अगले साल के अंत तक पूरी हो जाएगी चार धाम सड़क परियोजना

केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ‘चार धाम’ सड़क संपर्क परियोजना को सरकार 2018 के अंत तक पूरा कर लेगी। 12 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़े 10 प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी भी मिल गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परियोजना पर काम तेज कर दिया है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। इस परियोजनाओं से जुड़े अन्य अटके प्रस्तावों को भी जल्द ही मंजूरी प्राप्त हो जाएगी। क्योंकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय समेत विभिन्न मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह लोगों को सबसे बड़ा उपहार होगा। क्योंकि आस्था से जुड़ी चार धाम यात्रा लोगों के एजेंडे में शीर्ष पर रहती है। विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि 900 किमी के नए अलाइनमेंट पर राजमार्गो का निर्माण किया जा रहा है और सुरंगों का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। यह मार्ग सभी मौसम में खुले रहेंगे।
मालूम हो कि इसी महीने की शुरुआत में गडकरी ने आधारभूत ढांचे पर एक बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों से मंजूरियों के अभाव में लटके चार धाम यात्रा के 18 प्रस्तावों में तेजी लाने का अनुरोध किया था। चार धाम परियोजना की आधारशिला पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।

पाक चीफ आर्मी ने कहा जिन्ना का पाकिस्तान बनाएंगे

सीमा पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के सीमा रक्षकों ने भारत के 71वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंजाब के अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर एक दूसरे को मिठाइयां व बधाई दी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों व कर्मियों ने पाकिस्तानी रेंजरों को अटारी संयुक्त जांच चौकी पर व फिरोजपुर जिले के हुसैनावाला सीमा व साथ ही फाजिलिका जिले के सीमा के प्रवेशद्वार पर मिठाइयों का आदान-प्रदान किया। आपको बता दें कि हाल में द्विपक्षीय तनाव के कारण कई मौकों पर दोनों पक्षों ने मिठाइयां व बधाइयां देना बंद कर दिया था। मिठाइयों का आदान-प्रदान सीमा सुरक्षा बलों के बीच स्वतंत्रता दिवस व दूसरे त्योहारों जैसे ईद व दिवाली पर होता रहता है।

आधी रात को वाघा सीमा पर फहराया 80 फीट का झंडा
पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) ने पाकिस्तान के 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वाघा सीमा पर पाक का सबसे बड़ा राष्ट्र ध्वज फहराया। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में बना 120 फीट गुना 80 फीट का ध्वज आधी रात को फहराया गया। इसे 400 फीट की ऊंचाई पर फहराया गया। यह ध्वज दक्षिण एशिया में सबसे ऊंचा और दुनिया में आठवें स्थान पर है। पाक सेना प्रमुख ने कहा, करीब 77 साल पहले लाहौर में पाकिस्तान का संकल्प पारित हुआ था। उन्होंने कहा, कि हम पाकिस्तान को मोहम्मद अली जिन्ना और अल्लामा इकबाल (कवि) का देश बनाएंगे।

खुशखबरीः कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरु

कैलाश मानसरोवर यात्रियों के लिए खुशखबरी है। बादल फटने और रास्ते अवरुद्ध होने के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रियों को अपनी यात्रा पूरी न होने की शंका थी। तीन दिनों से रुकी कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरु हो गई। आज 13वें दल के सदस्यों को गुंजी से धारचूला और पिथौरागढ़ नैनी-सैनी हवाई पट्टी मे सेना के हैलीकाप्टर द्वारा पहुंचाया गया।
जिलाधिकारी पिथौरागढ़ का कहना है कि 13वां दल जो यात्रा पूरी करके लौट गया था उसके यात्रियों को आज गुंजी से धारचूला और 15 यात्रियों को पिथौरागढ़ नैनी-सैनी पहुचाया गया है। 14वां और 15वां दल इस समय कैलाश की परिक्रमा कर रहा है। वही 16वां दल सिर्खा से वापस धारचूला पहुंचाया गया है। जिसे हैलीकाप्टर द्वारा गुंजी ले जाया जायेगा। वही 17वां जत्था आज दिल्ली से यात्रा के लिसे रवाना हुआ है। इन यात्रा दलों को हैलीकाप्टर से पहुंचाया जायेगा।
इस बीच प्रशासन ध्वस्त हुये रास्तो को ठीक करने मे लगा हुआ है। प्रशासन का दावा है कि जल्द ही पूरी व्यास घाटी के टूटे रास्ते ठीक हो जायेगे।

