मौसम का फिर बिगड़ा मिजाज, बर्फबारी और ओलावृष्टि का अलर्ट

उत्तराखंड के कई इलाकों में आज और कल भारी बारिश और बर्फबारी हो सकती है। कुछ इलाकों में बिजली गिरने का अलर्ट भी जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि होने के भी आसार हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, प्रदेशभर के कई इलाकों में आज मौसम का मिजाज बिगड़ा रहेगा। राज्य के ज्यादातर स्थानों में गरज और चमक के साथ बारिश हो सकती है। वहीं, तीन हजार मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ भी गिर सकती है।
राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में आंधी और बारिश के साथ ओले भी गिर सकते हैं। मौसम विभाग ने कई क्षेत्रों में बिजली गिरने का अनुमान भी जताया है। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार एक मार्च को भी ज्यादातर स्थानों पर मौसम इसी तरह का बना रहेगा। उसके बाद हालांकि मौसम में सुधार होगा। बारिश के बावजूद राजधानी में तापमान सामान्य बना रहने की उम्मीद है।

केदारनाथ में बर्फ हटाने का कार्य शुरु
केदारनाथ यात्रा तैयारियों के तहत प्रशासन के दिशा-निर्देशन में यात्रा मैनेजमेंट फोर्स (वाईएमएफ) का 60 सदस्यीय दल गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चरणबद्ध बर्फ सफाई में जुट गया है। शुक्रवार को भीमबली से रामबाड़ा के बीच बर्फ को काटकर रास्ता बनाने का कार्य शुरू किया गया है।
यात्रा मैनेजमेंट फोर्ट (वाईएमएफ) के 44 जवानों समेत 60 सदस्यीय दल बीते एक सप्ताह से भीमबली में डेरा जमाए हुए है। पहले चरण में जंगलचट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग पर जमा हल्की बर्फ को साफ किया गया। दूसरे चरण में शुक्रवार को भीमबली से रामबाड़ा के बीच बर्फ को काटकर रास्ता बनाने का कार्य शुरू किया गया है।
2013 की आपदा के बाद निर्मित नए मुख्य मार्ग के बजाय डेढ़ किमी वैकल्पिक मार्ग पर पांच से छह फीट तक बर्फ है, जिसे साफ करने में दिक्कतें आ रही हैं। क्योंकि यहां घना जंगल होने से धूप कम पड़ती है, जिससे बर्फ की मोटी परत कठोर हो चुकी है। सहायक अभियंता (एई) दीपचंद्र नवानी ने बताया कि एक माह में मरम्मत के सभी कार्य पूरे कर दिए जाएंगे।

दिल्ली-हरिद्वार-देहरादून के लिए चलेगी तेजस ट्रेन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर उत्तराखण्ड में रेल सुविधाओं के विस्तार पर चर्चा की। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए रेल मंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड की रेल परियोजनाओं के लिए बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर नई दिल्ली-हरिद्वार-देहरादून के लिए समस्त आधुनिक सुविधाओं से युक्त तेजस ट्रेन को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है। पाथ-वे उपलब्ध होते ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। उत्तराखण्ड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर काम दिखने लगा है। इसके लिए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और उनकी टीम की प्रशंसा की जानी चाहिए। हमें दूसरे राज्यों में जो समस्याएं आती है, उत्तराखण्ड में नहीं आई। पूरा प्रयास रहेगा कि अगले ढ़ाई वर्ष में श्रीनगर गढ़वाल तक रेल पहुंचा दी जाए। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में इनोवेटिव काम किया जाएगा। वर्ष 2021 मे हरिद्वार में होने वाले कुम्भ मेले के लिए रेलवे विभाग, प्रयागराज की भांति ही पूरी तैयारी करेगा। देहरादून, हरिद्वार स्टेशनों की सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।दून रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण इस वर्ष नवम्बर तक कर दिया जाएगा। जल्द ही रेलवे के उच्च अधिकारियों के दल को उत्तराखण्ड भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री का आभार व्यक्त किया।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना से सम्भावित यातायात के लिए मजबूत तंत्र जरूरी
इससे पूर्व बैठक में मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन परियोजना की वर्तमान प्रगति से केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि 126 किमी0 लम्बी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के अन्तर्गत फॉरेस्ट लैंड को नॉन फॉरेस्ट लैंड में परिवर्तन को स्वीकृति मिल गयी है। उन्होंने कहा कि 167 हेक्टेयर प्राईवेट रेवेन्यू लैंड का अधिग्रहण कर लिया गया है। परियोजना के लिए जियो टैक्नीकल इन्वेस्टीगेशन भी पूर्ण हो गयी है। इसके अन्तर्गत एक आरयूबी (रोड अंडर ब्रिज) एवं एक आरओबी (रोड ओवर ब्रिज) को तैयार कर लिया गया है, जिन्हें नियमित यातायात के लिए खोल दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस क्षेत्र में रेल यातायात में वृद्धि होना स्वाभाविक है। इसे देखते हुए हरिद्वार-रायवाला अथवा हरिद्वार-देहरादून के मध्य रेल लाइन का दोहरीकरण किया जाना चाहिए, साथ ही, पुराने ऋषिकेश में भारी माल लादने व उतारने एवं कंटेनरों से लदे रेल वैगनों के रूकने के लिए एक रेल कंटेनर डिपो स्थापित किए जाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देहरादून व योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन के मध्य सीधी रेल सेवा उपलब्ध कराने के लिए लक्सर की भांति रायवाला स्टेशन से पहले डाइवर्जन लाइन का निर्माण किये जाने की भी जरूरत है।

