नीति आयोग की बैठक में ग्रीन बोनस सहित राज्य हित के कई मुद्दों को सीएम ने उठाया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के विकास में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए राज्य से संबंधित विभिन्न विषयों को रखा।

ग्रीन बोनस
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में वनों, बुग्यालों, ग्लेशियरों का संरक्षण करके हम सम्पूर्ण राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं। आईआईएफएम, भोपाल के एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड के वनों से प्राप्त होने वाली इन सेवाओं का न्यूनतम मौद्रिक मूल्य 95,000 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष है। भविष्य में राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन वन एवं पारिस्थितिकी सेवाओं के मानक को बढ़ाने का उन्होंने अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक यह प्रणाली अस्तित्व में नही आती तब तक उत्तराखण्ड राज्य को ग्रीन बोनस प्रदान किया जाये।

भ्रमणशील जनसंख्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं में स्थिर जनसंख्या के मानक का उपयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों विशेष तौर पर चार धाम तथा कांवड़ यात्रा मे उत्तराखण्ड में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का वर्ष भर आवागमन होता है, जो राज्य की जनसंख्या का पांच से छह गुना है। तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को समस्त आधारभूत सुविधायें जैसे-पार्किंग, यातायात, पेयजल, स्वच्छता, आवास, परिवहन, जन सुरक्षा इत्यादि राज्य के सीमित संसाधनों से ही करनी होती है। उन्होंने वित्तीय संसाधनों के आवंटन एवं नीति निर्माण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को सम्मिलित किये जाने का अनुरोध किया।

बाह्य सहायतित परियोजनायें
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की लगभग 19,000 करोड़ रूपये की 11 वाह्य सहायतित परियोजनायें पाइप लाइन में हैं। इन परियोजना प्रस्तावों पर नीति आयोग, डी.ई.ए, सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों से संस्तुति तथा फण्डिंग एजेंसियों से सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। राज्य के वित्तीय संसाधन बहुत सीमित हैं जिस कारण ई.ए.पी तथा सी.एस.एस पर ही हमारी निर्भरता है। वित्त मंत्रालय के आदेश के अनुसार उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश हेतु इसमें बमपसपदह लगायी गयी है। इन परियोजनाओं पर कटौती किये जाने से राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के सृजन तथा आजीविका के अवसर बाधित हो जायेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री जी से इसका समुचित समाधान करवाने का अनुरोध किया।

ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने राज्य में 25 मेगावाट से कम लघु एवं सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं की ही उत्पादन क्षमता लगभग 3500 मेगावाट है। इसमें से मात्र 200 मेगावाट का ही दोहन हो रहा है। उन्होंने अनुरोध किया कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन का अधिकार राज्य सरकार को प्रदान किया जाए। इस निर्णय से लगभग 3000 मेगावाट तक विद्युत क्षमता का उपयोग शीघ्र करके विकसित भारत/2047 के विजन के अन्तर्गत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करते हुए नेट जीरो के लक्ष्यों को हासिल करने में भी सहयोग दे पायेंगे।

नदी जोड़ो परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा कुछ हिमनद नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। ऐसी अति महत्वपूर्ण ‘‘नदी-जोड़ो परियोजना’’ के क्रियान्वयन हेतु अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है, इसके लिये मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया।

केन्द्र पोषित योजनाओं में लचीलापन
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र पोषित अधिकांश योजनाएं वन साइज फिट ऑल के आधार पर बनती हैं। जो राज्यों की अपनी विशिष्ट परिस्थितियां एवं आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होती है, परन्तु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी योजनायें भी हैं जिसकी गाइडलाईन में पर्याप्त लचीलापन है। इसके कारण राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करने की स्वायत्ता रहती है। स्वायत्ता की यही प्रक्रिया अन्य केन्द्र पोषित योजनाओं के लिये भी अपनायी जानी चाहिये ताकि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य केन्द्र पोषित योजनाओं का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।

