समझें क्यों कहा मोदी ने कोताही बरती गई तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के प्रकोप से देश को बचाने के लिए देशवासियों से निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हो जाने का आह्वान किया है। देश के नाम अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा है कि आज रात बारह बजे से पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक तरह से जनता कर्फ्यू की ही तरह होगा, लेकिन इसमें पूरी सख्ती बरती जाएगी। मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक-दूसरे से मिलते समय करीब एक मीटर की दूरी बनाए रखना है और इस नियम का पालन करना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर इसमें कोताही बरती गई तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
प्रधानमंत्री ने एहतियात को ही बचाव का सबसे अच्छा उपाय बताते हुए लोगों से कहा कि वे इक्कीस दिनों की परीक्षा की इस घडी में घरों से बाहर न निकलें। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना का मतलब है कोई भी रोड पर न निकले और इस नियम का पालन हम सभी को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम इक्कीस दिन तक संयम नहीं बरत पाए तो हम इक्कीस साल पीछे धकेल दिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस आग की तरह से तेजी से फैलने वाली बीमारी है। दुनिया के अनेक देशों के अनुभव का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं वाले देशों को भी कोरोना से निपटने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमें उनके अनुभवों से फायदा उठाते हुए अपनी पूरी तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने जिस तरह से इस बीमारी पर काबू पाया है वह हमारे लिए एक मिसाल होगी। हमें कोविड-19 के फैलाव की श्रृंखला को तोड़कर इस बीमारी से निपटना होगा।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि जान है तो जहान है इसलिए हमें पूरी तैयारी करनी होगी और सोशल डिस्टेन्सिंग के नियम का कडाई से पालन करना होगा। उन्घ्होंने बीमारी से निपटने में चिकित्साकर्मियों, पुलिस कर्मियों और आवश्यक सेवाओं से जुडे अन्य कर्मियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार आम लोगों की परेशानियों को दूर करने का हरसंभव प्रयास करेगी।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 337 आईसोलेशन बेड की व्यवस्था की

उत्तराखंड में कोरोना वायरस फस्र्ट स्टेज में है। सरकार कोशिश कर रही है कि वायरस को तीसरे व चैथे स्टेज तक पहुंचने से रोका जाए। इसके लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने वायरस से बचने के लिए लोगों को सामाजिक दूरी बनाने की सलाह दी है। चीन सहित अन्य प्रभावित देशों से आए 712 लोगों को निगरानी में रखा गया है।
स्वास्थ्य निदेशालय में अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन निदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने प्रेसवार्ता कर कोरोना वायरस को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वायरस फैलने के चार स्टेज है। इसमें पहला प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे व्यक्ति में संक्रमण, दूसरा संक्रमित व्यक्ति से स्थानीय स्तर पर एक से दूसरे में फैलना, तीसरा कम्युनिटी में फैलना और चैथा एपिडेमिक (महामारी) की स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उत्तराखंड में अभी वायरस का संक्रमण फर्स्ट स्टेज में है।
प्रदेश में अब तक वायरस की जांच के लिए 78 सैंपल लिए भेजे गए। जिसमें 28 सैंपल निगेटिव और एक मामला पॉजिटिव पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्क किया कि कोई भी व्यक्ति आईसोलेशन वार्ड में न जाएं। इससे वायरस फैलने का खतरा हो सकता है। इस मौके पर नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह, जनसंपर्क अधिकारी जेसी पांडेय भी मौजूद रहे।
वायरस को रोकने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 60 करोड़ की राशि जारी कर दी है। इस धनराशि से दवाइयां, उपकरण के साथ ही प्रदेश भर में आईसोलेशन वार्डों की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भी मास्क, दवाइयों व अन्य चिकित्सा सुविधा के लिए बजट खुला रखा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. उप्रेती ने कहा कि वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रांति न फैलाएं। प्रदेश में एक पॉजिटिव केस के अलावा कोई भी दूसरा मामला सामने नहीं आया है। विभाग की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 337 आईसोलेशन बेड की व्यवस्था की है। दून और गांधी अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी वेंटीलेटर और आईसीयू बेड बढ़ाए जाएंगे।

