…तो क्या महात्मा गांधी के सपनों को संवार रही त्रिवेंद्र सरकार

गांधी ने अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान की थी प्रशंसा, बताया था फिल्म शूटिंग के लायक
वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार ने इस महत्वता को न सिर्फ समझा बल्कि फिल्म निर्माताओं को किया आमंत्रित

महात्मा गांधी अक्सर कहा करते थे कि धरती में यदि कहीं स्वर्ग हैं तो वह उत्तराखंड के कौसानी में है। इस बात को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने न सिर्फ अच्छे से समझा, बल्कि मुंबई में बैठे फिल्म निर्माताओं को भी समझा पाने में कामयाबी हासिल अर्जित की। त्रिवेंद्र सरकार की यह कामयाबी ही हैं, कि अब तक बत्ती गुल मीटर चालू, कबीर सिंह, केदारनाथ, जर्सी, कुतुबमीनार आदि करीब 200 से ज्यादा बाॅलीवुड की छोटी-बड़ी फिल्में, टीवी सीरियल, दक्षिण भारतीय फिल्में, वेब सीरिज की शूटिंग हो चुकी है और आगे भी शूटिंग के लिए निर्माता उत्तराखंड का रूख कर रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार की ही बदौलत राज्य को द मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार भी मिला है। जो वाकई में उत्तराखंड और त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धि को दर्शाता है।

एक नजर त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर
त्रिवेंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक उत्तराखंड में शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक अनुमति को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत आॅनलाइन आवेदन से किया जाएगा। राज्य सरकार के विभागों के स्तर पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। साथ ही सुरक्षा के लिए पुलिस की उपलब्धता भी त्रिवेंद्र सकरार सुनिश्चित कराएगी। राज्य में फिल्म निर्माण के लिए अनुदान के संबंध में सरकार एक प्राथमिकता सूची तैयार करेगी। इसमें फिल्म की 75 प्रतिशत शूटिंग का उत्तराखंड में किया जाना अनिवार्य होगा। वित्त पोषण फिल्म निर्माण की लागत का 30 प्रतिशत या डेढ़ करोड़ रूपये, जो भी कम हो रहेगा।

जिन फिल्मों की 75 प्रतिशत शूटिंग या कुल आउटडोर शूटिंग की आधे से अधिक शूटिंग उत्तराखंड में होगी, एसजीएसटी लागू होने की तिथि से जमा किए गए एसजीएसटी के 30 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

फिल्म शूटिंग होने से राज्य को क्या फायदा
त्रिवेंद्र सरकार का यह मानना है कि राज्य की प्राकृतिक सौंदर्यता कैमरे में कैद होगी तो निश्चित तौर पर विश्व पटल पर उत्तराखंड का कद बढ़ेगा। यही नहीं, राज्य के ऐसे युवा जो फिल्मी दुनिया में अपना कैरियर देखते हैं या इस क्षेत्र का शौक भी रखते हैं। उन्हें शूटिंग में काम मिलेगा। उन्होंने मानना है कि उत्तराखंड के युवाओं ने बाॅलीवुड में मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया है, इनमें हिमानी शिवपुरी, हेमंत पांडेय, उर्वशी रौतेला सहित तमाम लोग शामिल है।

इससे इतर शूटिंग होने से यहां होटल, ढाबों, हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कामगारों को काम मिलेगा। तमाम हस्तियों के यहां पहुंचने से राज्य के हथकरघा वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलेगा और अहम बात यह है कि टूरिज्म को बहुत बढ़ावा मिलेगा। यहां के चार धाम के अलावा अन्य कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनका वर्णन पुराणों में भी वर्णित हैं।

फिल्म सिटी बनने से राज्य का टैलेंट निकलकर आएगा
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के सानिध्य में ही फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव अब जोर पकड़ने लगा हैं। पूर्व में निर्माता निर्देशक राजकुमार संतोषी फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव दे चुके है। इसके बाद राज्य में जमीन तलाशने का काम भी जोर पकड़ चुका है। फिल्म सिटी के लिए काफी ज्यादा जमीन की आवश्यकता है साथ ही उस जगह से एयरपोर्ट नजदीक ही होना आवश्यक है। इसके लिए ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र में गंगा नदी से सटा इलाके को भी फिल्म सिटी के नजरिए से देखा जा चुका है।

