एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी डीएम ने जताई नाराजगी

मृत पशुओं के अवशेष गंगा नदी में न डाले जाएं, इसके लिए नगर निगम और प्रशासन मिलकर भूमि की जल्द तलाश करें। साथ ही कांजी हाउस को भी इसी भूमि के समीप बसाया जाए। यह निर्देश जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान दिए।
मंगलवार को नगर निगम के स्वर्ण जयंती सभागार में जिला गंगा सुरक्षा समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने नगर निगम से प्रगति कार्यों की जानकारी जुटाई। इस पर एमएनए ने उन्होंने बताया कि गंगा की सहायक नदी चंद्रभागा में मिल रहे पांच नालों में से तीन को पूरी तरह से टैप किया जा चुका है, जबकि दो नालों को टैप करने का कार्य चल रहा है। वहीं, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कश्यप ने बताया कि गंगा नदी में गिर रहे अलग-अलग सात नालों को टैप किया जा चुका है। जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव ने नमामि गंगे की ओर से एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य कर रही संस्था एसपीएमजी को पत्र भेजकर कोई भी कार्य करने से पूर्व जिला गंगा सुरक्षा समिति से सहमति लेनी होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा नदी में मानसूत्र सत्र के बाद जहां तेज धारा नहीं हो, जाली लगाई जाए। इससे गंगा में गिरने वाले फूल, पूजन सामग्री, हवन सामग्री को निकाला जा सके। उन्होंने एसडीएम वरूण चैधरी को गुमानीवाला स्थित कांजी हाउस की खाली पड़ी करीब तीन बीघा भूमि की स्थिति स्पष्ट करने तथा वहां पर पशुओं की संख्या नियंत्रण केंद्र (बन्ध्याकरण) की स्थापना करने के निर्देश दिए। इस मौके पर नगर आयुक्त नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल, एसएनए विनोद लाल, डीएफओ राजीव धीमान, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल, सहायक अभियंता सीवर विंग हरीश बंसल, अधिशासी अभियंता पीडल्ब्यूडी विपुल सैनी, समिति सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान आदि उपस्थित रहे।

खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का प्रबंधन किया जाए
सम‌ित सदस्य ‌विनोद जुगलान ने खड़गमाफ के खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का मामला उठाया। इस पर सिंचाई विभाग के एई अनुभव नौटियाल ने बताया कि सौंग नदी से बाढ़ सुरक्षा के लिए छिद्दरवाला से ठाकुरपुर तक तीन किलोमीटर की सुरक्षा तटबंध बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इस पर विनोद जुगलान ने असंतोष जताया। इसके बाद जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग को छोटे तटबंध बनाने के ‌संबंध में एई को मौके पर जाकर निरीक्षण कर सुरक्षा तटबंध बनाने को कहा।