रूड़की-देवबंद रेल परियोजना
मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री को बताया कि देवबन्द-रूड़की रेल लाईन परियोजना को विशेष रेल प्रोजेक्ट का दर्जा प्रदान किया गया है। उक्त योजना को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में 50ः50 प्रतिशत के रेलवे एवं उत्तराखण्ड राज्य के मध्य अंशदान के रूप में स्वीकृत दी गयी है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा परियोजना हेतु राज्य सरकार का अंशदान के रूप में वर्तमान तक कुल रू0 261.61 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा अब तक अवमुक्त धनराशि को पर्याप्त मानते हुए परियोजना की अवशेष धनराशि का वित्त पोषण रेल मंत्रालय अथवा भारत सरकार द्वारा वहन किए जाने का अनुरोध किया।

नई रेल लाईनों की स्वीकृति का अनुरोध
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रेल मंत्री से लालकुंआ-खटीमा, टनकपुर-बागेश्वर और काशीपुर-धामपुर नई रेल लाईनों की स्वीकृति का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उक्त तीनों रेल लाईनों का पर्वतीय क्षेत्र के विकास और सामरिक दृष्टि से काफी महत्व है। लालकुआं-शक्तिफार्म-सितारगंज-खटीमा नई रेल परियोजना को स्वीकृति देते हुए इसका शत प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र द्वारा किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ व बागेश्वर क्षेत्र में आर्थिक विकास की गति को तेज करने, पर्यटक के विकास और सस्ती परिवहन सुविधा के लिए टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन की नितांत आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने काशीपुर से धामपुर वाया जसपुर नई रेल लाइन का भी शत प्रतिशत वहन केंद्र सरकार से करने का आग्रह किया। बैठक में रेल मंत्रालय और उत्तराखण्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर फिर शुरू

