बीमा सुविधा की जानकारी न होने पर वंचित रह जाते है पर्यटक

ऋषिकेश पूरे देश सहित विदेशों में भी राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष कोने-कोने से लोग राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते है। मगर, क्या आप जानते है राफ्टिंग के दौरान कुछ ऐसी जानकारी भी है जो आपको बताई नहीं जाती है। आइए हम आपको बताते है क्या है वह जानकारी

ऋषिकेश में करीब 480 राफ्टों का संचालन होता है। प्रत्येक राफ्ट से 8496 रुपये सालाना बीमा पॉलिसी के रूप में जमा कराया जाता है। इस हिसाब से सालाना 40 लाख 78 हजार की बीमा राशि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को लगातार अदा की जाती है। दिलचस्प यह है कि पर्यटकों की सुरक्षा के नाम पर जमा हो रही इस राशि का फायदा बीत 10 साल में किसी यात्री को नहीं मिल पाया है।

राफ्टिंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बीमा दो लाख रुपये निर्धारित होता है। अमूमन राफ्टिंग करने आए अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। पॉलिसी के अनुसार साल भर में दो राफ्टों में 20 लोगों का चालीस लाख रुपये का बीमा होता है। पर्यटन विभाग के नियमों के अनुसार एक राफ्ट में 8 पर्यटक, एक गाइड और एक हेल्पर राफ्टिंग कर सकते हैं। एक राफ्ट और 10 लोगों की वार्षिक बीमा रकम 8496 रुपये राफ्टिंग कंपनियों की ओर से जमा कराई जाती है। राफ्टिंग के दौरान हादसे में मृत्यु हो जाने पर दो लाख रुपये मृतक के नॉमिनी को अदा करने का प्रावधान है।

तीन साल में तीन मौतें
पुलिस के अनुसार बीते तीन साल में राफ्टिंग के दौरान तीन मौतें हो चुकी हैं। इनमें सभी बाहरी प्रदेशों के पर्यटक थे। अक्टूबर 2017 में चेन्नई की सुभाषनी, दिसंबर 2018 में सुल्तानपुर यूपी से ऐश्वर्य प्रताप सिंह और बीते फरवरी माह में एक 60 वर्षीय महिला की राफ्ट पलटने से मौत हो गई थी। जागरुकता के अभाव में किसी नॉमिनी ने बीमा की रकम पाने के लिए क्लेम ही नहीं किया।

वहीं, गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट का कहना है कि गंगा में राफ्टिंग के दौरान सुरक्षा हमारा पहला कर्तव्य है। पर्यटकों को राफ्टिंग में भेजने से पहले ही राफ्टिंग कंपनियों के द्वारा मौखिक रूप से बीमा की जानकारी दी जाती है। जबकि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक विवेक पुरी कहते है कि बीते 10 वर्षों में राफ्टिंग के दौरान हुई दुर्घटना के करीब चार मामले आए हैं। राफ्टिंग के दौरान केवल मृत्यु होने पर ही दो लाख रुपये मृतक के नॉमिनी को दी जाती है। इसमें राफ्टिंग कंपनी के माध्यम से बीमा की रकम के लिए आवेदन करना होता है।

रानीपोखरी के चिल्ड्रन होम एकेडमी की सरकार ने की एनओसी रद्द

रानीपोखरी स्थित चिल्ड्रन होम एकेडमी के सातवीं कक्षा के छात्र वासु यादव की हत्या के बाद सरकार ने हरकत की हैं। सरकार ने एकेडमी की एनओसी रद्द कर दी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर विद्यालय की मजिस्ट्रेटी जांच की गई थी। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा सचिव डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम ने स्कूल की एनओसी निरस्त कर दी है।

बता दें कि बीते 10 मार्च को रानीपोखरी स्थित विद्यालय के छात्र वासु यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। शुरुआत में विद्यालय प्रबंधन ने इसे फूड प्वाइजनिंग से हुई मौत बताकर मामला दबाने की कोशिश की, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गंभीर चोटों और अत्यधिक आंतरिक रक्तस्राव के चलते मौत होने की पुष्टि हुई। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बुरी तरह पीटकर वासु की हत्या करने की बात भी कबूल ली थी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार को इस पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए थे। सचिव शिक्षा डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम के निर्देश पर एसडीएम ऋषिकेश की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई है, जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी भी शामिल रहे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में विद्यालय में कई अन्य गड़बड़ियों की पुष्टि की। विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार करने के बाद स्कूल की एनओसी निरस्त करने की कार्रवाई की गई।