रिकवरी रेट में उत्तराखण्ड देश में दूसरे नम्बर पर: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम तथा बचाव के लिए किये जा रहे कार्यों की वीडियों कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि होम क्वारंटीन पर रखे गये लोगों की नियमित मॉनिटरिंग की जाय। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया जाय। होम क्वारंटीन एवं पर्यटन स्थलों पर सतत निगरानी के लिए पीआरडी, होमगार्ड एवं अन्य लोगों की ड्यूटी लगाई जाय। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कारवाई की जाय। हाई रिस्क मामलों एवं आरोग्य सेतु एप पर भी नियमित निगरानी रखी जाय। सर्विलांस सिस्टम को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर एवं नैनीताल में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। इन जनपदों में सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। अभी प्रदेश में 558 कोविड के सक्रिय मामलों में से 473 इन चार जनपदों में हैं। शेष 9 जनपदों में 85 एक्टिव केस हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सब्जी मण्डियों एवं पर्यटक स्थलों पर फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं कोविड-19 के अन्य मानकों का पूरा अनुपालन किया जाय। मानकों का अनुपालन न करने वालों पर कारवाई की जाय। कन्टेंटमेंट जोन माइक्रो लेबल पर बनाये जाय, ताकि उनकी निगरानी भी सही तरीके से हो एवं लोगों को अनावश्यक परेशानियां न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड सैंपल टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई गई है। जल्द ही कुछ और ट्रू-नेट मशीन राज्य को मिलने वाली हैं, जिससे सैंपलिंग में और तेजी आयेगी। उन्होंने जिलाधिकारी नैनीताल को निर्देश दिये कि एसडीआरएफ के सहयोग से नैनीताल में 500 बैड का कोविड केयर सेंटर बनाया जाय। अभी उत्तराखण्ड रिकवरी रेट में देश में लद्दाख के बाद दूसरे नम्बर पर है। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण हेतु जिन जनपदों की सीमाएं अन्य प्रदेशों के जनपदों की सीमाओं से लगी हैं, सतर्कता के दृष्टिगत उस जनपद के प्रशासन से समन्वय रखा जाय। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये दिये की मानसून के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं सुचारू रखी जाय, रिस्पांस सिस्टम कम से कम किया जाय। डेंगू से बचाव हेतु सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान सभी जिलाधिकारी एवं उनकी टीम अच्छा कार्य कर रहे हैं। लेकिन अभी हमको पूरी सतर्कता के साथ कार्य करने होंगे। जनता का भी सकारात्मक सहयोग मिला है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि सर्विलांस सिंस्टम को प्राथमिकता पर रखा जाय। सभी जिलों में सैंपल टेस्टिंग टारगेटेड हो। हमें कोरोना से बचाव के साथ ही आर्थिक गतिविधियों पर भी ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री जी के जान और जहान दोनों कांसेप्ट पर काम करना होगा। कान्टेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान दिया जाय। राज्य में स्थिति नियंत्रण में हैं, आगे भी हमारे प्रयास इसी तरह के होने चाहिए। बैठक में बताया गया कि काशीपुर में अधिक एक्टिव केस के दृष्टिगत काशीपुर में लॉकडाउन किया गया है।

बिना मास्क और सोशल डिस्टेसिंग का पालन नही करने पर दो बसे सीज

(एनएन सर्विस)
ऋषिकेश के रायवाला थानाक्षेत्र में अवैध तरीके से 70 और 69 सवारियों को लेकर आ रही यूपी नंबर की दो बसों को सीज किया है। साथ ही दोनों बस के मालिक और चालकों पर मुकदमा भी दर्ज किया है।
थानाध्यक्ष रायवाला हेमंत खंडूरी ने बताया कि सप्त ऋषि बैरियर पर चेकिंग के दौरान मंगलवार को बस संख्या यूपी53ईटी-9901 और यूपी95टी-4135 को रोककर जांचा गया। जांच के दौरान बस के अंदर सामाजिक दूरी का उल्लंघन मिला, अधिकांश यात्री बिना मास्क के बैठे मिले। थानाध्यक्ष ने बताया कि दोनों बसे देहरादून आ रही थी। दोनों ही बसों में 32-32 यात्रियों के बैठने की अनुमति हैं, मगर, बस में 70 और 69 यात्री भरे हुए मिले। बताया कि बस चालक पर सक्षम अधिकारी द्वारा निर्मित पास भी नहीं मिला।
थानाध्यक्ष ने यूपी53ईटी-9901 बस के चालक जयराम पुत्र भगरासन निवासी ग्राम कहला थाना बढ़ोली जिला गोपालगंज बिहार एवं वाहन स्वामी अभिषेक निवासी गोरखपुर उत्तर प्रदेश तथा बस संख्या यूपी95टी-4135 के चालक अजय पाण्डे पुत्र चन्द्रिका पाण्डे निवासी ग्राम तेलियां बसोली थाना बसंतपुर जिला सीवान बिहार एवं वाहन स्वामी केसी जैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही दोनों बसों को सीज किया है।

