुभारंभ

उद्धार, नागपुर, महाराष्ट्र की एक सामाजिक संस्था, उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति व उत्तरांचल प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब में दो दिवसीय निःशुल्क दिव्यांगजन हेतु कृत्रिम अंग फिटमेंट एवं वितरण शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रेस क्लब सदस्यों ने ही नहीं बल्कि दूर-दराज इलाकों से पहुंचे दिव्यांगजन ने स्वास्थ्य जांच का लाभ उठाया व मौके पर ही कृतिम अंग भी प्राप्त किए। शिविर का शुभांरभ बतौर मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, उद्धार सामाजिक संस्था की अध्यक्ष कुसुम अग्रवाल, सस्था के सचिव कुंज बिहारी लाल व प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा ने दीप प्रज्जवलित कर किया। शिविर में 78 लोगों की जांच की और कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। यह शिविर 28 मई को भी चलेगा।
शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने शिविर के उद्घाटन से पूर्व पूरे शिविर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के विभिन्न भागों से आए हुए दिव्यांगजनों से वार्ता कर संस्था के कार्याे की सराहना की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि उद्धार संस्था की तकनीशियन टीम जो कि स्वयं दिव्यांग होने के बावजूद दिव्यांग लोगों की सहायता कर रही है, ये अपने आप में बहुत बड़ा काम है। उन्होंने कहा कि इससे शारीरिक तौर पर कमजोर लोगों को फायदा होगा। उन्होंने उद्धार संस्था नागपुर कोे इस प्रयास के लिए बधाई दी।
उद्धार नागपुर महाराष्ट्र समाजिक संस्था के सचिव कुंज बिहारी लाल ने कहा कि लगातार 34 सालों से संस्था दिव्यांगजन के स्वास्थ्य जांच से लेकर उनके लिए कृत्रिम अंग निःशुल्क मुहैया कराने का कार्य कर रही हैं। अब तक वे अलग-अलग राज्यों में 3200 से अधिक दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग प्रदान कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि संस्था का उद्देश्य दिव्यांग लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है। कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अपर परियोजना निदेशक डॉ. अजय नगरकर ने सरकार की योजनाओं की जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा व संचालन संयुक्त मंत्री मीना नेगी ने किया। इस अवसर पर संस्था के सदस्य संजय राजगड़िया, रूचिका राजगड़िया, अक्षय राजगड़िया, अंकिता राजगड़िया, श्रृति कृष्णा, प्रद्धुमन कृष्णा, देवांशी राजगड़िया रूंगटा व महावीर विकलांग समिति के तकनीकि टीम के लीडर डॉ. देवकी नंदन व उनकी टीम डॉ दीन दयाल, तुफान सिंह, रामप्रसाद, राजेंद्र, चंदन सिंह, जगदीश, स्वास्थ्य विभाग के प्रचार प्रसार अनिल सती के साथ ही उत्तरांचल प्रेस क्लब महामंत्री विकास गुसाईं, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मि खत्री, कनिष्ठ उपाध्यक्ष दरवान सिंह, संयुक्त मंत्री राजीव थपलियाल, कोषाध्यक्ष मनीष चंद्र भट्ट, सम्प्रेक्षक मनोज सिंह जयाडा, कार्यकारिणी सदस्य प्रवीन बहुगुणा, मंगेश कुमार, मो. फहीम तन्हा, पदेन सदस्य जितेंद्र अंथवाल आदि उपस्थित रहे।