मौसम के करवट बदलते ही उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर फिर शुरू हो गया। चारधाम समेत नैनीताल व मसूरी की चोटियों पर हिमपात हुआ है। जबकि, प्रदेश के अधिकांश इलाकों में तेज हवाओं के साथ झमाझम बारिश ने ठंड बढ़ा दी है। औली और फूलों की घाटी में भारी हिमपात हुआ है। मौसम के बदले तेवरों ने प्रदेशभर में फिर कड़ाके की ठंड लौट आई है। तापमान के गोता लगाने और बर्फीली हवाएं चलने से ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को भी मौसम का मिजाज बदला हुआ रहने की संभावना है। अधिकांश इलाकों में बारिश और बर्फबारी के साथ ही ओलावृष्टि के आसार हैं।
शुक्रवार को उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में एक बार फिर भारी हिमपात हुआ। धनोल्टी के आसपास की पहाड़ियों पर सफेद चादर बिछ गई। इसके अलावा मसूरी में मूसलाधार बारिश ने ठंड में इजाफा कर दिया। वहीं, चंपावत में बारिश के कारण सुबह छह बजे टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्वाला और बनलेख के पास चट्टान खिसककर सड़क पर आ गई। इससे मार्ग करीब पांच घंटे तक बंद रहा।
प्रदेश के अधिकांश शहरों में अधिकतम तापमान लुढ़ककर सामान्य से नीचे पहुंच गया है, जिससे दिन के समय भी ठिठुरन बनी रही। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के जम्मू एंड कश्मीर व हिमाचल पहुंचने के चलते उत्तराखंड में बादलों ने डेरा जमा लिया है। ऐसे में शनिवार को भी अधिकांश इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है। मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ ही ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की गई। केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह का हेलीकॉप्टर खराब मौसम के चलते देहरादून से उड़ान नहीं भर सका। केंद्रीय राज्य मंत्री को हवाई मार्ग से दून से श्रीनगर और उसके बाद गौचर जाना था। मौसम खराब होने के कारण उन्हें सड़क मार्ग से ही श्रीनगर जाना पड़ा।

सैलानियों के लिए खुशखबरी, एक बार फिर हो सकती है बर्फबारी

उत्तराखंड में एक बार फिर बारिश और बर्फबारी हो सकती है। मौसम विभाग ने 19 और 20 फरवरी को प्रदेशभर में बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है।
मौसम विभाग की ओर से रसाप्ताहिक बुलेटिन जारी करके बताया गया कि 17 और 18 फरवरी को प्रदेशभर में मौसम साफ रहेगा। उसके बाद 19 और 20 फरवरी को फिर मैदानी इलाकों में हल्की बारिश और पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी का अनुमान जताया है। इससे तापमान फिर गोता खा सकता है। हालांकि 21 फरवरी से दोबारा मौसम साफ हो जाएगा। वहीं रविवार को प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में आंशिक बादल छाए रहे। जहां शनिवार को दिन का अधिकतम तापमान 27 डिग्री था, वहीं रविवार को गिरकर 24.8 डिग्री पर आ गया।
वहीं, केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को औली की वादियों का जमकर लुत्फ उठाया। आईटीबीपी और गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों के साथ उन्होंने औली की बर्फीली ढलानों का निरीक्षण किया।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने रविवार सुबह आईटीबीपी जवानों के साथ बर्फ की ढलानों पर दौड़ लगाकर जवानों को फिट इंडिया का संदेश दिया। उन्होंने औली के विकास को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा भी की। रिजिजू अपने दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को औली पहुंचे थे। उन्होंने यहां स्नो स्कूटर की सवारी करने के साथ ही औली के प्राकृतिक सौंदर्य को भी करीब से निहारा।
केन्द्रीय मंत्री ने औली के विभिन्न स्थानों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि औली बहुत खूबसूरत स्थान है, लेकिन इसे विकसित करने की जरूरत है। यहां अभी भी कई कमियां हैं, जिन्हें दूर करना केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री के प्रयास हुए सफल, राज्य के अनुरोध को 15वें वित्त आयोग ने स्वीकारा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक में की गई पैरवी आयोग की सिफारिशों में देखने को मिल रही हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की गई है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा। आयोग की सिफारिशों में केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 1.052 से बढ़ाकर 1.104 कर दिया गया है, जिससे राज्य को प्रतिवर्ष लगभग रू. 300 से 400 करोड़ का लाभ होगा। डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है। राज्य आपदा राहत निधि के अंश में 787 करोड़ रूपए वृद्धि पर सहमति दी गई है। शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में भी 148 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के पक्ष को स्वीकारने के लिए 15 वें वित्त आयोग का जताया आभार
15 वें वित आयोग की सिफारिशों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, 15वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के पक्ष को तार्किक ढंग से बहुत ही स्पष्ट एवं सक्षम तरीके से प्रस्तुत किया गया। उसी का परिणाम है कि विभिन्न बिंदुओं पर आयोग ने अपनी सहमति देते हुए राज्य के पक्ष में संस्तुतियां की हैं। उत्तराखण्ड के दृष्टिकोण को समझने और तद्नुसार संस्तुतियां देने के लिए 15 वें वित आयोग का आभार व्यक्त करते हैं। इससे उत्तराखण्ड विकास के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ेगा।
उत्तराखण्ड द्वारा दी जा रही पर्यावरणीय सेवाओं को किया स्वीकार
15 वें वित्त आयोग को संदर्भित विषयों एवं राज्य की विभिन्न समस्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मैमोरेण्डम प्रस्तुत किया गया था। उत्तराखण्ड द्वारा मैमोरेण्डम में विभिन्न बिन्दुओं को स्पष्ट एवं विश्वसनीय तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसे आयोग द्वारा स्वीकार किया गया। उत्तराखण्ड राज्य के परिदृश्य में आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है कि राज्य द्वारा पूरे देश को बहुमूल्य ईको-सिस्टम सेवायें प्रदान की जा रही हैं। इसके लिये 15 वें वित्त आयोग से डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश बढ़ाये जाने का अनुरोध किया गया था, जिसे ग्रीन बोनस भी कह सकते हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है।
उत्तराखण्ड को मिलेगा राजस्व घाटा अनुदान
मुख्यमंत्री ने सांवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक की पुरजोर पैरवी करते हुये कहा था कि 14वें वित्त आयोग द्वारा राजस्व घाटा अनुदान को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण राज्य को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा। 15वें वित्त आयोग ने इस बात को स्वीकार करते हुए उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा।
आपदा राहत निधि में बढ़ोतरी
आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत राज्य को राज्य ‘‘आपदा राहत निधि’’ के अंश के रूप में गतवर्ष लगभग रू. 254 करोड़ की धनराशि प्राप्त होती थी। उत्तराखण्ड राज्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निटने के लिये आवश्यक सहायता दिये जाने का विषय आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राज्य से सहमत होते हुये 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्य आपदा राहत निधि के अंश में वृद्धि करते हुये, इसे प्रतिवर्ष लगभग रू 1041 करोड़ कर दिया गया है।
शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में वृद्धि
14वें वित्त आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 में मूल अनुदान के अन्तर्गत शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु कुल रू 704.10 करोड़ की धनराशि संस्तुति की गई थी। 15वें वित्त आयोग द्वारा शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु अनुदान में वृद्धि करते हुये वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु कुल रू 852.00 करोड़ की धनराशि संस्तुत की गई है, जिसमें लगभग 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

