अनलॉक-चार में बाजार, धार्मिक स्थलों, मॉल, बाजार आदि को खोलने की अनुमति मिली

राज्य सरकार ने अनलॉक-चार की एसओपी जारी कर नीट और जेईई परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों को छूट दी है। नई एसओपी में बाहर से आने वाले लोगों को तीन दिन की बजाय अब चार दिन की एनटीपीसीआर निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट पर छूट मिलेगी। स्मार्ट सिटी की वेबसाइट http://dsclservices-org-in/apply-php पर पंजीकरण की शर्त को बरकरार रखा गया है। 
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी की गई एसओपी में वे तमाम रियायतें हैं जो केंद्रीय गृह मंत्रालय की एसओपी में दी गईं थीं। बाजार, धार्मिक स्थलों, मॉल, बाजार आदि को खोलने की अनुमति दी गई है। प्रदेश में भी 21 सितंबर के बाद पहले के अधिकतम 50 लोगों की शर्त को हटाकर 100 कर दिया गया है। स्कूल, कॉलेज में छात्र 21 के बाद सशर्त जा सकेंगे। पार्कों आदि में 21 के बाद अधिकतम 100 लोग सुबह की सैर आदि कर पाएंगे। 
स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण की शर्त को बरकरार रखा गया है। यह भी साफ कर दिया गया है कि व्यक्ति और सामान की आवाजाही में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा। कंटेनमेंट जोन की पाबंदियों को बरकरार रखा गया है। वरिष्ठ नागरिक, गर्भवती महिलाओं आदि को पहले से मिल रही छूट जारी रहेगी। 
वहीं, राज्य से बाहर हाई कोविड लोड शहरों को जाने वालों को पांच दिन में वापस लौटने पर क्वारंटीन नहीं होना होगा। सात दिन से अधिक की वापसी पर इन्हें 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा। विदेश से आने वाले लोगों को सात दिन संस्थागत और सात दिन होम क्वारंटीन में रहना होगा। 

– राज्य में बाहर से आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना होगा और स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। 
– कोविड हाई लोड शहरों से आने वालों को सात दिन संस्थागत और सात दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा। लेकिन, बिना लक्षण वाले और आरटीपीसीआर की निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट वालों को क्वारंटीन नहीं होना होगा। 
– ऐसे सभी लोग जो सात दिन के लिए अंतिम संस्कार या अन्य वजहों से आते हैं, उन्हें भी क्वारंटीन नहीं होना होगा।
– कोविड हाई लोड वाले शहरों से होकर हवाई जहाज से आने वालों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा।

बाहर से आने वाले और उद्योग प्रबंधन की सहमति वाले कर्मियों, विशेषज्ञों को क्वारंटीन नहीं होना होगा। इसी तरह वीवीआईपी मूवमेंट पर भी रोक नहीं है। सेना को क्वारंटीन से लेकर अन्य सभी इंतजाम अपने स्तर पर करने होंगे।

– प्रदेश में अधिक संक्रमण वाले इलाकों में कंटेनमेंट जोन बनेंगे और जिला प्रशासन अपनी विभागीय वेबसाइट पर जोन की सूचना प्रदर्शित करेंगे और इसकी सूचना राज्य सरकार के साथ ही केंद्र को भी दी जाएगी।
– 30 सितंबर तक शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे
– ऑनलाइन शिक्षा जारी रहेगी और इसे प्रोत्साहित किया जाएगा। 21 सितंबर से 50 प्रतिशत स्टाफ स्कूल आ सकेगा।
– कंटेनमेंट जोन से बाहर के स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक के छात्र 21 सितंबर से स्कूल आ सकेंगे। अभिभावकों की लिखित अनुमति लेनी होगी और स्कूल आना स्वैच्छिक होगा।

वहीं, 21 सितंबर से राजनीतिक सभा, खेल, धार्मिक गतिविधियों के लिए सौ तक की संख्या में लोग भाग ले सकेंगे। 20 सितंबर तक अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा और विवाह समारोह में 50 ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे। इसके बाद सौ की संख्या की अनुमति होगी। 21 सितंबर से ओपन एअर थियेटर खुल सकेंगे।