दस साल पुराने मामले में कैबिनेट मंत्री हरक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) विवेक श्रीवास्तव की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। यह वारंट दस साल पुराने उत्तराखंड विधानसभा का घेराव कर हंगामा करने के मामले में जारी हुआ है। वन मंत्री के अलावा वारंट तीन अन्य के खिलाफ भी जारी किया गया है। यह सभी आरोपित सम्मन जारी होने के बाद भी तारीखों पर लगातार गैर हाजिर चल रहे थे। वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सोमवार को कोर्ट में पेश हुए और उन पर आरोप भी तय कर दिए गए।

सहायक लोक अभियोजक अनूप कुमार ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2009 में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और सुबोध उनियाल कांग्रेस में रहते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा कूच कर रहे थे। तब राज्य में भाजपा की सरकार थी। पुलिस ने इन सभी को रिस्पना पुल पर बेरिकेडिंग कर रोक लिया। इससे आक्रोशित नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए। इससे शांति व कानून व्यवस्था बिगड़ गई। मामले में उस समय 25 लोगों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।

साल 2013 से इस मामले में सुनवाई चल रही है। बीते साल सितंबर माह में बीस आरोपितों पर आरोप तय कर दिए गए, जबकि हरक सिंह रावत, किशोर उपाध्याय, सतपाल ब्रह्मचारी, शंकर चंद रमोला और विनोद रावत के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण इन सभी की पत्रावली अलग कर दी गई। सोमवार को मामले में सुनवाई थी, लेकिन किशोर उपाध्याय को छोड़ कोई भी अदालत नहीं पहुंचा। इस पर अदालत ने हरक समेत चार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए।

बिजली की चोरी करते सात परिवार पकड़े

ऊर्जा निगम की विजिलेंस टीम ने बिजली चोरी पकड़ने के लिए बुधवार को नगर क्षेत्र में अभियान चलाया। इस दौरान सात घरों में बिजली चोरी पकड़ी गई। अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज कराने के बाद जुर्माने के आकलन के लिए रिपोर्ट संभागीय कार्यालय भेजी है।

सहायक अभियंता विजिलेंस (सर्तकता) हनुमान सिंह रावत के नेतृत्व में टीम ने बुधवार को तीर्थनगरी में अभियान चलाया। इस दौरान वाल्मीकिनगर, नई जाटव बस्ती और अंबेडकर नगर के 10 घरों में औचक निरीक्षण किया गया। इनमें से सात घरों में बिजली चोरी पकड़ी गई।

सहायक अभियंता विजिलेंस सर्तकता हनुमान सिंह रावत ने बताया कि छह माह पूर्व भी वाल्मीकिनगर और नई जाटव बस्ती में बिजली चोरी पकड़ी गई थी। उस वक्त 11 लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी। इनमें से अधिकांश ने जुर्माना अदा कर दिया है। ऊर्जा विभाग के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने बताया कि कार्रवाई के बावजूद बिजली चोरी से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। इस संदर्भ में कड़ी कार्रवाई की रणनीति तैयार की जा रही है।

वेश्यावृत्ति मामले में मां बेटे को कोर्ट ने सुनाई 10-10 साल का कठोर कारावास

वेश्यावृत्ति मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मां और बेटे को 10-10 साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा अदालत ने अनैतिक देह व्यापार में भी दोनों को पांच-पांच साल की भी सजा सुनाई है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