मोदी रिट्रीट योगा होटल की महिला यात्री की ट्रेवल हिस्ट्री छुपाई, निकली पाॅजीटिव

(एनएन सर्विस)
ऋषिकेश कोतवाली पुलिस ने प्रशासन को गुमराह करने पर होटल मोदी रिट्रीट योगा के मैनेजर और महिला यात्री पर आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के नियमों का उल्लंघन पाते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है।
कोतवाल रितेश शाह ने बताया कि होटल मोदी रिट्रीट योगा में एक महिला दिल्ली रेड जोन से आई। लेकिन महिला यात्री सहित होटल के मैनेजर ने रेड जोन से आने की सूचना स्थानीय प्रशासन और पुलिस को नहीं दी। पुलिस को जब इस मामले का पता चला तो होटल मैंनेजर सतीश से दिल्ली से ऋषिकेश आने का ई-पास मांगा गया तो वह उचित जवाब नहीं दे सका। मैंनेजर की ओर से न ही महिला यात्री शीतल को क्वारंटीन किया गया। बता दें कि उक्त महिला की कोविड रिपोर्ट दो जुलाई को पॉजीटिव आई है।
इस बावत जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों की अवहेलना करने पर होटल के मैनेजर और महिला यात्री के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। कोतवाल ने आरोपियों की पहचान मैनेजर सतीश पुत्र धर्मपाल निवासी अमर एंटा पंचरुखी तहसील पालमपुर कांगड़ा हिमाचल प्रदेश और महिला यात्री शीतल के रूप में कराई है।

पोस्टमैन रामदेव से था प्रेरित, स्टंट के चक्कर में गई जान

(एनएन सर्विस)
बीते दिनों पेट के नीचे गहरे जख्म होने से अत्यधिक मात्रा में रक्त निकलने से जिस पोस्टमैन की मौत हो गई। वह मौत, दरअसल स्टंट करने के चक्कर में हुई। इस बात को परिजनों ने पुलिस के सामने स्वीकार किया है। परिजनों ने पुलिस को पत्र लिखकर मृतक पोस्टमैन की वास्तविकता से भी रूबरू कराया है।
बता दें कि रविवार को मृतक अधेड़ पोस्टमैन गंगाराम कुकरेती की पत्नी संगीता और उनके भाई भगतराम कुकरेती ने श्यामपुर चैकी में पुलिस को पत्र लिखा। उन्होंने पुलिस को बताया कि मृतक पोस्टमैन अपने पेट को स्वामी रामदेव के पेट के समान स्ट्रांग बताया करता था। इसके चलते उन्होंने पूर्व में एक शादी समारोह और एक अन्य कार्यक्रम में भी पेट में चाकू से वार किया था। मगर, उस वक्त हल्की चोट आई थी। इस कारण कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। मगर, शनिवार को पोस्टमैन को स्टंट महंगा साबित हो गया। ओवर कॉन्फिडेंस की वजह पोस्टमैन की मौत का कारण बनी।

साथी के साथ भी नहीं हुई कोई कहासुनी
चैकी इंचार्ज श्यामपुर आशीष गुसांई ने बताया कि शनिवार को रेस्टोरेंट में पोस्टमैन के साथ ‌उनके साथी ‌पूर्ण प्रकाश पैंयूली भी पहुंचे थे। पूर्ण प्रकाश छिद्दरवाला पोस्ट आफिस में डाक राइडर के पद पर कार्य कर रहे है। पुलिस पूछताछ में पूर्ण प्रकाश ने बताया कि उनकी मृतक के साथ कोई कहासुनी नहीं हुई थी। मृतक ने उनसे पेट पर चाकू से वार कर स्टंट करने की बात कही। यह सुन वह घबरा गए। देखते ही देखते उन्होंने रेस्टोरेंट के कारीगर से चाकू लिया और स्वयं पर वार कर दिया। यह देखकर वह घबरा गये और पोस्ट आफिस चले गए।

