त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखंड से किया वादा निभायाः बंशीधर भगत

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर समय राजनीति करती है। अच्छे निर्णयों को लेकर जहां कांग्रेस को सरकार की पीठ थपथपानी चाहिए। कांग्रेस वहां भी लोगों को गुमराह करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण सवा करोड़ उत्तराखण्डियों की भावनाओं में है। प्रदेश के सभी लोग चाहते हैं कि गैरसैंण को लेकर जो सपना हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था, वो आज पूरा हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी गैरसैंण को लेकर सदैव सकारात्मक रही है, यही वजह है कि हमारे घोषणापत्र में गैरसैंण प्रमुखता से था। मुझे खुशी है कि त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने उत्तराखण्ड के लोगों से किया वादा निभाया है। मैं प्रदेश सरकार, राज्य के समस्त जनता और आंदोलनकारियों को बहुत बहुत बधाई देता हूँ।
बंशीधर भगत ने कहा कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्म राजधानी ऐसे समय बनाया गया है, जब न तो चुनाव हैं, न किसी तरह की मजबूरी है। हमारी पार्टी के प्रयास होता है कि जनभावनाओं को सर्वोपरि रखा जाय, उसी दिशा में ये कदम बढ़ाया गया है।
उत्तराखण्ड के सृजन से लेकर अब तक भाजपा की सरकारों ने इस पर्वतीय प्रदेश के लिए दिल खोलकर, बिना नफा नुकसान की परवाह किये काम किया है। याद कीजिये उत्तराखण्ड का सृजन स्व. अटल जी ने ही किया था। यही नहीं प्रदेश में आज जो औद्योगिक ढांचा है उसके लिए अटल जी की सरकार ने ही विशेष पैकेज दिया था, हालांकि बदकिस्मती से कांग्रेस की सरकार ने इस विशेष पैकेज को खत्म कर दिया था। आज के दौर में भी मोदी जी का उत्तराखण्ड के प्रति लगाव किसी से छिपा नहीं है। ऑल वेदर रोड, पहाड़ पर रेल लाइन, केदारपुरी का कायाकल्प, ये सारे काम भाजपा की सरकारों द्वारा ही संभव थे। गैरसैंण को ग्रीष्म राजधानी घोषित करना भी इसी विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 
मगर ये बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। कांग्रेस की सरकारों ने 10 साल राज किया लेकिन गैरसैंण पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाए, और जब भाजपा की सरकार ने ये ऐतिहासिक कदम उठाया तो कांग्रेस जनता को गुमराह करने लगी है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस नेतृत्व से पूछता हूँ, आखिर जब सरकार में थे तब क्यों सोए रहे? तब आपने जनभावना का अपमान क्यों किया? सच तो ये है कि कांग्रेस चाहती है नहीं है कि गैरसैंण की तरफ कदम आगे बढ़ाए जायँ, हां इनके नेता ढोंग करने, धरना देने जरूर वहां पहुंच जाते हैं। और जब जनभावनाओं के सम्मान की बात आती है तो ये पीछे हट जाते हैं।

सरकारी योजनाओं और स्वरोजगार अपनाने के लिए मीडिया सलाहकार दे रहे महत्वपूर्ण जानकारी

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य के लोगों को रोजगारपरक जानकारी दे रहे है। साथ ही सरकार की वह कौन सी नीतियां है जो उनके लिए स्वरोजगार में सहायक बन सकती है, इसकी भी सिलसिलेवार जानकारी दे रहे है। यह जानकारी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपना स्वरोजगार करने के इच्छुक है। युवा भी बड़ी संख्या में सोशल मीडिया में उन्हें फाॅलो कर रहे है। साथ कई सवालों के माध्यम से स्वरोजगार की दिशा में कदम भी बढ़ा रहे है।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट की कलम से ….