अभियोजन के अनुसार 28 मार्च 2018 को कोतवाली पुलिस ने देहरादून रोड पर एक होटल के पास स्विफ्ट कार रोकी थी। कार से मां बेटा सहित दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में मूल रूप से पश्चिम बंगाल, हाल निवासी दिल्ली की दो लड़कियों ने मां-बेटे पर वेश्यावृत्ति कराने का आरोप लगाया था। इस मामले में दोनों लड़कियों को सरकारी गवाह बनाकर मां और बेटे को गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा की अदालत ने ऋषभ पुत्र स्व. आदर्श कुमार और उसकी मां मंजू निवासी 315 रामनगर लक्खीबाग थाना कोतवाली नगर देहरादून को नौकरी का झांसा देकर वेश्यावृत्ति कराने तथा अनैतिक देह व्यापार का दोषी माना था।

बुधवार को अदालत ने सजा पर अपना फैसला सुनाते हुए मां बेटे को वेश्यावृत्ति कराने में 10-10 साल का कठोर कारावास तथा 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। इसके अलावा अदालत ने अनैतिक देह व्यापार में दोनों को पांच-पांच साल का कठोर कारावास सुनाया। साथ ही दो-दो हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। यह सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

कोर्ट ने पति को पाया दोषसिद्ध, सुनाई आठ साल की सजा

अपनी पत्नी से जबरन वेश्यावृत्ति कराने तथा दहेज के लिए उत्पीड़न करने का दोष साबित होने पर आरोपी पति को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा की अदालत ने आठ साल की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी को वेश्यावृत्ति कराने पर सात साल, जबकि दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर एक साल की सजा सुनाई है।

रायवाला निवासी एक महिला ने थाना रायवाला में 12 मार्च 2011 को तहरीर देकर अपने पति के खिलाफ जबरन वेश्यावृत्ति कराने, दहेज के लिए उत्पीड़न करने, मारपीट, गाली गलौच, जान से मारने की धमकी देने तथा कमरे में बंधक बनाकर रखने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था।

पीड़ित महिला ने बताया था कि 25 अप्रैल 2010 को उसकी शादी सिविल लाइंस, लुधियाना पंजाब के रहने वाले व्यक्ति से हुई थी। शादी के बाद से ही उसका पति और ससुराल पक्ष के लोग उससे रुपयों की मांग करने लगे। इसके बाद दहेज न लाने पर गाली गलौच, मारपीट, जान से मारने की धमकी और कमरे में बंधक बनाकर रखने लगे। महिला ने पति पर जबरन वेश्यावृत्ति कराने का भी आरोप लगाया था। बृहस्पतिवार को न्यायाधीश मनीष मिश्रा ने आरोपी को पत्नी से जबरन वेश्यावृत्ति कराने व दहेज उत्पीड़न का दोषी पाया।

शुक्रवार दोपहर में न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोषी को वेश्यावृत्ति कराने पर सात साल का कठोर कारावास तथा 10 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया। अर्थदंड न देने की अवस्था में दोषी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही न्यायालय ने दहेज के लिए उत्पीड़न करने में एक वर्ष की सजा और पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न अदा करने पर दोषी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

चलती बस से तीन साल का छात्र गिरा, मां ने दर्ज कराया मुकदमा

स्कूल से घर आते समय साढ़े तीन साल का बच्चा बस की खिड़की से नीचे गिर गया। उसके सिर और चेहरे में गंभीर चोटें आई हैं। छात्र को कई टांके लगे हैं। छात्र के माता-पिता का आरोप है कि घटना होने के बाद भी प्रबंधन ने अब तक यह नहीं बताया कि हादसा कैसे और किसकी लापरवाही से हुआ। फिलहाल बच्चे की मां ने प्रेमनगर थाने में स्कूल प्रबंधन और वहां के स्टॉफ के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम और आइपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।