डेंगू जागरूकता अभियान में रेखीय विभागों को भी शामिल करने के दिये निर्देश

बरसात के मौसम में डेंगू की रोकथाम को लेकर अभी से तैयारियां शुरू करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को प्रदेशभर में वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है, जिसमें सभी रेखीय विभागों को भी शामिल किया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिये विभागीय अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली। डा. रावत ने बताया कि बरसात के मौसम में डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसको देखते हुये अभी से बचाव व रोकथाम को प्रभावी कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है, जिसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि माह अगस्त से लेकर माह अक्टूबर तक का समय डेंगू संक्रमण की दृष्टि से काफी संवेदनशील रहता है। डा. रावत ने बताया कि इसके लिये अभी से प्रदेशभर में वृहद स्तर पर जन जागरूकता अभियान संचालित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये है, इन अभियानों में रेखीय विभागों आवास एवं शहरी विकास, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा, सूचना विभाग आदि को भी शामिल किया जायेगा। विभागीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) में लगभग तीन दर्जन से अधिक स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनकी जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी स्टेट आईईसी टीम की है। उन्होंने टीम के सभी सदस्यों को एनएचएम के तहत संचालित कार्यक्रमों का विभिन्न माध्यमों से वृहद प्रचार-प्रसार हेतु कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। जिसकी समीक्षा प्रत्येक माह स्वयं स्वास्थ्य मंत्री करेंगे।

बैठक में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि डेंगू की रेकथाम के लिये कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जिसके तहत डेंगू के बचाव हेतु पोस्टर, बैनर एवं होर्डिंग्स के माध्यम से आम जनता को जागरूक किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आम लोगों को घरों के आस-पास पानी न जमा होने, कूलर, फूलदान में पानी प्रत्येक सप्ताह बदलने, पानी की टंकी, बाल्टियां आदि को पूरी तरह से ढ़कने, शरीर पर पूरे बाजू वाले कपड़े पहनने सहित अनेक सुझाव दिये जा रहे हैं।

बैठक में सचिव स्वास्थ्य दीपेन्द्र चौधरी, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना, निदेशक एनएचएम डा. सरोज नैथानी, अनु सचिव जसविंदर कौर, ओआईसी एनएचएम डा. पंकज सिंह, डा. अजय नगरकर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिये अस्पतालों में एकसमान पंजीकरण व जांच दरों के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश

उत्तराखंड के सभी राजकीय अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य जांचों की दरें एकसमान होंगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिये गये हैं। जनपद उत्तरकाशी, चमोली व बागेश्वर में कैथ लैब की स्थापना की जायेगी।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में विभागीय बैठक ली। जिसमें उन्होंने प्रदेश के सभी राजकीय अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सीटी-स्कैन एवं अन्य पैथौलॉजी जांच की दरों को एकसमान रखने के लिये प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण एवं जांच की दरें अलग-अलग ली जा रही है, जोकि किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विसंगति को शीघ्र दूर किया जायेगा। बैठक में प्रदेश के सीमावर्ती एवं मेडिकल कॉलेज रहित जनपदों में संयुक्त चिकित्सालयों को उच्चीकरण कर एक दर्जन उप जिला चिकित्सालय बनाये जाने पर भी चर्चा की गई। विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये किये कि बागेश्वर, चमोली व उत्तरकाशी में कैथ लैब स्थापित करने का प्रस्ताव शीघ्र उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने प्रत्येक जनपद में स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में रोगी कल्याण समिति का गठन करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये, ताकि जनपद स्तर के चिकित्सालयों का संचालन बेहतर तरीके से किया जा सके तथा यहां आने वाले मरीजों का निःशुल्क व बेहतर उपचार किया जा सके।

बैठक में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों को आवंटित बजट की भी समीक्षा की गई, जिस पर विभागीय मंत्री ने आवंटित बजट को शीघ्र खर्च करते हुये प्रत्येक माह समीक्षा करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिये। डा. रावत ने कहा कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा में पात्र चिकित्सकों एवं अन्य कार्मिकों के स्थानांतरण नियत समय के भीतर कर लिये जायेंगे। उन्होंने विभाग में वर्षों से रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिये। बैठक में चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी विभागीय मंत्री ने विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने चार धाम यात्रा मार्गों पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिये अतिरिक्त बजट भी उपलब्ध कराया है लिहाजा विभागीय व्यवस्थाओं में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए।

बैठक में अपर सचिव स्वास्थ्य अरूणेन्द्र सिंह चौहान, अमनदीप कौर, अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा गरिमा रौंकली, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डा. भगीरथी राणा, डा. सुनीता टम्टा, अनु सचिव जविंदर कौर, राजिस्ट्रार मेडिकल यूनिवर्सिटी डा. एम.के. पंत सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थिति रहे।