देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में द्वारहाट विधायक और पत्नी पर मुकदमा दर्ज

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के द्वारहाट विधायक महेश नेगी और उनकी पत्नी रीता नेगी के खिलाफ न्यायालय के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हो गया है। देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। विधायक पर दुष्कर्म करने और उनकी पत्नी पर जान से मारने की धमकी और मामले को दबाने का आरोप लगा है।

बीते शनिवार को एसीजेएम पंचम की कोर्ट ने विधायक पर दुष्कर्म और रीता नेगी पर अनैतिक कार्य करते हुए मामले को दबाने के आरोप में अविलंब मुकदमा दर्ज करने को कहा था। बता दें कि पिछले महीने विधायक की पत्नी ने महिला के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें आरोप लगाया गया है कि महिला विधायक से संबंध होने की बात करके उनसे पांच करोड़ रुपये मांग रही है।

महिला ने अपनी बच्ची को भी विधायक की ही बताया था और बच्ची का डीएनए विधायक से मैच कराने की मांग की थी। मामले में राज्य महिला आयोग और बाल आयोग ने पुलिस को अपनी रिपोर्ट देने को कहा था।

राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल करना प्रत्येक शिक्षक का होता है सपना

शिक्षक दिवस पर उत्तराखंड की एक महिला सहित दो शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें महिला शिक्षिका सुधा पैंयूली को देहरादून और पुरूष शिक्षक डा. केवलानंद कांडपाल को बागेश्वर में जिलाधिकारी ने पुरस्कार दिया।

शिक्षक दिवस पर कलेक्ट्रेट स्थित एनआईसी सभागार में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल करना प्रत्येक शिक्षक का सपना होता है। देहरादून से प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए शिक्षक चुने जाते हैं, यह वाकई में बड़ी उपलब्धि है। 

बता दें कि सुधा पैन्यूली 30 वर्षों से शिक्षा विभाग में शिक्षिका के रूप में अपनी सेवा दे रही हैं। वर्तमान में वह कालसी ब्लाक स्थित एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल में उप प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं।

वहंी, राजकीय हाईस्कूल पुड़कुनी (कपकोट) के प्रधानाचार्य डॉ. केवलानंद कांडपाल को डीएम विनीत कुमार ने मेडल और प्रशस्ति पत्र दिया। डीएम विनीत कुमार ने कहा कि हमें ऐसे शिक्षकों की जरूरत है, जो विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए कार्य करें। उन्होंने डॉ. कांडपाल प्रेरणा लेने की अपील की।

हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने दर्ज किया पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा

ऊधमसिंहनगर पुलिस के एक चैकी प्रभारी व उनकी टीम पर ढाबा संचालक को चरस के मुकदमे में झूठा फंसाने के आरोप में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि चैकी प्रभारी, तीन सिपाहियों और दो एसपीओ ढाबे पर पहुंचे और संचालक से मारपीट की। इसके बाद उसके पास से चरस बरामद दिखाई। संचालक ने जब हाईकोर्ट की शरण ली तो सारी कहानी की पोल खुलनी शुरु हुई।
मामला केलाखेड़ा थाना की बेरिया दौलत पुलिस चैकी क्षेत्र का है। यहां हाईवे के पास अनिल शर्मा का पंडित ढाबा है। गत 28 जुलाई की शाम को वहां पर चार-पांच पुलिसकर्मी आए और कर्मचारियों से मारपीट करने लगे। एक कर्मचारियों का फोन भी छीन लिया और अपने मालिक को बुलाने को कहा। ढाबे पर मौजूद मालिक से भी उन्होंने मारपीट की। इसके बाद कर्मचारी को गाड़ी में बैठाकर ले गए और उसके पास से चरस बरामद दिखाई। लेकिन, यह सारी घटना ढाबे पर लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। 
पुलिसकर्मियों की चालाकी यहीं नहीं रुकी। अगले दिन दो पुलिसकर्मी ढाबे पर आए और सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दिया। साथ ही किसी को न बताने की धमकी भी दे गए। इसके बाद अनिल शर्मा ने गत सात अगस्त को इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर की। हाईकोर्ट के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने एसएसपी ऊधमसिंह नगर से रिपोर्ट मांगी। इस मामले में एसएसपी ने केलाखेड़ा एसओ को लाइन हाजिर और चैकी प्रभारी व तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पूरे प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल सर्विलांस समेत अन्य साक्ष्य भी पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे।
अनिल शर्मा ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 18 अगस्त को प्राथमिक जानकारी को दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इसके अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सीबीआई देहरादून शाखा ने चैकी प्रभारी बेरिया दौलत प्रकाश चंद टम्टा, सिपाही त्रिभुवन सिंह, चंदन सिंह बिष्ट, हरीश गिरी और स्पेशल पुलिस अफसर (कोरोना काल में जनता के बीच से बनाए गए थे) परवेज अहमद व राजवंत सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमे की जांच इंस्पेक्टर हरीश सिंह कर रहे हैं। 

