श्री भरत मंदिर के तीसरे महंत बने वत्सल प्रपन्न शर्मा, नगर में उत्साह

हृषीकेश नारायण श्री भरत मंदिर गद्दी पर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा तीसरे महंत के रूप में विराजमान हुए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित पट्टाभिषेक महोत्सव में साधु समाज सहित नगर के तमाम लोगों ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों सहित आम नागरिकों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

शुक्रवार को पट्टाभिषेक महोत्सव वैष्णव परंपरा के साथ आयोजित किया गया। ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के गुरुस्थान से महंत हरिनारायणचार्य महाराज, डा. रामकमल दास वेदांती महाराज, उत्तराखंड पीठाधीश्वर कृष्णाचार्य महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हनुमंत पीठाधीश्वर स्वामी डा. रामेश्वरदास महाराज, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा को महंताई की चादर ओढ़ाकर पट्टाभिषेक किया। 
बीते आठ जुलाई को श्री भरत मंदिर के महंत अशोक प्रपन्नाचार्य ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके बाद से ही श्री भरत मंदिर की गद्दी का स्थान रिक्त चल रहा था।

एक नजर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा पर…
ऋषिकेश। 15 जनवरी 1983 को महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा का जन्म स्व. महंत अशोक प्रपन्नाचार्य व निशा शर्मा के घर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा द दून स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मास्टर आफ बिजनेश एडमिनिस्ट्रेटर किया। अपने छोटे भाई वरूण शर्मा के साथ उन्होंने बाल्यावस्था में स्वामी अहोवल मठ में वैष्णव परंपरा की दीक्षा वर्ष 1995 में ग्रहण की। विन्रम स्वभाव के वत्सल शर्मा शुरूआत से ही स्व. पिता महंत अशोक प्रपन्नचार्य के साथ श्री भरत मंदिर प्रबंधन के साथ जुड़े रहे।

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर अनिता ममगाई, अखाड़ा परिषद के महामंत्री महामंडलेश्वर हरिगिरी, निर्मल आश्रम के महंत राम सिंह महाराज, महंत जोध सिंह महाराज, झंडा दरबार देहरादून के महंत देवेन्द्र दास महाराज, तुलसी मानस मंदिर हरिद्वार के महंत महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महाराज, दक्षिणकालीपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशनंद ब्रह्मचारी, अवधूत बाबा अरूण महाराज, भरत मिलाप आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रामकृपालुुदास महाराज, रामानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महंत अभिरामदास महाराज, कैलाश पीठाधीश्वर मुनिकीरेती के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दिव्यानंद महाराज, हरिहर पीठाधीश्वर हरिद्वार आश्रम के महंत प्रेमानंद महाराज, शिवानंद आश्रम के अध्यक्ष योग स्वरूपानंद महाराज, रामतपस्थली ब्रह्मपुरी परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज, महंत अखंडानंद महाराज, महंत हरिनारायण महाराज, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, मौनीबाबा महाराज, श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा, स्वामी पदभनामानंद महाराज आदि शामिल रहे।

