पंचायत प्रतिनिधि कह रहे बहुत नाइंसाफी हुई, आखिर जानिए कैसे?

पंचायत राज संशोधन अधिनियम को लेकर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि गुरुवार को हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2019 से पहले दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम पंचायत प्रत्याशियों को चुनाव लडने के योग्य करार दिया था। इस फैसले को सरकार असहज होना पड़ा और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का निर्णय किया।
हाई कोर्ट ने दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों के मामले में पारित आदेश पर साफ किया है कि कोर्ट के समक्ष जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत का मामला आया ही नहीं। सिर्फ ग्राम पंचायतों का ही मामला आया। अदालत ने 25 जुलाई 2019 के बाद वाले तीन बच्चों वाले प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया है जबकि इस तिथि से पहले वालों को योग्य। पंचायती राज संशोधित नियमावली के नियम-8-1(आर) में ग्राम प्रधान, उप प्रधान व वार्ड मेंबर से संबंधित, नियम-53-1(आर) में जिला पंचायत तथा नियम 91-1 में क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव लडने से संबंधित प्रावधान है। कोर्ट ने ग्राम पंचायत से संबंधित संशोधित प्रावधान पर रोक लगाई है, अन्य में हस्तक्षेप नहीं किया है। उधर पूर्व ब्लॉक प्रमुख व कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट की ओर से बीडीसी व जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए भी इस आदेश को लागू करने की मांग को लेकर याचिका दायर करने की तैयारी की जा चुकी है।

हिन्दू वकील की मुस्लिम पक्ष की पैरोकारी ने रौंगटे खड़े कर दिए, जानिए क्या कह रहे वकील साहब!

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत को मिटाकर वहां राम मंदिर का निर्माण करना था। मुस्लिम पक्षकारों ने दावा किया, ‘बाबरनामा’ के अनुवाद में कहा गया है कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। वहीं, शुक्रवार को सुनवाई मात्र करीब सवा घंटे चली। अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समझ 28वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा, बाबरनामा के अनुवाद वाली किताबों में दर्ज है कि बाबर ने मस्जिद बनवाई। हिंदू पक्षकार अपनी सुविधा अनुसार गजेटियर का हवाला दे रहे हैं। गजेटियर अलग-अलग वक्त पर अलग नजरिये से जारी हुए। लिहाजा सीधे नहीं कहा जा सकता कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई।
वहीं, धवन ने तीन शिलालेखों का हवाला देते हुए कहा, इनमें लिखा गया था कि बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद बनाई। इन शिलालेखों पर हिंदू पक्षकारों को आपत्ति है। जब हिंदू पक्ष यात्रा वृतांत और गजेटियर की बात करते हैं तो वे इसे कैसे नकार सकते हैं। हाईकोर्ट ने इन शिलालेखों को नकार दिया, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के एक और वकील जफरयाब जिलानी का यह कहना बिल्कुल सही है कि 1855 से पहले किसी दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एसए बोबडे ने सवाल किया कि मस्जिद में संस्कृत में लिखे शिलालेख भी हैं। इस पर धवन ने कहा, मस्जिद, हिंदू और मुस्लिम मजदूरों ने मिलकर बनाई थी। संभव है कि काम खत्म होने के बाद मजदूर यादगार के तौर पर कुछ लिखकर जाते हों।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील धवन ने बताया कि 1985 में राम जन्मभूमि न्यास बनाया गया। इसके बाद वाद दाखिल किया गया। वर्ष 1989 से विश्व हिंदू परिषद शिला लेकर पूरे देश में घूमने लगी। देश में माहौल बनाकर 1992 में मस्जिद ढहा दी गई। मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत को खत्म करना और मंदिर बनाना था। उन्होंने कहा, राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति मानने के पीछे मकसद यह है कि भूमि को कहीं और शिफ्ट न किया जाए और कोर्ट में दावा सही साबित किया जा सके। मुस्लिम पक्षकारों के वकील धवन ने यह भी कहा कि भगवान विष्णु स्वयंभू हैं और इसके सुबूत हैं। यहां भगवान राम के स्वयंभू होने की दलील पेश की जा रही है। दलील दी जा रही है कि भगवान राम सपने में आए थे और बताया कि उनका सही जन्मस्थान कहां पर है। धवन ने कहा कि क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है।