ताजा जानकारी के मुताबिक फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री एवं उनके पति हिमालय दासानी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की है। उन्होंने उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखण्ड में फिल्मी हस्तियों का रूझान बढ़ा है। राज्य में युवाओं को फिल्म के क्षेत्र में विभिन्न प्रशिक्षण दिये जाय तो युवा इस क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं।

फिल्म निर्माताओं की पसंद उत्तराखंड ही क्यों
सवाल यह उठता है कि फिल्म निर्माताओं की पंसद उत्तराख्ंाड क्यों बना हुआ है। इसका जवाब भी साफ है, त्रिवेंद्र सरकार निर्माताओं और निर्देशकों को राज्य की नैसर्गिक सौंदर्यता के बारे में बताने में कामयाब रही है। इसके चलते राज्य में अब निर्माताओं का रूख बढ़ रहा है। राज्य की सुंदरता, खास तौर पर प्राकृतिक झरने, वाटर फाॅल, गंगा नदी, खूबसूरत पहाड़, मंसूरी, देहरादून, ऋषिकेश, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, नैनीताल, नैनी झील, टिहरी झील, कौसानी, बर्फ से ढ़की चोटियां आदि तमाम वह चीजें जो एक फिल्म की लोकेशन के लिए चाहिए। उत्तराखंड में सहज ही मिल जाती है।

एक रूपये प्रति टिकट से भरेगा फिल्म विकास कोष
सिनेमा टिकटों पर एक रुपये प्रति टिकट की दर से फिल्म विकास निधि के रूप में सिनेमा मालिक दर्शकों से वसूलेंगे और इस राशि को कोषागार में जमा कराएंगे। इसका इस्तेमाल क्षेत्रीय, हिंदी और अन्य भाषा की फिल्मों को अनुदान उपलब्ध कराने में किया जाएगा। इससे अवस्थापना सुविधाओं के लिए भी धनराशि दी जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद
फिल्मों को प्रोत्साहन देने के लिए क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद बनाई जाएगी। उत्तराखंड में बनने वाली फिल्मों और क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म के प्रति त्रिवेंद्र सरकार
उत्तराखंड की क्षेत्रीय फिल्मों को सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रदेश के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स स्वामियों को क्षेत्रीय फिल्म को एक सप्ताह तक प्रतिदिन प्रदर्शित करने की अनिवार्यता होगी।

त्रिवेंद्र सरकार कर रही कोरोना संक्रमण पर वार

चीन की लैब से जन्मे कोरोना वायरस ने आज संपूर्ण विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। भारत में ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 49,30,236 लोग संक्रमित हो चुके है, जबकि 38,59,399 मरीज कोरोना से जंग जीत चुके है। वहीं, 80,776 ने संघर्ष करते हुए कोरोना से जंग हार ली। उत्तराखंड में नजर डालें तो यहां अब तक एक्टिव केस मात्र 5445 हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम हैं। मगर, इन आंकड़ों से संतुष्ट होने के बजाए इसे रोकना एक चुनौती है और इस चुनौती को उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र सरकार ने स्वीकार किया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार लगातार इस मामले में अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इसके लिए राज्य सरकार ने 104 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। यहीं नहीं, शुरूआत से ही रावत सरकार ने एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, इनमें राज्य की सीमाओं पर पुलिस की चैकसी है।

कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते राज्य के ज्यादातर नागरिकों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है, ऐसे में कोरोना टेस्ट शुल्क व्यय करना भी इन नागरिकों के लिए काफी मुश्किल था। इस मुश्किल दौर में त्रिवेंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ा राहत पहुंचाने वाला फैसला लिया। निजी अस्पतालों में अटल आयुष्मान योजना के तहत कोरोना का ईलाज किया जायेगा। यह अन्य रोगों की भांति निःशुल्क होगा। वहीं इस फैसले के अलावा भी प्रदेश के निजी अस्पतालों में केंद्र की ओर से तय दरों का 80 प्रतिशत उपचार शुल्क लिया जाएगा। इसमें 1200 और 2000 रुपये पीपीई किट का खर्च और बिस्तर, भोजन, निगरानी, नर्सिंग देखभाल, डॉक्टरों का परामर्श, कोविड जांच ऑक्सीजन समेत अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं।

लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता लाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य की पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं। राज्य में बिना मास्क आवागमन करने वाले लोगों पर पुलिस चालानी कार्रवाई कर मास्क उपलब्ध करवा रही है, तो वहीं, सोशल डिस्टेंस का पालन कराने में भी मित्र पुलिस अहम रोल अदा कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनका मंत्रिमंडल भी इस नियम को फाॅलो कर रहा है।

एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने अब अहम निर्णय लिया है, इसके चलते नेगेटिव रिपोर्ट के बिना कोई भी राज्य की सीमा पर प्रवेश नहीं कर सकेगा। चार दिन की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आने वालों को क्वांरटीन नहीं होना होगा। रिपोर्ट न होने पर कोविड लोड शहरों से आने वालों को सात दिन संस्थागत क्वारंटीन जबकि अन्य शहरों से आने वालों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा।

इसके अलावा सरकार ने सावन मास की कांवड़ यात्रा को स्थगित किया लेकिन आस्था से कोई समझौता ना करते हुए गंगाजल को अन्य शहरों में उपलब्ध कराया। इससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी होने से बड़ी कामयाब मिली। इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार ने 21 सितंबर से कक्षा नौ और 12वीं तक के छात्रों के लिए खुलने जा रहे स्कूलों पर भी रोक लगा दी है। राज्य सरकार का यह निर्णय कोरोना के मामले को रोकने में महत्वपूर्ण निर्णय साबित हो रहा है। सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ अभिभावक बल्कि विशेषज्ञों ने भी सराहा है।

शासन के बड़े अधिकारियों की मानें तो सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जिस प्रकार से कार्य किया है वह अन्य राज्यों की तुलना में इक्कीस साबित हुआ है। कोविड सेन्टर के लिए सरकार ने प्राईवेट सेन्टर बनाये है जिनमें कई होटल भी शामिल है। जिससे लोगों को बड़ी राहत मिल रही है। शुरुआत दौर में सरकार को थोड़ा कठिनाई जरुर हुई लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की इच्छा शक्ति से इस ओर कामयाबी मिली है। निरन्तर जिलाधिकारियों और शासन के उच्च स्तर के अधिकारियों से संवाद और निर्देशन मुख्यमंत्री की कार्यकुशलता को दर्शाता है।

भारत-चीन सीमा पर सेना के जवानों की बढ़ी तादात

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी के जवानों की सतर्कता को बढ़ाया गया है। आईटीबीपी की उप महानिरीक्षक अपर्णा कुमार ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे हैं। यहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से करीब डेढ़ सौ किमी आगे चीन की 117 किमी सीमा लगी हुई है। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार ने सीमावर्ती नेलांग और जाढ़ूंग गांव को खाली करवा कर यह क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया था।

वर्तमान में सीमा पर नेलांग, जाढ़ूंग, नागा, त्रिपाणी, मंडी, सुमला, पीडीए, थागला-1, थागला-2, मुनिंगलापास, टीसांचुकला आदि सीमावर्ती चैकियों पर भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैद हैं। सीमाओं की निगरानी के लिए भारत की ओर से बॉर्डर इलाके में सड़कों का जाल बिछाया गया है।

शिवतंत्र डाॅक्यूमेंट्री की शूटिंग को सीएम त्रिवेन्द्र ने दी हरी झंडी, पंचकेदार में से किसी एक पर शूटिंग जल्द