पीएम मोदी ने उत्तराखंड को कई सौगातें दीः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अन्तर्गत बने ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का स्थलीय निरीक्षण किया। यहां मुख्यमंत्री ने पौधा रोपण भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने रेल विकास निगम लि. के अधिकारियों से रेलवे स्टेशन में अवस्थापना सुविधाओं की जानकारी ली।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि योग नगरी ऋषिकेश में बने इस रेलवे स्टेशन को आधुनिक स्वरूप दिया गया है। रेलवे स्टेशन के निर्माण में पर्यावरणीय अनुकूलन का विशेष ध्यान रखा गया है। बुजुर्गों व दिव्यागों के हिसाब से अलग से यूटिलिटी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद प्रदेशवासियों को आवागमन की सुविधा तो होगी ही, साथ ही बद्रीनाथ एवं केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को भी काफी सुविधा होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अवस्थापना विकास के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को कई सौगातें दी हैं। ऑल वेदर रोड, हवाई कनेक्टिविटी एवं रेल लाईनों के निर्माण से उत्तराखण्ड में आवागमन की सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डोईवाला-उत्तरकाशी रेल लाईन बनने के बाद उत्तराखण्ड के चारों धाम रेल कनेक्टिविटी से जुड़ जायेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के बाद चन्द्रेश्वर नगर, ऋषिकेश में बन रहे 7.5 एमएलडी के मल्टीपर्पज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण भी किया। यह एसटीपी नमामि गंगे योजना के तहत उत्तराखण्ड पेयजल निगम द्वारा बनाया गया है। 12 करोड़ रूपये की लागत के इस एसटीपी से चन्द्रेश्वर नाला, ढ़ालवाला नाला एवं श्मशान घाट नाला को टेप करने के बाद शोधन किया जा रहा है। शोधित जल की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होने पर गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है। यह भारत का पहला एसटीपी है, जिसे बहुमंजिला ईमारत के रूप में तैयार किया गया है। इसकी ऊंचाई 21 मीटर है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गंगा कि निर्मलता एवं अविरलता बनाये रखने के लिए नमामि गंगे के तहत प्रदेश में विभिन्न जगहों पर एसटीपी बनाये जा रहे हैं। गंगा की निर्मलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रयासों से नमामि गंगे के तहत देशभर में अनेक कार्य हो रहे हैं। एसटीपी से शोधित जल का सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जायेगा।

कुंभ मेले में मान्यताओं एवं परम्पराओं का रखा जायेगा ध्यान, निर्धारित समय पर होगा आयोजनः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी एवं अन्य अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आगामी कुम्भ मेले के आयोजन के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद के सदस्यों के विचार एवं सुझावों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने अखाड़ा परिषद के सदस्यों से अपनी समस्याओं से नगर विकास मंत्री को अवगत कराने को कहा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुम्भ निर्धारित समय पर आयोजित होगा। इसका स्वरूप कैसा रहेगा यह उस समय की परिस्थितियों पर भी निर्भर रहेगा। उन्हो।ने कहा कि अखाड़ों द्वारा श्रद्धालुओं के लिये अपने स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं के लिये जिनके पास भूमि उपलब्ध होगी उन्हें ग्रान्ट के रूप में धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी, कार्यों की गुणवत्ता आदि की जांच हेतु विभागीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ से पूर्व हरिद्वार में संचालित सभी स्थायी निर्माण कार्य पूर्ण कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार को जोड़ने वाले पुलों एवं सड़कों के निर्माण में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद के सदस्यों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जायेगा। अखाड़ों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनर्निर्माण के साथ ही अतिक्रमण को हटाने तथा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मुख्यमंत्री से हरिद्वार कुम्भ मेले में घाटों का नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों तथा सेक्टरों के नाम भी अखाड़ों के नाम पर रखे जाने का अनुरोध किया। उन्होंने अखाड़ों को दी जाने वाली धनराशि से होने वाले कार्यों की गुणवत्ता की जांच आदि के लिये किसी अधिकारी को नामित करने का भी अनुरोध किया, उन्होंने अखाड़ों के सम्पर्क मार्गों की मरम्मत, बिजली, पानी, साफ-सफाई, शौचालयों की मरम्मत आदि के लिए भी मेले से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया।

एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी डीएम ने जताई नाराजगी

मृत पशुओं के अवशेष गंगा नदी में न डाले जाएं, इसके लिए नगर निगम और प्रशासन मिलकर भूमि की जल्द तलाश करें। साथ ही कांजी हाउस को भी इसी भूमि के समीप बसाया जाए। यह निर्देश जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान दिए।
मंगलवार को नगर निगम के स्वर्ण जयंती सभागार में जिला गंगा सुरक्षा समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने नगर निगम से प्रगति कार्यों की जानकारी जुटाई। इस पर एमएनए ने उन्होंने बताया कि गंगा की सहायक नदी चंद्रभागा में मिल रहे पांच नालों में से तीन को पूरी तरह से टैप किया जा चुका है, जबकि दो नालों को टैप करने का कार्य चल रहा है। वहीं, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कश्यप ने बताया कि गंगा नदी में गिर रहे अलग-अलग सात नालों को टैप किया जा चुका है। जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव ने नमामि गंगे की ओर से एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य कर रही संस्था एसपीएमजी को पत्र भेजकर कोई भी कार्य करने से पूर्व जिला गंगा सुरक्षा समिति से सहमति लेनी होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा नदी में मानसूत्र सत्र के बाद जहां तेज धारा नहीं हो, जाली लगाई जाए। इससे गंगा में गिरने वाले फूल, पूजन सामग्री, हवन सामग्री को निकाला जा सके। उन्होंने एसडीएम वरूण चैधरी को गुमानीवाला स्थित कांजी हाउस की खाली पड़ी करीब तीन बीघा भूमि की स्थिति स्पष्ट करने तथा वहां पर पशुओं की संख्या नियंत्रण केंद्र (बन्ध्याकरण) की स्थापना करने के निर्देश दिए। इस मौके पर नगर आयुक्त नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल, एसएनए विनोद लाल, डीएफओ राजीव धीमान, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल, सहायक अभियंता सीवर विंग हरीश बंसल, अधिशासी अभियंता पीडल्ब्यूडी विपुल सैनी, समिति सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान आदि उपस्थित रहे।

खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का प्रबंधन किया जाए
सम‌ित सदस्य ‌विनोद जुगलान ने खड़गमाफ के खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का मामला उठाया। इस पर सिंचाई विभाग के एई अनुभव नौटियाल ने बताया कि सौंग नदी से बाढ़ सुरक्षा के लिए छिद्दरवाला से ठाकुरपुर तक तीन किलोमीटर की सुरक्षा तटबंध बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इस पर विनोद जुगलान ने असंतोष जताया। इसके बाद जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग को छोटे तटबंध बनाने के ‌संबंध में एई को मौके पर जाकर निरीक्षण कर सुरक्षा तटबंध बनाने को कहा।

उत्तराखंड अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को देगा गंगाजल

उत्तराखंड सचिवालय में कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि इस साल कोविड-19 के चलते इस कांवड़ यात्रा नहीं होगी। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने यात्रा को स्थगित करने का यह फैसला सामूहिक तौर पर लिया है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करने के बाद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गंगा जल भेंट करेगी। जिसके बाद इन राज्यों की सरकारें भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से गंगा जल ले जाने सकेंगी। केवल हरिद्वार तक ही अनुमति होगी।

मदन कौशिक ने कुंभ 2021 के बारे में बताते हुए कहा कि पहले शाही स्नान से पहले स्थाई निर्माण कार्य पूरे कर दिए जांएगे। इसके लिए बजट की कोई कमी नहीं है।