– जिला प्रशासन कंटेनमेंट जोन के बाहर बिना राज्य सरकार की अनुमति के लॉकडाउन नहीं करेगा।
– सामाजिक दूरी के नियम का पालन कराने के लिए धारा 144 लगाई जा सकेगी।
जेईई, नीट सहित अन्य परीक्षा के छात्रों और अभिभावकों को भी कराना होगा पंजीकरण
– इन सभी को स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। इनको क्वारंटीन नहीं होना होगा। राज्य से बाहर से आने वाले और राज्य में जिलों के बीच आवागमन करने वाले छात्रों पर भी यह नियम लागू होगा। जिला प्रशासन इनके आने जाने की व्यवस्था करेगा।
– प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाले लोगों को भी स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। इनको भी क्वारंटीन नहीं किया जाएगा।

हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने दर्ज किया पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा

ऊधमसिंहनगर पुलिस के एक चैकी प्रभारी व उनकी टीम पर ढाबा संचालक को चरस के मुकदमे में झूठा फंसाने के आरोप में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि चैकी प्रभारी, तीन सिपाहियों और दो एसपीओ ढाबे पर पहुंचे और संचालक से मारपीट की। इसके बाद उसके पास से चरस बरामद दिखाई। संचालक ने जब हाईकोर्ट की शरण ली तो सारी कहानी की पोल खुलनी शुरु हुई।
मामला केलाखेड़ा थाना की बेरिया दौलत पुलिस चैकी क्षेत्र का है। यहां हाईवे के पास अनिल शर्मा का पंडित ढाबा है। गत 28 जुलाई की शाम को वहां पर चार-पांच पुलिसकर्मी आए और कर्मचारियों से मारपीट करने लगे। एक कर्मचारियों का फोन भी छीन लिया और अपने मालिक को बुलाने को कहा। ढाबे पर मौजूद मालिक से भी उन्होंने मारपीट की। इसके बाद कर्मचारी को गाड़ी में बैठाकर ले गए और उसके पास से चरस बरामद दिखाई। लेकिन, यह सारी घटना ढाबे पर लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। 
पुलिसकर्मियों की चालाकी यहीं नहीं रुकी। अगले दिन दो पुलिसकर्मी ढाबे पर आए और सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दिया। साथ ही किसी को न बताने की धमकी भी दे गए। इसके बाद अनिल शर्मा ने गत सात अगस्त को इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर की। हाईकोर्ट के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने एसएसपी ऊधमसिंह नगर से रिपोर्ट मांगी। इस मामले में एसएसपी ने केलाखेड़ा एसओ को लाइन हाजिर और चैकी प्रभारी व तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पूरे प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल सर्विलांस समेत अन्य साक्ष्य भी पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे।
अनिल शर्मा ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 18 अगस्त को प्राथमिक जानकारी को दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इसके अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सीबीआई देहरादून शाखा ने चैकी प्रभारी बेरिया दौलत प्रकाश चंद टम्टा, सिपाही त्रिभुवन सिंह, चंदन सिंह बिष्ट, हरीश गिरी और स्पेशल पुलिस अफसर (कोरोना काल में जनता के बीच से बनाए गए थे) परवेज अहमद व राजवंत सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमे की जांच इंस्पेक्टर हरीश सिंह कर रहे हैं। 

आईपीसी की धाराएं जिन पर मुकदमा हुआ है दर्ज
120बी-आपराधिक षडयंत्र रचना 
166- लोकसेवक रहते कानून की अवज्ञा करते हुए किसी को चोट पहुंचाना 
167-अशुद्ध दस्तावेज रचना
193- कोर्ट में झूठे साक्ष्य पेश करना। 
201- साक्ष्य छुपाना या मिटाना 
211- किसी को नुकसान पहुंचाने की नियत से झूठा आरोप लगाना। 
220-निर्दोष व्यक्ति को जबरन रोककर रखना। 
323- मारपीट करना। 
342- गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को रोककर रखना। 
348-ज 465-जालसाजी।