कोरोना को हराने के लिए सर्तकता और बचाव जरुरीः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि कोविड-19 को लेकर सर्विलांस, कान्टेक्ट ट्रेसिंग, सैम्पल टेस्टिंग, क्लिनिकल मैनेजमेंट और जन जागरूकता, इन पांच बातों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। कोविंड-19 से लड़ाई के लिये हर प्रकार की तैयारी की गई है। स्थिति काफी कुछ नियंत्रण में होने पर भी हम पूरी तरह सतर्क हैं। राज्य में कोविड के दृष्टिगत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत किया गया है। टेस्टिंग लैब, आईसीयू, वेंटिलेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, आक्सीजन सपोर्ट की पर्याप्त व्यवस्था मौजूद है। नियमित सर्विलांस सुनिश्चित किया जा रहा है। घर-घर जाकर कोरोना जैसे संदिग्ध लक्षणों वाले लोगों का पता लगाया जा रहा है। इसमें आशा और आंगनबाङी कार्यकत्रियों द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। लगभग सभी जिलों में सर्विलांस का एक राउंड पूरा किया जा चुका है। कई जिलों में दूसरा तो कुछ में तीसरा राउंड चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेम्पल टेस्टिंग में पहले की तुलना में काफी सुधार किया गया है। कोरोना संक्रमण के शुरूआत में राज्य में एक भी टेस्टिंग लेब नहीं थी जबकि अब उत्तराखंड में 5 सरकारी और 2 प्राईवेट लेब में कोविड-19 संक्रमण के सैम्पल की जांच की जा रही है। इसके अतिरिक्त एनसीडीसी दिल्ली व पीजीआई चंडीगढ़ में भी सेम्पल टेस्टिंग के लिए भेजे जा रहे हैं। सेम्पल टेस्टिंग की सुविधा जिला स्तर पर कराने के लिए सभी जिलों को ट्रूनेट मशीनें उपलब्ध करा दी गई हैं। प्रदेश के चिकित्सालयों में फ्लू क्लिनिक के माध्यम से आ रहे समस्त श्वास व इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों वाले मरीजों का कोविड-19 संक्रमण जांच के लिए सेम्पल लिए जा रहे हैं। सेम्पल टेस्टिंग की संख्या बढाने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। प्रति मिलियन जनसंख्या पर 6408 सेम्पल लिए जा रहे हैं। जल्द ही इसे देश के औसत के बराबर कर लिया जाएगा। देहरादून व नैनीताल दो जिलों में प्रति मिलियन सेम्पल राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं। देहरादून जिले का औसत तो राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। अन्य जिलों को भी सेम्पल टेस्टिंग बढाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जरूरी संसाधन बढाए जा रहे हैं।
प्रदेश में बनाए गए डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर में हर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। वर्तमान में राज्य में 325 कोविड केयर सेंटर स्थापित हैं। इनमें कुल बेड क्षमता 22890 है जिनमें से 289 बेड उपयोगरत हैं जबकि 22601 बेड रिक्त हैं। इस प्रकार कोविड केयर सेंटर में पर्याप्त संख्या में बेड की उपलब्धता है।
राज्य में कोविड फेसिलिटी में आक्सीजन सपोर्ट बेड की संख्या 15 मई को 673 थी जो कि अब बढ़कर 1126 हो गई है। कोविड फेसिलिटी में आईसीयू बेड की संख्या 15 मई को 216 से बढाकर 247 और वेंटिलेटर की संख्या 116 से बढाकर 159 कर दी गई है। कोविड केयर सेंटर में सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एक तरफ सैम्पल टेस्टिंग में लगातार वृद्धि हो रही है वहीं रिकवरी रेट और डबलिंग रेट भी राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है और इनमें लगातार सुधार हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से राज्य में सतर्कता बरती जा रही, उम्मीद है कि हम जल्द ही हालात पर नियंत्रण पा लेंगे। सभी जिलों में अधिकारी और कर्मचारी अपनी पूरी सजगता के साथ मिशनरी मोड में काम कर रहे हैं। उच्च स्तर से भी लगातार मानिटरिंग की जा रही है। जहां कमियां पाई जाती हैं उन्हें तत्काल दूर किया जाता है। इन लगभग चार माह में प्राप्त अनुभव से प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि हुई है।