बारिश ने रोकी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति

केदारनाथ हाईवे पर लगातार हो रहे भूस्खलन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाईवे पर जगह-जगह हो रहे भूस्खलन से केदारनाथ यात्रा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। हाईवे पर आवाजाही बाधित होने से देश-विदेश से बाबा के दर्शनों के लिये यहां पहुंच रहे तीर्थ यात्री समय पर केदारनाथ धाम नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ावों में समय पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। जिसका खामियाजा यात्रियों के साथ ही केदारघाटी की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
पहाड़ों में आफत की बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। लगातार हो रही बारिश से जहां आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। वहीं जगह-जगह भूस्खलन होने से जिदंगी पटरी से उतर रही है। केदारनाथ धाम की यात्रा में भी भूस्खलन बाधक बन रहा है। केदारनाथ हाईवे पिछले एक सप्ताह से भूस्खलन के कारण जगह-जगह बंद हो रहा है। केदारनाथ हाईवे बांसबाड़ा और डोलिया देवी में नासूर बन गया है। डोलिया देवी में आये दिन भूस्खलन होने से घंटों तक आवाजाही प्रभावित हो रही है। जिस कारण यात्रियों को कई घंटों तक यहां पर रूकना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि देश-विदेश से बाबा केदार के दर्शनों के लिये पहुंच रहे यात्रियों को बारिश में भीगकर हाईवे खुलने का इंतजार करना पड़ रहा है। केदारनाथ हाईवे के बंद होने से यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग, सीतापुर, गौरीकुंड, फाटा आदि स्थानों में समय पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। केदारघाटी की जनता और केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्री केदारनाथ हाईवे पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं।

एनआईए ने पाकिस्तान से व्यापार बंद करने की सिफारिश की

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सिफारिश की है कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद किया जाना चाहिए। एनआईए ने गृह मंत्रालय को भेजे अपनी सिफारिश में कहा है कि जम्मू कश्मीर के पुंछ और उरी से होने वाले व्यापार को तुरंत बंद किया जाना चाहिए क्योंकि सीमा पार व्यापार के बहाने पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए धन भेजते हैं। बता दें कि भारत पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते बहाल करने के लिए साल 2008 में उरी-पुंछ समेत कुछ जगहों से पाकिस्तान के साथ व्यावसायिक रिश्तों की शरूआत की गई थी। इस कदम का मकसद था कि जम्मू-कश्मीर के व्यापारी कम दूरी पर पाकिस्तान से बिजनेस कर सकें। लेकिन बाद में पता चला कि आतंकी और आतंकी समूह इस बिजनेस गतिविधि का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग के लिए कर रहे हैं।
हाल ही में हुर्रियत के कुछ नेताओं को भी केन्द्रीय जांच एजेंसी ने टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसमें दूसरे अलगाववादी संगठन के नेता भी शामिल थे। इन नेताओं ने एक स्टिंग ऑपरेशन में स्वीकार किया था कि उन्हें हवाला के माध्यम से पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से फंडिंग मिल रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक, जम्मू एवं कश्मीर में सीमा पर व्यापार की आड़ में आतंकवाद और कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके पीछे पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन और एजेंसियां काम कर रही हैं। एनआईए का मानना है कि पाकिस्तान ने पिछले कुछ समय में घाटी में हवाला के जरिए काफी धन पहुंचाया है।
भारत पाकिस्तान के बीच होने वाले व्यापार में 21 वस्तुओं की सूची तैयार की गई थी, जिनका व्यापार होना था। इनमें चमड़े का सामान, सूखे मेवे, सर्जिकल उपकरण, कपास, प्लास्टिक, सूखी सब्जियां, कृत्रिम फाइबर, टायर, अशुद्ध गहने, जस्ता, तेल के बीज और बुने हुए कपड़े जैसी चीजें शामिल थी। एक आंकड़े के मुताबिक रोजाना दोनों देशों के बीच 40 से 50 ट्रक सामान लेकर गुजरते हैं।