औद्योगिक प्रोत्साहन नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लागू औद्योगिक प्रोत्साहन नीति वर्ष 2017 के अन्तर्गत प्राप्त प्रोत्साहन वर्ष 2022 में समाप्त हो चुके हैं, जबकि जम्मू कश्मीर तथा पूर्वाेत्तर राज्यों हेतु इसी प्रकार की अन्य औद्योगिक नीति वर्तमान में भी चल रही है। पर्वतीय राज्य होने के कारण हमारी समस्यायें भी उन्हीं राज्यों की तरह ही हैं। उन्होंने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को उत्तराखण्ड राज्य में भी आगामी 5 वर्षाे के लिये विस्तारित करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी में उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने का लक्ष्य-सशक्त उत्तराखण्ड 2025 की अवधारणा के आधार पर तेज गति से कार्य प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार की तर्ज पर राज्य में स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखण्ड (सेतु) का गठन किया है। गुजरात के जी.आई.डी.बी की तर्ज पर अवस्थापना सुविधाओं के सृजन हेतु उत्तराखण्ड निवेश और अवस्थापना विकास बोर्ड का गठन किया गया है ताकि घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को राज्य में आकर्षित किया जा सके। जल संरक्षण को बढ़ावा देने, बाढ़ नियन्त्रण में सहायक और सभी विकास कार्याे में इकोनॉमी तथा इकोलॉजी का सन्तुलन सुनिश्चित करने के लिये ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजूवनेशन अथॉरिटी बनायी जा रही है। इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा जल आधारित रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। नगरीय मल्टी मॉडल परिवहन सुविधा के लिये यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटयन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यू.एम.टी.ए) का गठन किया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पी0एम0 गतिशक्ति में गुजरात के बाद उत्तराखण्ड दूसरा राज्य है, जिसके द्वारा अधिकतम कार्य पूर्ण किया गया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बद्री-केदार धाम के पुननिर्माण का संकल्प शीघ्र साकार होने जा रहा है। इसके लिये राज्य की ओर से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमांऊ क्षेत्र में स्कन्द पुराण में उल्लिखित प्रमुख पौराणिक मंदिर तथा गुरूद्वारा को एक सर्किट के रूप में जोड़ने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन प्रारम्भ की गयी है। इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर लगभग 50,000 परिवारों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से रोजगार मिलने का अनुमान है। प्रथम चरण में 16 मंदिरों का अवस्थापना विकास किया जा रहा है। पहली बार जागेश्वर मंदिर पर आधारित गणतंत्र दिवस की झांकी को पहला स्थान मिला।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में ‘‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’’ की अवधारणा के अन्तर्गत आई.टी का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। अपणि सरकार पोर्टल पर लगभग 70 प्रतिशत सेवायें ऑनलाईन उपलब्ध है। ‘अपणों स्कूल अपणों प्रमाण’ के अन्तर्गत विद्यालय में ही छात्र-छात्राओं को सभी प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे हैं। रोजगार के सृजन की दृष्टि से 18000 पॉली हाउस एक साथ स्वीकृत किये गये जबकि विगत वर्षों में लगभग 500 पॉली हाउस प्रतिवर्ष स्वीकृत होते थे। आगामी दो वर्षाे में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से लगभग एक लाख से अधिक रोजगार का सृजन होगा। पर्यटन नीति 2023 के अन्तर्गत लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश सम्भावित है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा। विदेशों में रोजगार के आकर्षक अवसर उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना लायी गयी है। पर्यटक स्थलों पर सुगमतापूर्वक आवागमन के लिये 58 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्मित किये गये हैं एवं 29 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्माणाधीन है। स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के ड्रोन के निर्माण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में आवश्यकीय सेवाओं, विकास कार्याे की निगरानी के लिये ‘ड्रोन यूसेज एंड प्रमोशन पॉलिसी’ लायी जा रही है। सात जनपदों के 250 कृषकों को वर्तमान में ड्रोन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य में महिलाओं को अधिक सशक्त बनाने के लिये 2025 तक 1.25 लाख लखपति दीदी का लक्ष्य रखा गया है एवं 33,158 परिवारों को लखपति दीदी के रूप में तैयार किया गया है।