हरिद्वार जिले में धर्मस्थल हटाने की कार्रवाई ने लिया राजनीतिक रंग

हरिद्वार जिले में सरकारी भूमि पर बनाए गए धर्मस्थलों को कोर्ट के आदेश पर हटाने के अभियान का विरोध दिल्ली और लखनऊ तक पहुंच गया है। मंगलवार शाम यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की ओर से इस मुद्दे पर ट्वीट किए जाने के बाद मामला और गरमा गया। दूसरी ओर, झबरेड़ा से भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि एक भी मंदिर को तोड़ने नहीं दिया जाएगा।
जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को जिलेभर में सरकारी जमीन पर बनाए गए धर्मस्थलों को हटवाने की मुहिम चलाई थी। इस दौरान लक्सर, लंढौरा, खानपुर और पथरी क्षेत्र सहित कई स्थानों से धर्मस्थल हटाए गए थे, लेकिन कई स्थानों पर विधायकों के नेतृत्व में जनता की ओर से विरोध किए जाने पर प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा था। ऐसे कई मामलों को लेकर गतिरोध बरकरार है।
मंगलवार दोपहर यह मामला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया जब बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर हरिद्वार के बादशाहपुर क्षेत्र स्थित संत रविदास मंदिर हटाने के फैसले गलत बताया। उन्होंने कहा कि बसपा ऐसे निर्णय की निंदा करती है। सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए। मायावती के ट्वीट के बाद बसपा के स्थानीय नेता भी सक्रिय हो गए।
प्रदेश अध्यक्ष नरेश गौतम ने कहा कि प्रशासन का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। आस्था के केंद्रों को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। इस बारे में बसपा का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलेगा। प्रशासन के सामने कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की बाध्यता है तो कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। प्रदेश उपाध्यक्ष मो. शहजाद ने कहा कि कोई भी धर्मस्थल तोड़ा जाना उचित नहीं है। आपसी विचार विमर्श के आधार पर समस्या का कोई समाधान निकाला जाना चाहिए।
दूसरी ओर, भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली कूच कर गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय सह महामंत्री शिव प्रकाश सहित कई नेताओं को पत्र लिखकर धर्मस्थल तोड़े जाने के निर्णय पर सवाल उठाया है।

कोरोना काल में जीडीपी धड़ाम, तिमाही के आंकड़ें हुए जारी

कोरोना से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन का जीडीपी ग्रोथ पर बेहद विपरीत असर देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 1996 के बाद से यह पहला मौका है, जब जीडीपी के तिमाही नतीजों में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 1996 से ही देश में जीडीपी के तिमाही नतीजे घोषित किए जाने का प्रचलन है। बीते साल इसी अवधि में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी थी। इसके अलावा जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की रफ्तार 3.1 पर्सेंट थी, जो बीते 8 सालों का सबसे निचला स्तर था। इस लिहाज से देखें तो कोरोना ने भारत की जीडीपी पर बुरी तरह कहर बरपाया है। मौजूदा तिमाही और इस पूरे वित्त वर्ष में ही इसका असर देखने को मिल सकता है।
सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि कोरोना काल में निजी निवेश में तेजी से कमी आई है और उपभोक्ता में गिरावट दर्ज की गई है। इसी के चलते जीडीपी ने गोता लगाया है। देश की जीडीपी जून तिमाही में 26.9 लाख करोड़ रुपये रही है, जबकि बीते साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 35.35 लाख करोड़ रुपये का था। इस तरह बीते साल की तुलना में जीडीपी ग्रोथ में 23.9 पर्सेंट की कमी दर्ज की गई है।बता दें कि लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने देश में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए करीब 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन यह आंकड़ा बताता है कि सरकारी उपायों से अर्थव्यवस्था पर लोगों का भरोसा नहीं बढ़ा है।
इसके अलावा देश के 8 कोर उद्योगों में भी उत्पादन में 9.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में उर्वरक को छोड़कर अन्य सातों क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट आई है। जुलाई में इस्पात का उत्पादन 16.5 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का 13.9 प्रतिशत, सीमेंट का 13.5 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस का 10.2 प्रतिशत, कोयले का 5.7 प्रतिशत, कच्चे तेल का 4.9 प्रतिशत और बिजली का 2.3 प्रतिशत नीचे आया है। वहीं दूसरी ओर जुलाई में उर्वरक का उत्पादन 6.9 प्रतिशत बढ़ा।