1. राज्य सरकार आगामी कुंभ मेले के सफल आयोजन हेतु प्रयासरत है। कुंभ का आयोजन निर्धारित समय अवधि में संपन्न हो इसके लिए सभी अखाड़ों की भी सहमति है।
2. कुंभ की व्यवस्थाओं के अंतर्गत किए जा रहे स्थाई प्रकृति के कार्यों को निर्धारित अवधि में पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हरिद्वार को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों, पुलों आदि के निर्माण, पुनर्निर्माण के कार्य प्रगति पर है।
3. राज्य सरकार सभी 13 अखाड़ों को उनके स्तर पर श्रद्धालुओं के लिए की जाने वाली आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु कुंभ मेला प्रयाग की भांति यथासंभव आर्थिक सहयोग दिए जाने पर विचार कर रही है। इससे अखाड़ों को जन सुविधाओं व मूलभूत सुविधाओं के विकास में सुविधा होगी। कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा
4. जिन अखाड़ों के पास अपनी भूमि उपलब्ध होगी, उन्हीं को अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। अखाड़ों के अधीन होने वाले कार्यों के लिये कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा।
5. श्रावण माह में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कांवड़ मेले को कोविड-19 के दृष्टिगत स्थगित किया जा रहा है, इस संबंध में यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल के मुख्यमंत्रियों से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की वार्ता हुई है। सभी ने वर्तमान संकट को ध्यान में रखते हुए इसके लिये सहमति जतायी है।
6. कांवड़ के दृष्टिगत पड़ोसी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, उप राज्यपालों एवं मंत्रिगणों के माध्यम से उनके प्रदेशों को गंगाजल उपलब्ध कराने का अभिनव प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।
7. गंगाजल के लिये हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को उनके समीप के प्रमुख मंदिरों में गंगा जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश सरकार द्वारा पीतल के बड़े कलशों में हर की पैड़ी से गंगा जल भरकर संबंधित प्रदेशों को उपलब्ध कराया जायेगा।
8. कुंभ मेले के स्थायी प्रकृति के कार्यों की व्यापक समीक्षा के लिये मुख्यमंत्री द्वारा नगर विकास मंत्री, सचिव शहरी विकास एवं मेलाधिकारी की समिति गठित की है। समिति द्वारा कार्यों की नियमित समीक्षा की जायेगी। कुंभ के अंतर्गत किये जाने वाले अस्थायी निर्माण कार्यों के सम्बन्ध में भी शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
9. गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी छड़ी यात्रा का संचालन किया जायेगा। इसमें सीमित लोगों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। यह यात्रा उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक एकता की प्रतीक है। परम्परानुसार जूना अखाड़े से पवित्र छड़ी यमुनोत्री, गंगोत्री होते हुए केदारनाथ और बदरीनाथ जाती है। बदरीनाथ से यह छड़ी कुमाऊं मंडल के विभिन्न तीर्थ स्थलों से होते हुए वापस जूना अखाड़ा हरिद्वार पहुंचेगी और माया देवी मंदिर में प्रतिष्ठित की जाती है।
10. हरिद्वार में चूंकि प्रति माह कोई न कोई आयोजन होता रहता है अतः अवस्थापना सुविधाओं के विकास से इसमें सुविधा होगी। हरिद्वार में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों व आयोजनों में भले ही सीमित संख्या में श्रद्धालु आयें लेकिन आते जरूर हैं।

दूसरे दिन 600 ई-पास जारी, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में स्क्रीनिंग के बाद मिल रहा प्रवेश

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने प्रदेश के लोगों के लिए चार धाम यात्रा का आगाज कर दिया गया है। इस क्रम में दूसरे दिन उत्तराखंड देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट से 600 लोगों ने ई पास बुक कराए। इसमें बदरीनाथ धाम के लिए 216, केदारनाथ धाम के लिए 280, गंगोत्री 56 और यमुनोत्री धाम को 48 लोगों ने ई पास बुक कराये हैं।

उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमन रविनाथन ने बताया कि थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजेशन के पश्चात ही मंदिरों में तीर्थ यात्रियों को प्रवेश दिया जा रहा है। मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है मंदिर में मूर्तियों को छूना, प्रसाद वितरण पर रोक है तथा घंटियों को पहले ही कपड़ो से ढका गया है। देवस्थानम बोर्ड के यात्रा मार्गो पर यात्री विश्राम गृहों को यात्रियों के आवासीय प्रयोजन हेतु खोला जा चुका है। तीर्थयात्रियों से अपेक्षा की जा रही है कि अति आवश्यक होने पर ही धामों में रूके। यह कोशिश रहे कि दर्शन के पश्चात तीर्थ यात्री निकटवर्ती स्टेशनों तक वापस आ जाये।

प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारों धामों में धीरे-धीरे तीर्थ यात्रियों की आमद हो ताकि पर्यटन एवं तीर्थाटन को गति मिल सके। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड द्वारा कल तथा आज दो दिन में 1022 ई पास जारी किये जा चुके हैं। देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि ब्यवस्थाओं हेतु जिला प्रशासनों से भी समन्वय स्थापित है। 11 जून से 1 जुलाई तक 1419 तीर्थ यात्री चारधाम के दर्शन कर चुके हैं। जिसमें 943 बद्रीनाथ 135, केदारनाथ, 341 गंगोत्री पहुंचे हैं।