अब तीर्थनगरी में मोबाइल एप से मिलेगी सारी जानकारी, यात्रियों को मिलेगी सहूलियत

कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने ऋषिकेश सहित मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम को पर्यटकों के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं देने के लिए एकीकृत अवस्थापना विकास परियोजना को भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय द्वारा 1600 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। बता दें कि परियोजना को पूर्व में नीति आयोग और आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार ने स्वीकृति प्रदान की थी।

एडिशनल प्रोग्राम डायरेक्टर उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलेपमेंट विनय मिश्रा के साथ मंत्री डॉ अग्रवाल जी ने ऋषिकेश नगर सहित मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम के एकीकृत अवस्थापना विकास परियोजना के संबंध में जानकारी हासिल की।

विनय मिश्रा ने बताया कि नगर निगम ऋषिकेश, नगर पालिका मुनिकीरेती और नगर पंचायत स्वर्गाश्रम के लिए बनी परियोजना को भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की है। बताया कि परियोजना की कुल लागत लगभग 200 मीलियन यूरो (लगभग रूपये 1600 करोड़) है। परियोजना हेतु भारत सरकार व राज्य सरकार का वित्तीय अनुपात 80रू20 प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि इसमें भारत सरकार द्वारा यूरोपीय वित्तपोषण संस्था ज्ञथ्ॅ को 160 मीलियन यूरो की सहायता हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।

विनय मिश्रा ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश नगर निगम, मुनिकीरेती नगरपालिका तथा स्वर्गाश्रम नगर पंचायत क्षेत्र में एक सिटी ऐप कार्य करेगा। जो एक तरह से यात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों के लिए मददगार साबित होगा। इस ऐप के जरिए यात्री अपनी लोकेशन के आसपास ही पार्किंग, टॉयलेट, मेडिकल, अस्पताल, प्याऊ, पुलिस चौकी, सरकारी दफ्तर, व्यापारिक संस्थान, गंगा घाट, मंदिर सहित अन्य तीर्थ स्थल आदि की जानकारी ले सकेंगे। साथ ही यात्री पार्किंग पर अपना वाहन पार्क कर इलेक्ट्रिक व्हीकल के जरिए अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत 24ग्7 पेयजल आपूर्ति प्रणाली, पेयजल मीटर वर्षाजल प्रबन्धन व बाद सुरक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाएं, स्मार्ट शहरी स्थल परिधान व सामान कक्ष, प्रतीक्षालय, घाट और व्यापारिक स्थल का विकास, सड़के और यातायात प्रबंधन भूमिगत उपयोगिता नालिका नागरिक सुरक्षा और सुविधाओं हेतु विकसित एकीकृत नियंत्रण व आदेश केन्द्र, स्मार्ट स्तम्भ व ऊर्जा बचत हेतु उपकरणों की स्थापना, परिवहन केंद्र, बस टर्मिनल और पार्किंग इत्यादि के कार्य किए जाने हैं।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री व ऋषिकेश विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने इस परियोजना के लिए भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय से स्वीकृति मिलने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। डॉ अग्रवाल ने कहा कि उनकी ओर से वैश्विक व राष्ट्रीय मंच पर लगातार तीर्थ नगरी को पर्यटकों के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने हेतु लगातार प्रयास किया। डॉ अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड का चहुमुखी विकास हो रहा है कहा कि प्रधानमंत्री का तीर्थ नगरी से जुड़ाव होने के चलते इस परियोजना को स्वीकृति मिल सकी है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि ऋषिकेश में अनेक विकास कार्य हुए हैं। इस परियोजना के जरिए पार्किंग और रोपवे का रास्ता भी खुलेगा। ऋषिकेश नगर में स्थानीय नागरिकों एवं पर्यटकों को बेहतर मूलभूत सुविधाए उपलब्ध होंगी। साथ ही ट्रैफिक जाम से होने वाली परेशानी को कम करने के उद्देश्य से ऊंचे पथों का निर्माण किया जायेगा। स्थानीय नागरिकों व पर्यटकों को बेहतर पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाएं प्राप्त होंगी। जीविकोपार्जन गतिविधियों में वृद्धि होगी।

केन्द्र सरकार से जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को निवेश स्वीकृति प्राप्त