सरकार की कार्रवाई, आम लोगों को राहत देने और हड़ताल रोकने के लिए एस्मा लागू

आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए शासन ने एस्मा लागू कर दिया है। शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर छह माह के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद शासन ने उत्तर प्रदेश अति आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों, पैरामेडिकल व अन्य कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।
अपर सचिव युगल किशोर पंत की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात डॉक्टरों व कर्मचारियों की सभी सेवाओं को आवश्यक सेवाएं घोषित कर हड़ताल पर रोक लगाई गई है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जहां सरकार प्रदेश भर में हाई अलर्ट जारी कर चुकी है, वहीं प्रमोशन में आरक्षण के लिए खिलाफ चल रहे आंदोलन के समर्थन में डॉक्टर, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ संघ की ओर से दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा था।
स्वास्थ्य कर्मचारी संगठनों की ओर से पूर्ण कार्य बहिष्कार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था। इसे देखते हुए शासन ने एस्मा लागू कर स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।

त्रिवेन्द्र सरकार उठाएगी उपचार का खर्च, देगी मुआवजा

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को महामारी घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही अब अस्थाई रूप से कोरोना संक्रमण को आपदा में शामिल कर लिया गया है। कोरोना से प्रभावित व्यक्ति के उपचार का खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी और मृत्यु होने पर पीड़ित परिवार को मुआवजा भी दिया जाएगा।
प्रदेश में अब अगले तीस दिन के लिए कोरोना संक्रमण के लिए मेडिकल कैंप लगाने, उपकरणों की व्यवस्था करने, पीड़ितों को अलग कैंप बनाकर रखने की व्यवस्था राज्य आपदा प्रबंधन फंड से की जाएगी। इन सब मामलों में राज्य आपदा प्रबंधन कमेटी फैसला करेगी। इसके साथ ही टेस्टिंग लैब स्थापित करने और महामारी को रोकने के लिए सर्वे आदि की व्यवस्था भी एसडीआरएफ के तहत की जाएगी।
आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। संक्रमण से फैलने को रोकने के लिए प्रदेश के आपदा प्रबंधन तंत्र को भी सक्रिय कर दिया गया है। सभी को सर्जिकल मास्क, सूट आदि की व्यवस्था करने को कहा गया है।
आपदा प्रबंधन तंत्र से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर भी रोक लगा दी गई है। कोरोना संक्रमण को आपदा में अस्थाई रूप से शामिल कर लिया गया है। कोरोना संक्रमण के आपदा में शामिल होने से अब पीड़ितों के उपचार पर आए खर्च का भुगतान राज्य सरकार करेगी। पीड़ित की मृत्यु होने पर आपदा के तहत निर्धारित मानकों के तहत मुआवजा दिया जाएगा।

त्रिवेन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य सचिव को दिए असीमित अधिकारी
महामारी अधिनियम लागू होने के बाद सचिव स्वास्थ्य को असीमित अधिकार होंगे। सचिव स्वास्थ्य अपनी शक्तियां जिलों में जिलाधिकारी और सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) को प्रदान कर सकते हैं।
– धारा 144 के तहत कहीं भी भीड़ एकत्रित करने पर रोक।
– उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत सजा और जुर्माना।
– शिक्षण संस्थान बंद करना या खोलना।
– अनुमति के बिना सार्वजनिक सभा से लेकर कोई भी समारोह नहीं होगा।
– किसी भी संदिग्ध के जांच से मना करने पर जबरन जांच होगी।
– मेडिकल कार्यों के लिए निजी या सार्वजनिक संपत्ति ली जा सकेगी कब्जे में।
– किसी भी वाहन को बतौर टैक्सी या एंबुलेंस इस्तेमाल किया जा सकेगा।
– निजी या सार्वजनिक स्थलों, वाहनों और संपत्तियों को सेनिटाइज करना।

अनुबंध पर सैंकड़ों डाक्टर-नर्सें होंगी नियुक्त
सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश में डाक्टरों के रिक्त साढ़े पांच सौ पदों पर वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के मौजूदा पदों के 50 प्रतिशत पद और भरे जाएंगे। नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ के खाली पदों पर 11 माह के अनुबंध पर नियुक्तियां की जाएंगी।