10 करोड़ रूपए की लागत से तैयार हो रहा ट्रांजिट कैंप

विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा जाने वाले पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग की भूमि पर ट्रांजिट कैंप- रजिस्ट्रेशन कार्यालय का निर्माण कार्य इन दिनों तीव्र गति से जारी है। इसे पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर 10 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। कार्यदायी संस्था के अनुसार कैंप का कार्य अगले वर्ष 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा।

2013 की आपदा के बाद राज्य सरकार ने यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए ट्रांजिट हॉस्टल योजना पर काम करना शुरू किया। चंद्रभागा और गोपालनगर से लगती 3.70 हेक्टेअर वन भूमि को जनवरी 2019 में पर्यटन विभाग को ट्रांसर्फर किया गया। करीब साल बीतने के बाद आखिरकार पिछले कुछ दिनों पूर्व कार्यदायी संस्था बिडकुल ने यहां में काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में 45 मीटर लंबी और चौड़ी बिल्डिंग निर्माण के लिए खुदाई का कार्य पूरा हो चुका है। बिडकुल के जेई राहुल ने बताया कि पर्यटन विभाग के निर्देश पर ट्रांजिट कैंप का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। मौसम आदि का कोई व्यवधान नहीं हुआ तो जुलाई 2021 तक ट्रांजिट कैंप का कार्य पूरा हो जाएगा।