बिना पंजीकरण के राज्य में नही मिलेगा प्रवेश

गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से अनलॉक-4 की गाइडलाइन जारी होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी प्रदेश में आने वाले लोगों की प्रति दिन 2000 लोगों की सीमा का प्रतिबंध हटा दिया है। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी की वेबसाइट http://dsclservices-org-in/apply-php पर पंजीकरण कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्यों को केंद्र की अनुमति के बिना कंटेनमेंट जोन से बाहर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं होगा। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रति 2000 लोगों को ही आने की अनुमति थी। इसके साथ ही जिलाधिकारियों को अतिरिक्त 50 पास जारी करने को कहा गया था। 
केंद्र की एसओपी के जारी होने के तुरंत बाद ही आपदा प्रबंधन एंव पुनर्वास विभाग के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने दो अलग-अलग आदेश जारी किए। पहले आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया कि प्रदेश में आने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर कोई रोकटोक नहीं होगी। दूसरे आदेश में यह जोर देकर कहा गया कि राज्य में बाहर से आने वाले लोगों को स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। खास बात यह भी है कि बॉर्डर चेक पोस्ट पर पंजीकरण दस्तावेज दिखाने की शर्त को नहीं हटाया गया है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अधिकृत लैब से ही कराना होगा। 
इस आदेश को जारी करते हुए प्रदेश सरकार ने चार अगस्त को जारी गाइडलाइन को अतिक्रमित नहीं किया है। चार अगस्त की गाइडलाइन के दो प्रावधानों को ही छेड़ा है। ऐसे में कोविड लोड वाले शहरों से आने वालों को आरटीपीसीआर टेस्ट कराना होगा। इसी तरह से क्वारंटीन होने के पहले के नियम ही प्रभावी माने जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ समय पहले ही राज्यों से कहा था कि स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंध समाप्त करें। संक्रमण को बढ़ता देखते हुए प्रदेश सरकार दो हजार का प्रतिबंध हटाने के पक्ष में नहीं थी। 22 अगस्त के केंद्र सरकार के पत्र ने इस स्थिति का बदल दिया। अनलॉक-4 गाइडलाइन में एमएचए ने स्पष्ट कहा कि कोई स्थानीय प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
आपदा प्रबंधन के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन भी प्रदेश में पूरी तरह से लागू होगी। उसी के अनुरूप यह फैसला भी किया गया है। पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है और इसके पीछे कारण यह है कि प्रदेश में बाहर से आने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो आसानी से संपर्कों की तलाश की जा सके। दो हजार की सीमा खत्म कर दी गई है। एमएचए की गाइड लाइन के अनुरूप ही यह नियम लागू होंगे।
 

पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को रावत का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में हैं।
सोशल मीडिया में पुरानी पेंशन योजना के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट किया कि वर्ष 1999 में कर्मचारी अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। भाजपा के चुनाव जीतने के बाद वाजपेयी सरकार ने पब्लिक सेक्टर की इकाइयों को निजी पूंजीपतियों को बेचना शुरू कर दिया। तात्कालिक पेंशन योजना के स्थान पर एक नई पेंशन योजना लेकर आए। आज केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी तड़प रहे हैं। रावत के मुताबिक 2019 में भी उन्होंने हल्द्वानी में एक सभा में कहा था कि मोदी के मोहनास्त्र में फंसकर हमें न नकारें। पूर्व सीएम हरीश रावत का ये भी कहना है कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में खडे हैं।

महापौर के आश्वासन पर माने आंदोलनकारी

शिवाजी नगर घर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा धरना महापौर अनिता ममगाई के आश्वासन के बाद समाप्त हो गया। धरने पर बैठी मात्रृ शक्ति एवं तमाम आंदोलनकारियों ने धरने को समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महापौर का आभार जताया। साथ ही विश्वास जताया कि विकास की राह में उन्हें अब अपने आशियानों से वंचित नही होना पड़ेगा।
अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए महापौर अनिता ममगाई ने शिवाजी नगर घर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे लोगों से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि नमामि गंगे योजना के नाले टेपिंग योजना को क्षेत्रवासियों के लिए नुकसान की योजना नही बनने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति तिनका-तिनका जोड़कर घर बनाता है। योजना से प्रभावित लोगों के घर ना उजड़े इसके लिए उन्होंने कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के अधिकारियों से बात की है।
महापौर ने निर्देश दिये कि योजना को मूर्त रूप देने के लिए एडवांस से एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जाये ताकि नुकसान कम से कम हो जिसकी जद में आने वाले लोग इसे बर्दाश्त कर सके। महापौर की पहल और आश्वासन पर धरना दे रहे आंदोलनकारियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। इस दौरान पार्षद जयेश राणा, पार्षद विजेंद्र मोघा, पार्षद विजय बडोनी, पार्षद लव कांबोज, पार्षद गुरविंदर सिंह, सुभाष वाल्मीकि, सुरेंद्र सुमन आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने से गर्भवती महिला की हालत बिगड़ी