ट्रेन की टिकट सस्ती होने के आसार

रेलवे में खाने को लेकर आए दिन कोई न कोई शिकायत मिलती रहती है। ऐसे में बहुत से यात्री चाहते थे कि टिकट के साथ खाना लेना अनिवार्य नहीं होना चाहिए। अगर आप भी ऐसे लोगों में से हैं जो ट्रेन का खाना पसंद नहीं करते हैं, तो आपके लिए रेलवे एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया है।
खाने के नहीं देने होंगे पैसे बुधवार को रेलवे ने घोषणा करते हुए कहा है कि अब आपको ट्रेन टिकट खरीदते समय खाने के पैसे देना जरूरी नहीं होगा। यह नया नियम 26 जुलाई से प्रभावी हो चुका है। इसका फायदा सबसे अधिक उन लोगों को होगा, जिन्हें ट्रेन का खाना पसंद नहीं आता था और वह उसका पैसा नहीं देना चाहते थे। अब आप टिकट बुक करते समय चाहें तो खाने का पैसा दें या चाहें तो खाने को टिकट से हटा दें, आपकी मर्जी।
इन ट्रेनों में मिलेगी सुविधा रेलवे ने कैटरिंग को फिलहाल 31 प्रीमियम ट्रेनों में वैकल्पिक बनाया है। इन 31 प्रीमियम ट्रेनों में 7 राजधानी, 6 शताब्दी और दूरंतो शामिल हैं। फिलहाल रेलवे की तरफ से उन 31 प्रीमियम ट्रेनों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि इन ट्रेनों की टिकटें सस्ती हो जाएंगी, क्योंकि आपके लिए खाने के पैसे देना वैकल्पिक कर दिया जाएगा।
ये भी होगा बदलाव कैटरिंग सेवा को बेहतर बनाने के लिए आईआरसीटीसी यात्रियों से उनके फीडबैक लेगी। इसके अलावा, भारतीय रेलवे के तहत चल रहे 100 किचन को आईआरसीटीसी को दे दिया जाएगा और साथ ही 20 नए मॉडर्न किचन भी खोले जाएंगे। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि आईआरसीटी के ग्राहकों को बेहतर सेवाएं दी जा सकें।