मेरा प्रयास रहता है कि मैं हर उत्तराखंडी को ये भरोसा दिला सकूं कि हम राज्य में रहकर भी बहुत कुछ कर सकते हैं।
90 के दशक में भीमताल में फूलों की खेती ने लोगों को नई दिशा दिखाई थी, फूलों से अच्छा खासा रोजगार लोगों को मिला। भीमताल की महाशीर के बारे में देश-दुनिया मे कौन नहीं जानता।
मैंने बचपन मे अपने पिता से सुना था, अंग्रेजो के समय में लंदन में आयोजित होने वाली टी एक्जीबिशन में बेरीनाग की चाय, टी क्वीन का खिताब जीतती रही।
आज जब बड़े पैमाने पर प्रवासी भाई बहन घर लौटे हैं, तो एक नया विश्वास पैदा हो रहा है। जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री जी का कहना है, आवा अपणु गौं का वास्ता कुछ करा। तो ये सही समय भी है, और सरकार ने मौका भी दिया है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है जिसमें स्वरोजगार के लिए भारी सब्सिडी मिल रही है। इसी तरह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के जरिये भी स्वरोजगार के लिए ऋण मिलता है। नाबार्ड, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत भी स्वरोजगार शुरू करने के लिए उचित दरों व सब्सिडी के साथ लोन की सुविधा है।

हमारा उत्तराखण्ड विविधताओं से भरा है। उत्तराखंड में प्रकृति ने सभी ऋतुयें और सभी तरह की भौगोलिक परिस्थिति प्रदान की है। इस लिहाज से वोकल फॉर लोकल से आत्मनिर्भर बनने के लिए यह उचित समय भी है और मौका भी है।
प्रदेश के हर जिले और हर घाटी की अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और जलवायु है। पर्वतीय क्षेत्रों में साग- भाजी का उत्पादन है, तो कहीं फलों का, कहीं फूलों का और कहीं अनाज का। उत्तरकाशी जिला जहां फल और सब्जी पट्टी के लिए विख्यात है, वहां की राजमा अपने विशिष्ट स्वाद के लिए पहचानी जाती है। उसी तरह हमारे पर्वतीय जिलों में नींबू, नारंगी, माल्टा, खुमानी, आलू बुखारा, नाशपाती, काफल आदि का भरपूर उत्पादन होता है। गढ़वाल कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में मंडवा, झंगोरा, जौ, गहत, भट्ट, मसूर, तोर और रामदाना (स्थानीय भाषा मे चुआ) का भरपूर उत्पादन होता है।
हम चाहें तो अपने बुरांस के जूस को प्रमोट करके कोला पेप्सी के टक्कर का बना सकते हैं। हम चाहें तो काफल को चेरी के जैसी मार्केट दे सकते हैं। हमारे सीमांत जिलों में बड़ी मात्रा में भेड़-बकरी पालन होता है। उनकी ऊन से पीढ़ियों से लोग कालीन निर्माण में प्रयोग होती है।

बागेश्वर को तो ताम्र नगरी ही कहा जाता है। जहां तांबे से बर्तन, वाद्य यंत्र आदि अनेक उपयोगी वस्तुएं बनती हैं, चंपावत में लौह से बनी वस्तुओं का प्रचलन है। रिंगाल, कंडाली, भीमल, भांग के रेशे पहाड़ में हर जगह व्याप्त हैं जिनसे अच्छी खासी इंडस्ट्री खड़ी हो सकती है। की।
रानीखेत का चैबटिया गार्डन सेव के लिए और सेब की प्रजातियों पर शोध के लिए प्रसिद्ध है। रानीखेत के निकट की गगास घाटी साग सब्जी के क्षेत्र में सबके लिए प्रेरणा है।
हमारा गैरसैण और नौटी का क्षेत्र तथा कुमाऊँ में चैकोड़ी में शानदार चाय के बागान है।
हमारे तराई के जिले गेहूं, चावल, गन्ना सब्जियां भरपूर मात्रा में उत्पन्न करते हैं।
हमारे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जड़ी बूटी उत्पादन की प्रबल सम्भावनाएं हैं। कुटकी, अतीश, जटामाशी, हरड़, बहेड़ा, आंवला का उत्पादन फार्मा कंपनियों की जरूरत है।
इस तरह हमारा हर गांव, हर क्षेत्र, हर जिला एक विशेषता लिए है। अब जरूरत है, हमें उन विशेषताओं को अर्थव्यव्स्था से जोड़ने की, स्वरोजगार अपनाने की।
मुझे विश्वास है, हमारा उत्तराखण्ड स्वरोजगार के रास्ते आत्मनिर्भर जरूर बनेगा।