ट्रांजिट कैंप का निर्माण भूतल, प्रथम और घ्द्वितीय तल में होगा। इसमें भूतल में दो मल्टीपल टिकट काउंटर होंगे। इसमें महिला, पुरूष के अलावा सिनियर सिटीजन और विकलांगों के लिए अलग से सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा इसी तल में बैंक व एटीएम सुविधा भी उपलब्ध होगी। पर्यटन विभाग और चारधाम यात्रा से जुड़ा संयुक्त रोटेशन का कार्यालय भी यहां होगा। प्रथम तल में दुकानें लगेंगी। इन दुकानों में यात्रियों के लिए भोजन आदि सुविधाएं उपलब्ध होंगी। द्वितीय तल मेें यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था होगी। करीब एक समय में 150 यात्री यहां ठहर सकेंगे। इसके अलावा यहां 250 बसों के लगभग पार्किंग की सुविधा भी होगी।

उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी। राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर होगा बेहतर
देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के  मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है। इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे। इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सरकार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट की ओर कदम बढ़ा रही है।

पुरोहितों के हित सुरक्षित
देवस्थानम बोर्ड के गठन के ऐलान के साथ ही इसका विरोध भी पटल पर आ गया। बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के लोगों ने इस बोर्ड के गठन के विरोध में मोर्चा खोल दिया। हालांकि इस बोर्ड गठन के बाद अब पुरोहित समाज का बड़ा तबका इसके समर्थन में आ गया है। वहीं सरकार शुरुआत से इस बात का दावा करती रही है कि इस बोर्ड के गठन से पुरोहित समाज के हितों की अनदेखी किसी स्तर पर नहीं होगी। रावत और पुरोहितों की सदियों पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आएगा। प्रबंधन के स्तर पर बोर्ड व्यवस्थाओं को बेहतर करेगा। इसी लिहाज से सरकार ने बोर्ड में चारों धामों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया है। सरकार की माने तो इस बोर्ड के गठन के बाद चारों धामों की व्यवस्था में समन्वय बनेगा।

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भविष्य के लिए जरूरी
त्रिवेंद्र सरकार राज्य में धार्मिक तीर्थाटन को भविष्य के लिहाज से व्यवस्थित करना चाहती है। वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में की गई व्यवस्थाओं के मुताबिक ही त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के मंदिरों में भी व्यवस्थाएं करना चाहती है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के मंदिरों में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। हालांकि सरकार के प्रयासों से चार धामों में आने वाले यात्रियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। फिलहाल तकरीबन चालीस लाख पर्यटक पहुंच रहें हैं। राज्य में जारी ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है। ऐसे में राज्य के मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की जरूरत महसूस हो रही थी।

वार्षिक पत्रिका का विमोचन कर सीएम बोले, इसमें राज्य के स्थल तथा मंदिरों की भरपूर जानकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में पर्वतीय बन्धु समाज समिति, नवोदय नगर हरिद्वार की वार्षिक पत्रिका ‘‘म्यारू पहाड़ म्यारू परांण’’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस पत्रिका में उत्तराखण्ड के भौगोलिक, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्वतीय अंचल की विशेषताओं को संजोने का अच्छा प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पत्रिका में उत्तराखण्ड के ऐसे स्थलों एवं मंदिरों के बारे में भी जानकारी दी जाय जिनका अपने आप में विशिष्ट महत्व है। इससे लोगों को उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थलों एवं धार्मिक स्थलों की जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में अनेक सम्भावनाएं हैं, हमें राज्य के ऐसे धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों की जानकारी लोगों को देनी होने जिनका पौराणिक एवं विशिष्ट महत्व है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए निरन्तर प्रयासरत है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। जो लोग पर्वतीय क्षेत्रों से शहरों की ओर आ गये हैं, उन्हें साल में एक या दो बार जरूर अपने पैतृक निवास पर जाना चाहिए। होम स्टे को राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका प्रमुख उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की आर्थिकी को संवारना है। ग्रोथ सेंटर की परिकल्पना भी आर्थिकी सुधार के लिए की गई है।