एक्टिव मामलों में कमी लेकिन हम और सतर्क रहना होगाः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोविड-19 के एक्टीव मामलों में कमी होने पर भी लगातार सावधान रहने की जरूरत है। प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की शिथिलता न हो। शनिवार को मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम तथा बचाव के लिए किए जा रहे कार्यों की सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि हमारी रिकवरी रेट 81 प्रतिशत से अधिक हो गई है। मृत्यु दर को कम करने पर विशेष ध्यान देना होगा। गम्भीर मामलों पर जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वयं लगातार नजर रखें। ऐसे मामलों में अविलम्ब रेस्पोंस सुनिश्चित किया जाए। लगातार सर्विलांस किया जाए और संदिग्ध मामलों में सेम्पलिंग जरूर की जाए।

एक्टीव मामलों में कमी आई, पर किसी तरह की ढ़िलाई न आए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले लगभग 4 माह में कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए काफी काम किया गया है। इसी का परिणाम है कि वर्तमान में प्रदेश में कोरोना का रिकवरी रेट 81 प्रतिशत से अधिक है और यह निरंतर बढ़ रहा है। हमारे यहां एक्टीव मामलों की संख्या 500 से भी कम हो गई है। परंतु अभी आराम का समय नहीं है। सतत सतर्कता बनाए रखनी है। कान्टेक्ट ट्रेसिंग और क्वारेंटाईन सेंटरों की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। डेथ ऑडिट रिपोर्ट में कोरोना संक्रमित की मृत्यु के कारणों का विश्लेषण कर देखा जाए कि कहां-कहां सुधार किए जाने की जरूरत है। क्लिनिकल मैनेजमेंट में गम्भीरतम मामलों पर उच्च स्तर से मॉनिटरिंग की जाए।

आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को समय पर मिले मानदेय
आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री आदि फ्रंटलाईन वर्कर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हमारे प्रमुख योद्धा हैं। इनके मानदेय के भुगतान में किसी प्रकार का विलम्ब नहीं होना चाहिए। साथ ही इन्हें फेस शील्ड, सेनेटाईजर आदि उपलब्घ करवाना सुनिश्चित किया जाए।

मास्क व फिजीकल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है। आई.सी.यू., वेंटिलेटर, टेस्टिंग मशीन व लेब आदि सुविधाओं में भी काफी वृद्धि हुई है। लोगों को लगातार जागरूक करने की जरूरत है। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क व फिजीकल डिस्टेंसिंग का पालन सख्ती से कराया जाए। कोविड-19 को लेकर भ्रामक व गलत समाचार प्रसारित करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। कोराना से ठीक हुए लोगों के अनुभवों के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में साझा किया जाए ताकि आम जन में इसके प्रति जागरूकता आए।

बुजुर्गो और गम्भीर बीमार व्यक्तियों के हेल्थ स्टेटस की लगतार मॉनिटरिंग
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि कोविड-19 को लेकर किसी भी प्रकार का निर्णय बहुत सोच समझकर लिया जाता है। प्रदेश में स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। अन्य बहुत से प्रदेशों से हमारी स्थिति बेहतर है। परंतु अभी भी हमारे प्रयासों में किसी प्रकार की ढ़िलाई नहीं आनी चाहिए। कान्टेक्ट ट्रेसिंग में कमी न रहे। कोविड-19 के प्रति संवेदनशील बुजुर्गो, छोटे बच्चों और बीमार व्यक्तियों को टार्गेट करते हुए उनके हेल्थ स्टेटस को लगातार मॉनिटर किया जाए। जो भी डाटा प्राप्त होता है, जिलाधिकारी भी उसका विश्लेषण कर देखें कि उनके जिले में कहां कमियां रही हैं। उनमें सुधार किया जाए। कोविड-19 के साथ ही डेंगू पर भी ध्यान देना है। बरसात के सीजन को देखते हुए भी सभी तैयारियां कर ली जाएं।