संकटमोचक को विदाई देने पहुंचे दिग्गज भाजपा नेता

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपने अनंत सफर पर रवाना हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार किया गया। भाजपा के संकटमोचक को अंतिम विदाई देने के लिए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री, योग गुरु बाबा रामदेव और विपक्ष के कई दिग्गज नेता भी पहुचे। सभी ने नम आंखों से जेटली को विदाई दी। विदेश यात्रा पर होने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुण जेटली के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। हालांकि उन्होंने शोकाकुल परिवार से फोन पर बात की थी। बहरीन में अपना दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं यहां इतनी दूर हूं और मेरा दोस्त अरुण चला गया।
भाजपा मुख्यालय में दी श्रद्धांजलि
इससे पहले दिवंगत नेता अरुण जेटली का पार्थिव शरीर भाजपा मुख्यालय लाया गया जहां केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और वरिष्ठ पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर और आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने भी जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित की। जेटली के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर उनके कैलाश कॉलोनी स्थित आवास से दीन दयाल उपाध्याय स्थित भाजपा मुख्यालय लाया गया। भाजपा मुख्यालय के बाहर पार्टी कार्यकर्ता अपने नेता को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कतार में खड़े थे और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा जेटली तेरा नाम रहेगा’ तथा ‘जेटली जी अमर रहें’ जैसे नारे लगा रहे थे।

जेटली के परिवार से की बात
प्रधानमंत्री ने यूएई से ही जेटली की पत्नी संगीता और बेटे रोहन से बात की और उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान जेटली के परिवार ने उनसे विदेश दौरा रद्द नहीं करने को कहा। दिल्ली विश्वविद्यालय से छात्र नेता के रूप में राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले जेटली सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी थे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे थे। उनकी गिनती देश के बेहतरीन वकीलों के तौर पर होती रही। 80 के दशक में ही जेटली ने सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण केस लड़े। 1990 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर वकील का दर्जा दिया। वीपी सिंह सरकार में वह अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का पद संभाला था।

विदेश में की घोटालों की पड़ताल
पिछले बीस वर्षों के दौरान जेटली ने वाणिज्य, सूचना प्रसारण, कानून, कंपनी मामले, वित्त, रक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले। चाहे 1989 में बोफोर्स घोटाले की विदेशों में जाकर पड़ताल करनी हो, 2002 में गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ देना हो या फिर 2009 से 2014 के दौरान राज्यसभा में बतौर नेता विपक्ष मनमोहन सिंह सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करना, वे हर बार नई ऊर्जा और रणनीति के साथ भाजपा की राजनीति को नई धार प्रदान करते नजर आते। इस साल मई में जेटली ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कारणों से नई सरकार में कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था।

अरुण जेटली की मौत का सच
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली लंबे समय से चली आ रही गंभीर बीमारियों को हर बार मात देते थे। मधुमेह, मोटापा, गुर्दा, कैंसर, पेट और फेफड़े से जुड़े रोगों का उन्होंने डटकर सामना किया। निधन से पहले 12 घंटे के भीतर दो बार हार्ट अटैक भी आया। आंतों में रक्तस्त्राव होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2014 में जेटली ने एम्स में गैस्ट्रो यानि पेट से जुड़ा एक ऑपरेशन कराया था। जिसके बाद उनका वजन भी काफी कम हुआ था। चूंकि वह मधुमेह रोग से लंबे समय से ग्रस्त थे।
ऑपरेशन के बाद से डॉक्टरों ने स्वास्थ्य को लेकर उन्हें खास सतर्कता बरतने की सलाह दी थी, जिसके बाद सुबह से लेकर रात तक जेटली संतुलित आहार का सेवन करते थे। सात्विक भोजन के लिए उनका टिफन बाकायदा घर से बनकर वित्त मंत्रालय और सदन तक आता था। हालांकि वर्ष 2017 में उन्हें किडनी (गुर्दे) से जुड़ी तकलीफ शुरू हो गई। कई बार डायलिसिस के बाद वर्ष 2018 में एम्स में किडनी प्रत्यारोपण कराया। प्रत्यारोपण के करीब छह माह तक जेटली काफी स्वस्थ्य रहे। हालांकि डॉक्टरों ने आइसोलेशन में ही रहने की सलाह दी थी लेकिन फिर भी वह जरूरतमंद लोगों को पूरा वक्त देते थे। दिसंबर 2018 में उनकी तबियत में गिरावट आई।
जांच करने पर फेफड़े में एक प्रकार के कैंसर की पुष्टि हुई। इसके बाद जनवरी में न्यूयॉर्क के डॉक्टरों से ऑपरेशन भी कराया। इस ऑपरेशन के बाद से जेटली का स्वास्थ्य लगातार गिरता चला गया। वे पहले से काफी कमजोर हो गए थे। बीते 9 अगस्त को उन्हें सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में पानी भरने की शिकायत हुई थी जिसके बाद से एम्स में भर्ती थे।