आईपीसी की धाराएं जिन पर मुकदमा हुआ है दर्ज
120बी-आपराधिक षडयंत्र रचना 
166- लोकसेवक रहते कानून की अवज्ञा करते हुए किसी को चोट पहुंचाना 
167-अशुद्ध दस्तावेज रचना
193- कोर्ट में झूठे साक्ष्य पेश करना। 
201- साक्ष्य छुपाना या मिटाना 
211- किसी को नुकसान पहुंचाने की नियत से झूठा आरोप लगाना। 
220-निर्दोष व्यक्ति को जबरन रोककर रखना। 
323- मारपीट करना। 
342- गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को रोककर रखना। 
348-ज 465-जालसाजी।

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने से गर्भवती महिला की हालत बिगड़ी

ऊधमसिंह नगर में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सरकारी अस्पताल की महिला लैब टेक्नीशियन ने गर्भवती का ब्लड ग्रुप गलत बताया और निजी अस्पताल ने भी ब्लड ग्रुप की बगैर जांच किए बिना महिला को ब्लड चढ़ा दिया। परिजनों का आरोप है कि गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने से महिला की हालत बिगड़ गई। 
ग्राम गढ़ी हुसैन निवासी अजय कुमार ने विधायक आदेश चैहान को दिए पत्र में बताया कि उसकी पत्नी सविता रानी गर्भवती थी। प्रसव के लिए उसके गांव की आशा कार्यकर्ता ने सरकारी अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड बनवाया था। उसने बताया कि ब्लड ग्रुप चेक करने वाली लैब तकनीशियन ने उसकी पत्नी के कार्ड पर उसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव लिख दिया, जबकि उसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है। 5 मई 2020 को सरिता को ग्राम पंचायत की आशा कार्यकर्ता सरकारी अस्पताल साथ लेकर आई थी। महिला डॉक्टर से बात करने के बाद आशा कार्यकर्ता ने उसके शरीर में ब्लड की कमी बताकर प्रसव न होने की जानकारी दी।
उसके बाद वह सरिता को नगर के एक निजी अस्पताल में ले गया। अस्पताल की महिला डॉक्टर ने ब्लड मंगवाकर चढ़ा दिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। वह पत्नी को पीएचसी पतरामपुर ले गया, जहां से हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया। वह अपनी पत्नी को लेकर मुरादाबाद पहुंचा। वहां एक निजी अस्पताल में जांच कराने पर ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव पाया गया। गलत ग्रुप का खून चढ़ने से उसकी पत्नी की हालत बिगड़ी है। उसने बताया कि घर बेचकर उसे पत्नी का इलाज कराना पड़ा। इस शिकायती पत्र को पढ़ने के बाद विधायक आदेश चैहान ने सरकारी अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों को जमकर खरी-खोटी सुनाई और घटना की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। वहां पर एसडीएम सुंदर सिंह भी मौजूद रहे।