विभिन्न मानकों पर राज्य की स्थिति बेहतर
सचिव अमित नेगी ने बताया कि राज्य में कोविड-19 के कुल एक्टीव केस 500 से भी कम रह गए हैं। पिछले सात दिन में कोरोना की वृद्धि दर 0.56 प्रतिशत है जबकि भारत में यह 1.28 प्रतिशत है। उत्तराखण्ड में पॉजिटीविटी रेट 4.68 प्रतिशत है और देश में औसत पॉजिटीविटी रेट 6.73 प्रतिशत है। राज्य में कुल पॉजिटिव मामलों में से 89 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में और 11 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में पाए गए हैं। सेम्पलिंग में भी पहले की तुलना में लगातार बढ़ोतरी हुई है। राज्य की डबलिंग रेट 57.39 दिन है जबकि देश की डबलिंग रेट 23.52 दिन है।

आईसीयू, वेंटीलेटर व आक्सीजन सपोर्ट की पर्याप्त उपलब्धता
कोविड केयर सेंटरों में वर्तमान में 22601 रिक्त बेड उपलब्ध हैं। कोविड फेसिलिटी में 1126 आक्सीजन सपोर्ट बेड, 247 आईसीयू बेड और 159 वेंटीलेटर उपलब्ध हैं। जिलों को सेम्पलिंग के लिए 16 ट्रू-नेट मशीन उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं। जिलों की आवश्यकता के अनुसार सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कान्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए तीन राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम कार्यरत
आईजी संजय गुन्ज्याल ने बताया कि प्रदेश में कान्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए तीन कंट्रोल रूम काम कर रहे हैं। देहरादून, उत्तरकाशी व टिहरी के लिए देहरादून कंट्रोल रूम, हरिद्वार, पौड़ी, चमोली और रूद्रप्रयाग के लिए हरिद्वार कंट्रोल रूम और कुमायूं मण्डल के सभी जिलों के लिए रामनगर कंट्रोल रूम कार्य कर रहा है। सभी 13 जिलों में कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए बीआरटी और सीआरटी सक्रिय हैं। हर जिले में इसके लिए एक नोडल अधिकारी भी तैनात है।

बैठक में आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, आयुक्त कुमायूं अरविंद सिंह ह्यांकि, सचिव डा. पंकज कुमार पाण्डेय, अपर सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. अमिता उप्रेती सहित सभी जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

राज्य में संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा

(एनएन सर्विस)
कोरोना के मरीजों की संख्या भले ही बढ़ रही हो। लेकिन उत्तराखंड में इन मरीजों के ठीक होने की संख्या में दिन प्रतिदिन तेजी से सुधार हो रहा है। सोमवार को छह गुणा से अधिक 93 मरीज स्वस्थ होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज हुए। रिकवरी दर लगातार अच्छा संकेत दे रही है। सोमवार को स्वस्थ हुए मरीजों का प्रतिशत 74.40 पहुंच गया। प्रदेश में अभी तक कोरोना के 2837 मामले आए हैं। जिनमें अब तक 2111 स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं।
हालांकि अभी भी राज्य के विभिन्न अस्पतालों व कोविड केयर सेंटरों में 664 मरीज भर्ती हैं। यह संख्या स्वस्थ हुए मरीजों से एक तिहाई से भी कम है। कोरोना पॉजिटिव 23 मरीज राज्य से बाहर जा चुके हैं, जबकि 39 की अब तक मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को 837 सैंपलों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इनमें 823 निगेटिव और चैदह मामले पॉजिटिव हैं। देहरादून में दस और लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें एम्स ऋषिकेश के तीन नर्सिंग ऑफिसर भी शामिल हैं। इसके अलावा ऋषिकेश के मंसादेवी, इंदिरा नगर, रेशम माजरी, मोतीचूर और मुजफ्फरनगर, सहारनपुर व बिजनौर निवासी एक-एक व्यक्ति की भी रिपोर्ट पॉजिटिव है। इनमें छह एम्स की आइपीडी-ओपीडी में आए मरीज और एक मरीज का अटेंडेंट है।
उत्तराखंड में पिछले दो-तीन दिन से कम संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं संत्मित मरीजों के ठीक होने की रफ्तार भी लगातार बढ़ रही है। जितने मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, उसके तीन गुणा ठीक हो चुके हैं। प्रवासियों की आमद बढ़ने के साथ जो संक्रमण दर एकाएक बढ़ी थी उसमें भी गिरावट दिखने लगी है। मौत का बढ़ता आंकड़ा जरूर चिंता का सबब बन रहा है। बता दें, उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को सामने आया था।