माल्या को सुप्रीम कोर्ट से चाहिए राहत, अर्जी दाखिल की

भारतीय बैंकों का कर्जदार और देश छोड़कर भागे कारोबारी विजय माल्या ने अपने और अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली संपत्तियों को कुर्क किए जाने पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। माल्या ने अपनी याचिका में कहा कि सिर्फ किंगफिशर कंपनी से संबंधित संपत्ति ही कुर्क की जाए। सुप्रीम कोर्ट 29 जुलाई यानी कि सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। अपनी दलील में माल्या ने कहा है कि उसकी निजी संपत्ति और परिवार के अन्य सदस्यों क संपत्ति जब्त नहीं की जाए।

माल्या पर भारतीय बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये लोन लेने और बिना चुकाए फरार होने का आरोप है। शराब कारोबारी विजय माल्या को 11 जुलाई को झटका लगा था। बंबई हाई कोर्ट ने इससे पहले विजय माल्या की इसी याचिका को खारिज कर दिया था। इस याचिका के जरिए माल्या ने सरकारी एजेंसियों द्वारा उसकी संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी।

मोदी ने क्यों कहा, राम मंदिर कानून से ही बनेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचार एजेंसी को आज इंटरव्यू दिया है। मोदी ने राम मंदिर से लेकर नोटबंदी तक कई सवालों के जवाब दिये हैं. राम मंदिर के सवाल पर मोदी ने कहा कि राम मंदिर पर कानूनी प्रक्रिया के बाद ही अध्यादेश पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया में कांग्रेस ने अड़ंगा लगाया है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि राम मंदिर कानून से ही बनेगा. उन्होंने कहा कि 2019 का चुनाव जनता बनाम महागठबंधन में होगा।

नोटबंदी नहीं था झटका
पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर कहा है कि यह फैसला जोखिम भरा था. उन्होंने कहा कि जवानों की सुरक्षा को लेकर फिक्र थी. पीएम मोदी ने ये भी कहा है कि एक लड़ाई से पाकिस्तान नहीं सुधरेगा. नोटबंदी पर उन्होंने कहा है कि यह झटका नहीं था. हमने एक साल पहले से लोगों को आगाह किया था कि अगर आपके काला धन है तो आप इसे जमा करा सकते हैं।

उर्जित पटेल 6-7 महीने पहले देना चाहते थे इस्तीफा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से उर्जित पटेल के इस्तीफे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का आरबीआई पर कोई दबाव नहीं है और उर्जित पटेल ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है. पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं पहली बार यह बता रहा हूं कि वह 6-7 महीने पहले से मुझे इस्तीफे की बात कह रहे थे. यहां तक कि उन्होंने ऐसा लिखित में दिया था. उन्होंने अच्छा काम किया है और राजनीतिक दबाव का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

गांधी परिवार पर पीएम मोदी का अटैक
गांधी परिवार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस की चार पीढ़ियों ने देश चलाया है और ऐसा परिवार अब वित्तीय अनियमितता के चलते जमानत पर बाहर है.
सीमा पार से पाकिस्तान की हरकतों पर पीएम मोदी ने कहा कि ये सोचना बहुत बड़ी गलती होगी कि पाकिस्तान एक लड़ाई से सुधर जाएगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सुधारने में अभी और समय लगेगा।