आखिर इंदिरा ने मुख्यमंत्री को कौन सा पद छोड़ने की नसीहत दी

नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने राज्य में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के विरोध में एक दिन का उपवास रखकर धरना दिया। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य विभाग छोड़ देना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएम के पास विभाग होने के बावजूद पूरे उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। कोरोना संक्रमित अस्पताल जाने तक से डर रहे हैं। उन्हें डर है कि अस्पताल जाने पर उन्हें इलाज तो नहीं मिलेगा मगर लापरवाहियों के कारण उनकी जान जरूर चली जाएगी। पहाड़ों में न संक्रमितों को इलाज मिल रहा है और न बाकी रोगों से जूझ रहे लोगों को। पहाड़ के जिलों में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा को 56 विधायकों में एक स्वास्थ्य मंत्री नहीं मिल पा रहा है तो ऐसी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।
वहीं, उपवास में पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीशचंद्र दुर्गापाल ने कहा, कोरोनाकाल में कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसके पास इलाज का कोई विकल्प नहीं है। एआईसीसी सदस्य सुमित हृदयेश ने कहा कि कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। पांच माह से अस्पताल में बाकी सुविधाएं बंद है। पहाड़ों में इलाज पहले उपलब्ध नहीं था। अब एकमात्र इलाज का सहारा भी छिन गया है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव महेश शर्मा ने कहा कि कोरोना के नाम पर सरकारी की सभी योजनाएं जनता के साथ छलावा साबित हो रही हैं। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।

उपनल कर्मचारियों की काम पर होगी वापसी, सीएस ने दिया आश्वासन

राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थानों में लंबे समय से कार्य कर रहे उपनल के आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किए जाने को लेकर प्रदेश सरकार हिमाचल की तर्ज पर नियमावली बनायेगी। प्रदेश सरकार ने हिमाचल सरकार में लागू नियमावली मंगाई है, जिसका अध्ययन करने के बाद एक प्रस्ताव तैयार होगा और इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। यह आश्वासन मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने उपनल कर्मचारियों के समर्थन में आये प्रतिनिधिमंडल को दिया। 
बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद के नेतृत्व एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि प्रदेश में करीब 20 हजार उपनल कर्मचारी आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे हैं। वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। न्यायालय से भी उनके चरणबद्ध नियमितीकरण का आदेश हो चुका है। उन्हें नियमित करने पर विचार होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। हिमाचल में लागू नियमावली को मंगाया गया है। नियमावली का अध्ययन करने के बाद सरकार नियमावली का प्रस्ताव तैयार करके कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करेगी। दोनों विधायकों ने उपनल कर्मियों का वेतन बढ़ाये जाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपनल की महिला कार्मिकों को (सीसीएल) बाल्य देखभाल अवकाश तथा पितृत्व अवकाश देने का अनुरोध किया। 
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को उन उपनल कर्मचारियों के नामों की सूची भी सौंपी, जिन्हें नौकरियों से हटाया गया है। सीएस ओम प्रकाश ने आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार के शासनादेश के तहत हटाए गए उपनल कर्मचारियों को वापस लिया जा रहा है।
वहीं, प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव सैनिक कल्याण राधा रतूड़ी से भी मुलाकात की। उनसे शिकायत की गई कि 10 अगस्त के आदेश के बाद भी विभाग हटाए गए कर्मचारियों की बहाली नहीं कर रहे हैं। एसीएस ने कहा कि शासनादेश का कड़ाई से पालन कराने को लेकर जल्द ही विभागाध्यक्ष को एक पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों ने एसीएस को उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति उपलब्ध कराई। 

बाजपुर चीनी मिल में एथेनॉल प्लांट की मंजूरी, बढ़ेगी आय

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में गन्ना किसानों की आर्थिकी में सुधार के लिए किसानों के व्यापक हित में गन्ने के बहुआयामी उपयोग पर ध्यान देने को कहा है। मुख्यमंत्री आवास में बाजपुर चीनी मिल परिसर में प्रस्तावित इथेनॉल प्लांट की स्थापना के संबंध में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश की चीनी मिलों के आधुनिकीकरण, गन्ना उत्पादन के विविधीकरण, ऊर्जा उत्पादन, एथेनॉल उत्पादन पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर चीनी मिलों के संबंध में जो भी कार्यवाही की जानी है उन पर किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाजपुर चीनी मिल परिसर में एथेनॉल प्लांट के लिए अपेक्षित भूमि उपलब्ध है। उन्होंने इस अवसर पर इथेनॉल प्लांट की स्थापना के संबंध में प्राज टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतीकरण का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने अन्य चीनी मिलों में भी इसकी संभावना तलाशने की बात कही। चीनी मिलों में चीनी के अलावा सीरा व बगास का भी बेहतर उपयोग हो इस दिशा में भी कार्य योजना बनाई जाए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार नरेंद्र सिंह, प्रबंध निदेशक गन्ना एवं चीनी चंद्रेश यादव, बाजपुर चीनी मिल के जीएम प्रकाश चन्द्र सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

