एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण से प्रदेश में क्वालिटी एजुकेशन को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुमाङी में एनआईटी के स्थाई केम्पस के लिए 909.85 करोङ रूपए की स्वीकृति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने व्यय पर संस्थान के लिए बिजली व पानी की व्यवस्था करेगी और सङक का निर्माण करेगी। प्रदेशवासियों की लम्बे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है। एनआईटी के स्थाई कैम्पस के निर्माण से प्रदेश में क्वालिटी एजुकेशन को बढावा मिलेगा। साथ ही क्षेत्रवासियों की आर्थिकी भी मजबूत होगी।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी प्रसन्नता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का धन्यवाद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और वे स्वयं भी इसके लिए प्रयासरत थे और केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। अब संस्थान के लिये धनराशि की मंजूरी से राज्य की बङी मांग पूरी हुई है। कुल 909.85 करोङ रूपए में से 78.81 करोङ रूपए वर्तमान के अस्थायी कैम्पस के सुदृढ़ीकरण के लिए स्वीकृत किए गए हैं।

प्रदेश के 05 विश्वविद्यालय एवं 104 महाविद्यालय ई-ग्रंथालय से जुडे़

सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में ‘‘ई-ग्रंथालय’’ का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय से राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में ‘‘ई-ग्रंथालय’’ का शुभारम्भ किया। प्रदेश के 05 विश्वविद्यालय एवं 104 महाविद्यालय ई-ग्रंथालय से जुड़ चुके हैं। ई-ग्रन्थालय से लाइब्रेरी का मैनेजमेंट सिस्टम डिजिटल प्रारूप पर होगा। इससे शिक्षकों, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षण कार्य में काफी सुगमता होगी।

ई-ग्रन्थालय से 35 लाख पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध
सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को एक पोर्टल से जोड़ा जा रहा है। यदि किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में कोई पुस्तक उपलब्ध न हो तो, इनके एक ही पोर्टल पर जुड़ने से ई-ग्रन्थालय के माध्यम से विद्यार्थियों सभी पुस्तकों का अध्ययन करने में सरलता रहेगी। ई-ग्रन्थालय के माध्यम से विद्यार्थियों को 35 लाख पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। जिससे ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राएं इससे जुड़ेंगे।

कृषि व बागवानी पर डाक्यूमेंट्री भी उपलब्ध हो
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इस शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों के लिए ई-ग्रंथालय बड़ी सौगात है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि ई-ग्रंथालय के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं की पिछले 10 वर्षों का क्वेशन बैंक भी उपलब्ध कराया जाय। जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अच्छा आधार मिल सके। यह समय विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, बागवानी और अन्य क्षेत्रों की बच्चों को अच्छी जानकारी प्राप्त हो सके, इसके लिए डाक्यूमेंट्री बनाई जाय। मैदानी जनपदों में लोगों को कृषि एवं बागवानी की अच्छी जानकारी होती है, लेकिन पर्वतीय जनपदों में हमें इस दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई। इससे लोगों को कैसे अधिक से अधिक फायदा हो सकते है, इस पर भी और प्रयासों की जरूरत है।

तकनीक का अधिकतम उपयोग किया जाए
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस समय पूरा विश्व कोविड-19 की महामारी के दौर से गुजर रहा है। हमें समय की मांग के अनुसार तकनीक को बढ़ावा देना होगा। आधुनिक तकनीक के माध्यम से हम आपसी दूरियों को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा कोविड के दौरान तकनीक के अधिक से अधिक उपयोग करने का सराहनीय प्रयास किया गया है। ई-ग्रंथालय के शुभारम्भ से विद्यार्थियों को समग्र जानकारियां उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस दिशा में विचार करने की जरूरत है।