देना होगा बाजार मूल्य पर किराया, राज्य सरकार का अधिनियम अंसवैधानिक

हाईकोर्ट नैनीताल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने वाले अधिनियम-2019 को अंसवैधानिक घोषित करते हुए उसे निरस्त कर दिया है। सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब बाजार भाव के हिसाब से किराया चुकाना होगा।
अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए यह निर्णय दिया। अधिवक्ता कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 के उल्लंघन में पाया है। अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार मूल्य से किराए का भुगतान करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में उन्हें दी गई अन्य सभी सुविधाओं के लिए खर्च किए गए धन की गणना करने और उसकी वसूली के लिए राज्य उत्तरदायी होगा। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान शक्तियों को अलग करने के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने 23 मार्च को मामले में सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद मंगलवार को निर्णय सुनाया गया है।
मामले के अनुसार, देहरादून की रुलक संस्था ने राज्य सरकार के उस अध्यादेश को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी, जिसके द्वारा राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के किराए को बाजार रेट के आधार पर भुगतान करने से छूट दे दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सभी पूर्व सीएम पर करीब 15 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा, किराया करीब पौने तीन करोड़ है, जिसकी वसूली के आदेश कोर्ट ने पिछले वर्ष छह माह में करने के आदेश दिए थे।

क्या है अधिनियम
रूलक सामाजिक संस्था के चेयरपर्सन अवधेश कौशल की ओर से हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस पर कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूलने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के खिलाफ पूर्व सीएम व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा ने हाईकोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल की लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी नहीं सुनी और उन्हें पुराना बकाया चुकाने का आदेश जारी रखा।
इसमें भगत सिंह कोश्यारी ने बकाया चुकाने की हैसियत न होने की बात कही तो फिर कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि क्यों न उनकी संपत्ति की जांच करा ली जाए। हाईकोर्ट में जब सरकार तथ्यों और तर्कों के आधार पर कुछ न कर पाई तो भगत सिंह कोश्यारी के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने और सुविधाएं जारी रखने के लिए अध्यादेश ले आए। अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि कैबिनेट में गुपचुप निर्णय करके अध्यादेश को मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया गया था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला सहित अन्य सुविधाएं देने के मामले में सरकार ने राज्य का एक्ट नहीं बनाया।
सरकार ने उत्तर प्रदेश का एक्ट लागू करना स्वीकार किया लेकिन उसे संशोधित नहीं किया। पिछले वर्ष कोर्ट में दिए गए हलफनामे में लागू एक्ट में लखनऊ का उल्लेख कर दिया, जबकि उत्तर प्रदेश के अधिनियम में साफ तौर पर अंकित था कि सुविधा सिर्फ लखनऊ में दी जा सकती है। इसलिए राज्य सरकार को यह स्वीकार करना पड़ा कि उत्तराखंड में इस संबंध में कोई अधिनियम प्रभावी नहीं है।
वहीं, अधिवक्ता ने बताया कि 1981 में यूपी में बने अधिनियम में साफ उल्लेख था कि मुख्यमंत्री, मंत्रियों को पद पर बने रहने तक सरकारी आवास मुफ्त मिलेगा। पद से हटने के 15 दिन में उन्हें आवास खाली करना होगा। 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नियम में बदलाव कर कहा कि अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास आवंटित किया जाएगा।
एक्ट में यह भी उल्लेख था कि आवास सिर्फ लखनऊ में ही दिया जाएगा, बाहर नहीं। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड बनने के बाद यह नियम यहां निष्प्रभावी हो गया। राज्य सरकार ने यूपी के एक्ट को उत्तराखंड के लिए मोडिफाई नहीं किया लेकिन कोर्ट में बताया कि सरकार ने 2004 में लोकसेवकों को प्रतिमाह एक हजार रुपये किराये पर आवास देने के रूल्स बनाए थे। इसमें कहा गया कि ट्रांसफर होने के बाद अधिकतम तीन माह तक लोकसेवक आवंटित आवास में रह सकते हैं, फिर हर हाल में खाली करना होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि रूल्स सरकारी लोक सेवकों के लिए है, यह पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं हो सकता।

समाज कल्याण विभाग के कार्यालयों, स्कूल, हॉस्टलों की दीवारों पर बनेगी कुमांऊ की ऐंपण पेंटिंग

कुमांऊ की प्रसिद्ध ऐंपण कला को अब समाज कल्याण विभाग नशे के खिलाफ ढाल बनाएगा। इस कला के जरिए नशे के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए विभाग अपने कार्यालयों, स्कूल और हॉस्टलों की दीवारों पर ऐंपण पेंटिंग बनाने जा रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने समाज कल्याण विभाग को नशा मुक्ति कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी है। जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पांडे ने कार्यक्रम की शुरुआत की है।