कोरोना संक्रमण कम होने के बाद रूद्रपुर में खुल सकता है राज्य का पहला आर्थिक अपराध अनुसंधान थाना

उत्तराखंड में जमीन हड़पने और बेनामी संपत्ति के मामलों की जांच अन्य राज्यों को भेजनी पड़ती थी। मगर, अब कुमाऊं में पहले आर्थिक अपराध अनुसंधान (ईओडब्ल्यू) थाने के खुलने की आस जगी है। रूद्रपुर में थाना बनाने के लिए एसटीएफ की ओर से पुलिस मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा है।

सरकारी या निजी संपत्ति का दुरुपयोग आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में आर्थिक अपराध की श्रेणी के हिसाब से केस दर्ज किया जाता है। दूसरे अपराधों की तरह आर्थिक अपराध की जांच भी कई एजेंसियां करती हैं। एक करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी या हेराफेरी के मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा करती है। यह किसी भी बड़े आर्थिक अपराध में अपने आप केस दर्ज कर सकती है।

कुमाऊं में इस तरह के अपराध होने पर यहां की पुलिस देहरादून में गठित आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को जांच ट्रांसफर करती है। कुमाऊं में आर्थिक अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां थाना खोलने की तैयारी लंबे समय से चल रही थी। एसटीएफ की ओर से रुद्रपुर में इसका थाना खोलने का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि कोरोना संक्रमण कम होने पर इसे हरी झंडी मिल सकती है।