ट्रेन के खाने में निकली छिपकली, यात्री की तबीयत हुई खराब

ट्रेनों में यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन की क्वॉलिटी की तस्वीर उस वक्त सामने आई, जब एक यात्री को परोसी गई वेज बिरयानी में छिपकली पाई गई। इसके बाद यात्री की तबीयत भी खराब हुई, जिसकी वजह से उसे दवा लेनी पड़ी। इसके बाद बैकफुट पर आए रेलवे बोर्ड ने ट्रेन में भोजन सप्लाई करने वाले ठेकेदार का ठेका रद्द करने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही अब रेलवे ने चुनींदा राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में यात्रियों को विकल्प देने का फैसला लिया है कि अगर यात्री चाहें तो रेलवे का भोजन लेने से इनकार कर दें। ऐसी स्थिति में टिकट जारी करते वक्त पैसेंजर से भोजन का पैसा नहीं लिया जाएगा।
ट्रेन में खाने में छिपकली मिलने का यह मामला सीएजी की रिपोर्ट के एक सप्ताह के भीतर सामने आया है। पिछले ही सप्ताह सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने की क्वॉलिटी कितनी खराब है। हालांकि, इसके बाद रेलवे ने दावा किया कि वह सुधार के लिए कदम उठा रहा है लेकिन मंगलवार को बिरयानी में छिपकली निकलने का मामला सामने आ गया।
इंडियन रेलवे के सूत्रों के मुताबिक बिरयानी में छिपकली मिलने का मामला पूर्वा एक्सप्रेस में सामने आया। ट्रेन नंबर 12303 के फर्स्ट क्लास में यात्रा कर रहे वकील संतोष कुमार सिंह ने अपने लिए वेज बिरयानी का ऑर्डर किया। उन्हें बिरयानी में छिपकली दिखी। इसके बाद उन्होंने कैटरिंग स्टाफ को इसकी जानकारी दी और बिरयानी की फोटो भी ट्वीट करते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु को टैग कर दी। बाद में इस यात्री की तबीयत खराब होने पर उसे दवा भी दी गई।
इस मामले के सामने आने के बाद रेलवे ने इस ट्रेन में खाना परोसने वाले कांट्रैक्टर आर.के. असोसिएटस का ठेका रद्द करने का फैसला किया है। महत्वपूर्ण है कि इसी ठेकेदार के खिलाफ पिछले साल भी खराब खाने की शिकायतें आई थीं। उस वक्त रेलवे ने इस पर क्रमश 10 लाख और साढ़े सात लाख रुपये का जुर्माना ठोंका था। अब रेलवे अपने बचाव में दावा कर रही है कि उसने भोजन की क्वॉलिटी को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। इसी वजह से उसने इस साल जनवरी से अब तक ट्रेनों में खाना परोसने वाले 12 ठेकेदारों के ठेके रद्द किए हैं।

हार के बाद कौन सा दांव खेल रहे हरीश रावत

देहरादून।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को विधानसभा चुनाव ने भले ही मायूस किया हो, लेकिन उनके हौसले अभी पस्त नहीं हुए हैं। दावतों का सिलसिला जारी रख वह खुद को सूबे की सियासत के केंद्र में बनाए रखने का कोई मौका चूकने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, दो माह के भीतर उनकी दावतों का अंदाज कुछ अलहदा ही है।
विधानसभा चुनाव में हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की जिन दो सीटों पर मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने जो दांव खेला था, उसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने दून शहर से दूरी बनाकर पहाड़ की तलहटी को अपने आशियाने के लिए चुना। इसके बाद पहाड़ को केंद्र में रखकर उनकी दावतों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उससे पार्टी के बाहर और भीतर उनके प्रतिद्वंद्वी भी खासे सकते में हैं। हरदा सुर्खिया बटोरने में उनसे कहीं आगे हैं।
पहाड़ के उत्पादों को उनकी दावतों में मिल रही तरजीह को उनके पहाड़ को केंद्र में रखकर बुने जा रहे सियासी एजेंडे से जोड़कर देखा जा रहा है। इस एजेंडे के निशाने पर वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव भी हैं। विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जा चुका है, लिहाजा हरीश रावत यह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनकी सियासी हैसियत उनकी सक्रियता से ही साबित होनी है। ऐसे में हरदा अभी से फूंक-फूंककर कदम बढ़ाते दिख रहे हैं। पहाड़ की सियासत में रिवर्स पलायन को उनकी रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है। इसके बूते ही पलायन से शहरों में उभर गए मतदाताओं के पहाड़ों पर भी उनकी नजरें टिकी हैं।

अजीब नाम से क्या पर्यटक डर जाते है?