सचिव सिंचाई हरि चन्द्र सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार को सचिव जल संसाधन भारत सरकार की अध्यक्षता में तथा नीति आयोग व केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित बैठक में पश्चिम बंगाल, मणिपुर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखण्ड राज्य की योजनाएं निवेश स्वीकृति हेतु इन्वेस्टमेंट क्लीयेरेन्स की 17वीं बैठक में प्रस्तुत की गई।
बैठक में उत्तराखण्ड राज्य की जमरानी बांध परियोजना लागत रु० 2584.10 करोड के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत 90ः10 के अन्तर्गत निवेश की स्वीकृति प्रदान कर दी जाए। जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र ही पुनर्वास सहित निर्माण कार्यों को प्रारम्भ किए जायेंगे। परियोजना से 57065 है० अतिरिक्त सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान है। परियोजना से 63 मिलियन यूनिट वार्षिक विद्युत उत्पादन भी किया जाएगा। परियोजना को वर्ष 2027 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि परियोजना से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए शीघ्र ही पुनर्वास नीति केबिनेट में स्वीकृति हेतु रखी जाएगी तथा पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के प्राविधानों के अनुसार प्रभावित ग्रामवासियों का सम्यक रूप से पुनर्वास किया जाएगा।

कृषि के बढ़ते आयामों को उत्तराखंड में लागू कर रही सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नीति आयोग द्वारा आयोजित नवोन्मेषी कृषि कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में ईकोलॉजी और इकोनोमी में कैसे आदर्श समन्वय हो, इस दिशा में राज्य सरकार लगातार कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने राज्य में सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जी.ई.पी) को लागू किया है, जो जी.डी.पी को निर्धारित करने के प्रचलित मॉडल के साथ लागू किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन के अन्तर्गत विश्व स्तरीय पौधशालाओं की स्थापना, चाय के विकास के लिए उत्तराखण्ड की चाय को वैश्विक पहचान दिलाने, जल संरक्षण हेतु काश्तकारों को प्रोत्साहित कर रेन हार्वेस्टिंग टैंको के व्यापक स्तर पर निर्माण एवं सब्जी और पुष्प उत्पादन हेतु पॉलीहाउस को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये जा रहे है। जिसमें नीति आयोग एवं केन्द्र सरकार से मदद ली जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्राकृतिक कृषि के उत्थान एवं उसके विविध आयामों पर कार्य करने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है। उत्तराखण्ड सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को प्रेरित कर रही है। कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से काश्तकार इससे जुड़ेगे। रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती राज्य के विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जल्द एक टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा। जिसमें सभी स्टेक होल्डर्स को शामिल कर उत्तराखण्ड में प्राकृतिक खेती में आगे बढ़ाया जायेगा। हमें अपनी कृषि व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी खेती को तमाम हानिकारक रसायनों से बचाना होगा। जिससे काश्तकार भी सम्पन्न हो सकें और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ आधारित कृषि व्यवस्था लागू हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कृषि हजारों वर्षों से हमारी परंपरा का हिस्सा रही है। पर्यावरण को बचाये रखने के लिए हमें प्रकृति की शरण में जाना ही होगा। उत्तराखण्ड में कृषि एवं उद्यान आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आईआईएम काशीपुर में स्टार्टअप हब बनाया जा रहा है। कृषि एवं उद्यान के अन्तर्गत राज्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जायेंगे। राज्य में नेशनल मिशन फॉर फूड प्रोसेसिंग के अन्तर्गत फल, सब्जियों के प्रसंस्करण के लिए पृथक नोडल ईकाई का गठन कर वेल्यू एडिशन एवं फूड प्रोसेसिंग आधारित संरचना का विकास किया जायेगा।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से कृषि मंत्री भारत सरकार नरेन्द्र सिंह तोमर, पुरूषोत्तम रूपाला, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, सदस्य नीति आयोग डॉ. नीलम पटेल उपस्थित रहे।