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में फिल्म निर्देशक एवं लेखक करण राजदान ने मुकालात की। उन्होंने कहा सीएम त्रिवेन्द्र से राज्य में बाॅलीवुड फिल्म ‘हिन्दुत्व’ की शूटिंग करने की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग वे उत्तराखण्ड में करना चाहते हैं। इस फिल्म की शूटिंग जनवरी-फरवरी 2021 में होगी। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखण्ड में एक डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ की शूटिंग करने की इच्छा जताई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में फिल्म शूटिंग के लिए सरल फिल्म नीति बनाई गई है। अब एक दिन में भी फिल्म शूटिंग की ऑनलाईन अनुमति दी जा रही है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक सौन्दर्य एवं प्राकृतिक वातावारण फिल्म की शूटिंग के लिए अनुकूल है। इसलिए फिल्मकारों का रूझान उत्तराखण्ड के प्रति बढ़ा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने फिल्म निर्देशक करण राजदान को उत्तराखण्ड में फिल्म की शूटिंग की इच्छा पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ पर पंच केदार में से किसी भी स्थान पर शूटिंग की जा सकती है।

वेबिनार के जरिए सीएम ने पीएचडी चौंबर ऑफ कॉमर्स व अन्य विषय पर विशेषज्ञों से की चर्चा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कौशल विकास विभाग के सहयोग से पीएचडी चौंबर ऑफ कामर्स द्वारा तैयार की गई स्किल स्टडी रिपोर्ट का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने वेबिनार के माध्यम से पीएचडी चौम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों से कौशल विकास से सम्बन्धित विषयों पर चर्चा की। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार राज्य के युवाओं को विलुप्त हो रहे पारम्परिक कलाओं एवं कौशल के क्षेत्र में अधिक दक्ष बनाये जाने की जरूरत है। राज्य में जैविक कृषि, काष्ठ कला, पारम्परिक आभूषण, योगा एवं आयुर्वेद, मधुमक्खी पालन, बांस व रिंगाल के उत्पाद, मशरूम एवं पुष्प खेती के क्षेत्र में भी युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के लिये प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने पीएचडी चौम्बर ऑफ कामर्स द्वारा तैयार की गई कौशल विकास से सम्बन्धित स्किल स्टडी रिपोर्ट को राज्य के युवाओं एवं उद्योगों के हित में बताया है। उन्होंने कहा कि इस से उद्योगों के अनुकूल दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता एवं युवाओं को अपने को उद्योगों के अनुकूल दक्षता हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन आपसी विचारों, अनुभवों एवं आवश्यकताओं के नये आयामों पर चर्चा करने में भी मददगार होते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हुए इन्वेस्टर समिट में देश के प्रमुख उद्यमियों ने प्रतिभाग किया। 1.25 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 24 हजार करोड़ की ग्राउन्डिंग अब तक हो चुकी है। यह हमारे छोटे राज्य के लिये बड़ी बात है। उत्तराखण्ड के देश व विदेशों में अधिकांश लोग होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। प्रदेश में वापस लौटे लोगों की दक्षता का आकलन कर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने में पीएचडी चौम्बर ऑफ कामर्स सहयोगी बनें। यहां के परम्परागत उत्पादों को बढ़ावा मिले। हमारा प्रदेश आर्गेनिक प्रदेश बने। इसके लिये कौशल विकास के द्वारा युवाओं को दक्ष बनाना होगा। राज्य में मेडिकल, आयुर्वेद व हर्बल इंडस्ट्री को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखण्ड आयुर्वेद के जनक चरक की भूमि है। संजीविनी का यह क्षेत्र है। 71 प्रतिशत वन तथा 28 प्रतिशत जैव विविधता यहां है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को रोजगार मिले तथा वे स्वरोजगार अपनायें, इसके लिये उन्हें प्रशिक्षण के साथ ही उचित मार्ग दर्शन दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने भी विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता विकास के आंकलन को प्रदेश के लिये उपयोगी बताया।