स्वास्थ्य विभाग को पचास करोड़ जारी
सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए 50 करोड़ रुपये तुरंत महानिदेशक स्वास्थ्य को जारी कर दिए हैं। आइसोलेशन आईसीयू बनाए जाएंगे। सौ बिस्तर के प्री फेब्रिकेटिड अस्पताल बनाने की अनुमति दे दी है। यह अस्पताल जरूरत पड़ने पर कहीं भी बनाया जा सकेगा। चिकित्सा उपकरणों में 125 वेंटिलेटर सहित औषधि आदि की खरीद बिना टेंडर (लेकिन राज्य या केंद्र सरकार की तय दरों अथवा जेम से) हो सकेगी।

रोकथाम को आपदा मद से मिलेगा पैसा
महामारी घोषित होने से कोरोना को आपदा का दर्जा मिला गया है। इसके तहत अब आपदा के मद से महामारी की रोकथाम के लिए पैसा खर्च किया जा सकेगा। इसके तहत राज्य सरकार को केंद्र से भी मदद मिल सकती है। जिलाधिकारी बिना शासन की अनुमति के रोकथाम और उपचार के लिए पैसा खर्च कर सकते हैं।

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित किया

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कैबिनेट के फैसले की पुष्टि की है। वायरल संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में उत्तराखंड महामारी रोग अधिनियम (कोविड-19) में लागू कर दिया है। इससे जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को वायरस की रोकथाम के लिए असीमित अधिकार प्राप्त हो जाएंगे।
मदन कौशिक ने बताया कि इसके तहत अब स्कूल और आंगनबाड़ी के बाद राज्य के सभी कॉलेज, सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स 31 मार्च तब बंद रहेंगे। लेकिन मेडिकल कॉलेज खुले रहेंगे। वहीं राज्य में आइसोलेशन वार्ड के लिए 50 करोड़ की राशि मंजूर की है।
उत्तराखंड सरकार ने मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोनो वायरस को लेकर यह फैसला लिया है। सबसे खास बात ये है कि कोरोना को राज्य सरकार ने महामारी घोषित कर दिया है। प्रदेशभर में कोरोना से बचाव के मद्देनजर सावधानी व जागरुकता पर जोर दिया गया है। मॉल पर फिलहाल निर्णय नहीं हुआ है। किसी भी प्रकार के कार्यक्रम से पहले सरकार से अनमुति लेनी जरूरी होगी। कोरोना को देखते हुए नर्सिंग स्टाफ के खाली पद भरे जाएंगे। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त पद सृजित किए जाएंगे। बसों में सेनिटेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
ज्यादा लोगों एक जगह पर एकत्र होने से रोका जाएगा। इस आदेश की अवहेलना करने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत 1 माह से 6 माह के कारावास का प्रावधान किया गया है। भविष्य में कोरोना की तीव्रता बढ़ने पर प्रीफेब्रिकेटेड 100 बेड का हॉस्पिटल तैयार किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर निजी भवन, चिकित्सा ईकाई भवन को अस्पताल बनाया जाएगा। आपात स्थिति से निपटने के लिए 140 विभागीय एम्बुलेंस को अलर्ट पर रखा गया है।

स्वास्थ्य सचिव को असीमित अधिकार
महामारी अधिनियम लागू होने के बाद सचिव स्वास्थ्य को असीमित अधिकार होंगे। सचिव स्वास्थ्य अपनी शक्तियां जिलों में जिलाधिकारी और सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) डेलिगेट करेगा। इसके तहत कई शक्तियां डीएम में निहित होंगी। राज्य सरकार पहले ही तमाम बड़े आयोजनों को रद्द कर चुकी है। 12वीं तक के स्कूलों और विद्यालयों में 31 मार्च तक अवकाश घोषित किया गया है। वहीं सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में बायोमीट्रिक हाजिरी पर भी रोक लगाई जा चुकी है।