घटना आठ मई की है। पेशे से बिजनेसमैन एसके गुप्ता निवासी मांडूवाला, निकट शिव मंदिर, प्रेमनगर अभी छह महीने पहले ही दिल्ली से देहरादून शिफ्ट हुए हैं। यहां व्यवस्थित होने के बाद उन्होंने अपने साढ़े तीन साल के बेटे अंश का भाऊवाला के दून हेरिटेज स्कूल में प्ले गु्रप में दाखिला करा दिया। असुविधा से बचने के लिए स्कूल की बस लगा दी। बीती आठ मई को अंश रोज की तरह स्कूल गया, लेकिन दोपहर में जब वह काफी देर तक स्कूल से घर नहीं आया तो परिजनों को चिंता हुई। अंश की मां मंजिता ने स्कूल में फोन किया तो बताया गया कि अंश को चोट लग गई है, लेकिन वह ठीक है। अंश को चोट लगने की बात सुनते ही मंजिता घबरा गईं। उन्होंने दिल्ली में अपने पति को फोन किया और खुद स्कूल पहुंचीं। वहां देखा तो बच्चे के चेहरे पर काफी चोटें लगी थीं, जिससे खून बह रहा था। बेटे की हालत देख मंजिता रोने लगीं, स्कूल स्टॉफ ने जैसे-तैसे उन्हें संभाला। इसके बाद बच्चे को लेकर एक निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां अंश के चेहरे, पलक और होंठ पर टांके लगे। एसके गुप्ता ने बताया अंश की तबीयत अब ठीक है, लेकिन अभी वह काफी डरा हुआ है।

एसओ प्रेमनगर नरेंद्र गहलावत ने बताया कि अंश के परिजनों की ओर से मिली तहरीर के आधार पर स्कूल की प्रिंसिपल और स्टॉफ के विरुद्ध आइपीसी की धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), 337 (जीवन को खतरे में डालने वाला जख्म) व किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 (बालक के प्रति क्रूरता) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

चालक-परिचालक को हटाया

दून हेरिटेज स्कूल के उप प्रधानाचार्य ओपी शर्मा ने बताया कि हादसे के बाद स्कूल बस के चालक व परिचालक को हटा दिया है। घटना के बाद एसके गुप्ता को फोन कर रहे थे, लेकिन फोन नहीं लगा। तब कार भेज कर बच्चे की मां को स्कूल लाया गया और उनके सामने बच्चे का इलाज कराया गया। बच्चा अब बिल्कुल ठीक है।

2017 में पीएमओ ने धर्मांतरण की आशंका जता जांच आख्या की थी तलब

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने रानीपोखरी स्थित चिल्ड्रन होम अकादमी में धर्मांतरण का खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में पीएमओ भी यहां धर्मांतरण की आशंका जता चुका है। 2017 में उसकी ओर से पत्र जारी कर जांच आख्या भी तलब की गई थी। उन्होंने कहा कि अब इसी को आधार बनाकर मामले की दोबारा से छानबीन की सिफारिश पीएमओ से की जाएगी।

आयोग अध्यक्ष के मुताबिक डीएम देहरादून के निर्देश पर गठित की गई जांच समिति ने एकेडमी में धर्मांतरण की गतिविधियां संचालित होना पाया है। ऐसे में इस आशंका को बल मिलता है कि एकेडमी में काफी समय से धर्मांतरण की गतिविधियां संचालित हो रही थीं। उन्होंने बताया कि पीएमओ के निर्देश पर हुई जांच की फाइल दोबारा खुलवाने की सिफारिश आयोग करेगा।

वासु की मौत का कारण फूड प्वाइजनिंग बताया था
बाल आयोग उस अस्पताल को भी जांच के दायरे में लाएगा, जिसने वासु की मौत का कारण फूड प्वाइजनिंग बताया था। आयोग अध्यक्ष के मुताबिक डीएम की ओर से गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद अस्पताल के खिलाफ भी जांच की सिफारिश की जाएगी।

उन्होंने एकेडमी में अवैध रूप से संचालित हो रहे कब्रिस्तान की गहन छानबीन कराए जाने की सिफारिश की भी बात कही। आशंका जाहिर की कि एकेडमी में निठारी कांड जैसी साजिश का खुलासा हो सकता है।

मामला यह था
बीती 10 मार्च को एकेडमी में 12 वर्षीय वासु की बेरहमी से पिटाई की गई थी। 11 मार्च को उसकी मौत की पुष्टि हुई। इसका संज्ञान बाल संरक्षण आयोग ने लिया और मामले की जांच की सिफारिश की।

इसी क्रम में डीएम देहरादून एसए मुरुगेशन के निर्देश पर एसडीएम ऋषिकेश प्रेमलाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा पैन्यूली और प्रोविजन अधिकारी मीना बिष्ट को संयुक्त रूप से जांच करने का आदेश दिया था। जांच रिपोर्ट डीएम देहरादून को सौंपी गई है।