राज्य का प्रत्येक कॉलेज ई-ग्रन्थालय से जुड़ा
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जहां प्रत्येक कॉलेज को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा एवं मार्गदर्शन में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि यूजीसी की रैंकिंग के अनुसार उत्तराखण्ड के चार संस्थानों ने टॉप 100 में स्थान पाया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए सभी महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद भरे गये हैं। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 92 प्रतिशत फैकल्टी है। प्रदेश में 877 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती निकाली गई, जिसमें से 527 असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन कर चुके हैं, शेष पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। लॉकडाउन के दौरान विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा आनलाईन शिक्षण का कार्य किया गया। इसके काफी सकारात्मक परिणाम रहे।

उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए कृषि ही मददगारः सुबोध उनियाल

(एनएन सर्विस)
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 26 वीं बैठक में उत्तराखण्ड के उद्यान, कृषि एवं रेशम विकास विभाग मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, परन्तु अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि औषधीय खेती एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। कृषि उत्पादों का निर्यात भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नई नई फसलों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को इंश्योरेंस के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में छोटे छोटे किसानों की संख्या अधिक है। उनको ध्यान में रखते हुए योजनाओं को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों में सिंचाई के दायरे को बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। नए अध्यादेशों एवं फसल बीमा योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को पहुंचे इसके प्रयास किए जाएं, ताकि हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दें सकें।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य में कृषि महिला आधारित है, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वुमन फ्रेंडली खेती की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैविक कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शामिल है। ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए वनों के वेस्ट मटीरियल से खाद बनाने हेतु योजनाओं पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सब्जी और फल फसलों में कीट नियंत्रण के लिए जैविक शोध कार्यक्रम चलाए जाने पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने राज्य के उत्पादों जैसे रेड राईस, राजमा, मंडुवा आदि की उन्नत किस्मों पर भी अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता बताई।
कृषि मंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ ही कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले बीजों पर भी रिसर्च किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर क्षेत्रों हेतु उचित जलवायु अनुसार फसलों पर अधिकाधिक शोध कराए जाएं ताकि सीमांत क्षेत्रों के किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़े। इससे पलायन भी रोका जा सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में नींबू वर्गीय फलों हेतु कल्मी पौध रोपण के लिए आईसीएआर एवं उद्यान विभाग उत्तराखण्ड द्वारा नींबू वर्गीय फलों के नेटवर्क परियोजना को लागू किए जाने की मांग की। उन्होंने राज्य में आलू उत्पादन की अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य में भी क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की भी मांग की।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम एवं अन्य विभागीय वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

पीएम के मन की बात सुन सीएम त्रिवेन्द्र बोले, सृजनशीलता से होगा आत्मनिर्भर भारत का निर्माण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरा देश अपने प्रधानमंत्री के साथ है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ’मन की बात’ कार्यक्रम को सुना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्र के लिए समर्पित है। कोरोना जैसी महामारी से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सफलतापूर्वक लङाई लङी जा रही है। प्रधानमंत्री द्वारा सही समय पर लिए गए सही निर्णयों से ही भारत में कोरोना को नियंत्रित रख पाए हैं।

साल 2020 चुनौतियों का वर्ष है। हम इन चुनौतियों पर जीत हासिल करेंगे। कोई भी देश की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता है। हमारे वीर जवानों ने अपनी वीरता से यह साबित किया है। देश रक्षा के लिए उनके बलिदान को पूरा देश नमन करता है। आज समय है अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने का उनका साथ देने का।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी सृजनशीलता से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा। लोकल के लिए वोकल हमारा ध्येय होना चाहिए। हर संकट का सामना करते हुए देश आगे बढ़ता रहेगा।

सीएम ने डिजिटल हस्ताक्षर कर डिजिटल अभियान से जुड़े सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वदेशी स्वावलंबन अभियान के तहत चलाए जा रहे डिजिटल अभियान के तहत जुड़कर डिजिटल हस्ताक्षर किए। इस अभियान का उद्देश्य विदेशी उत्पादों का बहिष्कार करना एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के प्रयासों को सफल बनाने के लिए हमें स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। लोगों को स्वावलंबी होना जरूरी है। स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने एवं चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है।