सर्वप्रथम इसकी शुरूआत देहरादून से की जाएगी, यहां सर्वे चौक स्थित जिला समाज कल्याण कार्यालय में ऐपण पेंटिंग कराने की योजना है। इसके बाद कंडोली स्थित विभाग के सरकारी हॉस्टल व भगत सिंह कॉलोनी स्थित राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में होगी।

क्या है ऐपण लोक कला
ऐपण उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल की प्रसिद्ध लोककला चित्रकला है, जो विश्व प्रसिद्ध है। कुमाऊं में दीपावली, देवी पूजन, लक्ष्मी पूजन, यज्ञ, हवन, जनेऊ संस्कार, छठ कर्म, शिवपूजन, विवाह, व्रत-त्योहार में घर की चौखट व दीवारों पर ऐपण लोक कला बनाने की परंपरा है। इसमें घर के आंगन से मंदिरों तक के मार्ग में ऐपण कला बनाई जाती है। इसमें सबसे पहले गेरू से पुताई करते हैं। इसके बाद उसके ऊपर बिस्वार (चावल के आटे का घोल बनाकर) से चित्र बनाए जाते हैं। इन चित्रों को शुभ माना जाता है।

हाईस्कूल और इंटर के उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा 20 जून से शुरू

उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में संशोधित कार्यक्रम घोषित किया है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर के मुताबिक 20 जून को सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक हाईस्कूल की गणित की परीक्षा होगी। इसी दिन दूसरी पाली में दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक इंटरमीडिएट की संस्कृत, उर्दू और पंजाबी की परीक्षा होगी।

22 जून को सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक हाई स्कूल की उर्दू एवं इसी दिन दूसरी पाली में दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक इंटरमीडिएट की जीव विज्ञान, कृषि, गणित, प्रारंभिक सांख्यिकी पंचम प्रश्न पत्र, कृषि रसायन विज्ञान दशम प्रश्न पत्र की परीक्षा होगी।

इसके अलावा 23 जून मंगलवार को सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक हाईस्कूल की पंजाबी, बंगाली और संस्कृत की परीक्षा होगी। इसी दिन दूसरी पाली में दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक इंटरमीडिएट की भूगोल और भूगर्भ विज्ञान की परीक्षा होगी।

नियमों का उल्लंघन करने को लेकर दायर याचिका में हाईकोर्ट ने महाराज को दिया नोटिस

कोरोना संक्रमण के दायरे में आए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को आज हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। उन्हें तीन हफ्ते के अंदर जवाब भी दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज द्वारा कोरोना वायरस से बचने के लिए जारी केंद्र सरकार की गाइड लाइन का उल्लंघन करने के मामले में एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। इस पर आज सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही मंत्री को भी नोटिस जारी किया।
हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब आम लोगों पर क्वारंटीन के नियमों का उल्लंघन करने पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है तो संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के खिलाफ कार्यवाही अमल में क्यों नहीं लाई जा रही है। इसे लेकर हाईकोर्ट कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार व मंत्री को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में मंत्री सतपाल महाराज व उनकी पत्नी सहित उनके परिवार के पांच सदस्य, उनके कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित मिले थे। संक्रमित पाए जाने से पहले महाराज कैबिनेट की बैठक में भी गए थे। बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और शासन के अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे। जिसके बाद एहतियात बरतते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सुबोध उनियाल और हरक सिंह रावत ने सेल्फ क्वारंटीन में जाने का निर्णय लिया है। हालांकि कल देर रात को मुख्यमंत्री की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है।

उत्तराखंड का औषधीय धनिया पौधा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

उत्तराखंड, अल्मोड़ा जनपद, ताड़ीखेत विकास खंड, बिल्लेख गांव के केवलानंद उप्रेती के सिविल इंजीनियर पुत्र गोपाल दत्त उप्रेती द्वारा व्यक्तिगत प्रयासो के बल अपने बिल्लेख गांव स्थित सेव बगान में सात फुट एक इंच ऊंचे सुगंधित व औषधीय धनिये के पौंधे जैविक विधि से उत्पादित कर, कृषि उघम के क्षेत्र मे नई वैश्विक क्रान्ति की अलख जगा, कृषि वैज्ञानिकों, काश्तकारों तथा उद्यम विकास मे संघर्षरत उद्यमियो का ध्यान अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड मे दर्ज करा, वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित की है। इससे पूर्व यह रिकॉर्ड छह फुट एक इंच का था।