नेपाल में बैठे युवक ने पत्नी को दिया मोबाइल पर तलाक, एसएसपी ने की ये कार्रवाई

एक व्यक्ति ने नेपाल में बैठकर अपनी पत्नी को मोबाइल पर तीन बार तलाक बोल दिया। इससे पीड़िता की शिकायत पर हरिद्वार एसएसपी जन्मेजय प्रभाकर खंडूडी ने पति के ससुराल पक्ष पर मुकदमा दर्ज कर लिया।

ज्वालापुर क्षेत्र के गांव सराय निवासी सलीम की बेटी फरजाना का निकाह मई 2016 में सउद उर्फ सोनू अंसारी पुत्र मसूद निवासी गांव लंढौरा से हुआ था। आरोप था कि निकाह के बाद से ही ससुराल पक्ष के लोग दहेज कम मिलने की बात कहकर प्रताड़ित करते थे। जैसे तैसे उसके पिता, भाई ने कई लाख की रकम ससुराल पक्ष को दी थी लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुए। आरोप था कि नवंबर 2018 में गांव पदार्था पथरी में उसकी रिश्तेदारी में निकाह था।

निकाह संपन्न होने के बाद उसके ससुराल पक्ष ने कहा कि उसका पति सउद किसी काम से नेपाल गया हुआ है और जब वह आ जाएगा तब ससुराल चली आना। आरोप है कि कुछ दिन बाद ससुराल पक्ष ने दहेज में कार और एक लाख की रकम न मिलने पर मायके आकर उसके साथ मारपीट कर दी थी। इतना ही नहीं जनवरी 2019 में उसके पति सउद ने नेपाल से मोबाइल फोन पर संपर्क साधकर उसे तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की बात कही और धमकी भी दी कि यदि फिर से उसके घर आने की कोशिश की तो गंभीर परिणाम भुगतना होगा।

पीड़िता ने ज्वालापुर पुलिस से शिकायत की थी लेकिन मामले को महिला हेल्प लाइन ट्रांसफर किया गया था। महिला हेल्प लाइन में हुई काउंसिलिंग के दौरान पीड़िता के आरोप के आधार पर मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की गई। कोतवाली प्रभारी मनोज मैनवाल ने बताया कि पति, ससुर मकसूद, सास कौसर जहां और ननद रूकसार के खिलाफ प्रभावी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

रिटायर्ड कर्मी ने सात हजार रूपए ठग को थमाया, जाने क्या है मामला

ऋषिकेश के शिवाजीनगर निवासी एक रिटायर्ड कर्मचारी से एक ठग ने स्वयं को जलागम का अफसर बताकर सात हजार रूपए ठग लिए। पुलिस में तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है।

आईडीपीएल पुलिस चौकी में नरेंद्र बिष्ट ने तहरीर दी। उन्होंने बताया कि उनके घर एक जलागम का अधिकारी बनकर ठग पहुंचा। ठग ने उन्हें सात हजार की एवज में उपयोगी मशीन और स्कूटी दिलाने की स्कीम बताई। लाचच में आकर उन्होंने ठग को सात हजार रुपये दे दिए। ठग ने अपने दफ्तर का पता ढालवाला बताया।

रुपये लेने के बाद ठग ने विश्वास जीतने के लिए नरेंद्र बिष्ट के साथ फोटो भी खिंचवाई और चंपत हो गया। नरेंद्र बिष्ट ने बताया कि वह राजकीय महाविद्यालय से रिटायर्ड कर्मचारी हैं। जब उन्होंने स्कीम की पूरी जानकारी के लिए ठग की ओर से दिए गए नंबरों पर संपर्क किया तो उक्त नंबर किसी महिला का निकला। इसके बाद नरेंद्र सिंह बिष्ट को खुद के साथ ठगी का अहसास हुआ।

उन्होंने आईडीपीएल पुलिस से उक्त ठग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। आईडीपीएल चौकी इंचार्ज राकेश भट्ट ने बताया कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर अपनी जांच शुरू कर दी है। जल्दी ही फर्जी अधिकारी बने ठग को ढूंढ लिया जाएगा।