दो ट्रेनी आईएफएस सहित छह के सैंपल भेजे
कोरोना की आशंका के चलते दो ट्रेनी आईएफएस समेत छह और मरीजों के सैंपल शनिवार को जांच के लिए वायरोलॉजी लैब हल्द्वानी भेजे गए हैं। इस तरह से जिले से शनिवार तक 20 सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। जिसमें से अब तक आई सभी 11 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सतर्कता बरत रहे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार विभिन्न अस्पतालों और संस्थानों से संपर्क कर रही हैं। इसी क्रम में शनिवार को छह सैंपल जांच के लिए डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कालेज, हल्द्वानी स्थित वायरोलॉजी लैब भेजे गए। इसमें दो सैंपल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे दो ट्रेनी आईएफएस के भी शामिल हैं।
अकादमी के 62 ट्रेनी आईएफएस के अलग-अलग ग्रुप पिछले दिनों विभिन्न देशों से ट्रेनिंग टूर से लौटे थे। सभी की स्क्रीनिंग करने के बाद शुक्रवार को चार ट्रेनी आईएफएस के सैंपल जांच के लिए भेजे थे। शनिवार को भी दो और ट्रेनी आईएफएस के सैंपल दून अस्पताल से जांच के लिए भेजे। इसके अलावा शनिवार को जो चार और मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं, उनमें एम्स ऋषिकेश और निजी अस्पतालों में इलाज कराने को पहुंचे थे। ये चारों भी हाल में विदेश से लौटे हैं। सीएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। साथ ही संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों को निगरानी पर रखा जा रहा है।

कोरोनावायरस से बचने के लिए इन उपायों को करें

कोरोनावायरस से पूरा विश्व में दहशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोनावायरस से भी खतरनाक वायरस पहले भी सक्रिय हुए हैं। इनसे बड़ी संख्या में लोग ग्रसित हुए और मौत का शिकार भी हुए जबकि कोरोना में राहत वाली बात यह है कि इसमें मृत्यु दर बहुत कम है। फिर भी कोरोना को लेकर दहशत का माहौल बहुत ज्यादा है। ऐसे में डॉक्टर दहशत में न आने और एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं।

क्या है कोरोनावायरस
चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना (कोविद-19) वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है। जो इंसानों में सामान्य जुकाम से लेकर श्वसन तंत्र की गंभीर समस्या तक पैदा कर सकता है। इसके अलावा कोरोनावायरस से सार्स और मर्स जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं।

कोरोना इंफेक्शन के लक्षण
कोरोनावायरस की वजह से रेस्पेरेटरी ट्रेक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है। जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी, जुकाम में देखने को मिलता है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन है और कोई भी कोरोनावायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। जिसमें नाक बहना, सिर में तेज दर्द, खांसी और कफ, गला खराब, बुखार, थकान और उल्टी महसूस होना, सांस लेने में तकलीफ होना, निमोनिया और ब्रांकाइटिस।

कैसे फैलता है कोरोना
यह वायरस बीमार रोगी के खांसने, छींकने से स्वस्थ इंसान के शरीर में सांस व मुंह के रास्ते प्रवेश करता है।

कैसे बचे-सुझाव
– जब कोई खांसे या छींके तो आपको उस व्यक्ति से छह फीट से अधिक रखनी चाहिए, ताकि विषाणु आप तक जीवित न पहुंच सके।
– मुंह को मास्क से कवर कर रखें और रोज बदलें
– मास्क न होने पर कुहनी से मुंह ढक कर खांसे
– बचाव के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके में प्रवेश न करें। शुरुआती दौर में संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते बल्कि यह रोग को फैलाने मेें सक्षम होता है।
– किसी भी संभावित संक्रमित वस्तु को छूने के बाद हाथों को पानी साबुन से 20 सेकेंड तक धोएं।
– हाथ मिलाने से बचें, अभिवादन के लिए नमस्ते कर सकते हैं।

वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि कोरोना को लेकर घबराने की नहीं सावधानी बरतने की जरूरत है। अफवाहों पर ध्यान न दें। उत्तराखंड में कोरोना का कोई केस अब तक सामने नहीं आया है। एक कोरोना मरीज के निजी अस्पताल में भर्ती होने का जो पत्र वायरल हुआ है, वह निराधार हैं। देहरादून के किसी निजी अस्पताल में कोरोना का मरीज भर्ती नहीं है। पत्र में गलत तथ्य लिखने वाले संबंधित चिकित्सा अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया है।