हेस्को और आईसीआईसीआई फाउण्डेशन की मदद से सीएम ने किया 15 ग्राम सेतुओं का वर्चुअल उद्धाटन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेस्को और आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के माध्यम से राज्य के 06 पर्वतीय जनपदों के गांवों में निर्मित 15 ग्राम सेतुओं का वर्चुअल उद्घाटन किया। उत्तराखण्ड के 06 जनपदों में इन 15 पुलों का निर्माण किया गया है। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, हेस्को के संस्थापक एवं पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के अध्यक्ष सौरभ सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में नदी नाले हैं, जिनके चारों तरफ गांव बसे हैं। जब इन नदियों और गाद गदेरों को पार करना पड़ता है, तो यह एक बहुत बड़ा संकट भी होता है। मानसून अवधि में पहाड़ में जनजीवन बहुत प्रभावित होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों के जन जीवन को सामान्य करने की दिशा में हेस्को ने आईसीआईसी फाउंडेशन के साथ मिलकर सराहनीय पहल की है। इनके सहयोग से पर्वतीय जनपदों में 15 पुलों का निर्माण हुआ है। जिससे 64 गांव जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के कार्य व्यापक स्तर पर होने चाहिए। उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए सामाजिक संगठन एवं संस्थाएं अहम भूमिका निभा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में भी हेस्को और आईसीआईसीआई फाउण्डेशन इस तरह के प्रयोगों को उत्तराखंड में आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयोग जो सफल प्रयोग के रूप में समझे जा रहे हैं, इनको राज्य में बढ़ावा दिया जायेगा। केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं के साथ ही प्रदेश के विकास के लिए विभिन्न संगठनों एवं संस्थानों का सहयोग लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 पुल जो राज्य के विभिन्न जगहों पर बने हैं, जिला अधिकारियों के लिए भी अनुप्रयोग होंगे। जिलाधिकारी भी इनका संज्ञान लेते हुए ग्राम व पंचायत स्तर पर इस कार्य को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग हिमालय के प्रति जो गंभीरता जताते हैं, उनमें इस तरह के प्रयोगों की आवश्यकता उन्होंने भी महसूस की होगी। आने वाले समय में नीति आयोग भी उत्तराखंड राज्य में होने वाले इन प्रयोगों को अपनी योजनाओं में सम्मिलित कर एक आदर्श राज्य बनाने में हमारे लिए एक बड़ा सहायक और पथ प्रदर्शक सिद्ध होगा।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि उत्तराखण्ड के सर्वांगीण विकास के लिए जितना संभव हो सके, नीति आयोग द्वारा मदद की जायेगी। उन्होंने उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए की गई इस सराहनीय पहल के लिए हेस्को और आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के कार्यों की सराहना की। डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए समाज, सरकार एवं उद्यम को मिलकर कार्य करें तो राज्य तेजी से आगे बढ़ेगा।
हेस्को के संस्थापक एवं पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड में अनेक संसाधन उपलब्ध हैं। राज्य सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। विज्ञान ही विकास की दशा और दिशा तय करता है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर हमें विशेष ध्यान देना होगा। विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में सभी संगठनों का सहयोग लेकर राज्य को आगे बढ़ाना होगा।
आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के अध्यक्ष सौरभ सिंह ने कहा कि फाउण्डेशन द्वारा समाज का पैसा सामाजिक सरोकारों एवं जनहित में लगाने का प्रयास किया गया है। हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के अनेक कार्य हों, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सुविधाएं मिल सके। उन्होंने कहा कि भविष्य में उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में कार्य के लिए जो भी सुझाव मिलेंगे, उन पर कार्य करने के पूरे प्रयास किये जायेंगे।
इस अवसर पर नीति आयोग की उत्तराखण्ड प्रभारी नीलम पटेल, प्रो. दुर्गेश पंत, आईसीआईसीआई फाउण्डेशन से अनुज अग्रवाल, सुमित शर्मा, विनोद खाती एवं वर्चुअल माध्यम से लाभान्वित क्षेत्रों के लोग मौजूद थे।

ग्रीन बोनस सहित राज्यों की मांगों से वित्त मंत्री को कराया अवगत

उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से राज्य को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया है। जल विद्युत परियोजनाओं, सड़क और औद्योगिक विकास के लिए हजारों करोड़ों के प्रस्तावों को जल्द स्वीकृति देने की मांग की गई है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने राज्य के लिए ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज का अनुरोध किया।
सुबोध उनियाल ने कहा कि नीति आयोग की एसडीजी 2020 रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड की रैंक बेहतर होकर अब तीसरी हो गयी है। 2019 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य दसवें स्थान पर था। नीति आयोग की रिपोर्ट इण्डिया इनोवेशन इण्डेक्स-2020 के अनुसार दस पर्वतीय राज्यों में उत्तराखण्ड दूसरे स्थान पर है। ऐसे में राज्य की आर्थिक और विकास जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देना चाहिए।