नाम में क्या रखा है ? शैक्सपीयर ने भले कहा हो कि गुलाब का नाम कुछ और रख देने से उसकी खुशबू थोड़े ही बदल जायेगी ? लेकिन नैनीताल के विधायक संजीव आर्य शैक्सपीयर के इस कथन से सहमत नहीं हैं। वे नैनीताल की कुछ झीलों के नाम तो बदलना चाहते हैं जिनके नाम अजीब हैं। जैसे यहां एक झील का नाम है-‘सुसाइड प्वाइंट’, तो दूसरी ‘फांसी गधेरा’ कहलाती है तो तीसरी सादिया (नष्ट हो रही ) ताल। आर्य इस बारे में सरकार को पत्र लिख रहे है कि इन नामों के सुनने से पर्यटकों को धक्का लगता है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी कुमाऊ में ही चोरगलिया का नाम बदले जाने का अभियान चला था।
विधायक संजीव आर्य का कहना है कि कुछ पर्यटक स्थलों के नाम सुनकर पर्यटकों को अजीब लगता है। विधायक ने जनता से इन और ऐसे नामों की जगह वैकल्पिक नामों के सुझाव मांगें हैं। उनका कहना है कि इनमें बहुत से नाम तो अधिकृत भी नही हैं। जैसे कि सुसाईड प्वाइंट नाम तो कुछ गाइडों और घोड़े वालों ने पर्यटकों के बीच केवल उत्सुकता पैदा करने को रख दिया और इसके समर्थन में मन गढ़ंत कहानियां तक सुनानी शुरू कर दी। जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। जबकि इस स्थल का नाम यहां की साहसिक संभावनाओं के दोहन को होना चाहिये। उन्होने बताया कि कुछ साल पहले जब सादिया ताल का सौन्दर्यीकरण किया गया तो इसका नाम सरिता ताल रखा गया था लेकिन प्रचलन में अभी सादिया ताल ही है। विधायक संजीव आर्य ने नगर पालिका से भी इनके नामकरण से संबंधित रिकार्ड खंगालने को कहा है ताकि इसके बाद मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री से इस बारे मे बातचीत की जा सके।
अलबत्ता, इतिहास में रूचि रखने वाले जानकारों का कहना है कि सुसाइड प्वाइंट नाम तो कभी अस्तित्व में ही नही रहा लेकिन बाकी दो का नाम इतिहास में है और उनका नाम न ही बदला जाये, तो अच्छा होगा। उदाहरण को फांसी गधेरा प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के रोहिलाओं को फांसी दिये जाने की याद दिलाता है जिन्होने 1857 में हल्द्वानी पर हमला किया था। इसका नाम बदलने का अर्थ होगा, इतिहास को भुलाना। इसी प्रकार सादिया ताल मूलतः वेटलेंड और क्षेत्र के जल प्रबंधन का हिस्सा है। यहीं पर कुमाऊ कमिश्नर सर हेनरी रैमजे ने पहली बार 1856 में आलू की खेती शुरू कराई थी।

वीकेंड पर भीड़ बढ़ने से कारोबारियों की चांदी

ऋषिकेश।
साहसिक पर्यटन का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटकों की भीड़ तेजी से बढ़ रही है। रविवार को गंगाघाटी के होटल व कैंप पर्यटकों से पैक रहे जिससे चारधाम यात्रा पर जाने वालों को विश्राम के लिए भटकना पड़ा। बीते शनिवार उन्हें होटल धर्मशालाओं में स्थान न मिलने पर खुले में रात गुजारनी पड़ी। रविवार को चार हजार से अधिक पर्यटकों ने राफ्टिंग का लुत्फ उठाया। करीब चार सौ अधिक राफ्टें गंगा में उतारनी पड़ीं।
स्वर्गाश्रम-नीलकंठ व ऋषिकेश-कौड़ियाला के बीच जंगल कैंपों पर पर्यटकों ने बंजी जम्पिंग, बैलून, ट्रैकिंग, पेंटवॉल और पंचकर्म का आनंद उठाया। गर्मी से निजात पाने के लिए प्राकृतिक झरनों पर भी भीड़ रही। भीड़ बढ़ने पर गंगाघाटी के छोटे-बड़े व्यापारी का कारोबार भी बढ़ा है।
बीच कैंप मालिक भगवती प्रसाद बताते हैं कि स्कूलों में छुट्टियां पड़ने के बाद एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से सबसे अधिक पर्यटक साहसिक पर्यटन का मजा लेने ऋषिकेश आते हैं। इसलिए जून तक पर्यटकों की भीड़ रहेगी। कार्यवाहक पर्यटन अधिकारी दीपक कुमार बताते हैं कि रविवार को बड़ी संख्या में पर्यटन घाटी पहुंचे। दिल्ली और हरियाणा से अधिक पर्यटक आए।