चारधामः उत्तराखंड के लोग अब एक जुलाई से कर सकेंगे दर्शन

(एनएन सर्विस)
प्रदेश सरकार ने केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में एक जुलाई से प्रदेश में रह रहे लोगों को दर्शन करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए ऑनलाइन पास की व्यवस्था रहेगी। यदि कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से आया है तो उसे क्वारंटीन के सभी दिशानिर्देशों का पालन करने के बाद ही चारधाम में दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी। चारों धामों में दर्शन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही सैनिटाइजर रखने के साथ ही मास्क पहनना अनिवार्य होगा। 

एक रात ठहरने की मिली अनुमति
बोर्ड की ओर से जारी एसओपी के अनुसार दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु को धाम के विश्राम गृह में एक रात ही ठहरने की अनुमति होगी। आपातकालीन स्थिति, सड़क बाधित होने और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी में ही जिला प्रशासन की अनुमति से इसे बढ़ाया जा सकेगा। जिस लोगों के धाम क्षेत्र में होटल, रेस्टोरेंट, धर्मशाला, ढांबे और अन्य परिसंपत्तियां हैं, वे मरम्मत कार्य के लिए प्रशासन की अनुमति से जा सकेंगे और एक दिन से ज्यादा ठहर सकेंगे। 

बुुजुर्ग और बच्चों के लिए नियम
कोरोना संक्रमण को देखते हुए चारधाम में 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और 10 साल से कम आयु के बच्चों को जाने की अनुमति नहीं होगी। 

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इसका रखना होगा ध्यान 
कोरोना संक्रमण को देखते हुए धामों के मंदिरों में बाहर से लाए गए प्रसाद और चढ़ावे पर रोक रहेगी। मूर्तियों को छूने पर भी प्रतिबंधित रहेगा। मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ और पैर धोना अनिवार्य होगा। 

सचिवालय में विजिटर्स को मिली अनुमति
एक जुलाई से सचिवालय में आगंतुकों (विजिटर्स) को प्रवेश मिल सकेगा। पहले चरण में एक दिन में अधिकतम 50 लोगों को ही प्रवेश मिल पाएगा। निजी सचिवों की ऑनलाइन मंजूरी के बाद प्रवेश पत्र आगंतुकों को जारी किए जाएंगे। अपर मुुख्य सचिव (सचिवालय प्रशासन) राधा रतूड़ी ने इस संबंध में आदेश जारी किए। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के चलते मई और जून में सचिवालय प्रशासन ने सचिवालय में आगंतुकों के प्रवेश को पहले सीमित किया था, उसके बाद उनके प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यह रोक अनलॉक 1.0 में भी जारी रही, लेकिन अब अनलॉक 2.0 में प्रदेश सरकार के स्तर पर दी जा रही ढील के क्रम में सचिवालय प्रशासन ने भी सचिवालय में प्रवेश की व्यवस्था लचीली कर दी है।

धार्मिक स्थानों के साथ ही पर्यटक स्थलों को विकसित करने का प्लान तैयार कर रही सरकार

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में वर्ष पर्यंत पर्यटन के लिए एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिये हैं। विशेष तौर पर यात्रा मार्ग पर स्थित पर्यटन स्थलों में यात्रा अवधि के अलावा भी पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान पर तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों के सुझाव भी प्राप्त कर लिए जाएं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पर्यटन गतिविधियाँ को बढाने के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सलाहकार अश्विनी लोहानी और Federation of Associations in Indian Tourism and Hospitality (FAITH) के महासचिव सुभाष गोयल के साथ विचार विमर्श किया। लोहानी ने उत्तराखंड पर्यटन को ब्राण्ड के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने प्रदेश की समृद्ध वाइल्ड लाइफ में भी पर्यटन की काफी सम्भावना बताई। गोयल ने कहा कि उत्तराखंड में हाईएंड टूरिज्म पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें टूरिज्म इंडस्ट्री और पर्यटन से जुड़ी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने उत्तराखंड में पर्यटन के विविध आयामों व वर्तमान में चल रही पर्यटन परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने चारधाम देवस्थानम बोर्ड, होम स्टे, एडवेंचर टूरिज्म, रोप वे प्रोजेक्ट, 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन आदि के बारे मे बताया। सचिव पर्यटन ने श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण भी दिया।