मानव अस्तित्व के लिए सरला बहन ने दिया था प्रकृति संरक्षण का मंत्र

केशव भट्ट (वरिष्ठ पत्रकार)
जंगल में जानवरों को भेजने की जगह खेतों में चारा लगाओ। छोटे पेड़ बचाओ। पत्तियां न तोड़ो ,पेड़ों से प्रेम करो, प्रकृति की चाल के साथ चलो। पर्यावरण संरक्षण शब्द की रचियता और जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति में आत्मसात करके जिया और प्रकृति पर आने वाले संकट के प्रति सचेत किया और दर्शन भी विश्व को प्रदान किया। शोर से दूर हिमालय के आगोश में शांत वातावरण में विश्व पर्यावरण के संरक्षण पर गहन चिंतन और मनन करने वाली सरला बहन के जन्मदिन 5 अप्रैल को उनकी कहीं और लिखी एक एक बात मार्ग दर्शक की तरह विकास की सही दिशा की ओर आज ही इशारा करती है।
गांधी जी ने कुछ सोच कर सरला बहन को कौसानी भेजा होगा। उनको सरला बहन में एक बड़ी संभावना दिखी होगी। सरला बहन ने कौसानी से ही स्त्री शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और जय जगत को सिद्ध करने के लिए अपना जीवन आहूत किया।
प्रथम विश्व युद्ध की विभीषिका और पागलपन को देख उन्होंने शांति और अहिंसा का मार्ग खोजने की अपनी यात्रा में गांधी जी को एक अडिग पड़ाव ही नही मंजिल के रूप में पाया। युद्ध और विकास के उफनते उन्मांद और युद्ध रोमांस से दुनिया विनाश की उस नाव में बैठी हुई है, जिसका चप्पू उनके हाथ के नियंत्रण से बेकाबू होने के कगार पर होता जा रहा है। प्रकृति की अपनी एक चाल होती है। सतत और निरंतर, कोई जल्दबाजी नही, उतावलापन नही जीत और हार की रेस से परे केवल चलते जाना ही है। गांधी ने इस चाल को अनुभव किया और उसकी चाल और उससे निकल रहे संगीत को समझा और उसकी चाल में कदम मिलाकर ग्राम स्वराज्य का मॉडल निर्मित किया। शिक्षा की नई तालीम में इन सब को पिरो दिया। प्रकृति ने जो दिया है, उसकी चाल के साथ सतत चला जा सकता है। प्रकृति के इर्द गिर्द ही मानव अपना विकास कर सकता है। मानव अस्तित्व के लिए प्रकृति का विनाश नही अपितु संरक्षण ही मंत्र हो सकता है। शिक्षा प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए, उसके विरुद्ध नही। प्रकृति के परे कोई मार्ग हो ही नही सकता।
गांधी के जीवन दर्शन और जीवन ने ये सब एक सूत्र में सरला बहन ने विश्व को प्रदान किया। विश्व युद्ध की विभीषिका को देख कैथरीन, उनका असली नाम, संमझा की युद्ध जीतने वाला और युद्ध हारने वाला दोनों ही हारते है। केवल मानव के भीतर दम्भ और दूसरे को हराने का उन्माद जो विनाश का पर्याय है, ही जीतता है। आज ये सब हमारे सामने चरितार्थ हो रहा है।
सरला बहन के जन्मदिन पर उनकी हिमदर्शन की धार पर बैठना और प्रकृति के संरक्षण की गहन चिंतन करना मानव को एक दिशा प्रदान करता है। लक्ष्मी आश्रम का सतत परिवेश आज ही एक आशा प्रदान तो करता ही है। हालांकि विश्व में बेतरतीव भागता विकास सब कुछ लील लेने को अंधी दौड़ में चारो ओर भाग रहा है। उसकी अंधी दौड़ को रोक पाना संभव नही है। लेकिन गांधी के ग्राम स्वराज्य में अभी भी गांव को गांव बनाने की दिशा और मार्ग संरक्षित है। पुरखों की सतत और मेहनत के परिचायक खेत और गांव आज भी मानव सभ्यता को अमरता प्रदान करने की असीम क्षमता है।

सरला बहन ने लक्ष्मी आश्रम को एक मॉडल के रूप में विकसित किया। ये गांधी का ही जीवित मॉडल है। दूसरी और हिमदर्शन कुटीर को चिंतन स्थली के रूप में सरला बहन ने विश्व को प्रदान किया।
आज विकास के बेतरतीव मॉडल को मानव ही नही वन्य प्राणियों की सहज और नीरव जीवन शैली को भी प्रभावित किया है। विकास की तुरत गति ने सतत गति को बाधित ही किया है। वन्य प्राणियों का जंगल से बाहर आना इसका संकेत है। पर्यावरण संरक्षण ही इसका एक मात्र समाधान हो सकता है।
विश्व में जल संकट का गहराता भयावह रूप प्रकृति की चाल को बाधित करने वाले तुरत विकास का ही परिणाम है। मुट्ठी भर लोग दुनियां को तेजी से भागना चाहते है, इस भागमभाग में वो न जाने किस मंजिल को छूना चाहते है और पूरी मानव जाति को इस चाल में अपने अंधकूप में झोंकना चाह रहे है। ये आज प्रकृति के विनाश से संमझा जा सकता है। जब महानगर की चकाचैंध में सांस लेना कठिन हो जाती है, उस वक्त सब बेमानी लगता है। खाने के स्वाद में तेजी से आये बदलाव, विश्व में पिघलते ग्लेशियर, भारत में गंगा नदी समेत सारी नदियों को नालों में परिवर्तित होते देख प्रकृति की सतत चाल को समझना भी कहाँ रह गया है, संभव।
ये सब सहसा सरला बहन के जन्मदिन पर याद हो चला। कृत्रिम शोर से दूर प्रकृति के संगीत के साथ कैसे सुरताल मिल कर चला जा सकता है। ये सरला बहन के जीवन दर्शन और उनकी यादों में आज भी कौसानी के लक्ष्मी आश्रम और उनकी चिंतन स्थली हिमदर्शन में खोजा जा सकता है, बस प्रकृति की चाल के संग चलने मात्र से, जंगल के संगीत में सराबोर हुए, आज भी तमाम कोलाहल के बावजूद भी पक्षियों का कलरव ध्यान खींच ही लेता है। हिमालय की बर्फानी चोटियां अपनी ओर आकर्षित आज भी करती है। घाटियों से आती हवा एक संगीत ही तो है। घने जंगल में अनहद का संगीत तनिक एकाग्र होने से सुना जा सकता है। आज भी सूर्यास्त की लालिमा, रात का सन्नाटा, चन्द्रमा का प्रकाश अपने होने का अहसास छोड़ ही जाता है। ये सब सतत और निरंतर ही है। तुरत विकास की अवधारणा से ये कब तक रहेगा, इस पर चिंतन तो करना ही होगा, ये तय है।