अपर सचिव एवं प्रोजेक्ट हेड उत्तराखण्ड स्किल मिशन डॉ. इकबाल अहमद ने कहा कि कोविड- 19 महामारी के दृष्टिगत राज्य में लौटे प्रवासियों को कौशल प्रशिक्षण तथा रोजगार-स्वरोजगार के तहत मई 2020 में राज्य सरकार द्वारा होप पोर्टल निर्मित किया गया है। इस पोर्टल पर अब तक 20,000 युवाओं द्वारा पंजीकरण कराया जा चुका है साथ ही नियोजकों द्वारा 2200 रिक्तियाँ भी पोर्टल पर अपलोड की गई है। विभाग द्वारा पोर्टल पर पंजीकृत युवाओं को रिक्तियों के सापेक्ष रोजगार के अवसरों से जोड़े जाने हेतु विभाग द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं, जिस हेतु एक कॉल सेन्टर भी स्थापित किया गया है।

नई शिक्षा नीतिः इंजीनियरिंग के साथ कला और मानविकी विषयों पर भी रहेगा जोर

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत तकनीकी संस्थानों सहित देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में संगीत, थिएटर, कला अ ौर मानविकी के लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा। नई नीति के तहत आईआईटी समेत देश के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) अपनाएंगे। इसके तहत इंजीनियरिंग के साथ-साथ तकनीकी संस्थानों में कला और मानविकी के विषयों पर जोर दिया जाएगा।

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का काम अकादमिक और रिसर्च पर फोकस रहेगा। परीक्षा से लेकर दाखिले तक का काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के तहत होगा। कौशल आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

लिबरल एजुकेशन में देश की 64 कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर डिग्री की पढ़ाई होगी। इसका मतलब ज्ञान के साथ कौशल विकसित करना है, जिससे रोजगार के मौके मिलें। स्नातक तक कोर्स 3-4 वर्ष का होगा और कभी भी प्रवेश और पढ़ाई छोड़ने का विकल्प सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा।

शिक्षा सुधार योजनाओं में हिंदू मठ, आश्रम, गुरुद्वारा, ईसाई मिशनरी संस्थान, इस्लामिक ट्रस्ट, बौद्ध और जैन समुदाय को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसका मकसद विभिन्न वर्गों को जोड़ना और वैचारिक मतभेद दूर करना है। स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्त्रस्म में बिजनेस व इंडस्ट्री के सुझाव पर बदलाव होगा, ताकि रोजगार पर फोकस किया जा सके। इसके अलावा पूर्व छात्र और स्थानीय समुदाय से सुरक्षा, सफाई पर मदद ली जाएगी।

सीएम ने दी बधाई, कहा नई शिक्षा नीति से बदलेगा भारत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश में 28 साल बाद नई शिक्षा नीति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भविष्य को संवारने में मददगार होगी। इसमें शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने और कक्षा पांच तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है। पारम्परिक मूल्यों का समावेश करते हुए नई शिक्षा नीति को आने वाले समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है।

पलायन रोकने और रोजगार को बढ़ाने में सीएम त्रिवेन्द्र की भूमिका…

राजेन्द्र जोशी (स्वतंत्र पत्रकार)। पलायन रोकने और रोजगार को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए है। मुख्यमंत्री जानते है कि उत्तराखंड में कृषि, बागवानी और पर्यटन की अपार संभावनाएं है। आज हम किसानों के संदर्भ में सरकार के द्वारा लिये गये निर्णयों की जानकारी देने का प्रयास कर रहे है।

क्या आप जानते है… उत्तराखंड में किसानों को समाज कल्याण विभाग की ओर से पेंशन दी जाती है। यह सौगात और किसी ने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सत्ता संभलाने के बाद प्रदेश के किसानों को दी। उन्होंने किसानों के पलायन को रोकने के लिए किसान पेंशन योजना की शुरूआत की। इस योजना में 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को उत्तराखंड सरकार की तरफ से 1000 रुपये महीने का पेंशन दिया जाता है। यह योजना उत्तराखंड के छोटी जोत के किसानों के लिए वरदान है। राज्य के नौ जिले पर्वतीय है और यहां लोगों के पास छोटी-छोटी जोते है। मुख्यमंत्री ने इस योजना के माध्यम से उन्हें बड़ी राहत दी है। अगर आपके आस-पास भी ऐसे किसान है तो उन्हें इस योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित करे।