ऊधमसिंह नगर में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सरकारी अस्पताल की महिला लैब टेक्नीशियन ने गर्भवती का ब्लड ग्रुप गलत बताया और निजी अस्पताल ने भी ब्लड ग्रुप की बगैर जांच किए बिना महिला को ब्लड चढ़ा दिया। परिजनों का आरोप है कि गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने से महिला की हालत बिगड़ गई। 
ग्राम गढ़ी हुसैन निवासी अजय कुमार ने विधायक आदेश चैहान को दिए पत्र में बताया कि उसकी पत्नी सविता रानी गर्भवती थी। प्रसव के लिए उसके गांव की आशा कार्यकर्ता ने सरकारी अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड बनवाया था। उसने बताया कि ब्लड ग्रुप चेक करने वाली लैब तकनीशियन ने उसकी पत्नी के कार्ड पर उसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव लिख दिया, जबकि उसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है। 5 मई 2020 को सरिता को ग्राम पंचायत की आशा कार्यकर्ता सरकारी अस्पताल साथ लेकर आई थी। महिला डॉक्टर से बात करने के बाद आशा कार्यकर्ता ने उसके शरीर में ब्लड की कमी बताकर प्रसव न होने की जानकारी दी।
उसके बाद वह सरिता को नगर के एक निजी अस्पताल में ले गया। अस्पताल की महिला डॉक्टर ने ब्लड मंगवाकर चढ़ा दिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। वह पत्नी को पीएचसी पतरामपुर ले गया, जहां से हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया। वह अपनी पत्नी को लेकर मुरादाबाद पहुंचा। वहां एक निजी अस्पताल में जांच कराने पर ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव पाया गया। गलत ग्रुप का खून चढ़ने से उसकी पत्नी की हालत बिगड़ी है। उसने बताया कि घर बेचकर उसे पत्नी का इलाज कराना पड़ा। इस शिकायती पत्र को पढ़ने के बाद विधायक आदेश चैहान ने सरकारी अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों को जमकर खरी-खोटी सुनाई और घटना की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। वहां पर एसडीएम सुंदर सिंह भी मौजूद रहे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने आखिर क्यों कहा कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के नारे ढ़ोंग

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर तीखा व्यंग्य कसा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के नारों को कोर्ट ने ढोंग करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने के मामले में ‘पाखंडी’ साबित हुई है। हाईकोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस उपलब्ध कराने के लिए निकले टेंडरों में कंपनियों की योग्यता के पैमाने में बदलाव को लेकर की है।
हाईकोर्ट की पीठ सेंटर फॉर एविएशन पॉलिसी, सेफ्टी एंड रिसर्च की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने केंद्र और एएआई को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और साथ ही निर्देश दिया कि टेंडरों के आवंटन की वैधता याचिका के निस्तारण पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर राजनीतिक नेतृत्व पर सख्त रुख दिखाया और कहा, यह बेहद दुख कि बात है कि एकतरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ बनने की बात कर रही है तथा दूसरी तरफ ऐसे टेंडर निकालती है, जो छोटी कंपनियों को क्षेत्रीय हवाईअड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस के लिए हिस्सेदारी करने से रोकते हैं।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, असल में यह दिखता है कि यदि आप वास्तव इन लोगों (छोटी कंपनियों) को हटाना चाहते हैं तो ऐसा ही कहिए। अपने भाषणों में आप बड़ी बड़ी बातें करते हैं। आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत की बात करता है, वे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कहते हैं, लेकिन आपकी कार्रवाई आपके शब्दों से मेल नहीं खाती। आप पूरी तरह पाखंडी हैं।
पीठ ने एडिशन सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से अपने राजनीतिक नेतृत्व से यह बोलने के लिए कहा कि यदि आप इस तरह से चलना चाहते हैं तो मेक इन इंडिया पर भाषण क्यों देते हैं। संजय जैन केंद्र सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की तरफ से उपस्थित हुए थे। पीठ ने उनसे सवाल किया, क्या वे (राजनीतिक नेतृत्व) को इसके बारे में पता भी है। पीठ ने कहा, हम कहते हैं कि इस देश या उस देश से आयात बंद करो और दूसरी तरफ हम हमारे अपने उद्यमियों को भी विफल कर रहे हैं।
टेंडर में भाग लेने के लिए 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की उपलब्धता और शेड्यूल्ड एयरलाइंस के साथ काम करने की योग्यता का पैमाना बनाया गया है। इसका हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, आप बड़ी जेब और शायद विदेशी टाइप वाले बड़े खिलाड़ी (कंपनियां) को ही अंदर आने देना चाहते हैं।
क्षेत्रीय हवाईअड्डों पर जहां आने वाली फ्लाइटों की संख्या कुछ ही होती हैं, वहां काम कर रहे छोटे खिलाड़ियों के चार्टर्ड एयरलाइंस को संभालने के अनुभव की आपने अनदेखी कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा, यदि छोटे खिलाड़ियों को विकसित नहीं होने दिया जाएगा, तब कुछ ही स्थापित बड़े खिलाड़ी बचेंगे, जो अपने मार्केट प्रभुत्व के कारण सरकार पर अपनी शर्तें थोपना चाहते कर देंगे।