देश को मिला 45वां मुख्य न्यायधीश, कोविंद ने दिलाई शपथ

भारत के उच्चतम न्यायालय के 45वें मुख्य न्यायधीश के रूप में जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने पद व गोपनीयता की शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस मिश्रा मुख्य न्यायाधीश के रूप में करीब 14 महीने तक बने रहेंगे, क्योंकि अक्टूबर 2018 में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। देश के 44वें चीफ जस्टिस जेएस खेहर 27 अगस्त को रिटायर हो गए हैं।
जस्टिस मिश्रा ओडिशा से तीसरे ऐेसे जज है, जो मुख्य न्यायाधीश बन गए है। जस्टिस दीपक मिश्रा ने साल 1977 में ओडिशा हाईकोर्ट से अपनी वकालत शुरू की थी और साल 1996 में ओडिशा हाईकोर्ट में जज बने थे। 1977 से 1996 तक वो उड़ीसा हाईकोर्ट के कामयाब वकीलों में से एक थे। वो साल 1997 में एमपी हाईकोर्ट के जज बने थे। जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा के भतीजे हैं। जस्टिस मिश्रा मुख्य न्यायाधीश के पद पर 2 अक्टूबर, 2018 तक बने रहेंगे। इससे पूर्व जस्टिस दीपक मिश्रा पटना हाईकोर्ट के भी मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। 24 मई 2010 को वो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और 10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर प्रमोट हुए थे। सीजेआई के तौर पर दीपक मिश्रा का कार्यकाल 28 अगस्त, 2017 से 2 अक्टूबर, 2018 तक रहेगा।

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दूसरी तरफ पुलिस से मदद की गुहार

जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। वहीं रूड़की के एक जनाब अपनी बेगम को तीन तलाक देने की जिद पर अड़े है। लड़की के पिता ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि दामाद बेटी को तीन तलाक देने की जिद पर अड़ा है। बेटी तलाक नहीं चाहती। किसी तरह उसका घर संसार बसवा दो। जिस समय सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुना रहा था, उस समय यह पिता पुलिस से अपनी बेटी की शादी बचाने की गुहार लगा रहा था। पुलिस ने आरोपी पति को थाने में तलब किया है।
रूड़की के भगवानपुर थाने में खेलपुर निवासी तैय्यब ने बताया कि उसने अपनी बेटी का निकाह पिछले साल सितम्बर में सड़क दुधली सहारनपुर निवासी युवक के साथ किया था। शादी के तीन माह बाद 4 दिसंबर 2016 को पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया। उसके दामाद ने उसकी बेटी को घर से निकाल दिया। उसकी बेटी उनके साथ ही रह रही है। दामाद हर रोज फोन पर कभी रुपयों की मांग करता है तो कभी तीन तलाक देने की धमकी देता है। इसी साल दो जनवरी को इस बावत थाना भगवानपुर में मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि दामाद की ओर से लगातार धमकी दी जा रही है। लड़की के पिता ने पुलिस से किसी तरह से बेटी का घर बसाने की गुहार लगाई है। थाना भगवानपुर के इंचार्ज भगवान मेहर ने बताया कि दोनों पक्षों को थाने में बुलवाया गया है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। लड़की तलाक नहीं चाहती है।

काशीपुर की शायरा बानो के मजबूत इरादे से जगी आस

तीन तलाक के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाली शायरा बानो उत्तराखंड की बेटी है। शायरा उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली है। उनका निकाह साल 2002 में इलाहाबाद के रिजवान अहमद से हुई थी। ससुराल वालों की दहेज प्रताड़ना, फिर पति के तलाक देने के बाद शायरा बानो कोर्ट पहुंचीं। आरोप है कि पति शायरा बानो को लगातार नशीली दवाएं देकर याददाश्त कमजोर कर दिया और साल 2015 में मायके भेजकर तलाक दे दिया था। मार्च, 2016 में उतराखंड की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी।
शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की बात को नहीं मानती हैं। शायरा की याचिका में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 की वैध्यता पर भी सवाल उठाए गए हैं। यही वह धारा है जिसके जरिये मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह, तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह-हलाला जैसी प्रथाओं को वैध्यता मिलती है। इनके साथ ही शायरा ने मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 को भी इस तर्क के साथ चुनौती दी है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं को बहुविवाह जैसी कुरीतियों से संरक्षित करने में सार्थक नहीं है।
देश की सर्वोच्च अदालत में पांच धर्मों के जस्टिस मिलकर शायरा बानो के मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले पर फैसला सुनाने वाले जजों में चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल रहें।