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 की समीक्षा की, लोगों को दी कई राहते, आप भी जानें

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 एवं डेंगू के रोकथाम एवं बचाव के लिए सभी जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि डेंगू से बचाव के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाय। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाय। जिन जनपदों में पिछले वर्षों में डेंगू का फैलाव कम रहा, उन जनपदों में हम इसे पूरी तरह कैसे नियंत्रित कर सकते हैं, इसके लिए ठोस रणनीति बनायी जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि अस्पतालों में प्लेटलेट्स की पर्याप्त उपलब्धता हो। नगर निकायों द्वारा समय-समय पर फोगिंग की जाए। डेंगू से बचाव में रोकथाम के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार हो इसके लिए डाॅक्टर समय-समय पर मीडिया से समन्वय स्थापित करे। शहरी क्षेत्रों में डेंगू से बचाव के लिए स्वच्छता एवं जल निकासी पर विशेष ध्यान दिया जाय। प्रत्येक जनपद में सप्ताह में एक दिन व्यापक स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जाय।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वर्षाकाल को दृष्टिगत रखते हुए पेयजल व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया जाय। पर्वतीय जनपदों में वर्षाकाल में पेयजल लाईनें क्षतिग्रस्त होने से व दूषित जल से बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए जन प्रतिनिधियों से निरन्तर संवाद बनाये रखें। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू की रोकथाम एवं जनजागरूकता के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के प्रभावी नियंत्रण के लिए सर्विलांस सिस्टम को और अधिक मजबूत किया जाय। जो लोग होम क्वारंटीन एवं होम आईसोलेशन है उनकी लगातार निगरानी की जाय। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाय। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी जनपदों में दुकानों को शाम 8 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाय। देहरादून में अगले सप्ताह से शनिवार और रविवार को भी मार्केट को खोलने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि लोगों को सुबह 5 बजे से माॅर्निंग वाॅक की अनुमति दी जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना पाॅजिटव की रिकवरी रेट में तेजी से सुधार हुआ है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग को सतर्कता एवं सुरक्षात्मक दृष्टि से कार्य करने को कहा। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब 1700 से अधिक टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं। सोमवार से मुक्तेश्वर में भी कोरोना की टेस्टिंग शुरू हो जायेगी। यहां पर प्रतिदिन 100 टेस्ट होंगे।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, सचिव शैलेष बगोली, सौजन्या, एस.ए. मुरूगेशन, पंकज पाण्डेय, डीजी स्वास्थ्य श्रीमती अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।

डेंगू से बचाव कार्यो की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग, दिए जिलाधिकारियों को निर्देश

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 के साथ ही डेंगू की रोकथाम के लिए भी प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। सचिव अमित सिंह नेगी ने सभी जिलाधिकारियों को डेंगू निरोधात्मक गतिविधियों का संचालन करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारियों को जारी निर्देशो में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कोविड-19 के नियंत्रण के लिए बनाए गए क्वारेंटाईन फैसिलिटी और कोविड केयर सेंटरों में जलभराव की समस्या न हो। इसी प्रकार जिला चिकित्सालयों और अन्य चिकित्सा इकाईयों में भी पानी इकट्ठा न होने पाए। यहां जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए पीआरडी के कार्मिकोंध्स्वयंसेवकों को तैनात किया जा सकता है। जिन स्थानों पर भी पानी की निकासी अवरुद्ध रहती है, वहां समस्या का निराकरण समय से कर लिया जाए। जन जागरूकता व जनसहभागिता के लिए आई०ई०सी० संसाधनों का समुचित व समयान्तर्गत उपयोग हो। स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि में अंतर्विभागीय समन्वय किया जाए। सभी जिलाधिकारी, डेंगू की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों की नियमित रूप से समीक्षा भी करें।