कोल्ड रिकाॅर्ड बनने के आसार, लगातार बारिश जारी

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी में बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है। वहीं राजधानी देहरादून सहित कई इलाकों में रुक-रुक कर बारिश जारी है। रुद्रप्रयाग में रातभर से हो रही रुकरुक कर बारिश हो रही है। केदारनाथ में लगभग 6 फीट तक नई बर्फ गिर चुकी है। यहां पहले से पांच फीट बर्फ मौजूद है। तुंगनाथ में 6 फीट और चोपता में 5 फीट तक बर्फ गिर चुकी है। जनपद के गौंडार, तोषी, चैमासी, चिलौण्ड, जालमल्ला, ब्युखी, त्रियुगीनारायण और गौरीकुंड गांव बर्फ से लकदक हैं।
टिहरी जिले में रात भर से बारिश का सिलसिला बुधवार की सुबह भी जारी रहा। यहां ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से कड़ाके की ठंड बढ़ गई है। उत्तरकाशी जिले के राष्ट्रीय राज्य मार्ग गंगोत्री गंगनानी से ऊपर बर्फबारी के कारण बाधित है तथा मार्ग खोलने का कार्य जारी है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग राड़ी टॉप, सुवाखोली और फूलचट्टी के पास बर्फबारी के कारण बाधित है। बागेश्वर जिले में कपकोट के अन्तर्गत बदियाकोट क्षेत्र में वाछम, तीख, खाती, सोराग, कालू, किलपारा, कुंवारी, डौला, बोरबलड़ा में लगभग 2 फीट बर्फबारी हो चुकी है।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को दिनभर ऐसा ही मौसम रहेगा। बृहस्पतिवार को हल्की राहत के आसार हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल पहाड़ों में बर्फबारी और रात को पाला पड़ने से हाड़ कंपाने वाली ठंड होगी। जबकि मैदानी इलाकों में शीतलहर चलेगी। मौसम विभाग के अनुसार नौ जनवरी को भी कुछ स्थानों पर शीत से तीक्षण दिवस हो सकता है। 10 और 11 जनवरी को हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में घना कोहरा छाया रहेगा।
केंद्र की ओर से राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि आठ जनवरी को अधिक बर्फबारी के कारण दो हजार मीटर या इससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सड़कों के अवरुद्ध होने की आशंका है। बर्फबारी से पर्वतीय क्षेत्र की सड़कों पर फिसलन की स्थिति हो सकती है। यात्रियों और पर्यटकों को सतर्क रहने और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाने की सलाह दी गई है।मंगलवार को मसूरी में भी दिनभर बारिश होती रही। पर्यटन स्थल धनोल्टी में बारिश के बीच हल्की बर्फबारी हुई।
वहीं, उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री और गंगोत्री सहित समुद्र तट से दो हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित करीब 100 गांव बर्फ से ढक गए हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे समेत करीब आधा दर्जन सड़कें बर्फ से बंद हो गई है। चमोली जिले में करीब 80 गांवों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। पैदल रास्ते और पानी के स्रोत भी जम गए हैं। मौसम के बदले मिजाज के बीच जौनसार बावर की ऊंची चोटियां बर्फ की सफेद चादर से ढक गईं। लोखंडी, देववन, खंडबा, व्यास शिखर, मुंडाली, मोयला टॉप समेत कई ऊंची चोटियों पर छह इंच से एक फिट तक बर्फबारी हुई।
मौसम लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले 12 वर्षों में पहली बार जनवरी 2020 में छह और सात जनवरी को बदरा बरसे। बारिश के चलते अधिकतम तापमान भी दो डिग्री सेल्सियस गिर गया। मंगलवार की सुबह से ही बादलों ने आसमान में डेरा डाल रखा था। सुबह से बूंदाबांदी हो रही थी। शाम को भी बारिश हुई।
मौसम की खराबी के कारण नैनीसैनी एयरपोर्ट से मंगलवार को सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं। विजिबिलिटी नहीं होने से देहरादून से विमान पिथौरागढ़ नहीं आ सका। यात्रियों को घंटों इंतजार के बाद वापस लौटना पड़ा। नैनीसैनी के लिए पहली फ्लाइट देहरादून से आती है।

पहाड़ों में बर्फबार से बढ़ी परेशानी, पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराना बना चुनौती