प्रवासी और पलायन रोकने के लिए उत्तराखंड में खेती को मनरेगा से जोड़ा गया है। कृषि वैज्ञानिक इसे ऐतिहासिक कदम मान रहे है। मनरेगा के तहत जहां एक ओर प्रवासियो के साथ ही यहां रहे रहे लोगों को मजदूरी मिलेगी। वहीं, सामूहिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार का सृजन तो होगा ही। साथ ही सीमांत क्षेत्रों में आबादी की बसावट होने से घुसपैठ रोकने में मदद भी मिलेगी।

वहीं, मुख्यमंत्री के निर्देश पर एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना को मंजूरी दी गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत योजना में प्रत्येक ब्लाक में एक-एक गांव चयनित कर, वहां क्लस्टर आधार पर खेती होगी। इसमें गांव में रहने वाले और प्रवासी, सभी की भूमि में खेती होगी। क्लस्टर कम से कम 10 हेक्टेयर का होगा और इसमें सौ किसान खेती करेंगे। योजना संचालन को प्रति गांव 15 लाख रुपये मिलेंगे।

आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस वर्ष गैरसैंण में बजट प्रस्तुत करते हुए किसानों के बंपर घोषणाएं की है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की तर्ज पर ही मुख्यमंत्री ने राज्य में कृषि विकास योजना लागू करने के साथ ही बजट में ही 18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया। वहीं मत्स्य पालकों की आय दोगुनी करने और पशुचारा परिवहन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। सरकार ने गेहूं और धान की खरीद के लिए 2300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की। तो वहीं जैविक खेती पर भरोसा जताते हुए जैविक कृषि विधेयक लागू किया है।

मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए 800 कस्टम हायरिंग सेंटर और 500 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के निर्देश दिये गये है। जहां से किसान अपने जरूरत के हिसाब से मशीन किराए पर ले सकते हैं। किसानों को अपने नजदीकी बाजार में उत्पादों को बेचने के लिए कई प्रकार की रियायतें दी जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के द्वारा किसानों के हित में लगातार कई ऐसे कार्य किये जा रहे है। जिनसे उनकी आर्थिकी संवरे और वह आत्मनिर्भर बन सके। बात चाहें गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की हो या संकट में चीनी मिलों को उबारने की, मुख्यमंत्री ने इस बार के बजट में कई घोषणायें की है।

जब सरकार उत्तराखंड में कृषि को संवारने और आर्थिकी का मुख्य जरिया बनाने के लिए प्रयासरत हो तो हमें भी कुछ जिम्मेदारी निभानी होगी। युवाओं को पांच से दस हजार रुपये की नौकरी के लिए शहरों में भटकने से बेहतर है कि हम इन योजनाओं का लाभ उठाये। अब समय आ गया है कि अपनी आर्थिकी के साथ ही राज्य की आर्थिकी संवारने में योगदान दे।