अपने प्रदेश के सुदूरवर्ती गांवों में तकनीक को बढ़ावा दे युवाः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जी.बी.पंत इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल द्वारा ‘‘स्मार्ट, मशीन इंटेलिजेंस और रियल-टाइम कम्यूटिंग ‘‘ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जी.बी.पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल की ‘स्मार्ट कॉम-2020’’ पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण देश जिस विषम परिस्थितियों के दौर से गुजर रहा है। इन परिस्थितियों में तकनीक का महत्व और अधिक बढ़ गया है। समय की मांग एवं अभियांत्रिकी के इस युग में टेक्नॉलोजी को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का जितना अधिक इस्तेमाल होगा उससे कार्यों में और अधिक पारदर्शिता आयेगी और समय की बचत भी होगी। हमारा प्रयास है कि आने वाले डेढ़-दो वर्षों में अपने प्रदेश के सुदूरवर्ती गांवों में भी तकनीक के माध्यम से सम्पर्क कर सकें।
मुख्यमंत्री ने जी.बी.पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल को स्मार्ट, मशीन इंटेलिजेंस और रियल-टाइम कम्यूटिंग ‘‘ विषय पर अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन करने पर बधाई देते हुए कहा कि तकनीकि शिक्षा कुशल जनशक्ति का सृजन कर, औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाकर और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके देश के मानव संसाधन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जी.बी.पंत इंस्टीट्यूट, उत्तराखण्ड राज्य में प्रमुख तकनीकि संस्थान होने के नाते स्मार्ट, मशीन इंटेलिजेंस और रियल-टाइम कम्यूटिंग जैसे चुनौतीपूर्ण विषय पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर अपनी जिम्मेदारियों का कुशल निर्वाह कर रहा है। यह सम्मेलन तकनीकि क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने और नवीन विचारों का साझा करने में सफल होगा।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जी.बी.पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल के निदेशक प्रो. एम.पी.एस. चैहान, मुख्य संरक्षक डॉ.एस.एन सिंह, डॉ. अयूब खान, संस्थान के सभी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने विशेष सैक्टर चिन्हित करके रोजगार उपलब्ध कराने के दिए निर्देश

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 के दृष्टिगत प्रदेशवासियों को रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विशेष सैक्टर चिन्हित किये जाएं, जिसमें लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार विभिन्न क्षेत्रों में उपनल के माध्यम से भर्ती की जा सकती है। स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं तकनीक के क्षेत्र में कार्मिकों की और तैनाती की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उपनल के माध्यम से जो भी भर्ती की जायेगी, उसमें पूर्व सैनिकों एवं सैनिक आश्रितों को सबसे पहले प्राथमिकता दी जायेगी। यदि किसी क्षेत्र में पूर्व सैनिकों एवं सैनिक आश्रित की उपलब्धता नहीं हो पाती है, तब ही अन्य लोगों को उपनल के माध्यम से भर्ती की जायेगी। नौकरी के लिए विभिन्न क्षेत्र चिन्हित होने के बाद उपनल द्वारा पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। इसके लिए इस वित्तीय वर्ष के अन्त तक अर्थात् 31 मार्च 2021 तक आवेदन किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र चिन्हित किये जाय जिसमें समय की मांग एवं परिस्थितियों के अनुसार प्रदेशवासियों विशेषकर पूर्व सैनिकों एवं सैनिक आश्रितों एवं महिला समूहों को उपनल के माध्यम से स्किल डेवलपमेंट किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दृष्टिगत प्रदेश के बड़े शहरों देहरादून एवं हल्द्वानी में वरिष्ठ नागरिकों, जो विभिन्न कारणों से अपने घर से बाहर निकलने में असमर्थ हैं। उनके लिए उपनल के माध्यम से मल्टीसर्विस सेंटर स्थापित किये जाय। वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए उपनल के माध्यम से उचित दरों पर सेवाएं दी जा सकती हैं। उपनल के माध्यम से सेवाएं देने पर सेवाकर्ता का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। इससे लोगों में विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव न्याय प्रेम सिंह खिमाल, सचिव वित्त अमित नेगी, अपर सचिव प्रदीप रावत, उपनल के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर पी.पी.एस. पहावा (से.नि), निदेशक सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास ब्रिगेडियर के.वी चन्द (से.नि) आदि उपस्थित थे।

अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की ही परीक्षाएं होंगी आयोजित

(एनएन सर्विस)
राज्य के 11 सरकारी विश्वविद्यालयों में एक ही पैटर्न पर परीक्षाएं आयोजित होंगी। कुलाधिपति और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के निर्देशानुसार सभी विवि इसकी तैयारियों में जुट गये हैं। अभी तय किया जा रहा है कि परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी या ऑफलाइन।
लॉकडाउन के बाद से सभी विश्वविद्यालय बंद हैं। वहीं, छात्र अपने घरों में ही ऑनलाइन क्लास के माध्यम से पढ़ रहे है। लॉकडाउन के चलते परीक्षाएं भी समय से शुरू नहीं हो पाईं। अब यह तय किया गया है कि फिलहाल अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की ही परीक्षाएं कराई जाएंगी। बाकी छात्रों को 50 प्रतिशत पूर्व के अंकों और 50 प्रतिशत एसाइनमेंट के अंकों के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रवेश दिया जाएगा। 
अभी कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है। इस पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पिछले दिनों सभी कुलपतियों से वार्ता की। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी 11 राज्य विश्वविद्यालयों में एक समान परीक्षा पैटर्न होना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी उन्होंने सभी कुलपतियों को सौंप दी है।
माना जा रहा है कि 20 जून के बाद यह तय हो जाएगा कि परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी या ऑफलाइन। अगर ऑनलाइन होंगी तो उसके लिए जरूरी इंतजाम क्या होंगे और अगर ऑफलाइन होंगी तो छात्रों को कैंपस में रोकने के क्या इंतजाम होंगे। कुछ विश्वविद्यालयों ने फिलहाल ऑफलाइन परीक्षाओं की तैयारी भी शुरू कर दी है।
एक समाचार पत्र के अनुसार, उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चैधरी ने कहा कि अगर अंतिम वर्ष के छात्रों की ऑफलाइन परीक्षाएं होती हैं तो वह अपने सभी कॉलेजों के छात्रों को कैंपस में 15 दिन पहले बुला लेंगे। इसके बाद वह अपना क्वारंटीन पीरियड पूरा करेंगे। इस दौरान अगर कोई दिक्कत हुई तो उस छात्र का इलाज कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके बाद जुलाई के आखिर में परीक्षाएं कराने की योजना है।

छात्र भी रख रहे अपनी मांग
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने जुलाई के दूसरे सप्ताह से परीक्षाएं प्रस्तावित की हैं। यहां छात्रों ने मांग उठाई है कि तमाम छात्र ऐसे हैं जो कि दूसरे राज्यों के हैं और इन दिनों अपने घर हैं। उनका अपने कॉलेज कैंपस पहुंचना खतरे से खाली नहीं है। लिहाजा, छात्र मांग कर रहे हैं कि या तो परीक्षाएं ऑनलाइन हों या फिलहाल टाली जाएं। उधर, एनएसयूआई की ओर से भी लगातार परीक्षाओं के बजाय सीधे प्रमोट करने की मांग की जा रही है।

मुख्यमंत्री नाराज, क्वारंटीन सेंटर में आत्महत्या करने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा जिलाधिकारियों के साथ प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आशा व आंगनबाङी कार्यकत्रियों की सहायता से सर्विलांस को बढाएं। यह सर्विलांस नियमित रूप से होना है। वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप लोगों में व्यवहारात्मक परिवर्तन लाने होंगे। देहरादून के क्वारेंटाईन सेंटर में युवक के आत्महत्या पर संबंधित नोडल अधिकारी व डाक्टर को निलंबित किया जाए। कोविड-19 से संबंधित हर मृत्यु की ऑडिट कराई जाए।