’’रेड नोटिस’’ जारी हुआ तो पीएनबी को पहले किश्त मिल गई

पंजाब नेशनल बैंक से धोखाधड़ी मामले में बैंक को वसूली की पहली किश्त के रूप में 24.33 करोड़ रुपये मिले हैं। ये जानकारी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक ने सूचित किया है कि उसे अमेरिका से नीरव मोदी मामले में वसूली की पहली किश्त के रूप में अमेरिकी डॉलर 3.25 मिलियन (24.33 करोड़ रुपये के बराबर) प्राप्त हुए हैं। मंत्रालय ने कहा कि 2018 में पीएनबी ने मंत्रालय को अमेरिका में नीरव मोदी की कंपनियों के बारे में जानकारी दी थी। इन कंपनियों ने वहां न्यूयार्क के दक्षिणी जिले में दिवाला सुरक्षा के तहत याचिका दायर की थी। पंजाब नेशनल बैंक ने तब मंत्रालय से न्यूयार्क में दिवाला प्रक्रिया में मदद करने का अनुरोध किया था।
मंत्रालय की विज्ञप्ति में इसकी जानकारी देते हुये कहा गया है कि पीएनबी ने उसे सूचित किया है कि बैंक को उसके बकाये की वसूली के तौर पर 32.5 लाख डालर (24.33 करोड़ रुपये) की पहली किस्त प्राप्त हुई है। इसमें कहा गया है कि कर्जदार की संपत्ति के परिसमापन से अमेरिका के चैप्टर 11 ट्रस्टी के पास 1.10 करोड़ डालर (करीब 82.66 करोड़ रुपये) की राशि उपलब्ध है जिसे पीएनबी सहित बिना सुरक्षा प्रावधान वाले रिणदाताओं में वितरित किया जायेगा। आगे की वसूली अन्य खर्चो और दूसरे दावेदारों के दावों के निपटान पर निर्भर करेगी।
बता दें कि इससे पहले मंगलवार को ही इंटरपोल ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी की पत्नी एमी मोदी के खिलाफ धन शोधन के आरोपों में एक वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। उन्होंने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर वैश्विक पुलिस निकाय इंटरपोल ने ‘रेड नोटिस’ जारी किया है।
एक बार भगोड़े के खिलाफ जारी किए गए इस तरह के नोटिस के बाद, इंटरपोल अपने 192 सदस्यीय देशों को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने के लिए कहता है, जब उसे उनके देशों में देखा जाता है। इसके बाद प्रत्यर्पण या निर्वासन की कार्यवाही शुरू हो सकती है।
ऐसा माना जा रहा है कि 2018 में बैंक धोखाधड़ी का कथित मामला प्रकाश में आने के तुरंत बाद एमी मोदी देश छोड़ चुकी हैं। ईडी ने एमी मोदी पर अपने पति नीरव मोदी के अलावा उसके रिश्तेदार मेहुल चोकसी और अन्य पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरेाप लगाया है।
लंदन में मार्च, 2019 में गिरफ्तार किये जाने के बाद नीरव मोदी (49) इस समय ब्रिटेन की जेल में है। इस वर्ष की शुरूआत में मुंबई की एक अदालत ने उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था और उसकी संपत्तियों को जब्त किये जाने के भी आदेश दिये थे। ईडी नीरव मोदी से संबंधित लगभग 329 करोड़ रुपये की संपत्तियों को पहले ही जब्त कर चुकी है।
गौरतलब है कि मुंबई में पीएनबी की एक शाखा में दो अरब डॉलर से अधिक की कथित धोखाधड़ी के सिलसिले में धनशोधन के आरोपों में ईडी नीरव मोदी, चोकसी और अन्य की जांच कर रहा है।