रोप-वे परियोजनाओं के लिए 6349 करोड़ मांगे
सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य को रोप वे परियोजनाओं के विकास के लिए 6349 करोड़ उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में कृषि विकास के लिए 1034 करोड़, औद्यानिकी विकास के लिए 2000 करोड़ देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथौरागढ़ के सीमान्त क्षेत्रों में आवासीय या गैर आवासीय विद्यालय खोलने का भी अनुरोध किया।

जल विद्युत परियोजनाओं के लिए मांगे 2000 करोड़
उनियाल ने कहा कि राज्य में जल विद्युत उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। पर्यावरणीय कारणों के कारणों से गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में वर्ष 2013 से 4084 मेगावाट पर कार्य स्थगित है। उन्होंने कहा कि इसके बदले राज्य को कुल 2000 करोड़ या चार सालों तक प्रति वर्ष पांच सौ करोड़ रुपये का भुगतान वीजीएफ के रूप में करने का अनुरोध किया। उन्होंने लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर जल्द काम शुरू करने का भी अनुरोध किया।

टिहरी लेक सिटी के लिए मांगे 1000 करोड़
कैबिनेट मंत्री ने इस दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा कि राज्य सरकार टिहरी को लेक सिटी के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके लिए 1000 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है। केंद्र इसके तहत धनराशि उपलब्ध कराए। उन्होंने ऋषिकेश को आइकोनिक पर्यटन स्थल बनाने के लिए 500 करोड़, ऋषिकेश इण्टरनेशनल कन्वेंशन सेण्टर के लिए 592 करोड़ देने का अनुरोध किया।

सड़कों के लिए हर साल मिले 500 करोड़
उनियाल ने रोड कनेक्टिवीटी के लिए राज्य को अतिरिक्त धन दिए जाने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि केंद्र से मिल रही राशि से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। अत आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों के निर्माण के लिए 500 करोड़ प्रतिवर्ष की धनराशि का प्रावधान किया जाए। इसके साथ ही ट्रैफिक दबाव को देखते हुए सड़कों के निर्माण के लिए अधिक बजट दिया जाए।

हरिद्वार के 32 स्कूलों के अवस्थापना सुविधाओं एवं रुपांतरण के लिए हुए एमओयू हस्ताक्षरित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद हरिद्वार में राजकीय विद्यालय अंगीकरण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार डॉ. आनन्द भारद्वाज एवं रिलेक्सो फाउण्डेशन के गंभीर अग्रवाल के मध्य जनपद हरिद्वार के 32 स्कूलों के अवस्थापना सुविधाओं एवं रुपांतरण के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।

सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढ़ांचे और शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य से जनपद हरिद्वार में कॉर्पोरेट सेक्टर गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से राजकीय विद्यालय अंगीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नीति आयोग द्वारा हरिद्वार जनपद को आकांक्षी जिला घोषित किया गया है। प्रमुख संकेतकों द्वारा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जिला प्रशासन हरिद्वार द्वारा स्कूलों में शिक्षा और बुनियादी ढ़ाचे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नई पहल शुरू की गई है। इस पहल से शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में केपीआई में लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं इसके लिए उठाये जा रहे कदमों पर ध्यान दिया जायेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि सरकारी स्कूलों के अंगीकरण कार्यक्रम से स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि हरिद्वार से प्रारम्भ हो रहा यह अभियान सबको गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने में निश्चित रूप से मददगार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की बेहतरी के लिये कार्ययोजना बनायी गयी है। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य के प्रत्येक ब्लाक में 2-2 अटल आदर्श विद्यालय स्थापित किये जाने की योजना है।