कोविड-19 से संबंधित लक्षण पर अनिवार्य तौर पर सेम्पलिंग
सर्विलांस में जिन लोगों में कोविड-19 से संबंधित लक्षण दिखाई दें, उनकी हेल्थ टीम के माध्यम से अनिवार्य रूप से सेम्पलिंग कराई जाए। फ्रंटलाईन वर्कर्स को आवश्यकताअनुसार थर्मल स्कैनर, फेस शील्ड, पीपीई किट, मास्क आदि जरूर उपलब्ध कराए जाएं। इससे उनका कार्य के प्रति उत्साह बढ़ता है। ओपीडी में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों को भी फेस शील्ड उपलब्ध हों।

लोगों में व्यवहारात्मक परिवर्तन लाने होंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप लोगों में व्यवहारात्मक परिवर्तन लाने होंगे। इसके लिए आईईसी कार्यक्रम संचालित करें। फिजीकल डिस्टेंसिंग, मास्क का अनिवार्यता से उपयोग, नियमित रूप से हाथ धोना आदि बातों को आदत में लाना होगा। बाजारों में एक जगह पर भीड़ को सख्ती से नियंत्रित किया जाए।

कोविड-19 से संबंधित हर डेथ का आडिट
मुख्यमंत्री ने देहरादून के क्वारेंटाईन सेंटर में युवक के आत्महत्या पर संबंधित नोडल अधिकारी व डाक्टर को निलंबित करते हुए जांच के निर्देश दिये। देहरादून में एक गर्भवती महिला की इलाज न मिलने पर मृत्यु की भी शीघ्र जांच की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए। कन्टेनमेंट जोन में पूरी सख्ती रखी जाए। कान्टेक्ट ट्रेसिंग बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड-19 से संबंधित हर डेथ का आडिट किया जाए। हर मृत्यु के कारण का विश्लेषण किया जाए। कोविड केयर सेंटर में सारी आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। क्वारेंटाईन सेंटर में भी सुविधाएं उपलब्ध हों। यह सुनिश्चित किया जाए कि होम आइसोलेशन में सारे प्रोटोकोल का पालन हो। डिस्चार्ज कर होम आइसोलेशन में भेजे जाने वालों की काउंसिल की जाए।

कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु पर अंतिम संस्कार सम्मानजनक तरीके से हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु पर उसके अंतिम संस्कार में विवाद न हो। लोगों को इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों की जानकारी दी जाए। मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का सम्मान बरकरार रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी व हरिद्वार में विद्युत शव-दाह गृह का कार्य शुरू करने के निर्देश देते हुए देहरादून में भी शव-दाह गृह की घोषणा की।

जिला स्तर पर अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि धन की कोई समस्या नहीं है। आवश्यकता अनुसार कार्मिकों की नियुक्ति के लिए जिलाधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं। इसी प्रकार आवश्यक चिकित्सा संबंधित उपकरणों के क्रय के लिए भी अधिकार दिए गए हैं।

होम क्वारेंटाईन में प्रोटोकॉल का पालन
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि हर केस को पूरी गम्भीरता से लिया जाना है। होम क्वारेंटाईन के लिए डिस्चार्ज करने से पूर्व पूरी तरह आश्वस्त हो जाएं कि घर में मानकों के अनुरूप सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हों। सर्विलांस को बढाया जाना है।

पेशेंट केयर मेनेजमेन्ट से मृत्यु दर पर नियंत्रण
सचिव अमित नेगी ने कहा कि अगले 15-20 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारी रिकवरी रेट और डबलिंग रेट में सुधार हो रहा है। एक्टिव केस लगभग स्थिरता की ओर जा रहे हैं। पेशेंट केयर मेनेजमेन्ट पर अधिक ध्यान दिया जाए। कोविड-19 के अलावा सामान्य चिकित्सा भी प्रभावित नहीं हो। लोगों को सामान्य इलाज मिलता रहे।

प्रदेश में आने वालों का ऑनलाइन पंजीकरण जरूरी
सचिव शैलेश बगोली ने कहा कि बाहर से प्रदेश में आने वालों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इससे भविष्य में उन्हें ट्रेक करने में आसानी होगी।