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक बार में तीन तलाक पर अगले छह महीने तक के लिए रोक लगा दी है। संसद जब तक इस पर कानून नहीं लाती तब तक ट्रिपल तलाक पर रोक रहेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को संसद में इसे लेकर कानून बनाने के लिए कहा है। इससे पूर्व 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है। वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है.
दरअसल, शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। इस पर शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था। उन्होंने कहा कि उनकी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है।
इस खंड पीठ में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं जिनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं।

शिया बोर्ड के हलफनामे से राम जन्म भूमि विवाद में नया मोड़ आने के संकेत

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल निकलने की उम्मीद प्रबल होती जा रही है। शुक्रवार सेे सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ मामले की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लंबित चुनौतियों के साथ यूपी शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दायर हलफनामे पर विशेष पीठ सुनवाई करेगी। साथ ही बोर्ड द्वारा विवादिल स्थल पर मालिकाना हक जताने की अपील पर साथ में सुनवाई कर सकती है।
रामलला विराजमान, हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत तमाम पक्षकारों हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के 30 सितंबर 2010 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। सर्वोच्च अदालत ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार की थीं और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही कहा था कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे। इसके बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्शनार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की जिसका विरोध मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम ने की थी। लेकिन अदालत ने स्वामी की मांग को मुख्य मामले के साथ सुनवाई करने का निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तीन न्यायाधीशों जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की विशेष पीठ का गठन मामले पर सुनवाई के लिए किया। शुक्रवार, 11 अगस्त को दोपहर दो बजे से इस मामले पर नियमित सुनवाई होगी या फिर अंतरिम राहत की मांग वाले आवेदनों पर विचार किया जाएगा। यह सुनवाई के दौरान ही विशेष पीठ स्पष्ट करेगी। दरअसल इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन करते हुए अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया है और रजिस्ट्री ने संबंधित पक्षकारों को ऐसी कोई सूचना दी है जिससे यह साफ हो कि विशेष पीठ मामले के किस पहलू पर गौर करेगी। साथ ही अदालत से स्वामी ने भी आवेदन में जल्द सुनवाई की मांग कई बार की है और अदालत ने उन्हें जल्द सुनवाई करने का भरोसा भी दिलाया था।
सुनवाई की तिथि से कुछ दिन पहले ही शिया बोर्ड ने हलफनामा दाखिल कर मामले में समुचित समझौते का रुख व्यक्त किया। उसने कहा कि विवादित स्थल से समुचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में एक मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है। इसके बाद ठीक अगले दिन शिया बोर्ड ने ढहाए जा चुके विवादिल स्थल की जमीन के मामले में 1946 में दिए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी। सात दशक बाद दायर याचिका में उसने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले में खामी बताई और सुप्रीम कोर्ट से मामले पर विचार कर फैसला करने की गुजारिश की। इस अपील में कहा गया है कि मस्जिद बाबर ने नहीं, मीर बाकी ने बनवाई थी जो एक शिया था।
खास बात ये है कि हलफनामे में शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद का हल नहीं चाहता। इस मसले को सभी पक्ष आपस में बैठकर सुलझा सकते हैं जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें समय दे। बोर्ड ने कहा कि इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाए। सर्वोच्च अदालत इस मामले को बातचीत के जरिए हल करने को पहले ही कह चुका है। ऐसे में शिया बोर्ड का हलफनामा इस मामले का अदालत का रुख बदल सकता है और सभी पक्षकारों से समझौते को लेकर अदालत सवाल कर सकती है।