जिलाधिकारी हरिद्वार सी. रविशंकर ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रथम चरण में जनपद के 939 सरकारी स्कूलों को विभिन्न कॉर्पोरेट समूहों द्वारा अपनाया जाना है। जिसमें जिसमें 666 प्राथमिक, 170 उच्च प्राथमिक विद्यालय, 68 माध्यमिक और 35 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में बदलने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा सीएसआर के तहत कॉरपोरेट समूहों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

इस अवसर पर अपर सचिव नीरज खेरवाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार डॉ. आनन्द भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक एच.पी. विश्वकर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक वी.एस. चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।

निर्धारित दर से ज्यादा वसूला तो कोविड-19 एक्ट के तहत होगी कार्रवाई 

राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के उपचार की अनुमति देने के बाद इलाज की दरें तय कर दी हैं। कोरोना की गंभीर स्थिति और सुविधा के अनुसार निजी अस्पताल इलाज का खर्च मरीजों से वसूल सकेंगे। एनएबीएच से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता वाले निजी अस्पतालों में आठ हजार से 18 हजार रुपये तक दरें तय की गई है। 
सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने बुधवार को इलाज के लिए तय दरों के आदेश जारी किए हैं। सरकार की ओर निर्धारित दरों से ज्यादा इलाज का खर्च वसूलने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ कोविड-19 एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश सरकार ने केंद्र की ओर से नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पाल की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इलाज की दरों को लागू किया है। नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल(एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में आईसोलेशन बेड का प्रतिदिन 10 हजार रुपये(1200 रुपये पीपीई किट खर्च समेत), बिना वेटीलेंटर के आईसीयू बेड का 15 हजार (दो हजार रुपये पीपीई किट समेत), आईसीयू वेटीलेंटर का 18 हजार रुपये तय किया है।
जिसमें दो हजार रुपये पीपीई किट का खर्च भी शामिल है। इसी तरह एनएबीएच से गैर मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में आईसोलेशन बेड का आठ, हजार, आईसीयू का 13000, आईसीयू वेटीलेंटर का 15000 रुपये तय किया है। इसमें पीपीई किट का खर्च भी शामिल होगा। 
कोविड इलाज के लिए तय दरों में बेड, भोजन, निगरानी, नर्सिंग देखभाल, डॉक्टरों का परामर्श शुल्क, सैंपल जांच भी शामिल है। इसके लिए निजी अस्पताल मरीज से अलग से शुल्क नहीं लेंगे। इलाज में अस्पतालों को केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन का पूरा पालन करना होगा।