दिल्ली लौटते ही शाह से की मुलाकात, त्रिवेन्द्र भी पहुंचे घर

उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी मुम्बई में उपचार पूर्ण होने के पश्चात दिल्ली लौट आये हैं। उन्होंने आज प्रातः सोशल मीडिया पर उपचार पूर्ण होने और दिल्ली लौटने की जानकारी दी।
वहीं, बलूनी ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। बतातें चले कि सांसद बलूनी गत साढ़े चार माह से मुंबई में उपचार करा रहे थे। सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में कई विषयों पर चर्चा हुई। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी आज दिल्ली प्रवास के दौरान अनिल बलूनी के आवास पर जाकर हालचाल लिया और उनके पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की।
सांसद बलूनी ने सोशल मीडिया पर अपने मित्रों, शुभचिन्तकों का आभार जताया। अस्वस्थता के दौरान निरन्तर मनोबल बढ़ाने, स्वस्थ होने की कामना करने हेतु धन्यवाद दिया। हमारे ब्यूरो से बातचीत में बलूनी ने कहा कि दिल्ली लौटकर वह फिर से अपने कार्यों को गति दे रहे है। उत्तराखंड के विकास में कोई कमी नही रहे, इसका वह प्रयास करेंगे।

उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर फिर शुरू

मौसम के करवट बदलते ही उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर फिर शुरू हो गया। चारधाम समेत नैनीताल व मसूरी की चोटियों पर हिमपात हुआ है। जबकि, प्रदेश के अधिकांश इलाकों में तेज हवाओं के साथ झमाझम बारिश ने ठंड बढ़ा दी है। औली और फूलों की घाटी में भारी हिमपात हुआ है। मौसम के बदले तेवरों ने प्रदेशभर में फिर कड़ाके की ठंड लौट आई है। तापमान के गोता लगाने और बर्फीली हवाएं चलने से ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को भी मौसम का मिजाज बदला हुआ रहने की संभावना है। अधिकांश इलाकों में बारिश और बर्फबारी के साथ ही ओलावृष्टि के आसार हैं।
शुक्रवार को उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में एक बार फिर भारी हिमपात हुआ। धनोल्टी के आसपास की पहाड़ियों पर सफेद चादर बिछ गई। इसके अलावा मसूरी में मूसलाधार बारिश ने ठंड में इजाफा कर दिया। वहीं, चंपावत में बारिश के कारण सुबह छह बजे टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्वाला और बनलेख के पास चट्टान खिसककर सड़क पर आ गई। इससे मार्ग करीब पांच घंटे तक बंद रहा।
प्रदेश के अधिकांश शहरों में अधिकतम तापमान लुढ़ककर सामान्य से नीचे पहुंच गया है, जिससे दिन के समय भी ठिठुरन बनी रही। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के जम्मू एंड कश्मीर व हिमाचल पहुंचने के चलते उत्तराखंड में बादलों ने डेरा जमा लिया है। ऐसे में शनिवार को भी अधिकांश इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है। मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ ही ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की गई। केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह का हेलीकॉप्टर खराब मौसम के चलते देहरादून से उड़ान नहीं भर सका। केंद्रीय राज्य मंत्री को हवाई मार्ग से दून से श्रीनगर और उसके बाद गौचर जाना था। मौसम खराब होने के कारण उन्हें सड़क मार्ग से ही श्रीनगर जाना पड़ा।