मौसम विभाग ने आज देहरादून सहित राज्य के कई हिस्सों में बारिश के साथ ओले और भारी बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए जिला प्रशासन ने सभी विभागों को सतर्क कर दिया है।
प्रदेश भर में आज सुबह से ही अधिकांश जगह बादल छाये रहने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसके बाद दून में बूंबाबांदी शुरू हो गई। वहीं, बर्फबारी के बाद अब पहाड़ी इलाकों में खून जमाने वाली ठंड पड़ रही है। कुमाऊं में आज काशीपुर, रामनगर में धूप खिली है। पंतनगर, अल्मोड़ा, लोहाघाट, चंपावत और रुद्रपुर में बादल छाए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट के हिसाब से जिले में सभी विभागों को सतर्क कर दिया है। इसके लिए यदि किसी विभाग के पास संसाधनों की कमी है तो वह जिला प्रशासन से संपर्क कर सकता है। लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान आदि विभागों के कर्मचारियों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जेसीबी, चूना और नमक आदि के साथ तैनात रहने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
लोनिवि और राजमार्ग को बर्फबारी वाले स्थानों पर जेसीबी की तैनाती, चूना आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये है। वैकल्पिक मार्गों से यातायात सुचारु कराना। अपने-अपने विभागीय गेस्ट हाउस को अलर्ट मोड पर रखना जिससे किसी भी स्थिति में पर्यटकों और स्थानीय जनता को इनमें शिफ्ट करने में दिक्कत न हो।
जल संस्थान व पेयजल निगम को बर्फबारी के कारण पानी जमने और पाईप लाइन क्षतिग्रस्त होने की दशा में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा गया है।
विद्युत विभाग से विद्युत आपूर्ति बाधित होने के तत्काल बाद स्थिति को सामान्य बनाने काम प्रमुख रूप से करने के निर्देश दिये गये है।
गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद रविवार को मौसम साफ हुआ तो बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिए ऊंची चोटियों पर पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में पर्यटकों ने लोखंडी, धारना धार, देववन, बुधेर पहुंच बर्फबारी का लुत्फ उठाया। दिनभर ऊंची चोटियां पर्यटकों से गुलजार नजर आई हालांकि, शाम चार बजे बाद चलने वाली ठंडी हवाओं ने लोगों को सिहरन का एहसास करा दिया।
शाम को चली ठंडी हवाओं के चलते तापमान माइनस में चला गया। रविवार को चकराता का अधिकतम तापमान छह डिग्री और न्यूनतम -01 डिग्री रहा। शाम ढलते ही लोगों के घरों और दुकानों में अलाव जल उठे।बर्फबारी के चलते होटल मभी फुल हो गए। सोमवार को भी बड़ी संख्या में पर्यटकों के चकराता और आसपास की ऊंची चोटियों का रुख करने का अनुमान है।
गोपेश्वर जिले में हो रही बर्फबारी ने दूरस्थ गांव के लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। जिले में 30 से अधिक गांवों में इस समय बर्फ की चादर बिछी हुई है। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में घरों के ऊपर तक कई फीट बर्फ जमी हुई है।
चारों तरफ बर्फ पड़ने से मवेशियों के लिए चारा पत्ती की समस्या आ गई है। ठंड के कारण नलों में पानी जम रहा है, जिससे लोग प्राकृतिक स्रोत का सहारा ले रहे हैं। पाणा गांव की बीना देवी, शांति देवी, सीमा देवी, अनीता देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि पिछले बर्फबारी से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। बर्फबारी का नजारा देखने के लिए रविवार को पर्यटन नगरी धनोल्टी और काणाताला क्षेत्र बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे, लेकिन पर्यटकों को चंबा-धनोल्टी मार्ग पर सुबह से लेकर अपराह्न तक जाम की समस्या से जूझना पड़ा। बर्फ के ऊपर पाला गिरने से वाहन रपटने के कारण बार-बार मार्ग पर जाम लगता रहा। जाम को देखते हुए पुलिस प्रशासन को बुरांशखंडा और कद्दूखाल में बैरियर लगाकर वाहनों को रोकना पड़ा।