सीमांत राज्यों में पलायन बड़ी चिंताः नीति आयोग

सचिवालय स्थित वीर चंद सिंह गढ़वाली सभागार में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की उपस्थिति में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या पर चिन्तन विषयक बैठक सम्पन्न हुई।
सदस्य नीति आयोग रमेश चंद द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए विशेषकर अभाव के कारण हो रहे पलायन को रोकने के लिए कारगर रणनीति बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या निर्वात नहीं होना चाहिये क्योंकि ये आबाद गांव सच्चे ‘‘सीमा प्रहरी’’ का कार्य करते हैं। राज्य में कृषि के प्रति घटते रूझान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने सुझाव दिया गया कि ‘‘लैण्ड लीजिंग’’ कानून में परिवर्तन करके कान्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना होगा ताकि परती जमीन का उपयोग हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट सिटीज को विकसित करने का सुझाव भी दिया गया। उन्होंने समान परिस्थिति के पड़ोसी हिमाचल राज्य की रणनीति का भी अनुभव शामिल करने का अधिकारियों को सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन होना चिन्ता का विषय है। पलायन से गांव में रह रहे अन्य लोगों में भी असुरक्षा का वातावरण होता है जिससे गांव के अस्तित्व को भी खतरा हो जाता है।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विकास के साथ-साथ पलायन सभी राज्यों में हुआ है, परन्तु उत्तराखण्ड सीमान्त क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण यहां गांव खाली होना चिन्ता की बात है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की 90 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर है तथा भौगोलिक परिस्थिति के कारण यहां विभिन्न योजनाओं में संचालित अवस्थापना निर्माण कार्यों में लागत अधिक आती है। उन्होंने कहा कि पलायन यहां की गंभीर समस्या है, इसीलिए भारत सरकार से हिमालयी राज्यों हेतु पृथक नीति बनाने का आग्रह किया गया तथा आपदा के मानकों को भौगोलिक स्थिति के अनुरूप सुसंगत करने का अनुरोध किया गया।
बैठक के प्रारम्भ में प्रभारी मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य का लगभग 70 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र है तथा कृषि जोत छोटी एवं वर्षा पर आधारित है। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा कृषि भूमि की उत्पादकता कम है। उन्होंने सदस्य नीति आयोग का ध्यान आकृष्ट करते हुए गांव के आस-पास छोटे कस्बों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली धनराशि यहां के भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप कम है। उन्होंने गांववासी के कस्बों की ओर रूझान देखते हुए वहां पर्यटन, लघु उद्योगों तथा स्थानीय उत्पादों के व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु अधिक से अधिक सहायता की अपेक्षा की, तथा स्थानीय उत्पादों को मूल्यवर्धित रूप देने हेतु तकनीकि एवं ब्रांडिंग के सहयोग हेतु केन्द्रीय सहायता बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों में वैलनेस सेन्टर स्थापना की भी योजना है। उन्होंने वन औषधि पौध विकास एवं वैलनेस सेन्टर स्थापना गतिविधियों को प्रोत्साहन देने हेतु केन्द्र से सहयोग का अनुरोध किया। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के समेकन से ही पलायन की समस्या का निराकरण किया जा सकता है।
बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन की प्रकृति, परिमाण तथा अन्य पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये। सचिव, नियोजन अमित नेगी द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राज्य के महत्वपूर्ण आकड़े प्रस्तुत किये गये। अपर मुख्य सचिव द्वारा संक्षेप में राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सभी कार्यक्रमोंध्क्रियाकलापों के समेकन से ही पलायन की समस्या का सम्यक् निराकरण हो सकेगा।
बैठक में नीति आयोग के सलाहकार जितेन्द्र कुमार और संयुक्त सलाहकार मानस चैधरी ने भी प्रतिभाग किया। बैठक का संचालन अपर सचिव ग्राम्य विकास योगेन्द्र यादव द्वारा किया गया।

कई कंपनियों का निजीकरण करने की तैयार कर रही सरकार

केंद्र सरकार ने अपनी कई कंपनियों का निजीकरण करने की पूरी तैयारी कर ली है। दिपावली से पहले इसका खाका तैयार किया जा रहा है। वहीं अब नई पॉलिसी के तहत नीति आयोग, विनिवेश और पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग (दीपम) को नोडल विभाग बना दिया गया है।
पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग की भूमिका बढ़ने के बाद अब जिन मंत्रालयों के अंदर यह कंपनियां आती हैं, उनकी किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रहेगी। दीपम, नीति आयोग के साथ मिलकर के उन कंपनियों को देखेगा, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। वहीं दीपम विभाग के सचिव विनिवेश के लिए बने अंतर-मंत्रालय समूह के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, उनकी दो चरणों में बोली लगेगी। पहले चरण में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया जाएगा और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी। पहले चरण के लिए सरकार इच्छुक कंपनियों के साथ बैठक और रोड शो भी करेगी। विनिवेश का पूरा चरण चार से पांच माह में पूरा हो जाएगा।
जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है, उनमें प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भी शामिल है। इसके अलावा भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। कंटेनर कॉरपोरेशन में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है।
केंद्र सरकार इसके अलावा टीएचडीसी और नीपको में अपनी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचने जा रही है। विनिवेश पर हुई सचिवों की बैठक में कुल आठ सचिव शामिल थे. इनमें दीपम, कानून सचिव, रेवेन्यू सेक्रेटरी, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी, कॉरपोरेट अफेयर सेक्रेटरी भी शामिल रहे।
इस विनिवेश को करने के बाद सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) का प्रारुप तैयार करेगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों का समूह एक पखवाड़े में फैसला लेगा। सरकार एयर इंडिया की 30 हजार करोड़ रुपये की उधारी को अपने ऊपर लेगी। ईओआई से निवेशकों को पूरी तरह से पारदर्शिता मिलेगी।
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।