यूटयूब में वेस्ट मेटिरियल से उपयोगी वस्तुएं बनाना सीखा और जीत लिया राष्ट्रीय पुरस्कार

केशव भट्ट (वरिष्ठ पत्रकार)
आज के वक्त में कोई भी चीज बेकार नहीं होती हैं, घर के पुराने वेस्ट मेटिरियल हों या पुराने अखबार। इनसे भी घर को नया लुक दिया जा सकता है, बशर्ते उसका बखूबी इस्तेमाल करने का हुनर आपके पास हो। इस बात को सच साबित करने में लगी है बागेश्वर जिले के मेलाडुंगरी गांव की अर्चना भंडारी। लॉकडाउन में ऑनलाइन शिल्पकला के अपने हुनर से अर्चना ने न केवल राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय शिल्पकला प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया, बल्कि अब वो स्वयं शिल्पकला में अभिनव प्रयोग करने के साथ 20 अन्य बालिकाओं को भी पुराने अखबार, गत्ते व अन्य वैस्ट मैटीरियल का सदुपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण देने में जुटी पड़ी है।
कोरोना काल के लॉकडाउन में अर्चना की प्रतिभा निखर कर सामने आई। शुरूआत में उसने कोरोना वायरस से बचाव के लिए घर में ही मॉस्क बनाकर बांटने शुरू कर दिए। समय था तो उसने यूटयूब से वेस्ट मेटिरियल से उपयोगी वस्तुएं बनाना भी सीखना शुरू कर दिया और ऑनलाइन शिल्पकला में राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में द्वितीय पुरूष्कार भी हांसिल कर लिया। इससे उसके सांथियों ने भी शिल्पकला सीखने की बात कही तो अब वो 20 बालिकाओं को भी पुराने अखबार, गत्ते व अन्य वैस्ट मैटीरियल का सदुपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण देने में लगी है। अर्चना, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सांथ ही स्वरोजगार अभियान को लेकर काफी जागरूक है। कई नुक्कड़ नाटकों में प्रतिभाग कर वो इसका संदेश भी दे चुकी हैं। अभी रक्षाबंधन के त्यौहार पर उन्हें पांच सौ राखियों की डिमांड मिली है तो वो सभी राखियां बनाने में जुटी पड़ी हैं।

हर दिन सुबह आठ से दस बजे तक के प्रशिक्षण में हाईस्कूल, ग्रेजुएशन कर रहे छात्राओं के सांथ ही नौकरीपेशा भी अर्चना से कलमदान, पेन स्टैंड, न्यूज पेपर होल्डर, फोटो फ्रेम, ज्यूलरी बॉक्स समेत राखी बनाना सीख रहे हैं। लगातार अभ्यास से वो अब पारंगत होते जा रहे हैं और अभी तक उन्होंने तीन हजार से भी ज्यादा सजावटी सामान बना दिए हैं। गुजरात सूरत के एक स्कूल में सुपरवाईजर पोस्ट पर तैनात भावना नयाल लॉकडाउन में स्कूल बंद होने पर गांव आ गई और अब वो भी यहां शिल्पकला का प्रशिक्षण ले खुश हैं।
अर्चना की इस पाठशाला में हर कोई अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पूरी मेहनत से जुटे हैं। वहीं अर्चना भी उनका उत्साहवर्धन कर बेटियों की प्रतिभा को सामने लाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को सच साबित कर समाज को नया संदेश देने में लगी है।