वीडियो कांफ्रेंसिग में आयुक्त कुमाऊँ अरविंद सिंह ह्यांकी, आयुक्त गढवाल रविनाथ रमन, सचिव डाॅ पंकज पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी व जिलाधिकारी उपस्थित थे।

त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखंड से किया वादा निभायाः बंशीधर भगत

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर समय राजनीति करती है। अच्छे निर्णयों को लेकर जहां कांग्रेस को सरकार की पीठ थपथपानी चाहिए। कांग्रेस वहां भी लोगों को गुमराह करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण सवा करोड़ उत्तराखण्डियों की भावनाओं में है। प्रदेश के सभी लोग चाहते हैं कि गैरसैंण को लेकर जो सपना हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था, वो आज पूरा हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी गैरसैंण को लेकर सदैव सकारात्मक रही है, यही वजह है कि हमारे घोषणापत्र में गैरसैंण प्रमुखता से था। मुझे खुशी है कि त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने उत्तराखण्ड के लोगों से किया वादा निभाया है। मैं प्रदेश सरकार, राज्य के समस्त जनता और आंदोलनकारियों को बहुत बहुत बधाई देता हूँ।
बंशीधर भगत ने कहा कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्म राजधानी ऐसे समय बनाया गया है, जब न तो चुनाव हैं, न किसी तरह की मजबूरी है। हमारी पार्टी के प्रयास होता है कि जनभावनाओं को सर्वोपरि रखा जाय, उसी दिशा में ये कदम बढ़ाया गया है।
उत्तराखण्ड के सृजन से लेकर अब तक भाजपा की सरकारों ने इस पर्वतीय प्रदेश के लिए दिल खोलकर, बिना नफा नुकसान की परवाह किये काम किया है। याद कीजिये उत्तराखण्ड का सृजन स्व. अटल जी ने ही किया था। यही नहीं प्रदेश में आज जो औद्योगिक ढांचा है उसके लिए अटल जी की सरकार ने ही विशेष पैकेज दिया था, हालांकि बदकिस्मती से कांग्रेस की सरकार ने इस विशेष पैकेज को खत्म कर दिया था। आज के दौर में भी मोदी जी का उत्तराखण्ड के प्रति लगाव किसी से छिपा नहीं है। ऑल वेदर रोड, पहाड़ पर रेल लाइन, केदारपुरी का कायाकल्प, ये सारे काम भाजपा की सरकारों द्वारा ही संभव थे। गैरसैंण को ग्रीष्म राजधानी घोषित करना भी इसी विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 
मगर ये बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। कांग्रेस की सरकारों ने 10 साल राज किया लेकिन गैरसैंण पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाए, और जब भाजपा की सरकार ने ये ऐतिहासिक कदम उठाया तो कांग्रेस जनता को गुमराह करने लगी है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस नेतृत्व से पूछता हूँ, आखिर जब सरकार में थे तब क्यों सोए रहे? तब आपने जनभावना का अपमान क्यों किया? सच तो ये है कि कांग्रेस चाहती है नहीं है कि गैरसैंण की तरफ कदम आगे बढ़ाए जायँ, हां इनके नेता ढोंग करने, धरना देने जरूर वहां पहुंच जाते हैं। और जब जनभावनाओं के सम्मान की बात आती है तो ये पीछे हट जाते हैं।

त्रिवेन्द्र का दम, राज्य के लिये लिए है 11 बड़े फैसले, जो बदलेंगे राज्य की दशा और दिशा

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने बताया कि त्रिवेन्द्र सरकार ने तीन वर्षों में कई ऐसे फैसले लिए है जो जनता के हित के साथ ही जनभावनाओं के लिए बेहद जरुरी थे। इनमें 11 फैसले तो सीधे जनता से जुड़े हुए है। जिनका लाभ बड़ी संख्या में राज्य के लोगों को मिल रहा है या आने वाले समय में मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत लगातार जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय रहते है। रोजगार और स्वास्थ्य के विषय में मुख्यमंत्री ने बड़े और दूरगामी फैसले लिए है।
मीडिया सलाहकार इन 11 बड़े फैसलों की दे रहे है जानकारी-