डेंगू की रोकथाम के लिए ब्लॉकवार माइक्रो प्लान
डेंगू रोग पर रोकथाम और नियंत्रण के लिए ब्लाक वार, माइका्रे प्लान बनाकर कार्यवाही की जाए। जनपदों के चिकित्सालयों (जिला/बेस व मेडिकल कालेज) में भारत सरकार की गाईडलाइन के अनुसार आवश्यक कार्यवाही जैसे पृथक डेंगू आईसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्त बेड की उपलब्धता, स्टेंडर्ड केस मैनेजमेंट आदि सुनिश्चित किया जाए और डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किया जाए।

प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो
डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों के लिए प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। डेंगू जांच केन्द्रों में समय से आवश्यक सामग्री जैसे एलिसा जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता अवश्य हो। डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण में पहचान के लिए फीवर सर्वे किये जाए, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये। डेंगू रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से स्पेस/फोकल स्प्रे कराने के साथ-साथ जनपदीय आर0आर0टी0 द्वारा क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलेन्स एवं लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) कराई जाएं। स्वास्थ्य विभाग व आई0एम0ए0 प्रतिनिधियों/निजी चिकित्सालयों/पैथोलॉजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक की जाये ताकि आमजन में डेंगू रोग के प्रति व्याप्त भ्रान्ति/भय को दूर किया जा सके। किसी भी प्रकार की आकस्मिक/आपातकालीन आवश्यकता के दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना में भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।

डेंगू के लिए हेल्पलाईन 104
आमजन को डेंगू सम्बन्धी जागरूकता और समुचित जानकारी प्रदान करने के लिये राज्य मुख्यालय पर इंटीग्रेटेड हेल्पलाईन क्रियाशील है जिसका टोल फ्री नं 104 है। इसी प्रकार जनपद स्तर पर डेंगू के संक्रमण काल (माह जून से नवम्बर तक) के दौरान कन्ट्रोल रूम स्थापित कर उक्त दूरभाष न० से राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी0 यूनिट को अवगत कराया जाए।

नगर क्षेत्रों में पार्षदों के सहयोग से हो साफ-सफाई
सचिव अमित सिंह नेगी ने सभी नगर निगमों के नगर आयुक्तों और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों को नगर क्षेत्रों में जन सहयोग से डेंगू की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके। समस्त पार्षदों के सहयोग से लोगों को जागरूक किया जाए और साफ-सफाई की मॉनिटरिंग की जाए। निगम और नगर पंचायतों में ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए जहां मच्छर पनपने का खतरा बना रहता है। शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ परिसीमांत उप नगरीय क्षेत्रों में डेंगू निरोधात्मक गतिविधियों जैसे सोर्स रिडक्शन (डेंगू मच्छर के पैदा होने के स्थान को नष्ट करना), फागिंग आदि कार्य सुनिश्चित किए जाएं।

ऑनलाइन कक्षाओं में डेंगू से बचाव की जानकारी दी जाए
सचिव नेगी ने शिक्षा विभाग से भी अपेक्षा की है कि विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से डेंगू रोग से बचाव के लिए जागरूक किया जाए। अभिभावकों को भी जागरूक किया जाए। सभी विभागाध्यक्षों को भी निर्देशित किया गया है कि राजकीय कार्यालयों में नियमित रूप से परिसर में साफ सफाई की जाए। पानी की टंकियों को ढक कर रखा जाए। परिसर में कहीं भी जलभराव की समस्या न हो।