शराब के नशे में दो प्रवासियों ने केन्द्र व्यवस्थापक को पीटा

(एनएन सर्विस)
मुनिकीरेती थाना क्षेत्र के एक संस्थागत क्वारंटीन सेंटर में प्रवासियों की दबंगई के चलते यहां केंद्र व्यवस्थापक को पीट दिया गया। पीड़ित की तहरीर पर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर संबंधित धाराओं में मुकदमा कायम किया है। वहीं, रविवार को आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। यहां से न्यायिक हिरासत में दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
जानकारी के अनुसार, तपोवन स्थित एक संस्थागत क्वारंटीन सेंटर में दीवान सिंह रावत सहायक अध्यापक ब्लॉक नरेन्द्र नगर केंद्र व्यवस्थापक के रूप में तैनात है। बीते शनिवार की शाम करीब छह बजे यहां आंध्र प्रदेश से पहुंचे 16 दिन से क्वारंटीन दो युवकों ने शराब के नशे में मारपीट कर दी। मामले को लेकर पीड़ित अध्यापक ने मुनिकीरेती थाने में तहरीर दी। पुलिस ने तहरीर पाकर दोनों आरोपियों कुलदीप जोशी पुत्र डा. व्योम जोशी निवासी जी ब्लॉक, नई टिहरी और जगमोहन पुत्र राजेन्द्र रमोला निवासी रामोल गांव प्रतापनगर को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 186,188,323,332,353,504,506 और 51 आपदा प्रबंधन अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया है। रविवार को दोनों आरोपियों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। यहां से न्यायिक हिरासत में उन्हें जेल भेज दिया गया है।

टिकटॉक को आ गया बाय-बाय करने का समय, स्वदेशी एप मित्रों हो रहा पॉपुलर

भारत में टिकटॉक का बाय-बाय करने का वक्त आ गया है। भारत के युवाओं की जुबां पर अब टिकटॉक नहीं बल्कि स्वदेशी निर्मित एप मित्रों का नाम है। अभी तक इस एप को 50 लाख से ज्यादा युवा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर चुके है। इसे आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्रों ने बनाया है। इसे टिकटॉक का क्लोन भी कहा जा रहा है।

आईआईटी के पूर्व छात्रों का कहना है कि एप लांच करते समय हमें ऐसे ट्रैफिक की उम्मीद नहीं थी। इसे बनाने के पीछे लोगों को सिर्फ भारतीय विकल्प देना था। आईआईटी रुड़की में वर्ष 2011 में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ब्रांच से पासआउट छात्र शिवांक अग्रवाल ने अपने चार साथियों के साथ मित्रों एप बनाया है।

11 अप्रैल को हुआ था मित्रों एप लांच
पेटीएम के पूर्व सीनियर वाइस प्रेजिडेंट दीपक के ट्वीट के बाद इसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। अचानक बड़ी संख्या में लोगों के एप डाउनलोड करने से नेटवर्क ट्रैफिक भी प्रभावित होने लगा। टीम मेंबर ने बताया कि वास्तव में 11 अप्रैल को एप लांच करते समय यह नहीं सोचा था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। टिकटॉक को पीछे छोड़ना जैसी कोई बात नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों को सिर्फ एक भारतीय विकल्प देना था। लोग इसका इस्तेमाल करना चाहेंगे या नहीं यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमें लोगों से जो आशीर्वाद मिला, उससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि हमें किसी ने फंड नहीं दिया है, उनका फंड लोगों का प्यार ही है।

मित्रों स्वदेशी नाम, इसलिए देना उचित
टीम मेंबर ने बताया कि मित्रों का अर्थ मित्र ही है। एक तो यह भारतीय उपभोक्ताओं को भारतीय मंच के जरिए सेवा देने के लिए है। हम स्वदेशी नाम देकर भारतीय नामों के खिलाफ पूर्वाग्रहों को भी दूर करना चाहते हैं।

ऋषिकेश पुलिस ने कोरोना से मृत महिला का कराया दाह संस्कार

राज्य में कोरोना से शुक्रवार की देर रात हुई दूसरी मौत के बाद शनिवार शाम मृतका का अंतिम संस्कार पुलिस ने कराया। मृतका की चिता को मुखाग्नि उनके पति ने दी। कोरोना वायरस (पॉजिटिव) एवं कैंसर से पीड़ित महिला की मृत्यु के पश्चात, पुलिस व प्रशासन द्वारा सुरक्षा के समस्त उपाय व पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार कराया गया।

शनिवार को कोतवाली पुलिस व प्रशासन के द्वारा करोना संक्रमण से बचाव करते हुए उत्त मृतक महिला का अंतिम संस्कार चंद्रेश्वर नगर स्थित मुक्तिधाम में कराया गया। इसके बाद अंतिम संस्कार के पूरे स्थान को सैनिटाइज करवाया गया।

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