’11 बड़े फैसले’

’1. जनभावनाओं की राजधानी’: गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को राज्य जी ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके जनभावनाओं का ख्याल रखा।

’2. चारधाम देवस्थानम बोर्ड गठित’: चार धाम यात्रा के सफल व बेहतर प्रबंधन के लिए चार धाम देवस्थानम बर्ड का गठन किया गया। इससे बद्री केदार, गंगोत्री यमुनोत्री के अलावा 51 बड़े मंदिरों के रखरखाव व प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार को मिली।

’3 अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना’: आयुष्मान भारत की तर्ज पर प्रदेश के समस्त परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए तक का निशुल्क इलाज उपलब्ध कराने हेतु अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना लागू की गई। अपने राज्य के समस्त परिवारों को सुरक्षा कवच देने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य बना। अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग मुफ्त उपचार करवा चुके हैं।

’4. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार’ : साल 2017 में प्रदेश में 1031 डॉक्टर थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 2600 के करीब हो गई है। 400 डॉक्टरों को केवल कोरोना काल मे ही नियुक्ति दी गई है। हर जिला अस्पताल में प्ब्न् की सुविधा है। दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को लाभ देने के लिए 35 अस्पतालोंध्केन्द्रों में टेली मेडिसिन सुविधा शुरू की गई है।

’5. ग्रोथ सेंटर’: ग्रामीण संसाधनों से लोकल इकोनॉमी जुटाने का तथा स्वरोजगार से जोड़ने के लिए करीब 100 ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।

’6. सभी 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन’ : पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 13 जिलों में 13 नए थीम बेस्ड टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित किए जा रहे हैं। टिहरी झील, गूलरभोज जलाशय, ट्यूलिप गार्डन प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं।

’7. होम स्टे’: ग्रामीण पर्यटन को मजबूत करने के लिए राज्य में 5000 होमस्टे बनाने का लक्ष्य है, जिसमे से अभी तक 2100 होमस्टे बनाये जा चुके हैं।

’8. इन्वेस्टर्स समिट’ : राज्य में उद्योगों और निवेश को विस्तार देने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सुविधा लागू है। 2018 में राज्य में पहली बार इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ जिसमें सवा लाख करोड़ के डवन् साइन हुए। इनमें से भी अब तक 21 हजार करोड़ के निवेश प्रोजेक्ट ग्राउंडेड हो चुके हैं।

’9. फिल्म पॉलिसी’: उत्तराखण्ड में फिल्म निर्माण की संभावनाओं को देखते हुए फिल्म नीति लाई गई। इससे फिल्मकारों को कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं। पिछले 3 साल में राज्य में 250 से अधिक फिल्मों व सीरियल्स की शूटिंग हो चुकी है। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है।

’10. कोरोना से लड़ाई’ : उत्तराखण्ड सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं। लॉकडाउन पीरियड में कोई भूखा नहीं रहे इसका ख्याल रखा, प्रदेश में रह रहे अन्य प्रदेशों के मजदूरों को कभी भूखा नहीं सोने दिया, उनको उनके घर तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम किए। अन्य राज्यों से प्रवासी उत्तराखण्डियों को लाने के लिए भी सभी व्यवस्थायें की।

कोरोना काल मे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया। आज राज्य में कोरोना मरीजों की देखभाल व इलाज के लिए 5 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, 10 डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर व 94 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं।

राज्य में आईसीयू की संख्या को 62 से बढ़ाकर 251 किया गया है। वेंटीलेटर्स कि संख्या को 37 से बढ़ाकर 113 किया गया है। बाइपैप मशीनों की संख्या 4 से बढ़कर 33 की गई है।

’11. मुख्यमन्त्री स्वरोजगार योजना’ : कोरोना के कारण घर लौटे प्रवासियों को घर मे काम देना हमारी प्राथमिकता है। हम राज्य के अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहते हैं इसलिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत अपना कोई भी काम शुरू करने के लिए ऋण लेने पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।