जैविक विधि से उत्पादित उक्त धनिया पौंधों का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए 21 अप्रैल को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के वैज्ञानिक डॉ गणेश चौधरी द्वारा उत्पादित पौंधों का निरीक्षण कर इसकी पुष्टि की गई थी। माह मई प्रथम सप्ताह मे इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्स में दर्ज किया जा चुका था।

आईसीएआर वैज्ञानिक डॉ गणेश चौधरी व उत्तराखंड के चीफ हॉर्टिकल्चर आफिसर टीएन पांडे, उत्तराखंड आर्गेनिक बोर्ड रानीखेत-मजखाली इंचार्ज डॉ देवेन्द्र सिंह नेगी, उद्यान सचल दल केंद्र बिल्लेख प्रभारी राम सिंह नेगी के द्वारा उक्त सुगंधित व औषधीय गुणों से युक्त तथा पाचन तंत्र को मजबूत करने वाला अम्बेलीफेरी कुल के धनिया पौंधे को विटामिन श्एश्, श्सीश् तथा श्केश् गुणों के साथ-साथ कैल्शियम, कॉपर, आयरन, कार्बोहाइट्रेड, थियामिन, पोटेशियम, फास्फोरस से युक्त बताया गया था। वैज्ञानिकों के मुताबिक आमतौर पर धनिया पौंधों की ऊंचाई वैश्विक स्तर पर दो से छह फुट एक इंच तक देखी जाती रही। पहली बार उत्तराखंड मे सात फुट एक इंच धनिये पौंधे की अदभुत व आश्चर्य चकित कर देने वाली पैदावार कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अवलोकित की गई थी।

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा की गई प्रत्यक्ष पुष्टि के बाद, उत्पादित पौंधों के पुनर्वालोकन तथा डाक्यूमेंटेशन कराने हेतु गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तथा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से जुड़े पदाधिकारियों को 23 अप्रैल को पत्र भेज आमंत्रित किया गया था।

सरकारी लैब में अभी 6133 सैंपलों की जांच जारी, तेजी से बढ़ रहे संक्रमित मरीज

प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अभी तक सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को ऑरेंज जोन में शामिल किया था। लेकिन अब लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार ने नैनीताल को ऑरेंज से हटाकर रेड जोन में शामिल कर दिया है। वहीं, ऊधमसिंह नगर को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल में अब तक करीब 260 मामले सामने आ चुके हैं। ऊधमसिंह नगर में संक्रमित मरीजों की संख्या 82 हो गई है। वहीं इसके बाद अब 11 जिले ऑरेंज जोन में शामिल हैं।
प्रदेशभर में रविवार को 158 मरीजों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने इसकी पुष्टि की है। वहीं, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक महिला डॉक्टर भी संक्रमित मिलीं हैं। दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी एमएस और कोरोना के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. एनएस खत्री ने जानकारी दी। इसके साथ ही अब प्रदेश में सक्रमित मरीजों का आंकड़ा 907 पहुंच गया है। 
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, आज देहरादून में 49, हरिद्वार में 17, नैनीताल में 31, टिहरी में तीन, अल्मोड़ा में 18, चंपावत में चार, पौड़ी में छह, ऊधमसिंह नगर में 20, चमोली में दो, उत्तरकाशी में सात और रुद्रप्रयाग में एक संक्रमित केस मिला है। अभी भी प्रदेश में 692 एक्टिव केस हैं। इसके साथ ही अब नैनीताल को रेड जोन में शामिल कर दिया है। जबकि ऊधमसिंह नगर को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है। अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि 102 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं। चार सरकारी लैब में अभी 6133 सैंपलों की जांच चल रही है। इनकी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण अभी सामुदायिक फैलाव के फेज में नहीं आया है। जितने भी पॉजिटिव केस आए हैं, उनकी ट्रैवल हिस्ट्री और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग जारी है। ज्यादातर मामले बाहर से लौटे प्रवासियों के संक्रमित होने के आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मीडिया के माध्यम से उन्होंने जनता से अपील की है कि आने वाले दिनों में और अधिक अनुशासन बनाए रखने की जरूरत है। कहा कि धीरे-धीरे बाजार के खुलने में ढील दे रहे हैं, लेकिन लोगों को दुकानों में भीड़ एकत्रित नहीं होने देनी है।