राहतः इस वर्ष नही होगी कांवड़ यात्रा, कोविड-19 के तहत लिया गया निर्णय

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए इस साल कांवड़ यात्रा का आयोजन नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संदर्भ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चर्चा की। वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये हुई इस चर्चा में तीनों मुख्यमंत्री ने जनहित को देखते हुए इस वर्ष कांवड़ यात्रा स्थगित रखने पर सहमती जताई है। बता दें कि तीनों प्रदेशों के धर्मगुरुओं और कांवड़ संघों ने भी अपनी सरकारों को यात्रा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।
आपको बता दें कि हर साल श्रावण में होने वाली कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त शामिल होते हैं। सभी हरिद्वार से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए अपने यहां शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी अमले को कानून-व्यवस्था, यातायात व अन्य इंतजामों में लगाना पड़ता है। कांवड़ियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आती है। इसके चलते तीनों राज्यों ने इस बारे में चर्चा करने का फैसला किया था। बैठक के दौरान तीनों राज्यों के अधिकारियों ने कांवड़ियों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग को असंभव बताते हुए संक्रमण फैलने की आशंका जताई थी।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा में पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से आने वाले श्रद्धालुओं के चलते वहां के मुख्यमंत्रियों से भी जल्द ही वार्ता करने का निर्णय लिया है। इन राज्यों को भी कोविड-19 के चलते यात्रा संचालन में आने वाली दिक्कतें बताई जाएंगी। साथ ही इस बार यात्रा संचालित नहीं करने की स्थितियों की जानकारी भी दी जाएगी।

महापौर की सक्रियता से नगर निगम ऋषिकेश बना सर्वश्रेष्ठ कोरोना वारियर

(एनएन सर्विस)
नगर निगम ऋषिकेश महापौर अनीता ममंगाई के नेतृत्व में लगातार कोरोना संक्रमण के काल में उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर उत्तराखंड शासन ने विभागीय रूप से नगर निगम ऋषिकेश को सर्वश्रेष्ठ कोरोना वारियर के रूप में चयनित किया है। जिलाधिकारी देहरादून की ओर से जानकारी देते हुए बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बीच ऋषिकेश महापौर के निर्देशन में ऋषिकेश में सेनेटाइजेशन, साफ-सफाई और भोजन वितरण कार्य बेहतर ढंग से किया गया है। लगातार नगर निगम ऋषिकेश जिस तत्परता के साथ त्वरित कार्यवाही करते हुए व्यवस्थाएं संभाल रहा है वह प्रशंसनीय है।
नगर निगम ऋषिकेश को यह सफलता महापौर ममंगाई के नेतृत्व में मिली है। गौरतलब है कि महापौर लगातार सक्रिय रुप से फील्ड में उतरकर स्वयं मोर्चा संभाले हुए है। शासन ने इस बात का स्वयं संज्ञान भी लिया है। वहीं, महापौर ने यह सफलता नगर निगम के अधिकारियों और समस्त कर्मचारियों को समर्पित की है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने इसकी सूचना स्वयं उन्हें देर रात फोन पर दी। उन्होंने उनके नेतृत्व में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए आगे भी इसकी तरह के कार्यों को करते हुए जनसेवक के सच्चे कार्यों को समर्पित रहने के लिए हौसला अफजाई भी की।
इस पर महापौर ने एक वीडियों संदेश जारी करते हुए सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सफलता आप सभी के सामूहिक प्रयास और कार्यों का नतीजा है। आप सभी हमारे सर्वश्रेष्ठ कोरोना वारियर हैं यह सम्मान में आप सभी को समर्पित करती हूं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी इससे अच्छा और उत्कृष्ट कार्य निरंतर किया जाएगा जिसमें सभी का सहयोग प्राप्त होगा।
इसके अलावा जिलाधिकारी देहरादून ने सिविल सोसायटी से कन्फेड्रशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स, उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष कोहली को भी कोरोना वॉरियर घोषित किया गया।