सैलानियों के लिए खुशखबरी, एक बार फिर हो सकती है बर्फबारी

उत्तराखंड में एक बार फिर बारिश और बर्फबारी हो सकती है। मौसम विभाग ने 19 और 20 फरवरी को प्रदेशभर में बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है।
मौसम विभाग की ओर से रसाप्ताहिक बुलेटिन जारी करके बताया गया कि 17 और 18 फरवरी को प्रदेशभर में मौसम साफ रहेगा। उसके बाद 19 और 20 फरवरी को फिर मैदानी इलाकों में हल्की बारिश और पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी का अनुमान जताया है। इससे तापमान फिर गोता खा सकता है। हालांकि 21 फरवरी से दोबारा मौसम साफ हो जाएगा। वहीं रविवार को प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में आंशिक बादल छाए रहे। जहां शनिवार को दिन का अधिकतम तापमान 27 डिग्री था, वहीं रविवार को गिरकर 24.8 डिग्री पर आ गया।
वहीं, केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को औली की वादियों का जमकर लुत्फ उठाया। आईटीबीपी और गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों के साथ उन्होंने औली की बर्फीली ढलानों का निरीक्षण किया।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने रविवार सुबह आईटीबीपी जवानों के साथ बर्फ की ढलानों पर दौड़ लगाकर जवानों को फिट इंडिया का संदेश दिया। उन्होंने औली के विकास को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा भी की। रिजिजू अपने दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को औली पहुंचे थे। उन्होंने यहां स्नो स्कूटर की सवारी करने के साथ ही औली के प्राकृतिक सौंदर्य को भी करीब से निहारा।
केन्द्रीय मंत्री ने औली के विभिन्न स्थानों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि औली बहुत खूबसूरत स्थान है, लेकिन इसे विकसित करने की जरूरत है। यहां अभी भी कई कमियां हैं, जिन्हें दूर करना केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

बिचैलिये का खेल खत्म नही हुआ तो सीबीआई जांच करायेगी सरकार

बजट सत्र के सातवां दिन भी सदन में काफी शोर शराबा रहा। राहुल गांधी के बयान को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच हंगामे की वजह से दो बार लोकसभा स्थगित करनी पड़ी। तीसरी बार जब कार्यवाही शुरू हुई तो फिर दोनों पक्षों ने हंगामा किया इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने कल तक के लिए लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी।
इसी बीच केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि एक देश एक राशन कार्ड योजना के तहत पूरे देश में एक जून से एक राशन कार्ड लागू कर दिया जाएगा। यह योजना अभी 12 राज्यों में लागू है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को देश में कहीं भी राशन लेने की सुविधा देने के लिये ‘एक देश एक राशन कार्ड’ योजना को एक आगामी एक जून से लागू कर दिया जायेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 2013 में 11 राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद अब इसके दायरे में सभी राज्य आ गए हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के अगले चरण में सरकार ने पूरे देश के लिये एक ही राशन कार्ड जारी करने की पहल गत एक जनवरी को 12 राज्यों (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा, त्रिपुरा गोवा, झारखंड और मध्य प्रदेश) से शुरू कर दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक देश एक राशन कार्ड के लिये नए कार्ड की जरूरत नहीं होगी। साथ ही पासवान ने नए कार्ड जारी किए जाने की अफवाहों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि यह बिचैलियों का खेल है, अगर यह खेल नहीं रुका तो मंत्रालय इसकी सीबीआई जांच कराने से भी पीछे नहीं हटेगा।
पासवान ने एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि मंत्रालय ने एक जून से पूरे देश में एक देश एक राशन कार्ड लागू करने का लक्ष्य तय किया है। इस समयसीमा से सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों को अलग रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सभी राशन की दुकानों को फिंगर प्रिंट पहचान मशीन (पॉश मशीन) से लैस करने और राशन कार्ड को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता को देखते हुए पूर्वोत्तर राज्यों को इस समय सीमा से मुक्त रखा गश है।
राशन कार्ड पर मिलने वाले खाद्यान्न की कीमत सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजने (डीबीटी) की योजना के बारे में पासवान ने बताया कि तीन केन्द्र शासित क्षेत्र (पुदुचेरी, चंडीगढ़ और दादर नगर हवेली) में पायलट प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है। इसके लिए उन्होंने पुड्डुचेरी सरकार की असहमित को मुख्य वजह बताते हुए कहा कि राज्य सरकारों की सहमति के बिना राशन कार्ड योजना को डीबीटी से नहीं जोड़ा जा सकता है। इसलिये फिलहाल एक देश एक राशन कार्ड योजना को लागू करने पर ही सरकार ने ध्यान केन्द्रित किया है।