टिकटॉक को आ गया बाय-बाय करने का समय, स्वदेशी एप मित्रों हो रहा पॉपुलर

भारत में टिकटॉक का बाय-बाय करने का वक्त आ गया है। भारत के युवाओं की जुबां पर अब टिकटॉक नहीं बल्कि स्वदेशी निर्मित एप मित्रों का नाम है। अभी तक इस एप को 50 लाख से ज्यादा युवा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर चुके है। इसे आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्रों ने बनाया है। इसे टिकटॉक का क्लोन भी कहा जा रहा है।

आईआईटी के पूर्व छात्रों का कहना है कि एप लांच करते समय हमें ऐसे ट्रैफिक की उम्मीद नहीं थी। इसे बनाने के पीछे लोगों को सिर्फ भारतीय विकल्प देना था। आईआईटी रुड़की में वर्ष 2011 में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ब्रांच से पासआउट छात्र शिवांक अग्रवाल ने अपने चार साथियों के साथ मित्रों एप बनाया है।

11 अप्रैल को हुआ था मित्रों एप लांच
पेटीएम के पूर्व सीनियर वाइस प्रेजिडेंट दीपक के ट्वीट के बाद इसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। अचानक बड़ी संख्या में लोगों के एप डाउनलोड करने से नेटवर्क ट्रैफिक भी प्रभावित होने लगा। टीम मेंबर ने बताया कि वास्तव में 11 अप्रैल को एप लांच करते समय यह नहीं सोचा था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। टिकटॉक को पीछे छोड़ना जैसी कोई बात नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों को सिर्फ एक भारतीय विकल्प देना था। लोग इसका इस्तेमाल करना चाहेंगे या नहीं यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमें लोगों से जो आशीर्वाद मिला, उससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि हमें किसी ने फंड नहीं दिया है, उनका फंड लोगों का प्यार ही है।

मित्रों स्वदेशी नाम, इसलिए देना उचित
टीम मेंबर ने बताया कि मित्रों का अर्थ मित्र ही है। एक तो यह भारतीय उपभोक्ताओं को भारतीय मंच के जरिए सेवा देने के लिए है। हम स्वदेशी नाम देकर भारतीय नामों के खिलाफ पूर्वाग्रहों को भी दूर करना चाहते हैं।

आग लगने की झूठी खबर या फोटो सोशल मीडिया पर डाली, तो कार्रवाई होगी

विदेशी जमीं के जंगलों की आग वाली वीडियों और फोटो को उत्तराखंड का बताकर सोशल मीडिया पर वायरल करने से कानूनी कार्रवाई हो सकती है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ट्वीट के जरिए तथा वन मंत्री सहित कई लोगों ने इसे भ्रामक खबर, वीडियों और फोटो बताया है। वहीं, डीजीएलओं ने इस पर कार्रवाई की बात कही है।

बता दें कि इन दिनों सोशल मीडिया पर आग लगने से उत्तराखंड जंगल की 71 हेक्टेयर जमीन पूरी तरह से बर्बाद हो गई है और लोगों की जान सहित कई जानवरों की मौत होने वाली खबर और वीडियों वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर ही जबरदस्त तरीके से ऐसी फेक न्यूज का खंडन शुरू हो गया। खुद वन मंत्री हरक सिंह ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के नाम से जो जंगल की आग की फोटो-वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें कुछ पुराने और कुछ विदेशों के हैं।

वन मंत्री हरक सिंह ने आरोप लगाया कि फेक न्यूज फैलाकर विभाग की छवि को धूमिल किया जा रहा है। इसके बाद वन प्रमुख जयराज ने बाकायदा आदेश जारी कर मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते को सोशल मीडिया प्रभारी नियुक्त किया, उनसे कहा गया कि तथ्यों से परे सूचनाओं का पुरजोर खंडन करें। वहीं, वन अधिकारियों को भी आदेश दिया कि मीडिया प्रभारी को सटीक और सही जानकारी दी जाए। इसके साथ धकाते भी फेक न्यूज के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए, उन्होंने सही जानकारी देते हुए एक वीडियो भी अपलोड किया।

पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल उत्तराखंड के जंगलों में आग की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है, वायरल फोटो-वीडियो में कुछ पुराने तो कुछ विदेशों के हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।